जॉब मार्केट में अब भी मायूसी! बीमा , भविष्य निधि और जमा पूंजी बाजार में।पर कामकाजी जमात को इसका होश नहीं!
एअर इंडिया जैसे हाईप्रोफाइल सरकारी कंपनी के कर्मचारी भी कल तक इसी खुशफहमी में जी रहे थे, जिसमे बाकी लोग अब भी जी रहे हैं।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कामकाजी लोगों को दीन दुनिया की खबर नहीं होती।दुनिया जाये भाड़ में उन्हें क्या?उपभोक्ता संसकृति के मुक्त बाजार में अपना अपना कैरियर, अपने अपने हित सर्वोपरि है, जाहिर है। जिंदगी की सारी ऊर्जा बाजार में तब्दील समाज में अपनी हैसियत बनाये रखने में क्रयशक्ति बढाते जाने की अंधी दौड़ उनकी मजबूरी है। इन्ही लोगों से आज का नवधनाढ्य वर्ग बना है, जिसे अपने सिवाय किसी से कोई मतलब नहीं। पढ़े लिखे इन लोगों में सामाजिक सरोकार का जब्जा सिरे से गायब हो जाने की वजह से कहीं भी हालात बदलने के आसार नहीं होते। विडंबना है कि उत्पादन प्रणाली ठप हो जाने से सिऱ्फ सेवा सेक्टर के दम पर इनकी सारी उछल कूद है और सेवा क्षेत्र सिर्फ देश की अर्थ व्यवस्था पर निर्भर नहीं, ग्लोबल परिस्थितियां उसे बेहद प्रभावित करती है।अबाध पूंजी निवेश से इस वर्ग की बल्ले बल्ले है। लेकिन मुक्त बाजार में कारपोरेट हित सबसे बड़ी प्राथमिकता है। जिससे बाजार में सारे संसाधन झोंके जाना तय है। इसका नतीजा यह हुआ कि कामकाजी लोगों की नौकरियां अब ठेके पर है। बीमा , भविष्य निधि और जमा पूंजी बाजार में।पर कामकाजी जमात को इसका होश नहीं है।एअर इंडिया जैसे हाईप्रोफाइल सरकारी कंपनी के कर्मचारी भी कल तक इसी खुशफहमी में जी रहे थे, जिसमे बाकी लोग अब भी जी रहे हैं।जॉब मार्केट में अब भी मायूसी है। साल के आखिरी महीनों में जो लोग नौकरी तलाशेंगे, उनके हाथ मायूसी लग सकती है। हायरिंग कंपनियों के लिए यह वक्त बुरा होगा।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रमुख सांसदों के साथ बैठक के बाद कुछ उम्मीद जगी है। उन्होंने सांसदों से अपील की है कि वह 31 दिसंबर मध्यरात्रि की समयसीमा से पहले बढ़ते राजकोषीय संकट का कोई निदान निकालें। ऐसा नहीं होने पर देश को एक और आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है।ओबामा ने वरिष्ठ सांसदों के साथ हुई बैठक के बाद व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा,'मुझे कुछ उम्मीद बंधी है कि समझौता हो सकता है। सभी की इच्छा को शतप्रतिशत पूरा नहीं किया जा सकता, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे मध्यवर्गीय परिवार और अमेरिकी अर्थव्यवस्था यहां तक कि वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो, क्योंकि यह संकट बढ़ता है तो लोग अपना काम नहीं कर पाएंगे।'दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को 'फिस्कल क्लिफ' की संभावना से बचाने के लिए सप्ताह भर से चल रही बहसबाजी के बीच राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अंतिम समय में कोई हल निकालने के लिए सीनेट नेताओं की ओर रुख किया है। 'फिस्कल क्लिफ' से बचने के लिए यदि समझौता नहीं हो पाया, तो अगले साल की शुरुआत से ही स्वत: कर वृद्धि और खर्च में कटौती की व्यवस्था लागू हो जाएगी और इसके कारण अमेरिका फिर से मंदी का शिकार हो सकता है।
उन्होंने कहा, 'हम ऐसे मुकाम पर हैं कि सिर्फ चार दिनों के अंतराल के बाद ही प्रत्येक अमेरिकी के लिए कानूनी तौर पर कर की दर बढ़ जाएगी। इससे हरएक अमेरिकी का वेतन उल्लेखनीय रूप से कम हो जाएगा और यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होगा, यह हमारे मध्य-वर्ग के लिए गलत होगा और यह उन व्यावसायियों के लिए भी खराब होगा जो अपने व्यावसाय के लिए परिवारों के खर्च पर निर्भर रहते हैं।'
उन्होंने कहा, 'संयोग से सांसद इस परिस्थिति को पैदा होने से रोक सकते हैं यदि वे अब उपयुक्त कदम उठाते हैं।' अमेरिकी बजट संकट को देखते हुए ओबामा अपने हवाई अवकाश को बीच में छोड़कर वाशिंगटन लौट आए। अपनी पत्नी और बेटी को वह वहीं छोडकर राजधानी लौट आए। बजट संकट को सुलझाने के लिये यह उनका अंतिम प्रयास होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आशा व्यक्त की है कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में निरंतर मजबूत दर के साथ वृद्धि कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि ऊंची बचत दर, सेवा क्षेत्र में वृद्धि, निरंतर मांग पैदा करने वाली वृहद मध्यम वर्ग और तकनीकी तथा कुशल लोगों और युवाओं जैसे मजबूत घटकों के बल पर हमारी अर्थव्यवस्था में यह संभव है।वित्त मंत्री गुरुवार को राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे। वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा को कम करने के लिए हमें संसाधन जुटाने के साथ ही खर्च पर नियंत्रण रखना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ उपायों के कारण हमें तत्काल पीड़ा हो सकती है किंतु अगले तीन साल में राजकोषीय घाटा को तीन प्रतिशत तक नीचे लाने के लिए यह आवश्यक हैं।
आरबीआई ने फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू बचत और निवेश में कमी और खपत घटने से अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम बढ़ गए हैं।
आरबीआई की इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में घरेलू बचत पिछले दो दशकों के निचले स्तर पर आ गई है। साल 2011-12 में घरेलू बचत जीडीपी के 7.8 फीसदी के बराबर रही, जबकि इसके पिछले साल में ये 9.3 फीसदी थी। 2009-10 में घरेलू बचत जीडीपी के 12.2 फीसदी के बराबर थी।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक लोगों का रुझान फाइनेंशियल एसेट के बजाए सोने और प्रॉपर्टी जैसे एसेट में बढ़ा है, क्योंकि फाइनेंशियल एसेट में ऊंची महंगाई की वजह से वास्तविक रिटर्न काफी कम हो गए हैं।
आरबीआई ने ये भी कहा कि लगातार ऊंची महंगाई दर, रेगुलेटरी वजहों से निवेश में गिरावट और लोगों की खपत घटने से ग्रोथ में गिरावट देखी जा रही है। इन वजहों से संभावित ग्रोथ रेट भी कम होती गई है।
बहरहाल सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) अपने राजरहाट कैंपस में 16,500 से अधिक प्रोफेशनल्स की भर्ती करेगी। कंपनी के मुताबिक, यहां का उसका नया सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कैंपस 2014-15 के अंत तक चालू हो जाएगा।
कंपनी 1,350 करोड़ रुपए के निवेश से 40 एकड़ से ज्यादा में इस कैंपस का निर्माण कर रही है। टीसीएस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर एस महालिंगम ने बताया कि राजरहाट का काम दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण का कंस्ट्रक्शन 2014 की पहली तिमाही में पूरा होगा, जबकि दूसरा चरण का काम 2014-15 की चौथी तिमाही तक पूरा हो जाएगा।पहले चरण में 7,000 सीटों और दूसरे चरण में 9,500 सीटों की क्षमता होगी।
अगले तीन महीने में हायरिंग ऐक्टिविटी बढ़ने वाली हैं। आईटी और एफएमसीजी सेक्टर कारोबार बढ़ने को लेकर उत्साहित हैं। इससे इन सेक्टरों में नए जॉब पैदा होने की उम्मीद अधिक है।रिक्रूटमेंट टेंडरिंग प्लेटफॉर्म मायहायरिंगक्लब डॉट कॉम(myhiringclub.com) के सर्वे के मुताबिक, देश का नेट एंप्लॉयमेंट आउटलुक जनवरी से मार्च क्वॉर्टर के दौरान दो फीसदी बढ़कर 40 फीसदी हो गया। यह जॉब सर्च करने वालों के लिए अच्छी खबर है।
दुनिया के विकसित देशों में मंदी के बावजूद देश के करीब 83 प्रतिशत कामकाजी लोगों का मानना है कि 2013 में आर्थिक स्थिति इस साल से बेहतर होगी। 72 प्रतिशत कर्मचारियों ने इस साल भी स्थिति को ठीकठाक बताया। इस दौरान भारत में 83 प्रतिशत ने माना कि उन्हें सैलरी में बढ़ोतरी का भी लाभ मिला, जबकि विश्व औसत इस मामले में 55 प्रतिशत रहा।भारत में ज्यादातर लोग अपनी कंपनी को बेहतर हालत में मानते हैं। यहां के 90 फीसदी कर्मचारियों का मानना है कि उनकी कंपनी की आर्थिक सेहत अच्छी है। वहीं, चीन में 89 फीसदी, जापान में केवल 40 फीसदी लोग अपने ऑर्गनाइजेशन को हेल्दी मानते हैं।
रैंस्टैड वर्क मॉनिटर सर्वे 2012 वेव-4 (अक्टूबर से दिसंबर) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 72 फीसदी लोगों ने कहा कि देश के मौजूदा आर्थिक हालात अच्छे हैं। वहीं, 83 फीसदी को यह भरोसा है कि इकनॉमिक हालात साल 2013 में और बेहतर होंगे। दूसरी ओर दुनिया भर में 41 फीसदी लोग ये मानते हैं कि आर्थिक हालात अच्छे हैं।
रैंडस्टैड इंडिया ने अक्तूबर-दिसंबर वर्कमॉनिटर सर्वेक्षण 2012 वेव चार के नतीजों में कहा कि भारतीय कार्यशक्ति अत्यधिक आशावादी हैं। रैंडस्टैड वर्कमॉनिटर नौकरी के इच्छुक लोगों के आत्मविश्वास पर निगरानी रखने वाली एजेंसी है। कंपनी पिछले 20 साल से मानव संसाधन सेवा उद्योग में काम कर रही है। पहले मा फोई के नाम से जानी जाने वाली कंपनी 2008 में रैंडस्टैड का हिस्सा बन गई।
रैंडस्टैड इंडिया के एमडी एवं सीईओ ई. बालाजी ने कहा, 'जहां एक ओर वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी का दौर जारी है, वहीं दूसरी तरफ यह प्रसन्नता की बात है कि भारतीय कर्मचारी देश की आर्थिक स्थिति तथा अपने नियोक्ताओं के स्थायित्व को लेकर आशावादी हैं।'उन्होंने कहा कि 2012 कर्मचारियों और कंपनी दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण साल रहा है। नियोक्ताओं को कामकाजी माहौल में संतुलन की समस्या पर ध्यान देना चाहिए। सर्वे में 87 प्रतिशत ने कहा कि 2012 में उनका कार्यभार बढ़ा है, जबकि 93 प्रतिशत ने कहा कि 2013 में उन्हें कार्य और जीवन के बीच बेहतर संतुलन स्थापित होने की उम्मीद है। भारत में 92 प्रतिशत कर्मचारी मानते हैं कि उनके संगठन की स्थिति बेहतर होगी, जबकि हॉन्गकॉन्ग में 86 प्रतिशत और सबसे कम यूनान में 32 प्रतिशत कर्मचारी इसमें विश्वास करते हैं।
देविना सेनगुप्ता के मुताबिक कैपिटल गुड्स जैसे कुछ सेक्टर्स में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन जॉब मार्केट में अब भी मायूसी है। बड़े हायरिंग और स्टाफिंग कंसल्टेंट्स टीमलीज, केली सर्विसेज, एडेको और रैंडस्टैड का कहना है कि पिछले कुछ क्वॉटर्स के मुकाबले हायरिंग में तेज गिरावट आई है। इसका मतलब यह है कि साल के आखिरी महीनों में जो लोग नौकरी तलाशेंगे, उनके हाथ मायूसी लग सकती है। हायरिंग कंपनियों के लिए यह वक्त बुरा होगा। टीमलीज की को-फाउंडर और वाइस प्रेजिडेंट संगीता लाला ने बताया, 'पिछले साल अप्रैल के बाद इतने बुरे हालात नहीं दिखे थे। पिछले साल के मुकाबले अभी पर्मानेंट हायरिंग 15-20 फीसदी कम है।' उन्होंने यह भी कहा कि क्लाइंट्स ने अब तक हायरिंग रोकने की बात नहीं कही है। हालांकि, वे बहुत कम लोगों को काम पर रख रहे हैं।
हायरिंग के सुस्त पड़ने की कई वजहें हैं। बड़ी मल्टिनैशनल कंपनियां आखिरी क्वार्टर में कम अपॉइंटमेंट करती हैं। हालांकि, उससे कहीं ज्यादा असर खराब मैक्रो-इकॉनमी ने डाला है। जून क्वॉर्टर में जीडीपी ग्रोथ 5.5 फीसदी रही। यह 9 साल के लोअर लेवल के करीब है। वहीं, विकसित देश अब तक 2008-09 की मंदी से नहीं उबर पाए हैं। हालांकि, आगे चलकर हाल में हुए रिफॉर्म्स का फायदा जॉब मार्केट को मिलेगा। एडेको इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधार बालाकृष्णन ने बताया, 'हायरिंग 20 महीने के लोअर लेवल पर पहुंच गई है। हालांकि, हम आगे चलकर हालात सुधरने की उम्मीद कर रहे हैं।' ग्लोबल हंट के डायरेक्टर सुनील गोयल ने बताया, 'मार्केट स्लो है। प्रफेशनल्स और कंपनियों के लिए 2012 बुरा रहा है। इस साल हायरिंग बहुत कम हुई है।'
जीआई ग्रुप के सीईओ असीम हांडा का कहना है, 'पिछले साल के मुकाबले जॉब माकेर्ट सुस्त है। इसमें कोई शक नहीं है। इसकी वजह इकनॉमिक स्लोडाउन है।' हायरिंग स्लोडाउन की चोट इससे जुड़ी कंपनियों पर भी पड़ी है। रैंडस्टैड इंडिया का प्रॉफिट जून क्वॉर्टर के मुकाबले सितंबर क्वॉर्टर में 5-10 फीसदी कम रहा है। हालांकि, यह पिछले साल से बेहतर है। यह बात कंपनी के एग्जेक्युटिव आदित्य नारायण मिश्रा ने बताई। हायरिंग सेग्मेंट में टेम्पररी प्लेसमेंट में मार्जिन 9-12 फीसदी है। वहीं, पर्मानेंट प्लेसमेंट में यह 20-22 फीसदी है। केली सर्विसेज ने पिछले साल जून में लोअर मार्जिन वाले टेम्पररी प्लेसमेंट से हायर मार्जिन वाले पर्मानेंट प्लेसमेंट की ओर बिजनस शिफ्ट किया।
हालांकि, पर्मानेंट हायरिंग में सुस्ती आने से उसके बिजनस पर असर हुआ है। केली सर्विसेज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर कमल करनाथ ने बताया कि बिजनस प्लान में बदलाव से हम जो उम्मीद कर रहे थे, वैसा नहीं हुआ। हालांकि, स्टाफिंग कंपनी को बिजनस पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 15 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी पहले इसके 30 फीसदी रहने की बात कह रही थी।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक तो भारतीय कंपनियों का कहना है कि 2013 के पहले क्वॉर्टर में अच्छी हायरिंग होगी। मैनपावर एंप्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे से यह पता चला है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि हायरिंग 2012 के मुकाबले सुस्त रह सकती है। मैनपावरग्रुप के सर्वे में देश की 4,496 कंपनियों की राय ली गई। इससे पता चलता है कि हायरिंग ऐक्टिविटी 2013 के पहले तीन महीने में काफी मजबूत रहेगी। हालांकि, 2012 की तरह अगले साल ऑपर्च्युनिटी नहीं मिलेगी। जॉब प्रॉस्पेक्ट अभी भी ज्यादातर सेक्टरों में अच्छा बना हुआ है। खासतौर पर सर्विसेज (+30 फीसदी) और होलसेल ऐंड रीटेल ट्रेड (+29 फीसदी) में जॉब की हालत बेहतर नजर आ रही है। पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन/एजुकेशन (+14 फीसदी) में सबसे कमजोर हायरिंग के आसार नजर आ रहे हैं।
हायरिंग ऐक्टिविटी सभी सात इंडस्ट्री सेक्टरों और के लिए पॉजिटिव है। मैनपावर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय पंडित ने एक रिलीज में कहा, 'ग्लोबल मैक्रो-इकनॉमिक की हालत खराब है। इसका असर भारत की इकॉनमी पर भी पड़ा है। इसके बावजूद सभी सेक्टर की कंपनियां पॉजिटिव हायरिंग की बात कर रही हैं। आईटीईएस और आईटी सेक्टर में भी हालात बेहतर नजर आ रहे हैं। इसमें हायरिंग सेंटिमेंट बेहतर हो रहा है। देश के वेस्टर्न इलाके में हायरिंग आउटलुक सबसे बेहतर है।' उन्होंने कहा, '2012 के शुरुआती तीन महीनों के मुकाबले जनवरी-मार्च 2013 क्वॉर्टर में हायरिंग को लेकर कंपनियों में अनिश्चितता ज्यादा है। 10 में से 3 कंपनियों ने कहा है कि 2013 की पहली तिमाही में हायरिंग के बारे में उनकी राय पक्की नहीं है। उन्हें नहीं पता कि वे कितने लोगों को हायर करेंगी या हटाएंगी।'
हालांकि, सभी इंडस्ट्री में कंपनियां हायरिंग बढ़ाने की बात कह रही हैं। सर्विसेज, होलसेल ऐंड रीटेल ट्रेड में हालत सबसे अच्छी दिख रही है। फाइनैंस, इंश्योरेंस और रियल एस्टेट और माइनिंग एंड कंस्ट्रक्शन सेक्टर में हायरिंग आउटलुक क्रमश: 28 और 27 फीसदी बेहतर है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए यह आउटलुक 26 फीसदी ज्यादा है।
किंगफिशर एयरलाइंस की जल्द उड़ान भरने की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। डीजीसीए सूत्रों की मानें तो फिलहाल किंगफिशर एयरलाइंस जमीन पर ही रहेगी। किंगफिशर एयरलाइंस के रिवाइवल प्लांस से डीजीसीए खुश नहीं है और किंगफिशर से इस प्लान की फंडिंग का पुख्ता भरोसा मांगा है।
डीजीसीए ने किंगफिशर एयरलाइंस से लिखित में प्लान की जानकारी मांगी है। डीजीसीए चाहता है कि किंगफिशर एयरलाइंस अपने देनदारों से बात करें और समस्या का हल निकाले। डीजीसीए की तरफ से किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कोई टाइम फ्रेम नहीं दिया गया है।
किंगफिशर एयरलाइंस के वाइस प्रेसिडेंट हितेश पटेल ने आज डीजीसीए से मुलाकात की। डीजीसीए ने किंगफिशर एयरलाइंस को फंडिंग पर मजबूत प्लान के साथ प्रतिबद्धता दिखाने को कहा है। किंगफिशर एयरलाइंस को यूबी ग्रुप से फंडिंग पर भरोसा मिलने की उम्मीद है। 1 जनवरी को किंगफिशर एयरलाइंस का लाइसेंस रद्द होने वाला है।
वहीं दूसरी ओर किंगफिशर एयरलाइंस के पायलटों ने फिर मैनेजमेंट के खिलाफ आवाज बुलंद कर ली है। किंगफिशर एयरलाइंस ने वादे के बावजूद मई की सैलरी अब तक नहीं दी है। इसी बात से नाराज पायलटों ने मैनेजमेंट को नई चिट्ठी लिखी है।
कर्मचारी इस बात से भी खफा हैं कि कंपनी ने अब तक ना तो रिवाइवल प्लान की कोई जानकारी शेयर की है ना ही आगे की योजना बताई है।
अपने हुनर और उद्यमशीलता के दम पर 21 वर्षों तक देश के एक सबसे पुराने और प्रतिष्ठित कारोबारी घराने टाटा समूह की कमान संभालने वाले रतन नवल टाटा ने जीवन के 75 वें पड़ाव पर कंपनी की बागडोर 44 वर्षीय साइरस मिस्त्री को सौंप दी।
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इस मौके पर कर्मचारियों के नाम जारी विदायी संदेश में उन्होंने कहा कि कंपनी के कर्मचारियों की ओर से व्यक्तिगत स्तर पर की गई कुर्बानियां और साहसिक कारनामें मेरी यादों में हमेशा बसे रहेंगे। यह मेरे लिए बड़े गौरव की बात है कि मैं ऐसे लोगों की टीम का हिस्सा रहा। मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूं। हम जिस कठिन आर्थिक हालात से गुजर रहे है वह आगे अभी कुछ और समय बने रहेंगे ऐसे में टाटा समूह की कंपनियों को बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि साइरस मिस्त्री इस कठिन दौर में अपनी जिम्मेदारी बखूभी निभा सकें इसके लिए आप सभी को उनका साथ उसी तरह देना होगा जैसा कि अब तक आप लोगों ने मेरा दिया है। मैं टाटा समूह के साथ ही साइरस मिस्त्री और समस्त कर्मचारियों के सफल भविष्य की कामना करता हूं। उम्मीद करता हूं कि मेहनत और ईमानदारी के बल पर खड़ा किया गया यह कारोबारी साम्राज्य आगे भी इसी तरह तरक्की करते हुए बुलंदियों पर पहुंचेगा।
देश के कारोबारी जगत की यह ऐतिहासिक घटना टाटा समूह के मुबंई स्थित मुख्यालय बांबे हाउस में बिना किसी शोर शराबे और तामझाम के खामोशी के साथ संपन्न हो गई। रतन टाटा इस मौके पर मुंबई में न होकर पुणे में टाटा मोटर्स के कारखाने में मौजूद थे जहां से उन्होंने अपना कारोबारी सफर शुरू किया था। पुणे से ही उन्होंने कंपनी के नाम यह संदेश जारी किया।
टाटा समूह में वर्ष 2006 में बतौर निदेशक शामिल होने वाले मिस्त्री शनिवार को औपचारिक रूप से समूह का अध्यक्ष पद ग्रहण करेंगे। बांबे हाउस में चेंज आफ गार्डस कोई मामूली घटना नहीं थी। लिहाजा इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार और लोग रतन टाटा की एक झलक पाने को बेताब दिखाई दिए लेकिन उन्हें बताया गया कि टाटा मुंबई में नहीं होकर पुणे में हैं।
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