Friday, August 6, 2021

क्यों खतरे में है उत्तराखण्ड की अस्मिता? पलाश विश्वास

 हल्द्वानी सम्वाद के संदर्भ में

क्यों खतरे में हैं उत्तराखण्ड की अस्मिता?


पलाश विश्वास


बैठक के लिए आप सभी को शुभकामनाएं। हम लोग प्रेरणा अंशु के छपने की प्रक्रिया में फंसे हुए हैं,इसलिए आ नहीं सके।कृपया अन्यथा ने ले।हमें कल तक पत्रिका छाप देनी है।


बेहद जरूरी मुद्दे पर आपने यह पहल की है,इसका स्वागत है।


पिछले 21 साल में हम लोग सिर्फ भावनाओं में फंसे हुए हैं और व्यवहारिक राजनीति से कोसों दूर है।




राजनीतिक मसलों को भी भावात्मक ढंग से सुलझा लेने की कोशिश में गहरे विभाजन और अलगाव के शिकार हैं,जबकि इस कठिन दौर में निरंकुश कारपोरेट फासीवादी सत्ता के लिए मेहनतकश आवाम को एकजुट करने की सबसे ज्यादा जरूरत है।


उत्तराखण्ड के बुनियादी मसलों , जल जमीन जंगल जलवायु और पर्यावरण के मुद्दों पर एकताबद्ध राजनीतिक लड़ाई की जगह अस्मिता की राजनीति को पहाड़ी गैर पहाड़ी मुद्दे तक सीमित कर दिया गया है।


 जबकि अस्मिता का मतलब भाषा,संस्कृति और पहचान को बनाये रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय जनता की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है।


बार बार भूमि माफिया की सरकारें बनाकर हम जनता को जल जंगल जमीन से बेदखल करने वाली ताकतों की जाने अनजाने मदद कर रहे हैं।


वैकल्पिक राजनीति चुनाव से पहले विशुद्ध चुनावी समीकरण बनाने के खेल से आगे नहीं बढ़ता। 


बाकी चार साल हम अपनी अपनी खिचड़ी अलग पकाते हुए सत्ता से ज्यादा से ज्यादा अपना हिस्सा बटोरने की कोशिश करते हैं। 


न्यूनतम कार्यक्रम के साथ जनता के बीच लगातार काम किये बिना हम कौन सी राजनीति कर रहे हैं?


हम मानते हैं कि उत्तराखण्ड में बदलाव की राजनीति में पहाड़ का जितना मजत्व है,उससे कम महत्व तराई और भाबर का नहीं है।


पहाड़ और तराई भाबर को अलग करने वाली किसी भी राजनीति के हम खिलाफ हैं और ऐसे किसी भी राजनीतिक बिमर्ष में हम शामिल नहीं हो सकते।


हम नही आ सके, अगर जरूरी लगा तो मित्रों तक हमारी बात जरूर पहुंचा दें।


सन्दर्भ-

 Prabhat Dhyani: *संगोष्ठी/ आमंत्रण* 

            *ख़तरे में है उत्तराखंडी अस्मिता?*

प्रिय साथी/ महोदय, 

उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों,  ज़मीनों की निर्मम लूट, राज्य की अवधारणा एवं अस्मिता से हो रहे खिलवाड़ से आज राज्य का नागरिक समाज चिंतित व आक्रोशित है। 

जिस आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक अस्मिता के लिए राज्य आंदोलन लड़ा गया था उसके सभी मोर्चों पर हम कमज़ोर हुए हैं। 

सरकार के विकास के दावों के बावजूद उत्तराखंड  विस्थापन, बेरोज़गारी,  शिक्षा, स्वास्थ्य की बदहाली से जूझ रहा है। 

जनता के इस आक्रोश से बचने के लिए राजनीतिक दल लूटखसोट की नीतियां बदलने के बदले चुनाव से पहले मुख्यमंत्रियों का चेहरा बदलने से इस आक्रोश को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं। 

इन महत्वपूर्ण सवालों पर गहन विचार हेतु उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी एवम राजनैतिक,सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों द्वारा  7 अगस्त 2021 शनिवार को प्रातः 11 बजे से *ट्रिपल जे बिल्डिंग सभागार, छोटी मुखानी, निकट एसबीआई बैंक हल्द्वानी* में एक संगोष्ठी आयोजित होने जा रही है ।जिसमें हल्द्वानी के अलावा अन्य क्षेत्रों से भी सक्रिय सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता भागीदारी करेंगे। 

स्थान:ट्रिपल जे बिल्डिंग सभागार, 

छोटी मुखानी, 

निकट SBI हल्द्वानी ।

दिनांक 7 अगस्त 2021 शनिवार ,प्रातः 11 बजे से।

निवेदक-उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी एवम राजनैतिक,सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिगण।

सम्पर्क -पी सी तिवारी केंद्रीय अध्यक्ष  उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी 9412092159

प्रभात ध्यानी 9837758770, 9368555136

अमीनुर्रहमान राज्य आंदोलनकारी  72488 44902

तरुण जोशी सामजिक कार्यकर्ता    919412438714

भोपाल सिंह धपोला +91 70558 78080

विनोद जोशी

9837390155

[07/08, 11:33 am] Palash Biswas: पलाश विश्वास

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