---------- Forwarded message ----------
From: rajiv yadav <rajeev.pucl@gmail.com>
Date: 2012/10/15
Subject: press note on Abdul Razzak's suicide due to pressure of IB in hyderabad
To: Rajeev <media.rajeev@gmail.com>
आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों का रिहाई मंच
सम्पर्क- लाटूश रोड लखनऊ
---------------------------------------------------
अब्दुल रज्जाक मसूद की आत्म हत्या की जिम्मेदार आईबी पर दर्ज हो मुकदमा- रिहाई मंच
सुरक्षा एजेंसियों का इजराइल और अमरीका में ट्रेनिंग पर तत्काल रोक लगे
आईबी की शह पर जेलों में हो रहे उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगे
लखनऊ 15 अक्टूबर 2012/आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने
हैदराबाद के अब्दुल रज्जाक मसूद द्वारा खुफिया एजेंसियों द्वारा उन पर
मुखबीर बनने का दबाव डालने के चलते की गयी आत्महत्या का जिम्मेदार खुफिया
एजेंसियों को ठहराते हुए हैदराबाद के खुफिया अधिकारियों पर हत्या का
मुकदमा चलाने की मांग की है।
लाटूश रोड स्थित मंच के कार्यालय पर आयोजित बैठक में पूर्व पुलिस
महानिरिक्षक एसआर दारापुरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि आतंकवाद से निपटने
के नाम पर कांग्रेस सरकार ने खुफिया एजेंसियों को मुसलमानों को खत्म करने
की खुली छूट दे दी है। क्याोंकि मसूद की आत्म हत्या कोई पहली घटना नहीं
है। इससे पहले पूछताछ के नाम पर मुम्बई में फैज उस्मानी और कतील सिद्दीकी
की यरवदा जेल में हुयी हत्या में भी खुफिया एजेंसियों की भूमिका संदिग्ध
रही है। जिस पर जांच की मांग के बावजूद सरकार ने आपराधिक खामोशी अख्तियार
की हुयी है। उन्होंने इन घटनाओं को खुफिया एजेंसियों द्वारा लोकतंत्र को
अगवा कर लेनेे का उदाहरण बताते हुये कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसियां अब
देश की जनता द्वारा चुनी गयी सरकारों के बजाय मोसाद और सीआईए से सीधे
संचालित होने लगी हैं। जिसकी सबसे ताजा मिसाल सउदी अरब से दरभंगा बिहार
निवासी इंजीनियर फसीह महमूद का भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा गैर
कानूनी ढंग से अगवा किया जाना है। जिसकी जानकारी गृह मंत्रालय और विदेश
मंत्रालय को नहीं थी। पुलिस के रिटार्यड वरिष्ठ अधिकारी ने सरकार पर
खुफिया एजेंसियों और एटीएस अधिकारियों को टेªनिंग के नाम पर इजराइल और
अमरीका भेजने का आरोप लगाते हुये कहा कि दुनिया के ये दो सबसे बडे आतंकी
देश भारतीय अधिकारियों को मुस्लिम विरोधी संस्थागत हिंसा की टेªनिंग दे
रहे हैं। जसका परिणाम अब्दुल रज्जाक मसूद और कतील सिद्दीकी की हत्याएं
हैं।
रिहाई मंच के संयोजक एडवोकेट मो0 शुऐब ने कहा कि खुफिया एजेंसियों पर
लगातार निर्दोंष मुसलमानों को उत्पीडि़त करने का आरोप लग रहा है यहां तक
कि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच में भी सीबीआई ने खुफिया
एजंेसियों को जांच के दायरे में लाया है बावजूद इसके मुसलमानों के खिलाफ
खुफिया एजेंसियों के साम्प्रदायिक हमले जारी हैं। मो0 शुऐब ने कचहरी
विस्फोटों के आरोप में बंद तारिक कासमी द्वारा पिछले दिनों जिला जेल लखनऊ
से भेजे गये पत्र जिसमें आतंकवाद के नाम पर कैद मुस्लिम यूवकों के खुफिया
एजेंसियों द्वारा उत्पीडन और उसके परिणाम स्वरूप उनमें आत्महत्या की
बढ़ती प्रवित्ति का जिक्र करते हुये कहा कि अगर अब्दुल रज्जाक की तरह
लखनऊ की जेल में भी कोई घटना होती है तो इसकी जिम्मेदार सपा सरकार और
खुफिया एजेंसियां होंगी। उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ तो मुलायम सिंह
मुसलमानों को सपा को सरकार में पहंुचाने का श्रेय देते हैं, तो वहीं
दूसरी तरफ इस सरकार का सांप्रदायिक चरित्र यह है कि वो निमेष आयोग की
रिपोर्ट को महीनों से दबाए हुए है और जेल में बंद लड़को का उत्पीड़न कर
रही है और सात महीने के सपा कार्यकाल में आठ बड़े दंगे हो चुके हैं।
शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि अब्दुल रज्जाक के सुसाइड नोट से
अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुफिया एजेंसियां किस हद तक मुसलमानों के
खिलाफ षडयंत्र रच रही हैं और उन्हें अपना मुखबिर बना रही हैं। ऐसे में यह
जरूरी हो जाता है विभिन्न आतंकी घटनाओं में आईबी के अधिकारियों की भूमिका
पर जांच हो। क्योंकि जिनको वो आतंकी बता कर फंसाती हैं उन्हें ही बाद में
उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनको अपना मुखबिर बनाने की कोशिश करती हैं।
जैसा कि पहले भी संसद पर हुए हमले के आरोपी अफजल गुरू और दिल्ली के मआरिफ
कमर और इरशाद अली के मामले में खुलासा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि इस
तरह की घटनाओं से यह संदेह और पुष्ट हो जाता है कि इंडयन मुजाहिदीन जैसे
संगठनों को खुद आईबी संचालित कर रही है और देश में आतंकवादी घटनाओं को
अंजाम दे रही है।
द्वारा जारी- शाहनवाज आलम, राजीव यादव
आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों का रिहाई मंच
सम्पर्क- 09415254919, 09452800752
From: rajiv yadav <rajeev.pucl@gmail.com>
Date: 2012/10/15
Subject: press note on Abdul Razzak's suicide due to pressure of IB in hyderabad
To: Rajeev <media.rajeev@gmail.com>
आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों का रिहाई मंच
सम्पर्क- लाटूश रोड लखनऊ
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अब्दुल रज्जाक मसूद की आत्म हत्या की जिम्मेदार आईबी पर दर्ज हो मुकदमा- रिहाई मंच
सुरक्षा एजेंसियों का इजराइल और अमरीका में ट्रेनिंग पर तत्काल रोक लगे
आईबी की शह पर जेलों में हो रहे उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगे
लखनऊ 15 अक्टूबर 2012/आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने
हैदराबाद के अब्दुल रज्जाक मसूद द्वारा खुफिया एजेंसियों द्वारा उन पर
मुखबीर बनने का दबाव डालने के चलते की गयी आत्महत्या का जिम्मेदार खुफिया
एजेंसियों को ठहराते हुए हैदराबाद के खुफिया अधिकारियों पर हत्या का
मुकदमा चलाने की मांग की है।
लाटूश रोड स्थित मंच के कार्यालय पर आयोजित बैठक में पूर्व पुलिस
महानिरिक्षक एसआर दारापुरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि आतंकवाद से निपटने
के नाम पर कांग्रेस सरकार ने खुफिया एजेंसियों को मुसलमानों को खत्म करने
की खुली छूट दे दी है। क्याोंकि मसूद की आत्म हत्या कोई पहली घटना नहीं
है। इससे पहले पूछताछ के नाम पर मुम्बई में फैज उस्मानी और कतील सिद्दीकी
की यरवदा जेल में हुयी हत्या में भी खुफिया एजेंसियों की भूमिका संदिग्ध
रही है। जिस पर जांच की मांग के बावजूद सरकार ने आपराधिक खामोशी अख्तियार
की हुयी है। उन्होंने इन घटनाओं को खुफिया एजेंसियों द्वारा लोकतंत्र को
अगवा कर लेनेे का उदाहरण बताते हुये कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसियां अब
देश की जनता द्वारा चुनी गयी सरकारों के बजाय मोसाद और सीआईए से सीधे
संचालित होने लगी हैं। जिसकी सबसे ताजा मिसाल सउदी अरब से दरभंगा बिहार
निवासी इंजीनियर फसीह महमूद का भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा गैर
कानूनी ढंग से अगवा किया जाना है। जिसकी जानकारी गृह मंत्रालय और विदेश
मंत्रालय को नहीं थी। पुलिस के रिटार्यड वरिष्ठ अधिकारी ने सरकार पर
खुफिया एजेंसियों और एटीएस अधिकारियों को टेªनिंग के नाम पर इजराइल और
अमरीका भेजने का आरोप लगाते हुये कहा कि दुनिया के ये दो सबसे बडे आतंकी
देश भारतीय अधिकारियों को मुस्लिम विरोधी संस्थागत हिंसा की टेªनिंग दे
रहे हैं। जसका परिणाम अब्दुल रज्जाक मसूद और कतील सिद्दीकी की हत्याएं
हैं।
रिहाई मंच के संयोजक एडवोकेट मो0 शुऐब ने कहा कि खुफिया एजेंसियों पर
लगातार निर्दोंष मुसलमानों को उत्पीडि़त करने का आरोप लग रहा है यहां तक
कि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच में भी सीबीआई ने खुफिया
एजंेसियों को जांच के दायरे में लाया है बावजूद इसके मुसलमानों के खिलाफ
खुफिया एजेंसियों के साम्प्रदायिक हमले जारी हैं। मो0 शुऐब ने कचहरी
विस्फोटों के आरोप में बंद तारिक कासमी द्वारा पिछले दिनों जिला जेल लखनऊ
से भेजे गये पत्र जिसमें आतंकवाद के नाम पर कैद मुस्लिम यूवकों के खुफिया
एजेंसियों द्वारा उत्पीडन और उसके परिणाम स्वरूप उनमें आत्महत्या की
बढ़ती प्रवित्ति का जिक्र करते हुये कहा कि अगर अब्दुल रज्जाक की तरह
लखनऊ की जेल में भी कोई घटना होती है तो इसकी जिम्मेदार सपा सरकार और
खुफिया एजेंसियां होंगी। उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ तो मुलायम सिंह
मुसलमानों को सपा को सरकार में पहंुचाने का श्रेय देते हैं, तो वहीं
दूसरी तरफ इस सरकार का सांप्रदायिक चरित्र यह है कि वो निमेष आयोग की
रिपोर्ट को महीनों से दबाए हुए है और जेल में बंद लड़को का उत्पीड़न कर
रही है और सात महीने के सपा कार्यकाल में आठ बड़े दंगे हो चुके हैं।
शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि अब्दुल रज्जाक के सुसाइड नोट से
अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुफिया एजेंसियां किस हद तक मुसलमानों के
खिलाफ षडयंत्र रच रही हैं और उन्हें अपना मुखबिर बना रही हैं। ऐसे में यह
जरूरी हो जाता है विभिन्न आतंकी घटनाओं में आईबी के अधिकारियों की भूमिका
पर जांच हो। क्योंकि जिनको वो आतंकी बता कर फंसाती हैं उन्हें ही बाद में
उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनको अपना मुखबिर बनाने की कोशिश करती हैं।
जैसा कि पहले भी संसद पर हुए हमले के आरोपी अफजल गुरू और दिल्ली के मआरिफ
कमर और इरशाद अली के मामले में खुलासा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि इस
तरह की घटनाओं से यह संदेह और पुष्ट हो जाता है कि इंडयन मुजाहिदीन जैसे
संगठनों को खुद आईबी संचालित कर रही है और देश में आतंकवादी घटनाओं को
अंजाम दे रही है।
द्वारा जारी- शाहनवाज आलम, राजीव यादव
आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों का रिहाई मंच
सम्पर्क- 09415254919, 09452800752
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