Monday, December 10, 2012

घोटलों और पर्दाफाश से कारपोरेट अश्वमेध यज्ञ में व्यवाधान की कोई उम्मीद नहीं! उत्पादक व सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी न होने से कांग्रेस के लिए नीतियों की निरंतरता बरकरार रखते हुए युवराज की ताजपोशी का रास्ता इतना आसान हो गया!

घोटलों और पर्दाफाश से कारपोरेट अश्वमेध यज्ञ में व्यवाधान की कोई उम्मीद नहीं! उत्पादक व सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी न होने से कांग्रेस के लिए नीतियों की निरंतरता बरकरार रखते हुए युवराज की ताजपोशी का रास्ता इतना आसान हो गया!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आर्थिक सुधारों की सुनामी के बीच युवराज राहुल को ही अगला प्रधानमंत्री बताकर कांग्रेस ने बिखरे हुए विपक्ष पर हमला बोल दिया है। वैश्विक व्यवस्था के मातहत भारत में वर्चस्ववादी धर्म राष्ट्रवाद के सर्वव्यापी शासन के प्रतिरोध बतौर उत्पादक व सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी न होने से कांग्रेस के लिए नीतियों की निरंतरता बरकरार रखते हुए युवराज की ताजपोशी का रास्ता इतना आसान हो गया। मायावती ने आकस्मिक रुप सेखुलकर सुधारों का समर्थन जो किया उससे संसदीय अंकगणित में कांग्रेसी आल आउट आक्रमण का जवाब देना मुश्किल हो रहा है।कांग्रेस 2014 का लोकसभा चुनाव राहुल की ही अगुआई में लड़ेगी। राहुल जल्द ही पार्टी के नेतृत्व जैसी बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। सोनिया गांधी कांग्रेस संरक्षक और सुप्रीम लीडर की भूमिका में होंगी। पार्टी ने चुनावों में अब तक अकेले चलने की अपनी रणनीति बदल दी है। अगला चुनाव वह गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर संप्रग के बैनर तले लड़ने की तैयारी में है। इसी बीच रिटेल में एफडीआई पर जब संसद में बहस हुई तो सरकार ने मल्टी ब्रांड के ढेरों फायदे गिनाए। लेकिन अमेरिकी सीनेट में रखी गई वॉलमार्ट की एक रिपोर्ट पर विपक्ष ने सरकार के दावे पर सवाल उठा दिए हैं।

रिटेल में एफडीआई को लेकर संसद की सियासी जंग जीते सरकार को दो दिन भी नहीं बीते कि वालमार्ट को लेकर नया बवाल शुरू हो गया।अमेरिका की मशहूर रिटेल कंपनी वॉलमार्ट भारत के बाजार पर लंबे अरसे से निगाहें जमाए हुए थी। इसके लिए वह चार साल से अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग भी कर रही थी। इस दौरान कंपनी ने इस काम में 125 करोड़ रुपए (250 लाख डॉलर) खर्च किए। अमेरिकी सीनेट में रखी गई वॉलमार्ट की रिपोर्ट में यह जानकारी दर्ज है।लेकिन घोटलों और पर्दाफाश से कारपोरेट अश्वमेध यज्ञ में व्यवाधान की कोई उम्मीद नहीं है। नए साल में कई अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश का रास्ता साफ हो सकता है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 5 अन्य कंपनियों में विनिवेश की योजना बनाई है। सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी एनएमडीसी का एफपीओ बुधवार को खुलेगा, जिसका निर्गम मूल्य 145 रुपये से 150 रुपये तय किया गया है।सरकार ने बीमा विधेयक को एक किनारे कर दिया है क्योंकि इसमें एफडीआई की सीमा को 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने से यह विधेयक वापस स्थायी समिति के पास चला जाएगा जिसने इसमें 26 फीसदी की मियाद बरकरार रखने पर ही मुहर लगाई थी। वित्त मंत्री पी चिदंबरम कुछ दिन पहले इस मसले पर भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता से बात कर चुके हैं जिसमें यही बात सामने आई कि वह विवादित बिंदुओं को किनारे कर देंगे। इसके बजाय एफडीआई के मामले में मिली जीत से गद्गद सरकार बैंकिंग, कंपनी और पेंशन विधेयकों सहित दूसरे लंबित विधेयकों की नैया इसी सत्र में पार लगाने की योजना पर काम रही है। उसकी पहली प्राथमिकता यही है कि बचे खुचे दिनों में इन तीनों विधेयकों को अंजाम तक पहुंचा दिया जाए।बिल्डर प्रेमोटर राज को मजबूती देने के मकसद से बाजार नियामक सेबी ने 12 फर्मों को वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) स्थापित करने की मंजूरी दी। दो माह से शुरू की गयी यह एक नयी प्रकार की सामूहिक निवेश योजना है। इसको रीयल एस्टेट, निजी इक्विटी और हेज फंडों के लिए शुरू किया गया है।अक्तूबर 10 से अब तक 12 एआईएफ सेबी के साथ पंजीकृत हुए हैं जिनमें इंडिया रियल्टी फंड, डार मेंटोक्रैप फिल्म फंड, कैपालेफ इंडियन मिलेनियम स्माल एंड मीडियम एंटरप्राईजेज फंड ओर कैपेलेफ इंडियन मिलेनियम प्राइवट इक्विटी फंड शामिल हैं।सेबी ने नौ एआईएफ को देश में कारोबार मंजूरी दी है। 31 अगस्त 2012 को सेबी के पास एआईएफ के तौर पंजीकृत किए जाने के संबंध में 20 आवेदन लंबित थे।नियामक ने इस साल मई में अधिसूचना जारी की थी जिसके तहत एआईएफ के नाम से बाजार मध्यस्थों का एक नया वर्ग तैयार किया गया जो मूल रूप से भारत में गठित कोष हैं और इसका उद्देश्य है पूर्व नियोजित नीति के मुताबिक निवेश के लिए भारतीय और विदेशी निवेशकों से पूंजी जुटाना।

देश के नामी कारोबारी अंबानी भाईयों पर अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से हमला बोला है। केजरीवाल ने मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के स्विस बैंक के कथित एकाउंट नंबर को सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने कहा कि एचएसबीसी बैंक के एकाउंट नंबर्स 5090160983 और 5090160984 अंबानी बंधुओं के नाम पर हैं। केजरीवाल का कहना है कि इससे पहले भी अंबानी बंधुओं के स्विस बैंक में खाते होने की बात कही थी, लेकिन तब अंबानी बंधुओं ने इस आरोप को खारिज कर दिया था। अब मेरे पास अनिल और मुकेश अंबानी के एकाउंट नंबर्स भी हैं।

ऋण वसूली कानून में संशोधन से कर्ज में फंसी कंपनियों और उनके ऋणदाताओं को मदद मिलेगी। इससे ऋण वसूली में भी सुधार आएगा। इस कानून में संशोधन के बाद बैंकों और परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) को राहत मिलेगी। बैंकरों और एआरसी ने इसे सकारात्मक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ बाधाएं दूर की हैं जिससे ऋण के पुनर्गठन और कमजोर इकाइयों को मदद मिलेगी। लोकसभा में सोमवार को बैंकों के फंसे कर्ज की वसूली की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए इस कानून में संशोधन को मंजूरी मिल गई।

नए बैंकों को करना पड़ सकता है और इंतजार।बैंकिंग कानून संशोधन बिल को लेकर इतना हंगामा हुआ कि लोकसभा को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।लोकसभा में विपक्ष ने बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2011 को संसद की स्थाई समिति के समक्ष फिर से भेजे जाने की मांग करते हुए आज भारी हंगामा किया जिसके चलते सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद करीब पौने पांच बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।विपक्ष का कहना था कि यह विधेयक नए रूप में पेश किया गया है और इस पर सदन की भावना को समझा जाना चाहिए। विपक्ष की मांग को लेकर भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पहली बार सवा चार बजे आधे घंटे के लिए स्थगित की गई।पौने पांच बजे सदन की बैठक फिर से शुरू होने पर भी विपक्षी सदस्य विधेयक में नए प्रावधानों के मद्देनजर संसद के नियम में छूट के मंत्री की प्रस्ताव का विरोध करते हुए विधेयक को पुन: स्थाई समिति को भेजने की अपनी मांग पर अड़े रहे। गिरिजा व्यास ने बैठक करीब पांच मिनट बाद ही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।इस बीच पीठासीन सभापति गिरिजा व्यास ने व्यवस्था देते हुए कहा कि जब प्रभारी मंत्री की ओर से नियम में छूट का कोई प्रस्ताव आता है तो ऐसा चलन रहा है कि उन्हें इसकी अनुमति दी जाती है। उन्होंने कहा कि इसी चलन को ध्यान में रखते हुए उन्हें (वित्त मंत्री ) यह छूट दी गई है।लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और व्यवस्था बहाल नहीं होते देख गिरिजा व्यास ने बैठक करीब पांच मिनट बाद ही निर्धारित समय से सवा घंटा पहले ही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

वॉलमार्ट पर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। लॉबिंग पर 125 करोड़ रुपये खर्च करने के मामले में राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी समेत तमाम विपक्षी दलों ने मामले की जांच की मांग की है। साथ ही प्रधानमंत्री से मामले पर सफाई मांगी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने अमेरिका के दबाव में रिटेल एफडीआई पर फैसला लिया है।कंपनी के मुताबिक ये रकम अमेरिकी सिनेट, अमेरिकी हाउस ऑफ रेप्रेंजेंटेविव्स, अमेरिकी ट्रेड रेप्रेंजेंटेविव्स के सांसदों और अधिकारियों को भारत में मामले पर चर्चा के लिए दिया गया है। अमेरिका में लॉबिंग के लिए पैसा खर्च करना कानूनन वैध है लेकिन समय-समय पर सरकार और संसद को कंपनी को बताना होता है कि कहां कितनी रकम खर्च की गई है।वॉलमार्ट पर आरोपों के बाद बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि वॉलमार्ट के लॉबिंग के आरोप गंभीर हैं। इन पर सरकार को सफाई देनी चाहिए और जांच करानी चाहिए। भारत में लॉबिंग गैर कानूनी है तो इस तरह के कदम उठाने वाली कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।उधर सरकार ने वॉलमार्ट के लॉबिंग के आरोपों पर अपना बचाव किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री नारायणसामी ने कहा है कि वॉलमार्ट एक निजा संस्था है जिससे सरकार का कुछ लेना देना नहीं है। अमेरिका में लॉबिंग कानूनी है और इसका भारत सरकार से कोई संबंध नहीं है।

लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ कांग्रेस राहुल गांधी की बड़ी भूमिका का मंच तैयार करने में जुट गई है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने आज घोषणा की कि राहुल गांधी वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों में संप्रग के प्रचार अभियान की अगुआई करेंगे। पार्टी प्रवक्ता पीसी चाको ने कहा, 'पार्टी राहुल गांधी को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर एकमत है। लेकिन वह बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं थे। अब वह इस पर सहमत हो गए हैं। वह 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव अभियान का नेतृत्त्व करेंगे।' प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस चुनाव के पहले और चुनाव के बाद होने वाले गठजोड़ की संभावनाओं पर काम कर रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या चुनावों में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाएगा, कहा कि चुनावों के बाद यह मुद्दा आएगा और पार्टी सांसद इस बारे में तय करेंगे। मनमोहन सिंह के भविष्य के बारे में चाको ने कहा कि इसका कोई संबंध नहीं है। वह प्रधानमंत्री हैं। यह सरकार 2014 तक चलेगी। वह 2014 तक प्रधानमंत्री हैं।

कांग्रेस यदि राहुल की इस बड़ी जिम्मेदारी के साथ अगले चुनाव में उतरेगी तो मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका क्या होगी? इस सवाल पर चाको ने कहा, 'दोनों अलग-अलग चीजें हैं। मनमोहन सिंह अभी प्रधानमंत्री हैं। यह सरकार 2014 तक चलेगी, वे तब तक प्रधानमंत्री रहेंगे।' नई जिम्मेदारियों के साथ राहुल के आगे आने के बाद सोनिया की भूमिका पर चाको ने कहा, 'वह अभी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह संरक्षक और पार्टी की सुप्रीम लीडर होंगी।'कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने अगले लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीति का खाका तैयार कर लिया है। बदली रणनीति के तहत पार्टी अगला चुनाव कांग्रेस के बजाय संप्रग के बैनर तले लड़ने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल कांग्रेस के नहीं बल्कि संप्रग के मुख्य प्रचारक होंगे। जहां तक चुनाव बाद प्रधानमंत्री बनने का सवाल है तो वह गठबंधन के बड़े दल का ही होगा।चुनावी तैयारियों के सिलसिले में ही आगामी 18 व 19 जनवरी को जयपुर में होने वाले चिंतन शिविर में विचार-विमर्श के बाद राहुल की बड़ी भूमिका का एलान हो सकता है। चुनाव पूर्व के गठबंधन सहयोगियों पर नए सिरे से काम हो रहा है। पिछले महीने सूरज कुंड में 'संवाद' के बाद पार्टी राहुल की अगुआई में एक समिति बना चुकी है। इसी समिति की एक उप समिति को चुनाव पूर्व गठजोड़ का जिम्मा सौंपा गया है। चुनाव बाद के भी गठबंधन सहयोगियों पर भी पार्टी की नजर है।

सपा-बसपा के बीच की प्रतिद्वंदिता में सरकार भी फंसती नजर आयी

अब सबसे दिलचस्प खबर है कि सरकारी नौकरियों में तरक्की के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण संबंधी विधेयक के मुद्दे पर केंद्र की संप्रग सरकार और समाजवादी पार्टी के बीच टकराव पैदा हो गया । सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा ने कहा कि यदि एससी-एसटी को तरक्की में आरक्षण संबंधी विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया तो वह चालू सत्र की बची हुई अवधि में सदन की कार्यवाही ठप कर देगी ।विधेयक के मुद्दे पर सपा-बसपा के बीच की प्रतिद्वंदिता में सरकार भी फंसती नजर आयी । बसपा ने सरकार पर इस बाबत दबाव बना दिया है कि वह इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित करे । गौरतलब है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर बसपा ने दोनों सदनों में सरकार को समर्थन दिया था ।

मायावती ने कहा कि यदि संशोधन विधेयक पारित नहीं किया गया तो वह कड़ा रुख अख्तियार करेगी । संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को संपन्न होने वाला है ।

समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने नौकरियों की पदोन्नति में आरक्षण को वैमनस्यता फैलाने की खतरनाक चाल करार देते हुए कहा कि इससे सम्बन्धित विधेयक सामाजिक न्याय की अवधारणा के भी खिलाफ है।यादव ने यहां पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण बहुत खतरनाक है। इससे समाज में वैमनस्यता और विषमता बढ़ेगी। इस व्यवस्था से वरिष्ठ अधिकारी कनिष्ठ हो जाएगा और कनिष्ठ उसे पछाड़कर उसका वरिष्ठ हो जाएगा। यह समाज को तोड़ने वाली चाल है।उन्होंने कहा कि इसलिये सपा इस सिलसिले में लाये गये संविधान संशोधन विधेयक का विरोध कर रही है। यह विधेयक सामाजिक न्याय की अवधारणा के भी खिलाफ है। यादव ने मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिलाने की लड़ाई जारी रखने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि सच्चर समिति और रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि देश में मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर है।उन्होंने कहा कि सपा ने मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग संसद में उठायी थी। एक दिन सरकार को मजबूर होकर मुस्लिमों को आरक्षण देना ही पड़ेगा। ऐसा नहीं होने तक सपा की लड़ाई जारी रहेगी।

खास बात तो यह है कि  मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने संकेत दिए कि वह कुछ संशोधनों के साथ विधेयक का समर्थन करेगी । पार्टी ने कहा कि यदि संवैधानिक दायरे में रहते हुए सामाजिक न्याय की दिशा में कदम उठाए जाएं तो वह उसका समर्थन करती है ।जाहिर है कि भाजपा मायावती को पटाने की हरसंबव कोशिश करके समीकरण बदलने की कोशिश कर रही है।जबकि सपा और बसपा की खींचतान के बीच सरकार ने कहा कि वह गतिरोध खत्म करने के लिए विचार-विमर्श कर रही है । सपा नेता राम गोपाल यादव ने संवाददाताओं से कहा कि यदि विधेयक को पारित कर दिया गया तो हम सदन को बाधित कर देंगे और इसकी कार्यवाही नहीं चलने देंगे । हम विधेयक का विरोध जारी रखेंगे और हम निलबंन के लिए भी तैयार हैं ।

यह सवाल किए जाने पर कि यदि हंगामे के बीच ही सरकार विधेयक पारित कर दे तो पार्टी का क्या रुख होगा, इस पर उन्होंने कहा कि यदि वे विधेयक पारित करने पर अड़े हुए हैं तो हम सदन की कार्यवाही बाधित करेंगे । राज्यसभा में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी की ओर से विधेयक पेश किए जाने पर सपा नेता ने कहा कि पूरे सदन में खलबली मची हुई थी । इसे पेश किया जाना नियमों के खिलाफ है । यह असंवैधानिक है । इससे समुदायों के बीच नफरत और समाज में दरार पैदा होगी । बसपा ने धमकी दी कि यदि राज्यसभा में विधेयक पारित नहीं कराया गया तो वह कड़ा रुख अख्तियार करेगी ।

बसपा ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर राज्यसभा की कार्यवाही बाधित कर रही है । पार्टी ने सपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह विधेयक में अड़ंगा लगाने के लिए भाजपा के इशारे पर काम कर रही है ।

मायावती ने संवाददाताओं से कहा कि हम दो-तीन और देखेंगे । हम इस मुद्दे पर सरकार के रुख पर नजर रखेंगे । वे क्या करते हैं और राज्यसभा के सभापति क्या कहते हैं । फिर हम फैसला करेंगे और एक कड़ा रुख अख्तियार करेंगे । हमारे लिए एससी एसटी के लिए तरक्की में आरक्षण विधेयक काफी गंभीर मुद्दा है । एससी एसटी के लिए तरक्की में आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक पेश किए जाने के बाद सदन में हंगामा खड़ा हो गया और इसे दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा ।

सरकार से सदन में आदेश पेश करने की अपील करते हुए मायावती ने कहा कि मैं संप्रग सरकार से कहना चाहती हूं कि सदन चलाना उनकी जिम्मेदारी है । अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सदन को उचित तरीके से चलाए और विधेयक पर चर्चा कराकर इसे पारित कराए । कांग्रेस प्रवक्ता पी सी चाको ने कहा कि यह विधेयक कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता है और आखिरकार यह संसद की सामूहिक बुद्धिमता है जिससे इस मुद्दे पर फैसला किया जाएगा ।

राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने भी अपने कक्ष में विभिन्न राजनीतिक दलों की एक बैठक की जिसमें नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र, सपा नेता राम गोपाल यादव, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ के अलावा नारायणसामी ने शिरकत की ।

संसद के शीतकालीन सत्र के महज छह कामकाजी दिवस ही बचे हैं। इस बीच नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने के लिहाज से बेहद अहम बैंकिंग नियमन संशोधन विधेयक सोमवार को पेश किए जाने की उम्मीद है। इस विधेयक पर संसद की मुहर के बाद भारतीय रिजर्व बैंक को बैंकों के नियमन के लिए और अधिकार मिल जाएंगे। इस विधेयक में निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए 10 फीसदी मतदान अधिकार की सीमा को खत्म कर दिया जाएगा और सरकारी बैंकों में इसे 1 फीसदी के बजाय 10 फीसदी किया जाएगा।इसके अलावा नकद आरक्षित अनुपात की जरूरत को पूरा न कर पाने वाले बैंकों पर भी दंड लगाने का अधिकार होगा। कंपनी अधिनियम में भी चालू सत्र में ही मुहर लगने की उम्मीद है क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेता संकेत कर चुके हैं कि वे इस नए विधेयक को मंजूरी दिलाने में मदद करेंगे। इनके अलावा वायदा बाजार नियमन अधिनियम (संशोधन) विधेयक भी उन विधेयकों की सूची में शामिल है जिन्हें सरकार इसी सत्र में पारित कराना चाहती है। दूसरे गैर-आर्थिक विधेयकों में लोकपाल और शिक्षा से जुड़े कई अन्य विधेयक शामिल हैं, जो लंबे अरसे से लंबित पड़े हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि संसद में खुदरा एफडीआई पर मिली जीत से उत्साहित सरकार इस माहौल को भुनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए रेल किराये में बढ़ोतरी से लेकर बजट में कुछ कड़े कदम तक शामिल हो सकते हैं। रक्षा मंत्री ए के एंटनी पहले ही आशंका जता चुके हैं कि रक्षा बजट में शायद ज्यादा बढ़ोतरी न हो। अधिकारी ने बताया कि सरकार सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को गति देगी और जल्द ही राष्टï्रीय निवेश बोर्ड का गठन होगा।


एनएमडीसी में 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद छुट्टिïयों के चलते दूसरे विनिवेश पर कुछ विराम लग सकता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जनवरी के आरंभ तक विदेशी संस्थागत निवेशक उपलब्ध नहीं रहेंगे, इसलिए बाकी मसले 2013 के पहले सप्ताह के बाद ही निपटेंगे।' एनएमडीसी के बाद ऑयल इंडिया और फिर एनटीपीसी की बारी आ सकती है। अन्य जिन कंपनियों में सरकार विनिवेश कर सकती है, उनमें एमएमटीसी और नालको प्रमुख हैं। इस प्रकार महज 4 महीने के भीतर बारी-बारी से 5 कंपनियों के निर्गम जारी किए जा सकते हैं।बहु-ब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में संसद में जीत से जोश में आई सरकार अब अपने आर्थिक सुधारों के एजेंडे को और तेजी देने की तैयारी कर रही है। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र के बचे हुए छह दिनों में आर्थिक सुधारों से जुड़े तीन अहम विधेयकों को आगे बढ़ाकर इस राह को कुछ आसान बनाना चाहती है।

ग्लोबल कैपिटल के प्रमुख (पीएमएस) के के मित्तल ने कहा, 'अगले 4 महीनों के दौरान सरकार और निजी कंपनियां सार्वजनिक निर्गम के जरिये काफी रकम जुटाएंगी। इसलिए निर्गम काफी तादाद में जारी होंगे लेकिन बाजार उनमें रुचि तभी दिखाएगा जब आकर्षक छूट की पेशकश की जाए।' ऑयल इंडिया और एनटीपीसी के निर्गम शायद जनवरी में आ सकते हैं।

ऑयल इंडिया के निर्गम के लिए बुनियादी बातें पहले ही पूरी हो चुकी हैं। इसके लिए मर्चेंट बैंकर भी नियुक्त हो गए हैं। इसके जरिये करीब 2,500 करोड़ रुपये जुटाए जाने की उम्मीद है। एनटीपीसी में 9.5 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश से 12,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। सरकार ने विनिवेश के जरिये 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। बाजार की स्थिति में सुधार आया तो सरकार लक्ष्य से अधिक रकम भी जुटा सकती है। इन पांच कंपनियों में विनिवेश के अलावा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बीएचईएल, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड और सेल में भी विनिवेश को मंजूरी दे रखी है।

लगभग एक पखवाड़े पहले सरकार ने हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) में 5.58 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश कर 800 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसके तहत 155 रुपये प्रति शेयर की पेशकश की गई थी। एचसीएल में इसी साल 5 फीसदी हिस्सेदारी का और विनिवेश होना है। इसके अलावा एनबीसीसी में 10 फीसदी हिस्सा बेचकर सरकार ने 125 करोड़ रुपये जुटाए थे। पिछले दो साल से सरकार अपना सालाना विनिवेश लक्ष्य 40 हजार करोड़ रु. जुटाने में असमर्थ रही है।

सरकार ने आज बताया है कि पिछले करीब चार सालों में देश में 9518.40 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ है।

लोकसभा में पी विश्वनाथन के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने कहा कि वित्त वर्ष 2009-10 में देश में 2,583.40 करोड़ डॉलर का एफडीआई, 2010-11 में 2,238.30 करोड़ डॉलर, 2011-12 में 3,512.10 करोड़ डॉलर और 2012-13 में सितंबर तक 1,284.60 करोड़ डॉलर का एफडीआई आया।

मंत्री ने कहा कि 2009-10 में कुल विदेशी निवेश 1 लाख 34 हजार 369 करोड़ रुपये हुआ जबकि 2010-11 में एक लाख 46 हजार 84 करोड़ रुपये, 2011-12 में 90 हजार 397 करोड़ रुपये और 2012 में नवंबर तक 68 हजार 932 करोड़ रुपये का कुल विदेशी निवेश हुआ।

वालमार्ट के लॉबिंग खर्च की जांच कराए सरकार: कैट

दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा क्षेत्र की कंपनी वालमार्ट द्वारा भारत में प्रवेश के लिए लॉबिंग पर 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की रपट को गंभीर मुद्दा बताते हुए भारतीय खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्र सरकार से इस मामले जांच लोकलेखा समिति (पीएसी) से जांच कराने की मांग की। उल्लेखनीय है कि वालमार्ट द्वारा अमेरिकी संसद को लाबिंग खर्च के बारे में दिए गए ब्यौरे में यह बात सामने आयी है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, '' लॉबिंग पर खर्च की गई राशि का मुद्दा देश की साख और संप्रभुता से जुड़ा हुआ है। इसलिए हम सरकार से समयबद्ध सीमा में उच्चस्तरीय एंव निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं। यह जांच संसद की लोकलेखा समिति से करायी जानी चाहिए।'' उन्होंने वालमार्ट द्वारा प्रस्तुत विवरण की प्रतियां भी जारी कीं और कहा, '' पिछले वर्ष भी वालमार्ट द्वारा भारत में लॉबिंग पर करीब 60 करोड़ रुपये खर्च किये जाने का मामला सामने आया था और कन्फैडरेशन ने सरकार से इसकी जांच की मांग की थी, लेकिर सरकार ने उसपर ध्यान नहीं दिया।'' उल्लेखनीय है कि सरकार ने विदेशी कंपनियों को भारत के बहु ब्रांड खुदरा बाजार में अपनी 51 प्रतिशत के साथ संयुक्त कारोबार शुरू करने की अनुमति दे दी है। इसके विरोध में विपक्ष द्वारा संसद में पेश प्रस्ताव पिछले दिनों बहुमत से खारिज कर दिया गया।

इसके अलावा प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, '' खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने से के जो नीतिगत दस्तावेज संसद के पटल पर पिछले साल नवंबर में रखे गए थे और सरकार की अधिसूचना में कई बदलाव हुए हैं। इनमें कोल्ड स्टोरेज और आधुनिक परिवहन व्यवस्था को स्पष्ट रूप से शामिल न करना, देश में लघु उद्योगों से 30 प्रतिशत उत्पाद खरीदने की अनिवार्यता में ढील और जिन राज्यों में 10 लाख की आबादी वाले शहर नहीं हैं उन राज्यों में अपनी मर्जी के मुताबिक शहरों में खुदरा स्टोर खोलने की अनुमति शामिल हैं। इनकी भी जांच की जानी चाहिए।'' कैन्फेडरेशन के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में खंडेलवाल ने कहा, ''खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को लेकर सरकार द्वारा अपनाये गए रूख को लेकर एफडीआई विरोधी मोर्चे ने 12 दिसंबर को देशभर में संकल्प दिवस मनाने का आह्वान किया है। ''

वॉलमार्ट के लिए लांबिग मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा

राज्यसभा में सोमवार को वालमार्ट द्वारा लॉबिंग (खुद के पक्ष में माहौल बनाने) में धन खर्च किए जाने संबंधी खबरों पर विपक्ष और सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति कर्मियों की पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सपा के हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के बाद बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

शून्यकाल में भाजपा, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, जदयू, अगप, शिवसेना तथा सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा के सदस्यों ने वालमार्ट द्वारा लाबिंग के लिए धन खर्च करने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से सफाई देने और एफडीआई संबंधी निर्णय पर रोक लगाने की मांग की। भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि आज कई समाचार पत्रों में खबर आयी है कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) के लिए लाबिंग के मकसद से 125 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

उन्होंने कहा कि वालमार्ट ने अमेरिकी सीनेट की एक समिति में यह स्वीकार किया है कि उसने भारत में खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मकसद से लाबिंग के मकसद से वर्ष 2012 में तीस लाख अमेरिकी डालर खर्च किए हैं। प्रसाद द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के फौरन बाद भाजपा और वाम दल सहित कई विपक्षी सदस्य इस मामले में प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग करने लगे।

माकपा के पी. राजीव ने कहा कि सरकार को इस मामले में स्वतंत्र जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी भी खबरें आयी हैं कि फेमा कानून में संशोधन से पहले ही वालमार्ट ने भारत में निवेश कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में भी जवाब देना चाहिए।

भाकपा के डी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी के सांसद एमपी अच्युतन ने इसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने सदन को आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे को संबद्ध मंत्री के संज्ञान में लाएंगे। लेकिन उनके इस आश्वासन का कोई असर नहीं हुआ और विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा।

हंगामा थमते नहीं देख कुरियन ने बैठक दोपहर 12 बजकर करीब 25 मिनट पर 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बैठक फिर शुरू होने पर विपक्षी सदस्य ने प्रधानमंत्री से जवाब मांगते हुए दोबारा हंगामा शुरू कर दिया। इसी बीच सपा के सदस्य सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण के विरोध में नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए। हंगामा थमते नहीं देख कुरियन ने बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दोपहर दो बजे राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। सपा के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए। भाजपा और वाम दल के सदस्य वालमार्ट मुद्दे को अपने स्थानों पर खड़े होकर उठा रहे थे। हंगामे के बीच ही कुरियन ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी से संविधान (117वां संशोधन) विधेयक 2012 चर्चा के लिए रखने को कहा। नारायणसामी ने कहा कि यह विधेयक संसद के मानसून सत्र में उच्च सदन में पेश किया गया था। हंगामे के कारण नारायणसामी की बात आगे सुनी नहीं जा सकी।

कुरियन ने नारेबाजी कर रहे सपा के सदस्यों को अपने स्थानों पर लौटने की अपील की। लेकिन नारेबाजी जारी रही। इस पर उपसभापति ने बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

ज्यादा परेशानी की बात नहीं है वर्तमान महंगाई : गोकर्ण

रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर सुबीर गोकर्ण ने कहा है कि महंगाई अब उतनी चिंता की बात नहीं रह गई है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले पांच सालों के दौरान मजदूरी में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है जिसके चलते वहां पर महंगाई बड़ी चिंता का विषय नहीं है। मार्च 2010 के बाद से महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक अब तक 13 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है।



गोकर्ण का कहना है कि पहले महंगाई जिस तरह से लोगों को परेशान करती थी वैसे अब नहीं कर रही है। इसका कारण यह है कि पिछले पांच सालों के दौरान देश के ग्रामीण इलाकों में मजदूरी 20 फीसदी वार्षिक की दर से बढ़ी है।



उन्होंने कहा कि यह समझने की बात कि इस समय महंगाई लोगों को उस तरह से परेशान नहीं कर रही है जिस तरह से पिछले 50-60 सालों के दौरान कई बार कर चुकी है। यही कारण है कि लोग इसके खिलाफ व्यक्तिगत रूप से नहीं बोल रहे हैं। जिस हिसाब से लिविंग कोस्ट में बढ़ोतरी हुई है उससे ज्यादा बढ़ोतरी मजदूरी की दरों में हुई है।



आरबीआई में मोनेटरी पॉलिसी के मुखिया गोकर्ण ने कहा कि वास्तव में लोग यह सोच रहे हैं कि वे पहले से कहीं ज्यादा अच्छी स्थिति में हैं। दो बार के विश्लेषण के बाद आरबीआई ने कहा था कि साल के अंत तक महंगाई की दर 7.5 फीसदी के आसपास रहेगी। वहीं अक्टूबर माह में महंगाई की दर 7.45 फीसदी दर्ज की गई है।


उन्होंने कहा कि यह बात महत्वपूर्ण है कि मनरेगा लागू होने से देश के ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इसे शुरू करने का उद्देश्य आर्थिक ना होकर सामाजिक कल्याण है।अगर इस तरह की वृद्धि से समाज कल्याण होता है तो यह बहुत अच्छी बात है लेकिन इसका सामंजस्य उत्पादकता के साथ भी होना चाहिए। इस योजना के साथ अच्छी बात यह है कि इससे उत्पादकता बढ़ रही है जिससे महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। और इससे महंगाई के प्रभाव को कम करने में मदद मिली है।



महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक अब तक 13 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है

अच्छा संकेत - यह समझने की बात कि इस समय महंगाई लोगों को उस तरह से परेशान नहीं कर रही है जिस तरह से पिछले 50-60 सालों के दौरान कई बार कर चुकी है। जिस हिसाब से लिविंग कोस्ट में बढ़ोतरी हुई है उससे ज्यादा बढ़ोतरी मजदूरी की दरों में हुई है।

`आय का सही ब्योरा न देने पर होगी कड़ी कार्रवाई`


कर वसूली में धीमी वृद्धि को देखते हुए सरकार ने वास्तविक आय छुपाने वालों को आज आगाह किया वे सही आय का ब्यौरा देते हुये 15 दिसंबर तक अग्रिम कर का भुगतान करें अन्यथा कारवाई के लिये तैयार रहें।

राजस्व सचिव सुमित बोस ने यहां संवाददाताओं से कहा ''सरकार सभी कर निर्धारकों से आग्रह करती है कि वह अपनी आय के बारे में सही सही ब्यौरा दें। आय को दबाने अथवा छिपाने से कोई फायदा नहीं होगा।'' बोस ने इस बात पर खेद जताया कि करदाता अग्रिम कर भरते समय आय को काफी कम करके आंकते हैं। उन्होंने कहा ''विभाग के पास उपलब्ध सूचना देर सबेर आयकर विभाग को ऐसे लोगों के दरवाजे तक पहुंचा ही देगी।'' बोस ने बताया कि वर्ष 2012.13 के दौरान पेशेवरों और कंपनियों सहित केवल 14.62 लाख करदाताओं ने ही अपनी आय 10 लाख रुपये से अधिक दिखाई है।

उन्होंने कहा ''कोई भी सुलझे दिमाग का व्यक्ति इससे सहमत हो सकता है कि बड़े पैमाने पर आय को कम करके दिखाया जा रहा है।'' चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से अक्तूबर के सात महीनों के दौरान प्रत्यक्ष कर वसूली 3.02 लाख करोड़ रुपये रही है। एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले इसमें 6.59 प्रतिशत वृद्धि रही है। हालांकि, वर्ष के लिये 15 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष कर के जरिये 5.70 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें आयकर, कंपनी कर और संपत्ति कर शामिल होता है।

बोस ने कहा कि आयकर विभाग के पास सूचना है कि 33.83 लाख लोगों के पास बैंक खातों में 10 लाख रुपये से अधिक की नकद जमा राशि पड़ी है। इसके अलावा 16 लाख लोगों ने क्रेडिट कार्ड के एवज में दो लाख और इससे अधिक का भुगतान किया है। करीब 12 लाख लोगों ने 30 लाख रुपये अथवा इससे अधिक की आवास संपत्ति खरीदने अथवा बेचने का फैसला किया।

कंपनियों के लिये अग्रिम कर की तीसरी किस्त भरने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर है जबकि बाकी सभी निर्धारकों के लिये यह अग्रिम कर की दूसरी किस्त होगी।

बोस ने कहा ''जिन करदाताओं ने अभी तक सही अग्रिम कर का भुगतान नहीं किया है, उनके लिये गलती ठीक करने का एक मौका है, वह 15 दिसंबर तक अग्रिम कर का भुगतान कर सकते हैं।'' वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कराधान और कर प्रशासन के बारे में एक वक्तव्य दिया था। उन्होंने कर कानूनों में स्पष्टता, स्थिर कर दरें और करदाताओं के प्रति अनुकूल रवैया अपनाने वाला कर प्रशासन तथा विवादों के निपटारे के लिये उचित प्रणाली पर जोर दिया। उन्होंने इसके साथ ही निवेशकों को आश्वस्त करने वाली स्वतंत्र न्यायपालिका की जरुरत भी बताई।

वित्त मंत्री ने अपने वक्तव्य में करदाताओं से तय समय पर अग्रिम कर का भुगतान करने की हिदायत देते हुये कहा था ''कर भुगतान करना स5यता की निशानी है, यदि मैं अधिक कर देता हूं तो मुझ अधिक प्रसन्नता और ज्यादा गर्व होना चाहिये कि मैं अधिक कमाई कमाता हूं इसलिये ज्यादा कर भुगतान करता हूं।''

आर्थिक सुधार से जाएगा निफ्टी 6200 के पार
स्रोत : CNBC-Awaaz

सरकार के आर्थिक सुधारों के फैसलों को संसद की मंजूरी मिलने के बाद देश की तरक्की की रफ्तार तेज हो सकती है। इसके बाद बाजार में भी उछाल नजर आ रहा है। बाजार के जानकारों का मानना है कि अब नए निवेश करने के लिए इंतजार खत्म हो चुका है और निवेशकों को चुनिंदा शेयरों में खरीदारी करनी चाहिए।

प्रभुदास लीलाधर के ज्वाइंट एमडी दिलीप भट्ट का कहना है कि बाजार में अभी भी और तेजी आने की उम्मीद बची हुई है। निवेशकों को चुनिंदा शेयरों में खरीदारी की रणनीति अपनानी चाहिए। बाजार ऊपरी स्तरों पर कारोबार कर रहे हैं और अगर हल्की गिरावट आती है तो निवेशकों के पास नई खरीदारी करने के शानदार मौके होंगे।

दिलीप भट्ट के मुताबिक जनवरी 2013 तक निफ्टी 6100-6200 तक पहुंच सकता है लिहाजा इस समय नई खरीदारी करनी ठीक रहेगा। जनवरी तक तेजी का रुख जारी रहेगा।

मिडकैप शेयरों में महिंद्रा हॉलिडेज में निवेश कर सकते हैं। इस कंपनी का प्रबंधन अच्छा है और कंपनी की आर्थिक हालत अच्छी है। कंपनी के लिए प्रतियोगिता भी कम है। अगले 2-3 सालों में कंपनी 500-600 नए कमरे जोड़ने की योजना बनी रही है। अगले 2 साल में कंपनी का मुनाफा 100 करोड़ रुपये से बढ़कर 200 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। अगले 12-15 महीनों में महिंद्रा हॉलिडेज अच्छा मुनाफा दे सकता है।

दिलीप भट्ट के मुताबिक आरबीआई के दरें घटाने के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर और पीएसयू बैंकों में बढ़िया तेजी देखने को मिल सकती है। निवेशक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में खरीदारी कर सकते हैं। बैंक के एनपीए कम हुए हैं और दूसरी तिमाही में एसेट क्वलिटी में भी सुधार हुआ है।

इस समय कैपिटल गुड्स के बजाए कंस्ट्रक्शन सेक्टर में नए निवेश करने के लिए देखना चाहिए। निवेशक आईवीआरसीएल और नागार्जुना कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनसीसी) में पैसा लगा सकते हैं। ये शेयर अपने उच्च स्तर से 10-15 फीसदी गिर चुके हैं और अब इनके वैल्यूएशन आकर्षक हो चुके हैं। इन शेयरों में बढ़त आने की पूरी उम्मीद बन रही है।

डाल्टन कैपिटल एडवाइजर्स के एमडी यूआर भट्ट का कहना है कि अगर सुधारों की गाड़ी चलती रही तो निफ्टी में 6000 का स्तर आसानी से देख सकते हैं।

आने वाली तिमाही में घरेलू बाजारों में स्थिरता आ सकती है। हालांकि बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी ज्यादा नहीं बढ़ रही है लेकिन मौजूदा आईपीओ के अच्छे रिटर्न से रिटेल निवेशकों का बाजार में रुझान बढ़ सकता है। निवेशकों को बाजार में संभलकर निवेश करना चाहिए। मीडिया और एविएशन में निवेश करना जोखिम भरा साबित हो सकता है।

आईआईएफएल के इंवेस्टमेंट हेड दीपेश पांडे का कहना है कि बाजार छोटी अवधि में शानदार रिटर्न दे सकते हैं। आर्थिक सुधारों के चलते बाजारों को भी अच्छी दिशा मिलेगी। घरेलू बाजार में विदेशी निवेशकों की आमद अन्य देशों के मुकाबले बढ़ रही है। अगर सरकार सुधारों की राह पर आगे बढ़ती रही तो एफआईआई निवेश में भी बढ़ोतरी होगी। अब घरेलू बाजारों में गिरावट का खतरा कम हो गया है।

दीपेश पांडे के मुताबिक बाजार में मौजूदा रैली बैंक और मीडिया कंपनियों के सहारे आगे बढ़ेगी। इंफ्रा और कैपिटल गुड्स शेयरों में अभी तेजी आने के बारे में निश्चित तौर पर कहा नहीं जा सकता है। अगर आरबीआई दरों में 0.5 फीसदी की कटौती करता है तो ये बाजार के लिए ज्यादा उत्साहजनक नहीं होगा। बाजार पर सकारात्मक असर के लिए दरों में ज्यादा कटौती होनी चाहिए। दरें घटने के बाद पीएसयू बैंकों के शेयर अगले साल अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

कंज्यूमर सेक्टर और आईटी सेक्टर में आगे शानदार प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। सीमेंट शेयरों के वैल्यूएशन ज्यादा बढ़ चुके थे तो अब इनमें गिरावट आ रही है। हाल में आए आईपीओ की प्राइसिंग अच्छी है और इनमें निवेशक रुचि दिखा सकते हैं।

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