कैसे निकले कोई गंगा कहीं से?
पलाश विश्वास
मीडिया की खबरों का नतीजों हो या फिर सोशल नेटवर्किंग का करिश्मा, दिल्ली बलात्कारकांड के खिलाफ उफनते जनरोष की आंच पहली दफा राष्ट्रपतिभवन को भी छूने लगी। रायसीना हिल्स युद्धक्षेत्र जैसा हो गया। राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया गेट के नजदीक प्रदर्शनकारियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कल सुबह से अगले आदेश तक युद्ध स्मारक के नजदीक स्थित चार मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है।डीएमआरसी अधिकारियों ने बताया कि पटेल चौक, केन्द्रीय सचिवालय, उद्योग भवन और रेस कोर्स स्टेशनों को बंद रखा गया है। दिल्ली पुलिस के निर्देश के बाद इन स्टेशनों को बंद रखने का फैसला किया गया है। नतीजतन सरकार बलात्कारियों तक को फांसी देने के लिए संविधान संशोधन तक का वायदा करने लगी है। जनता के गुस्से का आलम यह है कि किसी मुख्यमंत्री ने पहली बार अपने राज्य में महिलाओं के असुरक्षित होने की बात कबूल की है। पूरी सरकार इस जनरोष को शांत करने की कवायद में जुटी है।उम्मीद है कि यह उबाल भी जल्द ही शांत हो जायेगा। इस पूरे प्रकरण में जो सकारात्मक पहलू है , वह यह है कि जनता अगर सड़क पर उतर जाये तो सत्ता का सर्वोच्च केंद्र तक सुरक्षित नहीं रहता।क्या इससे हमें कोई सबक मिलता है? दिल्ली गैंगरेप की पीड़िता के संबंध में पिछले छह दिन में पहली बार शनिवार की शाम एक अच्छी खबर आई। गैंगरेप का शिकार हुई लड़की पिछले छह दिन से जिंदगी और मौत से जूझ रही है। शनिवार सुबह से ही उसकी सेहत में सुधार के लक्षण दिख रहे थे। लेटेस्ट अपडेट में बताया गया कि पीड़िता आज पूरे दिन न सिर्फ होश में रही बल्कि, वह अपने पैर पर खड़ी हुई और डॉक्टरों की मदद से कुछ कदम चली भी। वहीं, विजय चौक पर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के बाद अब सरकार ने बलात्कारियों को फांसी की सजा पर संसद में विचार करने की बात कही है।
यह प्रदर्शन अराजनीतिक है, ऐसा लगता है। लेकिन अचरज की बात है कि जनता की इस ताकत से हमारी राजनीति अभी अनजान है। अगर राजनीति को प्रतिरोध का यह तरीका मालूम है तो उसने आजतकक इसे क्यों नहीं आजमाया?बुनियादी सवाल है कि दिल्ली बलात्कारकांड के अपराधियों को फांसी की सजा मिल जाने से क्या इस जनविद्रोह को कामयाब मान लिया जायेगा? दिल्ली बलात्कारकांड के खिलाफ देशभर में विरोध के बीच अब भी देश के विभिन्न हिस्सों में बलात्कार और महिला उत्पीड़न की खबरें आ रही हैं। क्या फांसी की सजा तय हो जाने के बाद महिलाओं पर अत्याचार रुकेंगे और अब तक देशभर की अदालतों में लंबित महिलाओं पर अत्याचारों के विविध मुकदमों में पीड़ितों को न्याय मिल जायेगा?सत्ता और पूंजी के बल पर महिलाओं के खिलाफ और समाज के दूसरे तबकों के खिलाफ जो युद्ध चल रहा है,उसमें पीड़ितों को जीत हासिल होगी?पक्ष विपक्ष के धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद और मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था में नारी का अवस्थान और पवित्र धर्मग्रंतों का विधान बदल जायेगा?इस पुरुषतांत्रिक व्यवस्था के वर्चस्ववादी समाज में क्या यह संभव है?
इन सवालों के जवाब बेहद आसान है और इस उपमहाद्वीप में जन्म लेने वाली हर स्त्री इसका जवाब जानती है। दिल्ली बलात्कार कांड पर हंगामा को लेकर जस्टिस काटजू के बयान पर बी खूब हंगामा हुआ। ऐसा तो है नही कि जस्टिस काटजू बलात्कारियों के हक में हों। सवाल है कि राजधानी के अति महत्वपूर्ण इलाके में हुए एक बलात्कारकांड से तो पूरा देश विद्रोह के मूड में आ जाता है , लेकिन असम और मणिपुर समेत पूरे पूर्वोत्तर, कश्मीर और देश के आदिवासी इलाकों में , अनुसूचितों और पिछड़ों के खिलाफ वर्षों से रोजाना होते ऐसे असंख्य बलात्त्कार कांड पर कहीं कोई प्रतिक्रिया तक नहीं होती। क्यों?बलात्कार के आरोपी को फांसी की सजा तो संभव है, पर नारी को बतौर उपभोक्ता सामग्री इस्तेमाल करने की इस मुक्त बाजार की संस्कृति का क्या कहियेगा? परिवार, समाज और कर्मक्षेत्र में निरंकुश अबाध यौन शोषण के सफेदपोश चेहरों को बी क्या फांसी पर लटकाया जायेगा?राजनीतिक संघर्ष और सांप्रदायिक दंगों में नारी के आखेट को रोकने के लिए क्या इंतजामात होंगे?प्रतिशोध की हर में लक्ष्यस्तळ बने नारीत्व की रक्षा का क्या एजंडा है?फतवों, परमान और खाप पंचायतों से नारी की रक्षा के क्या उपाय हों? स्त्री को देह व्यापार में डालने वाले तंत्र और देशभर में फैले महिलाओं की तस्करी के कारोबार के विरुद्ध कौन से कदम उठाये जायेंगे भ्रूण हत्या का सिलसिला रोकने के लिए, लैंगिक वर्चस्व और भेदभाव के शास्त्रसम्मत सामाजिक रिवाज को बदलने के लिए यह जनरोष किस काम आयेगा?
अंतरराष्ट्रीय संस्था ऐमनेस्टी ने दुनिया भर में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को मानवाधिकार की सबसे बड़ी चुनौती बताया है।
संस्था ने चिंता जताई है कि महिलाओं के साथ बलात्कार और उनका ख़तना किए जाने जैसे क्रूर अत्याचार बदस्तूर जारी हैं।
मंगलवार को 'महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा-उन्मूलन दिवस' के मौक़े पर अफ़्रीका और अमरीका में जगह-जगह मार्च और रैलियाँ आयोजित की गई थीं।
दक्षिण अफ़्रीका में सरकार ने केपटाउन में पुरुषों का आह्वान किया कि वे 'अच्छे पुरुष' मार्च में हिस्सा लें।
सामाजिक विकास मंत्री ज़ोला स्क्वेयीया ने कहा, "यह समय है कि पुरुष भी आगे आएँ और महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ जघन्य हिंसा के विरुद्ध आवाज़ उठाएँ"।
महिलाओं पर अत्याचार के मामले में उत्तर प्रदेश पिछले पांच साल से पहले पायदान पर काबिज है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दूसरे नंबर पर है, लेकिन वह यूपी से काफी पीछे है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) के पास वित्त वर्ष 2009-10 के पहले आठ माह तक के उपलब्ध आंकड़ं के मुताबिक महिलाओं के प्रति अपराध को लेकर अकेले उत्तर प्रदेश से 6000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। आयोग का कहना है कि इस अवधि के दौरान देश भर में कुल 11,004 मामले दर्ज किए गए, जिनमें उत्तर प्रदेश से 6302 मामले दर्ज किए गए। दूसरे नंबर पर दिल्ली है जहां कुल 1405 मामले दर्ज हुए।
आयोग के मुताबिक वित्त वर्ष 2005-06 से 2009-10 तक महिलाओं के प्रति सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश में हुए। शुरुआती चार वर्ष में स्थिति अधिक भयावह रही, क्योंकि साल दर साल अपराधों की संख्या में इजाफा होता रहा और यह संख्या 5000 से बढ़ते हुए 8500 के पार पहुंच गया। आयोग से जुड़ लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन कम से कम 17 महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज होते हैं। यहां प्रताड़ना, दहेज हत्या, बलात्कार, छेड़खानी जैसे अपराध सबसे अधिक हो रहे हैं।
सवाल है कि सत्ता और पूंजी के केंद्रों, प्रतिष्ठानों और संस्थाओं में, धर्मस्थलों, पवित्र तीर्थस्थानों में बलात्कार, देह व्यापार और महिलाओं पर अत्याचारों की घटनाएं क्यों ज्यादा होती है? देश और प्रांतों की राजधानी क्यों अबाध स्त्री आखेटगाह में तब्दील
हैं? आज शिक्षा, रोजगार या व्यवसाय के लिए काफी तादाद में महिलाएं घर से बाहर निकलती हैं। हर जगह वे अपनी छाप भी छोड़ रही हैं।तब सामंती व्यव्स्था में स्त्री देह आखेट की जो परंपरा थी, वह पूंजीवादी विकास, उपभोक्ता संस्कृति और मुक्त बाजार में बाकी तमाम चीजों की तरह क्रय शक्ति से नत्थी क्यों हैं? प्रतिदिन औसतन तीन बलात्कारों की घटनाओं ने देशभर में महिलाओं की वास्तविक स्थिति और महिला सशक्तिकरण के दावों की हवा निकालकर रख दी है। क्यों सरकारें बलात्कार कांडों को फर्जी बताती हैं और महिलाओं पर अत्याचारों की घटनाओं को खारिज करने में सत्ता का पूरा इस्तेमाल करने से नहीं चूकती लोकतांत्रिक संस्थानों और राजनीति में भी क्यों स्त्री एक देह मात्र है क्यों साहित्य, कला , संस्कृति, शिक्षा और सिनेमा में भी स्त्री महज एक देह है इन सवालों से मुखातिब हुए बिना देह से स्त्री मुक्ति का विमर्श मिथ्या के सिवाय कुछ नहीं और राजमार्ग पर यह जनविद्रोह का मिजाज आत्मप्रवंचना का मिथ्याभियान के अलावा और कुछ नहीं।
खास बात है कि यह एक तदर्थ विरोध है, जिसका व्यवस्था परिवर्तन का दीर्घकालीन न संगठन है और न एजंडा।बलात्कारी व्यवस्था को बदले बिना पकड़े गये अपराधी को फांसी दे देने से स्त्रियां इस औरतखोर चाकचौबंद इंतजामात के मध्य सुरक्षित हो ही नहीं सकती। जो अपराधी कभी पकड़े नहीं जाते, पकड़े जाने के बावजूद सत्ता, राजनीति और पैसे के बल पर छूट जाते हैं, उनका क्या फिर कानूनन विसेष सैन्य अधिकार कानून, आतंकवादी गतिविधि निरोधक कानून, तरह तरह के रंग बिरंगे अभियानों के तहत, सैनिक शिविरों और पुलिस थानों, जेल हिरासत में जो कानूनी बलात्कार होते रहते हैं, ज्यादा हंगामा हुआ तो जांच कमिटियां बैठातक मामला रफा दपा कर दिया जाता है, उन मामलों में जहां राष्ट्र ही बलात्कारी हो, कानून क्या करेगा?
देशभर के अखबारों में छपे, टीवी चैनलों में प्रसारित निर्वस्त्र मणिपुर की माताओं की तस्वीर को याद करें, क्या दिल्ली के राजपथ पर इंसाफ की जंग के मुकाबले वह विरोध कोई मायने नहीं रखता पर हुआ क्या?
दिल्ली पुलिस के दावे एक बार फिर से फेल हो गए हैं। रेप की राजधानी बन चुकी दिल्ली में महिलाओं की इज्जत सुरक्षित नहीं है। दिल्ली में अलग-अलग थाना क्षेत्रों में दुष्कर्म और दुष्कर्म के प्रयास की तीन वारदातें फिर सामने आई हैं। बीते रविवार को फिजियोथिरेपी स्टूडेंट के साथ चलती बस में गैंगरेप की वारदात की आग अभी शांत भी नहीं हुई कि इन दो और वारदातों से पूरा हिन्दुस्तान सदमें में जी रहा है। राजधानी दिल्ली समेत देश के कोने-कोने में रेप के खिलाफ धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं और रेप के दोषियों को फांसी देने की मांग की जा रही है।
उत्तर पूर्वी जिले के वेलकम में हथियार के बल पर तीन बदमाशों ने 40 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। दक्षिण-पश्चिम जिला के बिंदापुर थाना क्षेत्र में दो नाबालिगों ने मेट्रो स्टेशन के नीचे महिला के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की। पहली घटना में महिला परिवार के साथ वेलकम स्थित जनता कालोनी में रहती है। बुधवार रात उसके परिजन कहीं गए हुए थे। तीन बदमाश उनके घर में घुस आए और बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपियों ने इसके बारे में किसी को बताने पर पीड़ित महिला को जान से मारने की धमकी भी दी। बाद में सभी आरोपी फरार हो गए। परिजनों की शिकायत पर वेलकम थाना पुलिस ने आरोपी गफ्फार व आलम को गिरफ्तार कर लिया गया। तीसरे की तलाश की जा रही है।
दूसरी घटना उत्तम नगर ईस्ट मेट्रो स्टेशन के नीचे घटी। 30 वर्षीय महिला रात करीब 11 बजे वहां से गुजर रही थी। दो किशोरों ने उसके साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया। महिला ने शोर मचा दिया। उसकी चीख सुन आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और महिला को बदमाशों के चंगुल से छुड़ा दोनों आरोपियों को दबोच लिया। आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
रेप की एक और चौकाने वाली खबर पश्चिमी दिल्ली में एक प्ले स्कूल से आई है। पुलिस के अनुसार गत सोमवार को पश्चिमी दिल्ली के सागरपुर क्षेत्र में स्कूल मालकिन के पति ने तीन साल की बच्ची से कथित तौर पर दुष्कर्म किया। घटना का पता दो दिन बाद चल पाया। घटना के बाद बच्ची बीमार हो गई। उसके परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची से रेप किया गया है। परिजनों की शिकायत पर आरोपी को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्री किरण वालिया ने स्थिति की समीक्षा के बाद दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग से कार्रवाई शुरू करने को कहा। आयोग ने पुलिस को सिफारिश की है कि अगले आदेश तक स्कूल को बंद रखा जाए और 24 दिसंबर तक आयोग के समक्ष इस संबंध में रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए।
देश की राजधानी दिल्ली में 17 दिसंबर को चलती बस में गैंगरेप का मामला सामने आया है। गैंगरेप की ये वारदात दिल्ली के बेहद पॉश इलाकों में शुमार वसंत विहार में हुई। गैंगरेप के बाद लड़की को बस से बाहर फेंक दिया गया। लड़की अपने इंजीनियर दोस्त के साथ एक प्राइवेट बस में जा रही थी। इसी दौरान उसके साथ गैंगरेप किया गया। इसके बाद आरोपियों ने लड़की और उसके दोस्त को महिपालपुर के पास बस से बाहर फेंक दिया। जख्मी हालत में लड़की और उसके दोस्त को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ये घटना जैसे मीडिया में आई पूरे देश में कोहराम मच गया।
दिल्ली गैंगरेप की शिकार युवती को न्याय दिलाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति भवन के बाहर अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारतीय लोकतंत्र में ऐसे कम ही मौके आए हैं, जब किसी घटना के विरोध में हजारों लोगों ने राष्ट्रपति के बाहर इस प्रकार से प्रदर्शन किया हो। गैंगरेप को लेकर दिल्ली के साथ ही देश के सभी शहरों में प्रदर्शन तेज हो रहे हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस ने गैंगरेप के सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन पुलिस सवालों में है और कानून भी घेरे में। जनता में कुछ सुनने को तैयार नहीं, अब मांग हो रही बलात्कारियों को फांसी देने की, मांग हो रही है ऐसी घटनाएं रोकनी की, जनता पूछा रही है कि आखिर देश की राजधानी में ये हाल है तो बाकी जगहों का क्या हाल होगा। जनता का इतना दबाव तो सरकार पर उस वक्त भी नहीं था जब अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर आंदोलन चलाए थे।
फेसबुक, ट्विटर, समाचार पत्र, न्यूज चैनल्स समेत सभी जगहों पर देशवासी तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन समेत देश की सभी हस्तियों ने बलात्कारियों को ऐसी सजा देने की मांग की है जो जिससे अपराधियों की रूह कांप जाए। बिग बी ने कहा कि बलात्कारियों को नपुंसक बना देना चाहिए। सोनिया गांधी से लेकर शीला दीक्षित तक के घर पर प्रदर्शन किए गए।
असंगठित विरोध के इस घटनाक्रम से यह जरूर सीखने को मिलता है कि अगर जनरोष की अभिव्यक्ति सही जगह और सही समय पर सही मुद्दों को लेकर हों, तो राजनीति पर निर्भर नहीं रहेगा समता और न्याय का अभियान। खुले बाजार की जनसंहार नीतियों के प्रतिरोध के खिलाफ ऐसा गुस्सा उमड़ा होता तो राहत के लिए सत्ता परिवर्तन और राजनीतिक समीकरण, जाति और धर्म, क्षेत्र आधारित पहचान की ओर टकटकी बांधे वधस्थल पर निहत्थ बिना प्रतिरोद मारे जाने की हम प्रतीक्षा नहीं कर रहे होते।राष्ट्रीय राजधानी में 23 वर्षीया एक युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म पर फूटे जनाक्रोश ने छह दिन बाद शनिवार को अति सुरक्षित क्षेत्र रायसीना हिल को भी हिला दिया। आखिकार प्रधानमंत्री को केंद्रीय गृह मंत्री को हिदायत देनी पड़ी कि दिल्ली में इस तरह का माहौल कायम किया जाए कि लोग सुरक्षित महसूस करें। वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री से संसद का विशेष सत्र बुलाने को कहा। शनिवार का दिन विकराल रूप ले लेगा, यह किसी को अंदाजा नहीं था। रायसीना हिल पर जोरदार प्रदर्शन हुआ और विजय चौक का नजारा `तहरीर चौक` की याद ताजा कर गया। इंडिया गेट से लेकर रायसीना हिल तक लगभग 2.5 किलोमीटर लंबा राजपथ हजारों की संख्या में आए प्रदर्शनकारियों से भर गया।प्रदर्शन में अधिक संख्या छात्राओं और महिलाओं की थी। अति सुरक्षित क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों की इतनी बड़ी संख्या देख पुलिस अधिकारी सकते में आ गए। आक्रोशित भीड़ जब बैरिकेडों को गिराते हुए राष्ट्रपति भवन के समक्ष जमा होकर नारेबाजी करने लगी तब पुलिस ने आंसूगैस छोड़े, पानी की बौछार की और लाठीचार्ज किया।कार्रवाई में कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हो गए जिन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। प्रदर्शनकारी फिर भी दिनभर डटे रहे और सरकार की तरफ से आश्वासन का इंतजार करते रहे। प्रदर्शनकारी सुबह से ही जमा होना शुरू हो गए थे और उनका साथ देने के लिए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह भी वहां पहुंच गए।
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सबसे पहले पानी की बौछार की लेकिन जब प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए तब उन्होंने आंसूगैस छोड़ी और लाठियां चलाईं। बाद में कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया। महिलाएं हाथ से चूड़ियां निकालकर पुलिस की ओर फेंकने लगीं तो कुछ ने चप्पलें भी फेंकीं।
रायसीना हिल से हटने के बाद प्रदर्शनकारी इंडिया गेट पर जमा हो गए और वहां से खदेड़े जाने के बाद फिर रायसीना हिल पर एकत्र हो गए। यही क्रम दिनभर जारी रहा। ताज्जुब की बात यह थी कि इस आंदोलन का कोई नेता नहीं था, लोग बिना बुलाए ही जुटते गए और कारवां बनता गया।
हालात की नजाकत भांपकर शाम को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से कहा कि दिल्ली में इस तरह का माहौल कायम किया जाए कि लोग सुरक्षित महसूस करें और 23 वर्षीय युवती के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटना दोहराई न जाएं।
इससे पहले शिंदे ने मनमोहन सिंह से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने शिंदे से कहा कि वह राजधानी में सुरक्षा का भाव सुनिश्चित कराएं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री से इस मसले पर बात की और कहा कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत उचित कदम उठाए जाएं।
दिल्ली गैंगरेप के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। इंडिया गेट पर तहरीर चौक जैसे हालात हो गए। गुस्साए लोग राष्ट्रपति भवन को घेर रहे हैं। देश के सभी राजनीति दल और उनके शीर्ष नेता इस घटना पर अपनी राय दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के युवराज और अगले चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गांधी इस पूरे घटनाक्रम में कहीं नजर नहीं आए।
राहुल इस मुद्दे पर कन्नी क्यों काट रहे हैं ये तो वो ही जानें, लेकिन फेसबुक, ट्विटर, न्यूज चैनल्स पर देश के युवा बेहद नाराज हैं। वो पूछ रहे हैं कि आखिर राहुल गांधी हैं कहां? वो पूछ रहे हैं कि युवाओं की नुमाइंदगी करने का दम भरने वाले राहुल इस बड़े मुद्दे चुप्पी क्यों साधे हैं? आखिर वो ऐसे कौन से काम में व्यस्त हैं कि उन्हें गैंगरेप की शिकार लड़की का दर्द जानने की भी फुरसत नहीं है। वैसे कुछ खबरों में बताया गया था कि राहुल गांधी गोवा में कांग्रेस की बैठक में गए थे।
जनहित के मुद्दे पर क्यों नहीं रखते बेबाक राय?
दिल्ली गैंगरेप पर राहुल गांधी की चुप्पी ने उनके आलोचकों को फिर बड़ा मौका दे दिया है। वे आरोप लगा रहे हैं कि कलावती की चिंता करने वाले, दलितों के घर खाना खाने वाले, मजदूरों के घर जाकर रहने वाले राहुल कभी उनके लिए कुछ करने का जज्बा क्यों नहीं दिखाते हैं? इससे पहले भी महंगाई, एफडीआई, प्रमोशन में रिजर्वेशन जैसे न जाने कितने मुद्दों पर राहुल ने अपनी कोई राय नहीं दी। राहुल ने इसी प्रकार का रवैया हरियाणा में रेप के मामलों पर भी अपनाया है। युवा पूछ रहे हैं कि अगर राहुल राष्ट्रव्यापी मुद्दों पर अपनी बात भी कह सकते तो वो उन्हें देश के भविष्य के रूप में कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
रेप की शिकार लड़की से क्यों नहीं मिले?
देश में यूपीए की सरकार है, जिसकी कमान कांग्रेस यानी सोनिया गांधी और राहुल गांधी की पार्टी के पास है। हालांकि, सोनिया गांधी रेप की शिकार लड़की से मिलीं, लेकिन उन्होंने भी सामने आकर देश को कोई आश्वासन नहीं दिया। राहुल के पास तो लड़की से मिलने तक फुरसत नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या गांधी परिवार क्या सिर्फ वोट मांगने के लिए जनता के बीच जाता है? हरियाणा में रेप की शिकार लड़की के परिवार से मिलने के बाद सोनिया गांधी ने अपनी सरकार को बचाते हुए कहा था कि बलात्कार तो पूरे देश में हो रहे हैं। पूरे देश की कमान जिस महिला के हाथ में है, वो अगर इस प्रकार की बयान दे और कांग्रेस के दूसरे नंबर के नेता राहुल गांधी चुप्पी साध लें तो फिर पुलिस, प्रशासन, मंत्रालय से क्या उम्मीद की जा सकती है। इंडिया गेट पर पत्रकारों से बात करते हुए युवाओं कुछ इसी प्रकार से अपने गुस्से का इजहार किया। उन्होंने बार बार पूछा आखिर राहुल हैं कहां?
गैंगरेप का शिकार बनी छात्रा ने गुरुवार को अस्पताल में मिलने आए अपने परिवार से पहला सवाल किया कि 'क्या वो पकड़े गए?' मतलब साफ था छात्रा जानना चाहती थी कि आखिर जिन्होंने उसे मौत के मुंह में पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ी। क्या उन पर कानून का शिकंजा कसा जा सका है।
राजधानी के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि गैंगरेप का शिकार हुई छात्रा होश में है और डॉक्टरों से बात कर रही है लेकिन ये बातचीत वो बोलकर नहीं कर सकती क्योंकि मुंह में ट्यूब लगी है। ऐसे में वो कभी कभी अपनी बात कागज पर लिखकर कह रही है।
लड़की के पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उसे इस बात की जानकारी है कि उसका मामला मीडिया में आ चुका है। उसने पूछा है कि क्या आरोपी पकड़े गए हैं? पीड़ित छात्रा अभी कुछ भी बोल पाने की हालत में नहीं है। हालांकि परिवार के सदस्य उससे कभी-कभार मिल पाते हैं। बताया जाता है कि इन मुलाकातों के दौरान लड़की ने अपनी मां को लिखकर कहा था कि मैं जीना चाहती हूं।
सूत्रों के मुताबिक लड़की ने ये भी लिखा था उस रात मेरा क्रेडिट कार्ड भी चला गया। दरिंदे मेरा मोबाइल भी ले गए, लेकिन घर पर जो मेरा पुराना मोबाइल पड़ा है उसमें मेरे दो दोस्तों के नंबर हैं। उन्हें फोन करके बोल दीजिएगा कि मैं तीन महीने के लिए बाहर गई हूं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि लोगों का आक्रोश न्यायसंगत है और सरकार को उनकी चिंताओं पर चिंतन करने की जरूरत है।
वहीं, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध रोकने के लिए एक उदाहरणी कानून बनने की खातिर प्रधानमंत्री से संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया।
राजधानी दिल्ली में पैरा मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर देशभर में हो रहे आंदोलनों के आगे झुकते हुए सरकार ने मामले की जांच एवं महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए उपाय सुझाने की खातिर न्यायिक आयोग का गठन करने आज घोषणा की। सरकार ने साथ ही यह भी संकेत दिया कि बलात्कार के लिए अधिकतम सजा बढ़ाकर फांसी की जा सकती है।
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन बढ़ने के बीच सरकार की ओर से उठाये जाने वाले श्रृंखलबद्ध कदमों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि बलात्कार की घटना में लापरवाही बरतने पर पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ बैठक करने के बाद कहा कि सरकार इस घिनौने अपराध पर आने वाली प्रतिक्रिया की समीक्षा के लिए जांच आयोग कानून 1952 के तहत एक जांच आयोग गठित करेगी। यह आयोग राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुधारने के लिए उपाय सुझाएगा।
बलात्कारियों के लिए मौत की सजा की मांग के बीच शिंदे ने कहा कि इस तरह के अपराधों से निटपने के लिए कड़ा कानून बनाने की खातिर आपराधिक कानून में संशोधन के लिए कदम उठाये जाएंगे ताकि यौन उत्पीड़न के इस तरह के दुर्लभ से दुर्लभतम मामले में और अधिक प्रभावी सजा सुनिश्चित हो सके।
शिंदे ने कहा, ''मेरी तीन बेटियां हैं और आर पी एन सिंह की भी बेटियां हैं। ऐसा हमारी बेटियों के साथ भी हो सकता है। सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव उपाय करेगी।'' शिंदे ने कहा कि जिस इलाके में यह वारदात हुई उस दिन वहां तैनात पांच पुलिसकर्मियों को ढिलाई बरतने के लिए निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा जिसके बारे में कर्तव्य निर्वहन में ढिलाई बरतने की बात सामने आएगी।
इस मामले पर चर्चा के लिए विपक्ष की संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''मैं नहीं समझता कि ऐसे में संसद का विशेष सत्र बुलाना आवश्यक है जब सत्र कुछ ही दिन पहले समाप्त हुआ है।'' उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों को सख सजा सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक पार्टियों को राजनीति से उपर उठना चाहिए।'' इससे पहले शाम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री शिंदे से बात की थी और घटना में शामिल अपराधियों को उचित सजा सुनिश्चित करने और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को कहा था।
शिंदे ने कहा कि सरकार राजधानी दिल्ली तथा पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि इसके तहत दिल्ली में रात के समय सार्वजनिक परिवहन सेवा में सुधार के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वाहनों में जीपीएस लगाये जाएंगे। इसके अलावा सार्वजनिक वाहनों में लगे सभी कर्मचारियों के लिए बैच नम्बर वाला पहचान पत्र लगाना अनिवार्य बनाया जाएगा। ऐसे चालकों का पुलिस सत्यापन भी अनिवार्य होगा। इसके अलावा ऐसे मार्गों पर पुलिस गश्त बढायी जाएगी जिनका इस्तेमाल परिवारों एवं महिलाओं द्वारा देर रात में घर लौटने के लिए किया जाता है। शिंदे ने सामूहिक बलात्कार की घटना पर सरकार की ओर से चिंता व्यक्त करते हुए प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे सरकार की कार्रवाई पर भरोसा रखें और अपना प्रदर्शन वापस लेकर अपने घर लौट जाएं।
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आज यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार इस घटना को लेकर देश और समाज में व्यक्त की जा रही चिंताओं से अपने आपको जोड़ती है।
यह पूछे जाने पर कि कल ही गृह सचिव आर के सिंह ने दिल्ली पुलिस की पीठ थपथपायी थी और आज पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया तथा कल से आज के बीच ऐसा क्या हुआ, गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि मामले को जल्द सुलझाने के लिए गृह सचिव ने पुलिस की प्रशंसा की थी जबकि ढिलाई बरतने के लिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
संवाददाताओं द्वारा विजय चौक पर पुलिस लाठीचार्ज के बारे में बार बार पूछे जाने पर शिंदे ने कहा, ''सुबह जो हुआ वह हमें भी अच्छा नहीं लगा लेकिन आपने देखा होगा कि प्रदर्शनकारियों ने पहला बैरियर तोड़ दिया। ऐसे में बहुत कम विकल्प था। फिर भी हम मामले की जांच करेंगे।'' शिंदे ने कहा कि गिरफ्तार छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है। सरकार अदालत से आग्रह करेगी कि मामले में जल्द न्याय के लिए इसकी सुनवायी त्वरित सुनवायी अदालत में दैनिक आधार पर हो।
उन्होंने बताया कि पीड़ित लड़की ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट को अपना बयान दर्ज करा दिया है। सरकार उसके स्वास्थ्य पर बारीक निगाह रख रही है और उसे सर्वश्रेष्ठ इलाज मुहैया कराया जाएगा। शिंदे ने बताया कि जिस ट्रांसपोर्टर की बस में यह वारदात हुई उसके नौ वाहनों के परमिट रद्द कर दिये गए हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर काफी गंभीर है। गृह मंत्री गंभीर हैं आप सरकार पर भरोसा रखें। युवाओं में जो जोश, गुस्सा है सरकार वह समझ सकती है। उन्होंने कहा कि हम वादा नहीं कार्रवाई करेंगे। यह घिनौनी वारदाद है । उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाये रखने की अपील की।
इस बीच, गृह राज्यमंत्री आर.पी.एन सिंह ने कहा कि पुलिस से संयम बरतने को कहा गया है और सरकार लोगों की मांग के मुताबिक काम कर रही है। मंत्री ने एक समाचार चैनल से कहा कि पुलिस लोगों को बैरिकेड तोड़कर सरकारी इमारतों में घुसने की इजाजत नहीं दे सकती। शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहे हैं वहां पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हुड़दंग भी मचा रहे हैं।
सिंह ने कहा,मैं आंसू गैस के गोले छोड़ने को सही नहीं बता रहा। उन्होंने कहा कि लोग बैरिकेड तोड़ कर राष्ट्रपति भवन और अन्य मुख्य सरकारी कार्यालयों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि सरकार लोगों की बात सुन रही है। पुलिस दुष्कर्म के मामले में अधिकतम सजा की मांग करेगी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि चाहे जितनी भी कार्रवाई हो, वे यहीं रुके रहेंगे।
एक कॉलेज छात्रा रितिका ने कहा, हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने हमें मारना शुरू किया। क्या ये लोकतंत्र है? हम सिर्फ एक कड़े कानून की मांग कर रहे हैं। भाजपा ने भी छात्र-छात्राओं पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की और कहा कि प्रधानमंत्री को इस मसले पर चुप्पी तोड़नी चाहिए। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "वे हमारे बच्चे हैं..उन पर कार्रवाई उचित नहीं है। वे पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे हैं।"
एक बैनर पर लिखा था, महिला मुख्यमंत्री (शीला दीक्षित), महिला लोकसभा अध्यक्ष (मीरा कुमार), महिला संप्रग की अध्यक्ष (सोनिया गांधी) और विपक्ष की नेता (सुषमा स्वराज) भी महिला, फिर भी महिलाएं असुरक्षित। एक अन्य बैनर पर लिखा था, "दिल्ली पुलिस, हमारी चूड़ियां ले लो और हमें बंदूकें दे दो। हम अपनी सुरक्षा खुद कर लेंगी। एक पोस्टर में यह भी लिखा था, "यदि दोषियों को कड़ी सजा नहीं दी जाती तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड का बहिष्कार करें।
सफदरजंग अस्पताल में भर्ती युवती की हालत में सुधार हो रहा है और वह अपने भविष्य को लेकर आशावादी है लेकिन उसके शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा बरकरार है। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक बी.डी.अथानी ने कहा, "उसके सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन संक्रमण का खतरा बरकरार है। चिकित्सकों के दल में शामिल एक अन्य चिकित्सक ने कहा, उसके रक्त में श्वेत रक्त कणों (डब्ल्यूबीसी) की संख्या में सुधार हुआ है। यह 2,600 है और शुक्रवार से बेहतर है। लेकिन प्लेटलेट काउंट शुक्रवार की अपेक्षा कम है। उसे प्लाज्मा वाला रक्त चढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
चिकित्सकों ने बताया कि उसे सुबह से पानी और सेब का जूस दिया जा रहा है। एक अन्य चिकित्सक ने कहा, प्लेटलेट काउंट में गिरावट को छोड़ दें तो उसके हर अंग ठीक से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीड़िता के टोटल लिम्फोसाइट काउंट (टीएलसी) में कमी आई है जिससे उसके शरीर में संक्रमण बढ़ने का खतरा मौजूद है, जो चिंता का विषय है।
शनिवार को पहली बार मनोचिकित्सकों के एक दल ने उसकी स्थिति का आकलन किया। डॉ. अभिलाषा यादव ने कहा, "वह बहादुर लड़की है और सकारात्मक सोचती है तथा अपने भविष्य को लेकर आशावादी है। उसकी जैविक और मानसिक स्थिति सामान्य है। वह बिल्कुल संतुलित और शांत है।
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पीड़िता ने पूरे घटना के बारे में एसडीएम को जानकारी दी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब उसका बयान न्यायालय में पेश किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि गत रविवार रात चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और क्रूरता के कारण उसकी हालत बिगड़ने से पूरे देश में आक्रोश फैल गया है। कई बिहार सहित कई राज्यों में शनिवार को भी प्रदर्शन किया गया।
त्रिपुरा में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, पिटाई की गई और उसे सरेआम निर्वस्त्र कर एक पेड़ से बांध दिया गया। पुलिस ने यह जानकारी शनिवार को दी। एक पुलिस अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, पश्चिमी त्रिपुरा के बिशालगढ़ में बुधवार की रात 37 वर्षीया एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। दुष्कर्म के बाद महिला को निर्वस्त्र किया गया, बेरहमी से उसकी पिटाई की गई और उसे एक पेड़ से बांध दिया गया।
दिल्ली में चलती बस में दुष्कर्म की शिकार हुई 23 वर्षीय युवती ने अपने साथ घटी 16 दिसम्बर की घटना के बारे में एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज कराया।
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि पीड़िता ने पूरे घटना के बारे में एसडीएम को जानकारी दी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब उसका बयान न्यायालय में पेश किया जा सकता है। सफदरजंग अस्पताल में भर्ती पीड़िता की हालत अब भी नाजुक है।
ज्ञात हो कि पिछले रविवार की रात एक चलती निजी बस में पीड़िता को उस समय प्रताड़ित किया गया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जब वह अपने पुरुष मित्र के साथ फिल्म देखकर घर लौट रही थी।
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से महिलाओं की सुरक्षा के लिए उचित एवं तत्काल कदम उठाने के लिए कहा है। सोनिया का बयान ऐसे समय पर आया है जब शनिवार को युवती के साथ सामूहिक बलात्कार के विरोध में रायसीना हिल्स पर जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रपति भवन के पास रायसीना हिल्स शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच एक तरह से संघर्ष का गवाह रहा।
कांग्रेस सूत्रों ने शनिवार को बताया, कांग्रेस प्रमुख ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से महिलाओं की सुरक्षा के लिए तत्काल उचित कदम उठाने के लिए कहा। कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि यह जरूरी है कि पुलिस एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियां हमारी बेटियों, बहनों और माताओं के सामने जो प्रतिदिन खतरा आता है, उसे महसूस करें।
सोनिया ने शिंदे को लिखे पत्र में कहा, सुरक्षा एजेंसियों को इस खतरे से निपटने के लिए उत्साहित करना चाहिए। शहरों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हम लोगों के लिए शर्म की बात है कि राजधानी में चलती बस में युवती के साथ बलात्कार हो सकता है। कांग्रेस प्रमुख ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लिखे पत्र में कहा, महिलाओं की सुरक्षा बेहतर करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता एवं प्रयास को दर्शाने की आवश्यकता है। सोनिया ने मुख्यमंत्री से महिलाओं की सुरक्षा मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निवेदन किया।
दिल्ली में रविवार को हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात से हिली सरकार ने बुधवार को कई उपायों का ऐलान किया। पुलिस की गश्त बढाना, रंगीन शीशे वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई और असत्यापित ड्राइवरों द्वारा चलायी जाने वाली बसों एवं आटो को जब्त करना इन उपायों में शामिल है।
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने संसद में इन उपायों की घोषणा की। सांसदों ने दोनों ही सदनों में बुधवार को लगातार दूसरे दिन इस वारदात पर गहरी नाराजगी का इजहार करते हुए मांग की कि सरकार को महिलाओं में विश्वास बहाल करना होगा। संसद के दोनों सदनों में घटना पर लगातार दूसरे दिन बयान देते हुए शिन्दे ने कहा कि दिल्ली पुलिस के पीसीआर बेडे में और वाहन जोडकर उसका विस्तार किया जाएगा। ये सभी पीसीआर वाहन जीपीएस से लैस होंगे ताकि केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष में उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके।
उन्होंने कहा कि जिन बसों के शीशे रंगीन हैं और जिनके शीशों में परदे लगे हैं, उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई होगी और ऐसे वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा। शिन्दे ने आज ही दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के साथ स्थिति की समीक्षा की। गृहमंत्री ने कहा कि बसों सहित सभी वाणिज्यिक वाहनों को दिल्ली में चलने के दौरान रात के समय वाहन के भीतर की बत्तियां जलाकर रखनी होंगी। बसों की पार्किंग केवल उसके मालिक के पास की जाएगी न कि किसी ड्राइवर या स्टाफ के पास।
उन्होंने कहा कि बसों सहित जो वाणिज्यिक वाहन अनुबंध ढुलाई की शर्तों या परमिट की किसी अन्य शर्त का उल्लंघन करते पकड़े गए, उन्हें तत्काल जब्त कर लिया जाएगा और उनके परमिट रदद होंगे। दिल्ली में कानून व्यवस्था के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार शिन्दे ने कहा कि पुलिस सभी सार्वजनिक वाहनों के ड्राइवरों और स्टाफ का सत्यापन करेगी। असत्यापित ड्राइवरों या स्टाफ वाली बसों और आटो को जब्त किया जाएगा। सांसदों ने शिन्दे से जानने की इच्छा व्यक्त की थी कि सामूहिक बलात्कार की रविवार को हुई जघन्य वारदात के परिप्रेक्ष्य में कौन से कदम उठाए गए, जिसके बाद दोनों सदनों में शिन्दे ने बयान दिया।
इससे पहले शिंदे ने दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के साथ बैठक की। इस दौरान तय किया गया कि रंगीन शीशे वाले वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा ताकि सुनिश्चित हो सके कि किसी भी वाहन का शीशा न तो रंगीन हो और न ही परदे से युक्त हो। यह भी तय किया गया कि बसों में ड्राइवरों के मोबाइल नंबर और लाइसेंस नंबर मोटे और साफ शब्दों में लिखे जाएंगे। लोकसभा में राजग के घटक दलों शिवसेना, अकाली दल, जदयू और भाजपा की महिला सांसदों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अत्याचार के मद्देनजर सुरक्षा की मांग उठाई। जरूरी कागजात रखवाने के बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार काफी गंभीर मसला है और मैं भी इस विषय पर चर्चा चाहती हूं।
मीरा ने महिला सदस्यों से कहा कि वे इसके लिए नोटिस दें ताकि इस मुद्दे पर चर्चा कराई जा सके। बाद में मीरा कुमार ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के सभी मामलों को देखने और महिलाओं की शिकायतों के समाधान के लिए वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए। अध्यक्ष ने कहा, मैं चाहती हूं कि सरकार तत्काल उचित दिशानिर्देश जारी कर इस प्रकार के अपराधों में पीड़िता के किसी के भी द्वारा चरित्र हनन किए जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए। अध्यक्ष ने कहा कि देश भर में पुलिस बलों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम तत्काल चलाया जाए और सदन की यही राय है।
इससे पूर्व उन्होंने बताया कि वह पीड़िता का कुशलक्षेम जानने के लिए कल अस्पताल गयी थीं और वहां उसके माता पिता से भी मिलीं। उन्होंने इस दौरान सदन की चिंताओं से उनके माता पिता को अवगत कराया और पीड़िता के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने यह भी बताया कि सदन की महिला सदस्यों ने उनसे मुलाकात कर इस घटना पर आक्रोश और पीड़ा जाहिर की है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस वारदात के बाद शिन्दे और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कडे शब्दों में पत्र लिखकर कहा कि यह शर्मनाक बात है कि इस तरह की वारदात नियमित तौर पर हो रही हैं। इसी के बाद शिन्दे ने सरकार की ओर उठाए गए कदमों का ऐलान किया।
शिंदे ने बताया कि छह में से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पुलिस की टीमें अन्य दो आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही हैं। वारदात की जांच की निगरानी के लिए उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच टीम बनाई गई है।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने कहा कि एक चलती बस में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ''प्रशासन के पूरी तरह ध्वस्त'' होने का परिचायक है। उन्होंने कहा, सिर्फ कानून और सजा के द्वारा ही इस तरह के अपराध को रोका जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस बल राजधानी में अति विशिष्ट लोगों की ''सुरक्षा एजेंसी से अधिक कुछ नहीं है।
सिंह ने कहा कि व्यवस्था ''पूरी तरह बेनकाब'' हो चुकी है क्योंकि न केवल उस बस में सवार एक बेटी इस व्यवस्था के रहम पर थी बल्कि सैंकड़ों अन्य बेटियों पर भी हमलावरों की ओर से इस प्रकार का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि व्यवस्था कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रही है और यह ''नपुंसकता बढ़ रही है।'' उन्होंने कहा, '' बेधड़क शहर में घूमती एक बस में 23 वर्षीय छात्रा के साथ जघन्य सामहिक बलात्कार और नृशंस हमला इस बात का संकेत है कि प्रशासन पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है । यह घटना तो पूरी व्यवस्था को झकझोरने वाली होनी चाहिए।''
सिंह ने एक बयान में कहा, '' मैं इस बहादुर लड़की के जिंदा रहने की प्रार्थना करता हूं और मेरी संवेदनाएं उसके परिवार के साथ हैं। हम इसे जेसिका लाल मामले की तरह नहीं छोड़ सकते। उस मामले में यदि उसके परिवार का प्रयास नहीं रहता तो उसके हत्यारे फिर से खुलेआम घूमते। व्यवस्था को सबसे बड़ी चेतावनी मिल चुकी है। हमें जागना होगा , इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।'' उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि सुरक्षा मुहैया कराना हर सरकार की हलफिया ड्यूटी है , खासतौर से पुलिस और न्यायपालिका की। उन्होंने कहा लेकिन इसके बजाय ''हम ऐसी स्थिति में हैं जहां लगभग हर रोज प्रशासन के हर संस्थान का क्षरण हो रहा है।''
प्रदर्शन के दौरान घायल एक लड़की को अस्पताल पहुंचाया गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारी युवाओं ने आज सुबह इंडिया गेट पर एकत्रित होकर राजपथ के रास्ते रायसीना हिल्स की ओर कूच कर दिया था। युवा प्रदर्शनकारियों ने राजपथा का सुरक्षा घेरा तोड़ दिया और किसी प्रकार से रायसीना हिल्स पर पहुंचने में कामयाब हो गये। हालांकि उन्हें यहां पर रोक दिया गया।
उल्लेखनीय है कि कल भी राजधानी में अनेक प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन के सामने प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल पूर्व सेना प्रमुख वी के सिंह ने कहा, ''आप देख रहे हैं कि प्रशासनिक प्रणाली विफल हो जाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुयी है। पुलिस सुधार की योजना कई साल से ठंडे बस्ते में पड़ी है। उन्होंने इसके लिए क्यों कुछ भी नहीं किया.? हम पुलिस आयुक्त को यह कहते हुये क्यों सुनते हैं कि उनके पास कर्मचारियों की कमी है। यह बहुत शर्मनाक है। पूर्व सेना अध्यक्ष ने कहा, ''यह उनकी विफलता है। यह समस्या इसलिए उत्पन्न हुयी है क्योंकि इस देश में राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता है।
रायसीना हिल्स पर बातचीत असफल होने के बाद बड़ी संख्या में युवाओं ने अवरोधों को हटाकर राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ना शुरू किया जिसके बाद पुलिस हरकत में आयी। पुलिस ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है और त्वरित कार्य बल के जवानों को वहां तैनात किया गया है।
प्रदर्शन कर रही लड़कियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें लाठी से मारा है। डन्होंने वहां पर धरना देने का निर्णय लिया है। रायसीना हिल्स में जमा प्रदर्शनकारियों ने वहां से हटने से इंकार कर दिया है। इस घटनाक्रम में घायल एक लड़की को अस्पताल ले जाया गया।
प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल पूर्व सेना प्रमुख वी के सिंह ने कहा, आप देख रहे हैं कि प्रशासनिक प्रणाली विफल हो जाने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुयी है। पुलिस सुधार की योजना कई साल से ठंडे बस्ते में पड़ी है। उन्होंने इसके लिए क्यों कुछ भी नहीं किया.? हम पुलिस आयुक्त को यह कहते हुये क्यों सुनते हैं कि उनके पास कर्मचारियों की कमी है..। यह बहुत शर्मनाक है। सिंह ने सवाल किया, ''क्यों आपको टीवी पर यह दृश्य क्यों देखना पड़ता है जिसमें गृह मंत्रालय के अधिकारी को चीजों की जांच के लिए सड़कों पर जाना पड़ता है? क्या यह विफलता नहीं है? इसे दूर करने की जरूरत है।
रेप पीड़िता से बोली पंचायत, डेढ़ लाख ले लो और चुप रहो
मुजफ्फरनगर। एक तरफ जहां दिल्ली में चलती बस में हुए गैंगरेप के खिलाफ देश भर में आक्रोश है। तो वहीं, राजधानी से महज 130 किलोमीटर दूर यूपी के मुजफ्फरनगर में एक नाबालिग लड़की को बंधक बनाकर बलात्कार का मामला सामने आया है। पीड़ित लड़की ने जब इसकी शिकायत पंचायत में की तो पंचायत ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए उसे डेढ़ लाख रुपए लेकर मामले को रफादफा करने को कहा, लेकिन पीड़ित परिवार ने पंचायत के फरमान को मानने से इनकार कर दिया और पुलिस में शिकायत कर दी।
मुजफ्फरनगर में 15 साल की लड़की के साथ जो कुछ हुआ वो इंसानियत को शर्मसार करने वाला है। लड़की का आरोप है कि पड़ोस में रहने वाले तसव्वुर ने पहले उसे जबरन घर से उठा लिया और फिर बंधक बनाकर तीन दिन तक बलात्कार किया। किसी तरह बचकर जब वो अपने घर पहुंची तो उसकी शिकायत पर गांव में पंचायत बुलाई गई। लेकिन पंचायत ने आरोपी को सजा देने के बजाय लड़की की आबरू की ही बोली लगा दी। पंचायत ने फरमान जारी करते हुए कहा कि डेढ़ लाख रुपए ले लो और मामले की शिकायत पुलिस में मत करना।
लेकिन पीड़ित लड़की ने पंचायत का फैसला मानने से इनकार कर दिया और मामले की शिकायत पुलिस में कर दी। हालांकि पीड़ित गरीब परिवार इस बात के लिए राजी था कि अगर आरोपी उसकी बेटी से शादी कर ले तो वो पुलिस में शिकायत नहीं करेंगे। पंचायत से वो इस फैसले की उम्मीद भी कर रहे थे लेकिन भरी पंचायत में तो उनकी इज्जत की ही बोली लगा दी गई।
वहीं, पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने भले ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया हो लेकिन इस मामले में तालिबानी पंचायत सुनाने वाले भी कम गुनहगार नहीं हैं। सवाल ये है कि क्या पुलिस इनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेगी।
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