आज वीरेनदा की जन्मतिथि है। वक्त कितनी तेजी से बदला है। अभी तो साथ काम कर रहे थे। बातें हो रही थीं। इतना वक्त निकल गया। सबकुछ याद भी नहीं है।
उनकी स्मृति को नमन। वे नहीं होते तो कोलकाता कभी नहीं जाते। कहते थे,जब चाहोगे लौट आओगे।जाना जरूरी है।
कहते थे कि कोलकाता बड़ा बसंतीपुर है। ठीक से देख लो वरना नोबेल पुरस्कार मिस हो जाएगा।
यह नोबेल पाने का उनका नुस्खा था।
हमें कोई पुरस्कार कभी नहीं चाहिए था। लेकिन उनकी तरह छोटीनसे छोटी चीज देखने की भरसक कोशिश की है। लेकिन उनकी तरह लिख नहीं सका।लिख भी नहीं सकते।अपनी तरह लिख पाया।
वीरेनदा के साथ तस्वीरें भी थीं ।सहेज कर नहीं रख सके।
वीरेनदा के रहते हुए कोलकाता नहीं छोड़ सका।उन्हें अब कभी पता नहीं होगा कि फिर में वह हूं, जहां से चला था। बसंतीपुर।
हमारी नई टीम के बारे में भी उन्हें न बता सका और न प्रेरणा अंशु में उनकी ताज़ा कविता लगा सका।
आज तुमसे फिर बात करने की जरूरत है वीरेनदा!
काश! तुम जवाब दे पाते। उसी तरह खुलकर हंसते।
प्रेरणा अंशु परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।
No comments:
Post a Comment