फिल्मकार राजीव कुमार ने सूचना दी है
Rajkr: साहित्यकार बटरोही ने वीरेन के परिवार के साथ उनके स्मारक का लोकार्पण किया।
साहित्य अकादमी पुरस्कार समादृत कवि वीरेन डंगवाल
बरेली
धन्यवाद राजीव भाई। फोटो में बटरोही जी के अलावा सुधीर विद्यार्थी जी भी शायद नज़र आ रहै हैं दोनों को नमन।
वीरेन दा का असली स्मारक तो दोस्तों और पाठकों के दिलोदिमाग में बना बनाया है,जिसके लोकार्पण की शायद जरूरत भी नहीं है। न ही वीरेन दा साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने के बावजूद ऐसी औपचारिकता के कायल थे।
उनके अवसान के बाद परिवार के लोगों से मिलने का मौका नहीं बना।इसका अफसोस है।
वीरेनदा कहा करते थे कि बसंतीपुर पर खूब लिखो।
विडम्बना यह है कि मैं फिर बसंतीपुर में बस गया,लेकिन उनके जाने के बाद। वे नान भी न सके कि मैं घर लौट आया।
फिर बसंतीपुर के सिवाय मेरे पास लिखने को क्या है?
पलाश विश्वास
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