Wednesday, August 11, 2021

विभाजन की त्रासदी में कभी ननिहाल न देखने वालों की पीढ़ी के हमलोगों के ननिहाल ऐसे बने।पलाश विश्वास

 अभी अभी खबर मिली है कि रुद्रपुर ट्रांजिट कैम्प निवासी इलाके के पुराने नामी फुटबॉल खिलाड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता और जनता इंटर कालेज,रुद्रपुर के अध्यापक  हरेन जी, हरेंद्र नाथ सरकार का निधन दिल का दौरा पड़ने से हो गया। 



उनसे हमारे परिवारिक सम्बन्ध रहे है।बचपन की अनेक यादें,खासकर फुटबॉल मैच जो बंगाली कालोनियों में खूब खेले जाए थे और अब नहीं खेली जाते,से जुड़ी अनेक यादें उनसे जुड़ी हुई हैं। 


कोलकाता से आने के बाद उनसे दुबारा मुलाकात नहीं हो सकी।


वे 78 साल के थे।

विनम्र श्रद्धांजलि। संस्कृति और खेलकूद से जुड़े अपने एक आत्मीय को। हमारे पास उनकी कोई तस्वीर नहीं है।

जिनके पास हो,वे कॉमेंट बॉक्स में लगा दें।


उनके भांजे  हरेकृष्ण मण्डल जी ने इस पोस्ट पर उनकी फोटो भेजते हुए लिखा है-

हरेंद्र नाथ सरकार हमारे मामा जी थे. आप जनता इंटर कॉलेज रुद्रपुर में अध्यापक रहे. नारायण दत्त तिवारी, इंदिरा हृदयेश दीदी जी के काफी सन्निकट रहे.

 अपने समय में कुमाऊं मंडल के फुटबॉल खेल के अध्यक्ष रहे. आप बहराइच के मूल निवासी थे. ट्रांजिट कैंप रूद्रपुर में आपका आवास है,आपका एक पुत्र रवि एवं पुत्री नीरू है.

आप गरीब मजलूम असहाय को मदद करने में तत्पर रहते थे.

तिलकराज बेहड़ आपके शिष्य रहे हैं. आपकी मृत्यु समाज की अपूरणीय क्षति है. ॐशांतिॐ.


धन्यवाद मण्डल जी।


हमारे पड़ोसी गांव चित्तरंजन पुर में फरीदपुर गोपाल गंज के ऑडाकांदी से विस्थापित एक बुजर्ग दम्पत्ति थे। मेरी ताई हेमलता को अपनी बेटी मानते थे। ताई जी और मेरी मां बसन्ती देवी का मायका पीछे छूट गया था। ताई जी का ओदाकांदी में तो मां का बरिपडा, बालेश्वर ओडिशा में। लेकिन दिनेशपुर और शक्तिफार्म इलाकों में हमारे दर्जनों ननिहाल हो गए।


चित्तरंजन पुर भी उनमें से एक ननिहाल था। उस नाना नानी के इकलौते बेटे का नाम था बाबूराम। जिनका घर में रात दिन आना जाना था।


उन्ही बाबूराम मामा की बहन से शादी हुई थी जनता इंटर कालेज के मास्साब हरेंद्र नाथ सरकार ने।


बुजुर्ग दम्पत्ति के निधन के बाद बाबूराम मामा ने जमीन बेच दी और में तब नैनिताल से सीधे देशाटन पर निकल गया था। 

1964 के दंगों के बाद गोपालगंज ओदाकांदी से रिश्ते में पीआर ठाकुट की बहन और ताईजी की मां प्रभावती देवी बसंतीपुर आ गयी तो ननिहालों से  रिश्तेदारी का सिलसिला टूट गया।

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