बीमा पर शेयर बाजार के शिकंज के खिलाफ उद्योग मंडल विदेशी निवेश के हक में
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
उद्योग मंडल सीआईआई का इस सप्ताह कोलकाता के पांच सितारे होटल में बीमा क्षेत्र की संभावनाओं पर आयोजित संगोष्ठी में बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश का समर्थन करते हुए इस क्षेत्र में वृद्धि हेतु सरकारी नीति निर्धारण की जोरदार वकालत की गयी।बीमा पर शेयर बाजार के बढ़ते शिकंजे पर असंतोष जताते हुए उद्योग मंडल ने कहा है कि इसस उद्योग का स्वतंत्र अस्तित्व है और इसका स्वतंत्र विकास हो सकता है।कंपनी बिल और बैंकिंग संशोधन बिल पास होने के बाद जाहिर है कि उद्योग मंडल को बीमा बिल बी पास हो जाने की प्रतीक्षा है, जिससे विदेशी पूंजी निवेश के लिए बीमा क्षेत्र को खोल दिया जा सकें।सरकार संसद में लंबित पड़े बीमा कानून संशोधन विधेयक को भी पारित करवाने की कोशिश कर रही है। लोकसभा में कल दो प्रमुख विधेयक पारित होने के बाद योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने नई दिल्ली में कहा कि इससे निवेशकों को अच्छा संकेत जाएगा और लोग यह समझेंगे कि देश में नीतियों को लेकर कोई राजनीतिक गतिरोध नहीं है। लोकसभा ने बैंकिंग (संशोधन) विधेयक तथा कंपनी विधेयक पारित कर दिया। उद्योग मंडल सीआईआई के स्वास्थ्य सम्मेलन के दौरान अहलूवालिया ने कहा, ''वास्तविकता यह है कि ये महत्वपूर्ण विधेयक सकारात्मक संकेत देगा कि नीतियों को लेकर कोई राजनीतिक गतिरोध नहीं है..चीजों पर बहस हो सकती है और राय अलग-अलग हो सकते हैं और हम आगे बढ़ते हैं।''यह पूछे जाने पर कि क्या बीमा तथा पेंशन से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयकों पर संसद के अगामी बजट सत्र में विचार किया जाएगा, उन्होंने कहा, निश्चित रूप से! जहां बैंकिंग विधेयक से क्षेत्र में नये लोग और निवेश आ सकेंगे वहीं कंपनी विधेयक पारदर्शी कंपनी कामकाज सुनिश्चित करने के साथ छोटे निवेशकों तथा कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेगा। उद्योग मंडल का माना है कि विदेशी पूंजी की सीमा ४९ प्रतिशत तक बढ़ाये जाने पर बीमा क्षेत्र पर शेयर बाजार का शिकंजा टूटेगा और इस क्षेत्र का स्वतंत्र विकास हो पायेगा।बेहतर तकनीक आयेगी और ग्राहकों को बेहतर रिटर्न मिलेगा।अब हालत यह है कि शेयर बाजार से नत्थी हो जाने से बीमा से ग्राहको के फायदे में बट्टा लगा है और इससे उद्योग का विकास धीमा हो रहा है।हालत यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की गैर जीवनबीमा बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंश कंपनी स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में बीस से तीस प्रतिशत बढ़ाकर घाटा पाटने की योजना बना रही है।
लेकिन लगता है कि बीमा क्षेत्र को औरर इंतजार करना पड़ेगा। बीमा संशोधन विधेयक संभवत: संसद के इस सत्र में पारित नहीं हो पाएगा। विधेयक निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 से बढाकर 49 फीसदी करने का प्रावधान करता है। अब संभावना यह है कि बीमा विधेयक अगले सत्र में आएगा। इससे पहले सरकार ने इस विधेयक को विचार और पारण के लिए सूचीबद्ध किया था। बीमा कानून संशोधन विधेयक राज्यसभा में दिसंबर 2008 से लंबित है।
उद्योग और व्यावसाय जगत की उम्मीदों को झटका देते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और रेपो दर में मंगलवार को कोई बदलाव नहीं किया।उद्योग जगत ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने पर निराशा जताई। उद्योग मंडल सीआईआई के अनुसार 'सरकार ने राजकोषीय मजबूती लाने की कार्ययोजना घोषित कर दी है। गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे आ चुकी है, ऐसे में रेपो और सीआरआर दरों में कमी करने का उपयुक्त माहौल था।'
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने निवेश प्रावधानों के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के साथ निजी बीमा कंपनियों को एक समान धरालत पर लाने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है। एलआईसी को हाल ही में वित्त मंत्रालय ने किसी कंपनी में 30 फीसदी तक निवेश करने की अनुमति दी है।
इरडा के चेयरमैन जे हरि नारायण ने निजी बीमा कंपनियों को 10 फीसदी तक निवेश करने की अनुमति के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'नियामक प्राधिकरण इस बात को लेकर पूरी तरह से स्पष्टï है कि बीमा उद्योग को विवेकपूर्ण मानदंडों के आधार पर नियमित किया जाएगा।'
निजी बीमा कंपनियां किसी कंपनी में निवेश सीमा को बढ़ाकर 20 फीसदी तक किए जाने की मांग कर रही हैं जिस पर इरडा के प्रमुख ने विचार करने से मना कर दिया। बीमा उत्पादों से संबंधित दिशा निर्देशों पर हरि नारायण ने कहा कि इसे साल के अंत तक जारी कर दिया जाएगा।उन्होंने कहा, 'हम उद्योग के साथ उत्पादों के स्वरुप को लेकर काम कर रहे हैं जिसे हम बीमा उत्पादों में देखना चाहते हैं और दिशानिर्देश मूल्यांकन की अग्रिम अवस्था में है। इसके जल्द ही नियमन प्रावधानों में बदलने की उम्मीद है।' बैंक बीमा को लेकर दिशानिर्देशों के बारे में उन्होंने बताया कि जनवरी 2013 के अंत तक इसे तैयार कर लिया जाएगा। बैंक बीमा से संबंधित प्रावधानों के तहत बैंकों को बीमा उत्पाद बेचने की मंजूरी मिल जाएगी।
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