Wednesday, August 4, 2021

हक हकूक की जानकारी सबसे जरूरी।पलाश विश्वास

 नगालैंड,मिजोरम,अरुणाचल मेघालय और हिमाचल के बाद प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध तीन और छोटे राज्य बने उत्तराखण्ड,झारखण्ड और छत्तीसगढ़।एक साथ।जनाकांक्षा,आंदोलन,जल जंगल और पर्यवर्क कि लड़ाई और अस्मिता के सवाल पर ये राज्य बने। जो अब भृष्टाचार,रिश्वत कमीशनखोरी और लोटखसोत के सबसे बड़े केंद्र बन गए है।जहां सरकार किसी की भी बने,जनल जल जंगल जमीन,जलवायु और पर्यावरण न्याय,समता और सामाजिक न्याय,कानून के राज और मानवाधिकार से वंचित है। यहां सत्ता भूमि माफिया,कारपोरेट दलालों और जनविरोधी तत्वों की बनती है जो भावनाओं की हिंसा और घृणा की राजनीति पर टिकी है।


 जहां ज्वलन्त मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होती और तंत्र के स्तम्भ बन गए हैं आंदोलनकारी जो अब आंदोल


न को कैश करने में लगे हैं।निरन्तर जड़ों में सामाजिक, सांस्कृतिक सक्रियता से ही इन तीनों राज्यों और बाकी देश में वैकल्पिक जन राजनीति ,अर्थव्यवस्था,पर्यावरण और जलवायु का निर्माण हो सकता है।


इसके लिए जनता को हक़ हकूक की जानकारी और कानून की समझ होनी चाहिए। इसके लिए युवा वकीलों की जनप्रतिबद्ध भूमिका समय की मांग है।


जलवायु न्याय पर इस सम्वाद के आयोजन और हमें भी शामिल करने के लिए इन्ही युवा अधिवक्ताओं का आभार।सम्वाद से ही नया रास्ता बनेगा। हम पीड़ितों के सवाल लेकर आपके दरवाजा जरूर खटखटाएंगे।आपको अपना पक्ष तय करना होगा।


आंदोलन प्रोजेक्ट तक सीमित न रहे।

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