लाल किले से राष्ट्र को सम्बोधन से आदिम युग की गंध क्यों आ रही है?
पलाश विश्वास
पहले और दूसरे खाड़ी युद्ध के बाद दुनिया सिरे से बदल गयी। भारतीय राजनय की असफलता और निष्क्रियता का सिलसिला शुरू हुआ और अब अफगानिस्तान से जब सारे समीकरण बदल रहे हैं,भारतीय राजनय फिर फेल है।
मुक्त बाजार और अंधी राजनीति ने राजनय को फेल करके भारत की स्वतंत्रता और सम्प्रभुता गहरे खतरे में डाल दिया। दुनिया फिर बदल रही है। हम आदिम युग में वापस लौट रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस पर टाइम मशीन का यह सफर मुबारक हो।
जनता को बेरोजगार करके,बाज़ारबमें मरने छोड़कर,चिकित्सा,शिक्षा समेत सारी बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं से वंचित कर, जल जंगल जमीन समता न्याय स्वयंत्रता,सम्प्रभुता और मानवाधिकार से बेदखल कर भीख पर जीने को मजबूर किया जा रहा है।
कमाई है नहीं,कमरतोड़ महंगाई,भीख पर कितने दिन जिएंगे?
लाल किले से राष्ट्र को सम्बोधन से आदिम सभ्यता की गंध क्यों आ रही है?
Thank you for sharing valuable information.
ReplyDeleteBest Astrologer in New South Wales