Monday, October 15, 2012

Fwd: Analysis of institutional Functioning.



---------- Forwarded message ----------
From: barve siddarth <barves@bharatpetroleum.in>
Date: Mon, Oct 15, 2012 at 12:30 PM
Subject: Analysis of institutional Functioning.
To: chaman lal <chamanlal_moolnivasi@yahoo.com>


Sir, I thank you for such a informative, analytical and appropriate article on the occasion of the 6th  Death Anniversary of  Hon. Kanshi Ram Sahab. This will act as a North Star in our struggle towards "Ultimate Freedom" from the slavery of the Brahminical Social order and more than this it will help us in cleaning the Cancerous growth of parasites with surgical precision who are making a good business by playing with our emotions and looting the poor masses of their hard earned money in the name of our Great Mahaprush.  I once again thank you for such a important and worthy piece of information.

 

With Regards

LT  COL  SIDDARTH BARVE

9869056811 022-24117888 / 24178481  022-24117888

 

From: chaman lal [mailto:chamanlal_moolnivasi@yahoo.com]
Sent: Saturday, October 13, 2012 4:30 PM
To: barve siddarth
Subject: Analysis of institutional Functioning.

 

please evaluate the institutional thoughts.

regards,

Chaman Lal,
09452009503

 

*
"Freedom is essentially an outcome of institutional struggle."

Kanshi Ram's failures are rather more relevant to assess to the success of ongoing Indian
Mulnivasis Liberation movement by BAMCEF. - Chaman Lal

बामसेफ क ''नीव क पत्थर'' मा० काांशीराम साहे ब को उनक छटे स्मति दिवस पर मेरी श्रद्ाांजलि!





प्राचीन भारि में युरेलशयन ब्राह्मणों ने भारि में घुसपैठ करक भारि क मूितनवालसयों की



समिा, स्विांत्रिा, बांधुिा और न्याय की व्यवस्था 'गण-सांस्था' क ववरोध में उां च-नीच क आधार



पर 'वणण-व्यवस्था' का तनमाणण ककया! 'वणण-व्यवस्था' और ब्राह्मणों ने अपनी साम, िाम, िां ड और

भेि की तनति का इस्िेमाि करक भारि क मूितनवालसयों को प्राचीन भारि में गुिाम



बनाया! गुिाम बनाये गए मूितनवालसयों को आजाि करने क लिए ित्कािीन भारि में


िथागि गौिम बुद् ने गण-सांस्था क लसद्ाांिो का इस्िेमाि करक 'लभक्क सांघ' नाम का




ितनया का आज िक का सबसे बडा सांघठन तनमाणण ककया जजसक माध्यम से िोगों को



प्रलशक्षिि करक िथागि गौिम बुद् ने ब्राह्मणों क गुिाम मितनवालसयों को जगाने का काम




ककया! 'लभक्क सांघ' इस सांघठन की कायणप्रणािी मौलिक रूप से प्रजािाजन्त्रक थी, जजस वजह


से बडे पैमाने पर मूितनवासी िोगों का एक उद्देश्य हे िू सांघठनीकरण हुवा और गुिाम
मूितनवासी िोग ब्राह्मणों की वैचाररक गुिामी से मुक्ि होकर उन्होंने भारि में अपनी

राजसत्िा कायम करक भारि को सोने की चचड़डया बनाया! नोबेि पुरस्कार ववजेिा अथणशास्त्री


डा० अमरत्य सेन ने अपनी ककिाब ''Ideas of Justice'' में यह बिाया है कक ित्कािीन भारि

में , जब भारि मूितनवालसयों से शालसि था, िब भारि का GDP सांपूणण ववश्व का 35% था जो

आज िक अमेररका जैसे िे श का भी नहीां हुवा - इसका मििब है भारि ित्कािीन समय में
ववश्व में सबसे जयािा ववकलसि और अमीर था!

ब्राहमनो ने पुष्यलमत्र सुांग ब्राहमण क माध्यम से षडयांत्र करक मूितनवालसयों की इस क्ाांति



को प्रतिक्ाांति में िबिीि करक उां च-नीच क आधार पर ब्राहमनी वणण-व्यवस्था समाज क




अन्िर िागू की और योजना बद् िरीक से एक मूितनवासी बहुजन समाज को जातियों और

जातियों क अन्िर क्लमक असमानिा का लसद्ाांि िगाकर 6000 हज़ार से भी ज्यािा टुकडों में


बााँटकर उनक ऊपर मनुस्मति नाम का सववांधान िागू कर दिया! ऐसा करक ब्राहमणों ने




मूितनवालसयों क 'सांस्थागि चररत्र' को ख़त्म करक 'जातिगि चररत्र' का ववकास करक




मूितनवालसयों क अन्िर अल्पसांखयाांक होने का भाव पैिा ककया! ब्राहमणों क द्वारा



मूितनवासी समाज क अन्िर यह जस्थति तनमाणण करने क कारण बद् क पश्चाि ् आज िक





मूितनवालसयों का कोई भी सांस्थागि आन्िोिन ब्राहमणवाि क खात्मे क लिए खडा नहीां हो



सका है! मध्य कािीन भारि में जो भी सांि महापुरुष पैिा हुवे उनका आन्िोिन वैसे िो

ब्राहमण वाि से मजक्ि का आन्िोिन था िेककन इनमे से ककसी भी आन्िोिन का स्वरुप


सांस्थागि नहीां होने क कारण इन आन्िोिनों को मिभि सफििा हाांलसि नहीां हुई! व्यजक्ि-

ू ू
आधाररि जो भी आन्िोिन शरू हुवे वह आन्िोिन उसी व्यजक्ि क साथ ख़त्म भी हो गए



और गिाम िोग कफर ऐसे ही ककसी चमत्कारी व्यजक्ि क पैिा होने की आशा में िगे रहे जो



उनको ब्राहमणों की गिामी से मुक्ि कर सक! चाँकक मनस्मति ने मितनवासी िोगों को लशिा



ु ृ


िेने, धन रखने और स्वांयां की रिा करने क मौलिक अचधकारों से वांचचि ककया हुवा था

इसलिए इन पररजस्थतियों में सांस्थागि आन्िोिन का तनमाणण होना भी एक िरह से

नामुमककन सा था!

भारि में अांग्रेजो क आगमन क बाि मूितनवासी िोगों क लिए बौचधक रूप से साांस िे पाना




मुमककन हो गया था और इसी अवसर का फायिा उठाकर उनीश्वी शिाब्िी में राष्र वपिा

ज्योतिराव फिे ने आधुतनक भारि में प्रथम बार शद्रों और अति-शद्रों को, जो बुद् क समय में





एक वगण था, उनको जगाकर जोडने का पहिा सांस्थागि प्रयास 'सत्य शोधक समाज' सांघठन

क माध्यम से शरू ककया! अांग्रेजो क आने क बावजि भी मूितनवालसयों क अन्िर उस िेवि






की सािरिा और हुनर का ववकास नहीां हो पाया था जो एक सांस्था को चिाने क लिए

आवश्यक होिी है ! इसलिए ज्योतिराव फिे और छत्रपति साहू जी महाराज की म्रत्यु क


पश्चाि ् इस आन्िोिन को ब्राह्मणों क नेिा गााँधी ने भास्करराव जाधव क माध्यम से काांग्रेस



में वविीन करक मितनवालसयों क इस आन्िोिन को ख़त्म कर दिया था! राष्र वपिा




ज्योतिराव फिे क पश्चाि ् डा० आांबेडकर ने जजस वगण से उभर कर मितनवालसयों क मजक्ि






क आन्िोिन को नेित्व दिया था उस वगण में कवि उाँ गलियों पर चगने जा सकने वािे लिखे




पढ़े िोग थे और उनमे भी सामाजजक रुझान क बहुि कम सांखया में थे! सांस्थागि आन्िोिन

चिाने क लिए पढ़े -लिखे, सामाजजक, समझिार और परस्पर सहयोगी भावना क बवद्जीववयों

े ु

की आवश्यकिा होिी है इस कारण से डा० आांबेडकर को अपने समय में इस िरह क िोगों


क आभाव क कारण उनको ही तनरां िर आजीवन इस आन्िोिन को मसीहाही नेित्व प्रिान




करना पडा! डा० आांबेडकर को यह बाि मािूम थी की मलसहाही या व्यजक्ि-आधाररि

आन्िोिन मसीहा या व्यजक्ि क साथ ही ख़त्म हो जािा है इसलिए इस बाि को ध्यान में


रखकर डा० आांबेडकर ने इस बाि को सतनजश्चि ककया था की उनक आन्िोिन क कारण




उनक बाि ऐसा बुवद्जीवी वगण तनमाणण हो जो सांस्थागि चररत्र का तनमाणण करक



मूितनवालसयों की आजािी का सांस्थागि आन्िोिन चिा सक! ऐसा वगण तनमाणण हो इसक



लिए डा० आांबेडकर ने भारिीय सववांधान में यह व्यवस्था की थी!

सांस्था क्या है? सांस्था यह िोगों की वह 'प्रगतिशीि सांघटना' है जजसक िहि बहुि सारे िोग

सांस्थागि तनयमो क अांिगिण अनशालसि होकर एक उद्देश्य को प्राप्ि करने क लिए परस्पर




सहयोग, समन्वय, मान-सम्मान और पारद्रलशिा क साथ िक्ष्य भेिी कायणप्रणािी क साथ काम



करिे है! सांस्था में नेित्व प्रधान नहीां होिा है बजल्क वह उद्देश्य को प्राप्ि करने का माध्यम


मात्र होिा है जो सांस्था क तनयमो क िहि पररविणनीय होिा है स्थाई नहीां होिा है ! सांस्था



व्यजक्ि से महान होिी है और नेित्व क ख़त्म होने पर सांस्था जजन्िा बनी रहिी है ! सांस्था



को िश्मनों क द्वारा ख़त्म करना नाममककन है जबकक व्यजक्ि-आधाररि सांघठन को ख़त्म




करना िश्मनों क लिए बहुि आसान काम है! सांस्था को सांस्था क द्वारा ही ख़त्म ककया जा



सकिा है व्यजक्ि क द्वारा कभी भी नहीां! मूितनवासी समाज क िोग नेित्व को ही प्रधानिा




िे िे है सांस्था क बारे में िो उनको पिा ही नहीां रहिा कक सांस्था ककस बिा का नाम है !


डा० आांबेडकर क पररतनवाणण क पश्चाि ् उनकी योजना क अनुसार उन्होंने जजस बुवद्जीवी वगण




क तनमाणण की योजना बनाई थी, काांशी राम साहे ब, डी० क० खापडे साहे ब, िीना भाना साहे ब



और अन्य उस योजना क उत्पाि क रूप में मितनवासी समाज में मौजि हुवे! इन िोगों ने




लमिकर मितनवासी बहुजन समाज की सामाजजक जस्थति में आमूि-चूि पररविणन करने क



लिए िथाकचथि रूप से आज़ाि भारि में ब्राहमनी गुिामी को ख़त्म करने हे िू सांस्थागि

BAMCEF सांघठना का तनमाणण ककया था! मान्यवर काांशी राम साहे ब इस सांघठन क प्रथम


अध्यि िगािार पाांच साि िक रहे और इस िौरान उन्होंने सम्पणण भारि में भ्रमण करक



अपने आप को नेित्व क िौर पर स्थावपि कर दिया था! मितनवालसयों की जागति का काम





करने क कारण उनको बहुि ज्यािा मान-सम्मान भी प्राप्ि हुवा था! काांशीराम साहे ब का

बामसेफ सांघठन क अन्िर एक व्यजक्ित्व तनमाणण होने क कारण उन्होंने 1983 और 1984



में क्मशः DS4 और BSP का एकिरफा तनमाणण करक अपने सहयोगी साचथयों क ऊपर



थोप दिया था और इन सांघठनो क अध्यि पर भी उन्होंने स्वांयां को ही मनोनीि कर लिया


था जजसका उसक साचथयों ने त्रीव ववरोध ककया था! इस िौरान मायाविी भी उनक सांपक में




आयी और उनक सांबांधो को िेकर सांघठन क वररष्ठ कायणकिाणओां और उनक बीच में मिभेि




पैिा हुवे थे! काांशीराम साहे ब क गैर सांस्थागि व्यवहार क कारण बामसेफ सांघठन की कोर


कलमटी ने काांशीराम साहे ब को जवाब िे ने हे िु जब ििब ककया था िो काांशीराम साहे ब ने

उसमे जाने से इनकार कर दिया था जजसका सांज्ञान िेकर सांघठन की कोर कलमटी ने

बामसेफ सांघठन क


जैसे सांस्थागि सांघठन क तनमाणण में सहायक अवश्य रहे थे िेककन िम्बे समय िक


सांस्थागि चररत्र कायम नहीां रख पाए थे और अन्त्िागोत्वा उनको अपने जीवन क अांतिम


िणों में वह दिन िे खना पडा जजसकी उन्होंने कल्पना भी नहीां की थी! सांस्थागि चररत्र का

वविोप होने की वजह से ही बाि में उन्होंने व्यजक्िगि िौर पर िो जनूनी सांघषण ककया

जजसक कारण उनको व्यजक्िगि िौर पर सफििाएां भी हालसि हुई जो िे खिे ही िे खिे उनकी

आाँखों क सामने ही िास क पत्िो की िरह ढह भी गयी, अिबत्िा उनको कोई भी स्थाई



सांस्थागि सफििा हालसि न हो सकी! िसरी और बामसेफ सांघठन क अन्य सांस्थापक



अध्यि पि से उनको मक्ि कर दिया था! काांशीराम साहे ब बामसेफ


सिस्य मा० डी० क० खापडे साहे ब और िीना भाना जी ने अपने अन्य साचथयों क साथ



सांस्थागि बामसेफ सांघठन क माध्यम से मितनवासी बहुजन समाज की गैर राजनीतिक जडो


को मजबि करने का काम जारी रखा!


बामसेफ सांघठन से अिग होने क पश्चाि ् उनकी कथनी और करनी में भी िोगों को बहुि

बडा अांिर दिखाई दिया! आर० पी० आई. की असफििाओां से काांशीराम साहे ब को यह

अहसास हो गया था कक जजस समाज की गैर-राजनीतिक जडे मजबूि नहीां होिी उसकी

राजनीिी कभी सफि नहीां हो सकिी और ऐसा वह बार-बार कहिे भी थे िेककन कफर भी

उन्होंने अपने सहयोगी साचथयों को सडकछाप करने क लिए एकिरफा बामसेफ सांघठन को


ख़त्म करने का फसिा अपने अांध भक्िों को सुनाया और कहा कक अब कवि वह राजनीति



करें गे और जो बामसेफ क नाम पर सांघठन चिा रहे हैं वह िोग फजी हैं और काांग्रेस क



ख़रीिे हुवे िोग है ऐसा प्रचार-प्रसार भी उन्होंने अपने अांधभक्िो से करवाया! ऐसी ववरोधी
पररजस्थति में जहााँ एक और काांशीराम व्यजक्िगि िौर पर समाज में स्थावपि था और िोग

उसक अांधभक्ि थे वहीीँ िसरी और सांस्थागि बामसेफ सांघठन को िोगों को भ्रम की जस्थति



से तनकिने क लिए मा० डी० क० खापडे और उनक साचथयों को जीिोड मेहनि करनी पडी!




अगर काांशीराम साहे ब अपने सहयोचगयों को सडक छाप बनाने क उद्दे श्य से बामसेफ सांघठन


को ख़त्म करने की घोषणा न करिे िो तनजश्चि रूप से बामसेफ की वजह से वह राजनीिी

में सफििा प्राप्ि करिे और अगर वह बाि में समनव्य स्थावपि करक सहयोग करिे िो


बामसेफ सांघठन भी अन्य प्रिे शों में अपने मितनवासी समाज क अन्िर गैर-राजनीतिक जडो



को मजबि कर िे िा! िेककन काांशीराम को बामसेफ सांघठन की अधीनिा स्वीकार न होने क



कारण ऐसा सांभव नहीां हो सका! क्योंकक परस्पर आपसी सहयोग (mutual understanding)

की भावना हमारे सामाजजक नायक िोगों में कम ही दिखाई िे िी है ! वह राजनीतिक सांघठन

BSP क तनयांत्रण में वैचाररक सांघठन बामसेफ को रखना चाहिे थे जो सांभव नहीां था क्योंकक


ववचार राजनीति को तनयांत्रत्रि करिा है राजनीति ववचार को तनयांत्रत्रि नहीां करिी है ! और बाि

में उनक सहयोगी िोग वास्िववक बामसेफ सांघठन को चिाने में सफि न हो इस बाि को


सुतनजश्चि करने क लिए उन्होंने सैडो बामसेफ बनाई जजसक माध्यम से उनक कायणकिाणओां ने




मूितनवासी कमणचाररओां और अचधकाररयों से पे बैक टू सोसाईटी

चन्िा उघाने का काम ककया जो अभी िक जारी है! इस चांिे की रालश का इस्िेमाि काांशीराम

क बीमार पड जाने क उपरान्ि उनकी िथाकचथि उत्िराचधकारी मायाविी ने अपने और



अपने पररवार वािों क लिए महि बनाने क लिए ककया! अपनी मसीहाई छवव तनमाणण करने



क लिए और मितनवासी समाज क आन्िोिन की धरी पर बने रहने क लिए उनका यह






अत्यांि समाज-घािक फसिा था जजसने मूितनवासी समाज की मजक्ि को िो पीढ़ी पीछे कर



दिया क्योंकक िोगों क खोये हुवे ववश्वास को जजिना ितनया में सबसे मुजश्कि काम है ! गैर-


राजनीतिक सांघठन से नािा िोडने क पश्चाि काांशीराम को समाज क अन्िर त्रबन पैंिी क




क नाम पर BSP क लिए



िौटे क समान चररत्र क िोग लमिे जजनको उनकी बहुजन की ववचारधारा से कोई िेना-िे ना


नहीां था - जजसको जहााँ अवसर लमिा वहाां मिाई खाने को पािा बिि कर चििा बना,

जजसक कारण उनक राजनीतिक सांघठन क अन्िर घोर अजस्थरिा हमेशा बनी रही! इस िरह




से काांशीराम साहे ब जहााँ एक और अपने मितनवासी समाज की गैर-राजनीतिक जडो को


कमजोर करने का काम कर रहे थे वहीीँ िसरी और राजनीतिक जडों को िगाने का काम भी


कर रहे थे जो परस्पर उनक कथन क अनुसार ववरोधाभासी (counter productive) व्यवहार



है!

काांशीराम साहे ब ने जब बामसेफ सांघठन का काम करना शरू ककया िो उन्होंने ित्कािीन


भारि में अपने जीवन को मूितनवासी बहुजन समाज की मजक्ि क लिए िगाने क लिए जो



अत्यांि कठोर फसिे लिए थे- जैसे आजीवन घर ना जाना, अवववादहि रहना, सांपजत्ि न


रखना और सािगी का जीवन जीना इन वचनों पर वह बामसेफ से अिग होने क बाि भी


जस्थर रहे इसमें कोई सन्िे ह नहीां है - जजसक लिए वह विणमान कायणकिाणवों क लिए



अनुकणीय भी है! व्यजक्िवािी नेित्व की पररणति बाि में िानाशाही प्रवजत्ि में िब्िीि हो


जािी है जो बाि में ककसी की नहीां सनिा है और ऐसा न करक ऐसा आिमी अन्िर ही



अन्िर गवण करिा है - ऐसी जस्थति में ऐसा व्यजक्ि मानलसक रूप से बीमार हो जािा है

जजसका उसको स्वांयां आभास भी नहीां होिा है ! और ऐसी मानलसक जस्थति क िहि ही


काांशीराम ने बहुजन समाज का तनमाणण करिे करिे कब अपने जीवन और िाखों कायणकिाणओां
क श्रम को मात्र एक व्यजक्ि क िौर पर मायाविी को तनमाणण करने में िगा दिया.. इसका



उनको आभास अपने जीवन क अांतिम िणों में ही हुवा - िेककन िब िक बहुि िे र हो चुकी

थी! काांशीराम ने अपनी सम्पूणण जजांिगी क त्याग पर और िाखो कायणकिाणओां क श्रम क




आधार पर जजस मदहिा को अपने आन्िोिन की बागडोर सोंपी थी उस मदहिा ने उनक और


उनक आन्िोिन क साथ क्या ककया? इस घटना को हम प्रत्येक सामाजजक समझ रखने वािे



मूितनवासी बुवद्जीवी वगण क िोग तनरीह प्रत्यििशी बनकर अभी भी िे ख रहे है ! काांशीराम


साहे ब अक्सर कहा करिे थे कक 'जो िोग इतिहास से सबक नहीां सीखिे, इतिहास उनको

सबक लसखािा है', िेककन ऐसा बिाने वािे क्या काांशीराम साहे ब ने स्वयां इतिहास से कोई

सबक सीखा? काांशीराम साहे ब अक्सर कहा करिे थे कक वह अवसरवािी है और इिने ज्यािा

अवसरवािी हैं कक जब उनक पास कोई अवसर नहीां होिा है िो वह अवसर हालसि करने क



लिए अपने लिए अवसर पैिा करिे हैं और कफर उस अवसर का उपभोग करिे हैं ! अवसरवािी

लसद्ाांि क िहि ही उन्होंने अपने आपको सेंटर-स्टे ज पर बनाये रखने क लिए उन्होंने अपने



अन्य सहयोचगयों को खडे िाइन िगाने क लिए वैचाररक, सांघषाणत्मक और राजनीतिक िीनो



सांघठनाओां का राष्रीय अध्यि घोवषि कर लिया था-जो बाि में वववाि का कारण बना! इसी

अवसरवाि की िाइन पर चििे हुवे आगे चिकर मायाविी ने 1995 में जब BJP की की
सहायिा से उत्िरप्रिे श में अपनी सरकार बनाई िो वह BJP क अपने कछ मुांह-बोिे भाईयों



क सांपक में आयी जजन्होंने इससे राखी भी बांधवाया और जजन्होंने उसको सम्पणण बहुमि में



िाने वािा िोिीपोप दिखाया और इसक एवज में उनकी कछ बािों को मानने क लिए सिाह




िी! इसक बाि एक-एक कर क मायाविी ने सबसे पहिे काांशीराम क नजिीकी लमलशनरी




िोगों को टागेट करक असवैंधातनक िरीक से पाटी से बहार का रास्िा दिखा दिया और कफर



पाटी में बचे हुवे पुराने बामसेफी िोगों को भी त्रबना ककसी बाि क ही पाटी से बहार का

रास्िा दिखाकर अपने लिए उसने आजीवन पाटी की अध्यिी पक्की कर िी और बाि में

पाटी में ऐसे िोग बचे जो उसक सामने सर उठाने िायक ही नहीां थे! काांशीराम साहे ब ने


अपने जीवन में जजस (िष्णा-हीन, ववरक्ि) जीवन शैिी का अविांबन ककया था उसक िहि



ब्रहामनवािी िोग उनको अपने 'साम','िाम', 'िां ड' व ् 'भेि' की नीति क िायरे में िाने में


असमथण हो रहे थे! बुद् कहिे है कक िष्णा यह िःख का कारण है और सांस्थागि नेित्व




िष्णा का त्याग ककये त्रबना सफि हो ही नहीां सकिा है! इसलिए RSS क िोगों ने मायाविी



को कण्ट्रोि करने क लिए BJP क िोगों क माध्यम से उसक अन्िर िष्णा का तनमाणण






करक उसको ब्राहमणों की 'साम','िाम', 'िां ड' व ् 'भेि' की नीति क िायरे में िाकर उसक पीछे




CBI,न्यायपालिका और इनकम टै क्स वािों को िगा दिया! इन सांस्थावों से मायाविी को

कानूनी रूप से छटकारा दििाने क बहाने से RSS ने अपने प्रतिनीचध सिीश चन्द्र लमश्र को



उसक साथ िगाकर न कवि ब्राहमणों ने मायाविी क माध्यम से काांशीराम की ववचारधारा




में लमश्रण ककया बजल्क ब्राहमणों ने मायाविी को काांशीराम क द्वारा की गयी मूितनवासी


समाज क अन्िर जाग्रति को समाप्ि करने क लिए ढाि क िौर पर िब िक इस्िेमाि करने




का फसिा लिया जब िक काांशीराम या बामसेफ की ववचारधारा मूितनवासी बहुजन समाज

में प्रभावहीन न हो जाए और िभी िक मायाविी ब्राहमणों क लिए प्रासांचगक बनी हुई है वनाण


मायाविी की अपनी व्यजक्िगि िौर पर या बिौर सांघठन कोई औकाि नहीां बची रह गयी है !

काांशीराम ने जीिे जी ब्राह्मणवाि को उत्िरप्रिे श में जजिना अस्थाई कर दिया था ब्राहमणों ने

उनक पररतनवाणण क बाि से मायाविी क सांघठन को ब्राहमण िोग अप्रत्यि रूप से




ब्राहमणवाि को स्थातयत्व प्रिान करने क लिए तनयांत्रत्रि कर रहे हैं! इसका प्रमाण यह है कक


उत्िर प्रिे श क मितनवासी िोगों क अन्िर जजिना मान-सम्मान और सुरिा 1995 की




अल्पमि सरकार में हालसि हुवा था उसका िसवाां दहस्सा भी हमारे मितनवालसयों को पणण


बहुमि की सरकार में नसीब नहीां हुवा! आने वािे समय में मायाविी क समथणक िोग


मायाविी क साथ-साथ CBI और न्यायपालिका क फसिों क बीच साांपनाथ या नागनाथ

े ै


पादटण यों को समथणन िे कर मितनवासी बहुजन समाज की िगति का कारण िब िक बनिे

ु ण
रहें गे जब िक सांस्थागि बामसेफ क द्वारा मितनवासी बहुजन समाज क अन्िर व्याप्ि भ्रम




को िर करक हमारे िोगों का सांस्थागि चररत्र तनमाणण नहीां ककया जािा है !



मा० काांशीराम साहे ब क कछ नजिीकी िोगों से मेरी मुिाकाि हुई जजनक माध्यम से मझे
े ु


यह पिा चिा कक 2002 क आस-पास उनको जब यह एहसास हो गया कक उनका खन-



पसीने से खडा ककया गया सांघठन ब्राहमणों ने मायाविी क माध्यम से अपने तनयांत्रण में िे


लिया है िो उस समय उनको अपने पराने सांघठन बामसेफ की याि आई और उन्होंने अपने


नजिीकी िोगों से यह ववचार रखा कक बामसेफ और BSP को समन्वय से काम करना

चादहए और बामसेफ BSP को तनयांत्रत्रि करे ! काांशीराम साहे ब ने अपने एक नजिीकी व्यजक्ि

को

बामसेफ क जजम्मेिार िोगों से बाि करने की जजम्मेवारी िय की और इस नजिीकी


व्यजक्ि ने बामसेफ क वररष्ठ कायणकिाण B D Borkar से बाि करक यह मीदटांग मुांबई में



एक कायणकिाण क यहााँ सुतनजश्चि की! िेककन इससे पहिे कक यह मीदटांग हो पािी और


बामसेफ क आन्िोिन में U-turn आिा इससे पहिे ही मायाविी को इसकी भनक िग जाने


क कारण मायाविी ने काांशीराम साहे ब को सम्पणण रूप से अपने तनयांत्रण में िेकर उनको



अन्य िोगों से नजरबन्ि कर दिया! जब काांशीराम साहे ब ने इसका ववरोध ककया िो मायाविी

और उसक पररवार क िोगों ने काांशी राम क साथ हाथा-पाई भी ककया, ऐसा भी ररपोटण उनक





नजिीकी िोगों का है! यहााँ िक कक स्वांयां काांशीराम साहे ब क ररश्िेिारों और उनक



पररवारवािों िक को मायाविी ने काांशीराम साहे ब से नहीां लमिने दिया! त्रबमारी क वक्ि


काांशीराम साहे ब को जब भी मीड़डया क द्वारा मायाविी क साथ दिखाया जािा था िो



काांशीराम साहे ब अक्सर रोिे हुवे दिखाई िे िे थे- उनकी बेबसी उनक चेहरे पर साफ़ झिकिी

थी और वह बोि भी नहीां पािे थे! एक महापुरुष जब रोिा है िो उसमे बहुि गहरा सन्िे श
छपा रहिा है ! बाबा साहे ब डा० आांबेडकर ने अपने जीवन क उिराधण में आगरा शहर में िाखों



की भीड क सामने रोया और कहा कक जजस बुवद्जीवी वगण का मै आज़ाि भारि में तनमाणिा हूाँ

उस बुवद्जीवी वगण क िोगों ने मुझे धोका दिया है और यह बुवद्जीवी िोग अपना पेट पािने


क अिावा अपनी सामाजजक जजम्मेिाररयों को बखबी नहीां तनभा रहे हैं! इसलिए मै यह सोच



कर िखी हूाँ कक मेरे बाि मितनवासी बहुजन समाज की मुजक्ि का आन्िोिन कोन चिाएगा-


कोन इसकी जजम्मेिारी वहन करे गा? काांशीराम साहे ब की जब िे हाांि हुवा िो अगिे दिन पेपर

वािों ने अपने पपेरों में छापा कक काांशीराम साहे ब का िे हाांि राि क बारह बजे क बाि हुवा


िेककन जो डेिी पेपर होिे है वह राि क िश बजे ही तनकि जािे हैं और जो पेपर राि क



िश बजे ही छप गया उसमे राि बारह बजे की खबर कसे छपी? इसका मििब है काांशीराम


साहे ब की भी बाबा साहे ब आांबेडकर की िरह ही हत्या की गयी जजसकी सचना ब्राहमणवािी


मीड़डया को पहिे से ही थी! जब काांशीराम क पररवारवािों ने उनका शव क पोस्ट मोरटम



और शव क कसटडी की बाि कही िो दिल्िी हाई कोटण ने उनक पररवारवािों की िरखास्ि



को ख़ाररज कर दिया था जजससे लसद् होिा है कक परा का परा ब्राह्मणी िांत्र मायाविी क




साथ काांशीराम की हत्या में शालमि था! काांशीराम क शव को िे श क करोडों मितनवासी




बहुजनो क िशणनों क लिए अगर रखा जािा िो BSP को चनाव में सहनभति िहर का



ु ू
फायिा हो सकिा था िेककन मायाविी ने ऐसा नहीां ककया और आनन-फानन में उनक शव


को बहुि कम समय में मुखाजनन कर दिया! जब उनक शव को रक में िे जाया जा रहा था

िो मै टीवी पर िाइव न्यूज़ िे ख रहा था, मैंने उस रक में कवि मायाविी और सिीश चन्द्र


लमश्र को िे खा! मैंने िे खा कक मायाविी काांशीराम क शव क पास में नांगे पाांव खडी थी और



उसका चेहरा मायश था वहीीँ िसरी और सिीश चन्द्र लमश्र सांट-बट पहन करक टाई िगाकर






खडा हुवा था और उसक चेहरे पर त्रबिकि भी मासूलमयि नहीां थी! आम िौर पर िोग डेड


बॉडी क पास में नांगे पााँव खडे होिे हैं! यह द्रश्य िे खकर भी मेरे कोिहि मन में बामसेफ क




स्कि ऑफ़ थोट में रे तनांग िेने क कारण मेरे मन क अन्िर ही अन्िर आांकिन चि रहा था!




काांशीराम साहे ब क अगर व्यजक्ि-आधाररि सांघषण का आांकिन ककया जाए िो यह कहना


अतिश्योजक्ि नहीां होगा कक काांशीराम साहे ब ने मितनवासी बहुजन समाज क िोगों क अन्िर



िक यह ववश्वास त्रबठा दिया है कक वह भी अपनी गैर राजनीतिक जडों को मजबूि करक


भारि क शासक बन सकिे हैं और ऐसा करक अपनी सामाजजक, आचथणक और शैिणणक



पररजस्थतियों में अमि-चूि पररविणन कर सकिे हैं! बाबा साहे ब क बाि िािा साहे ब गायकवाड



ने RPI क अध्यि बिौर काांग्रेस क साथ एक सीट क लिए समझोिा ककया था जजस कारण




से काांशीराम साहे ब बहुि िखी हुवे थे! जब उन्होंने भारि क सबसे बडे प्रिे श उत्िर प्रिे श में


BSP क माध्यम से अपनी राजनीिी शरू की िो उन्होंने उत्िर प्रिे श में पूणण बहुमि में आने

वािी काांग्रेस को अल्पमि वािी पाटी में िब्िीि कर दिया था, ित्पश्चाि काांग्रेस आज िक

भी उत्िर प्रिे श में सरकार ही नहीां बना पायी! महाराष्र में RPI क िोग एक-एक सीट क



लिए काांग्रेस क िोगों/िफ्िरों क चक्कर िगािे थे और वह िोग उनको घांटो वेदटांग कराकर



िब जाकर उनको लमिने का समय िे िे थे! एक बार उत्िर प्रिे श में काांग्रेस पाटी ने BSP क


साथ चनावी समझोिा क लिए अपने प्रतितनचध क िौर पर शरि पवार को काांशीराम से वािाण




करने हे िु काांशीराम क पास भेजा िो पहिे िो काांशीराम साहे ब ने उसको एक घांटे से भी


ज्यािा समय क लिए अपने ऑकफस क बहार वेट कराया और कफर जब सीटों का समझोिा



ककया िो काांग्रेस पाटी को बहुि कम सीटें काांशीराम ने िी, और प्रेस काांफ्रस करक यह घोवषि

ें
ककया कक डा० आांबेडकर क दहस्से में इिनी सीटें (ज्यािा)... और गााँधी क दहस्से में (कम)



सीटें आयी हैं! मूितनवालसयों बहुजनो क मन क अन्िर मान-सम्मान की भावना बढे इस बाि


को ध्यान में रखकर वह बाि करिे थे और िोगों को प्रेररि करने वािें नारे इजाि करिे थे

जजससे िोगों का मनोबि बढ़े ! काांशीराम साहे ब ने कभी बौध धम्म ग्रहण नहीां ककया िेककन

वह ककसी िरह से ककसी भी बौध लभिु से कम नहीां थे - वह रोज ही प्रबोधन का कायण करिे

थे और िोगों क यहााँ जो लमििा वो खािे थे, राि में वह रे न में यात्रा करिे हुवे सोिे थे

और दिन क समय में प्रबोधन का कायण करिे थे! एक बार काांशीराम साहे ब प्रबोधन क



कायणकमण से िोटकर एक प्रोफसर ने उनको अपने यहााँ खाना खाने क लिए बिाया िो वह




कयणकिाणवों सदहि वहाां पर पहुांचे! प्रोफस्सर की पत्नी बामसेफ क कयणकिाणवों की राि दिन की


मेहनि िे खकर वह उनसे बहुि प्रभाववि थी और उन्होंने काांशीराम से यह कहा कक आपक


कायणकिाण पागिों की िरह से काम करिे हैं! इस पर काांशीराम साहे ब ने उस प्रोफस्सर की


पत्नी को इांजनिश में यूां जवाब दिया "If you put a proper method in your madness

than it is essential to achive the goal." काांशीराम साहे ब जनूनों की िरह कायण

सांपादिि करिे! एक बार िथाकचथि रूप से कहे जाने वािे िलिि पत्रकार चन्द्रभान प्रसाि

और एच० एि० िशाध


प्रिे श सचचव अमर लसांह क माध्यम से एक डाईवलसणटी क ऊपर सेमीनार करवाया जजसक




िहि िलििों को अमेररकन िजण पर सरकारी खरीि का कछ दहस्सा िे ने की बाि उनको



आचथणक रूप से सबि बनाने क लिए िे ने क लिए कही जा रही थी! काांग्रेस पाटी का जो गेम



प्िान था वह मध्य प्रिे श में काांशीराम क बढ़िे हुवे प्रभाव को रोकना का था - िलििों की

िो कवि डाईवलसणटी क बहाने चचाण की जा रही थी और काांग्रेस की इस िलिि चाि में िे श



भर क िलिि िेखकों/चचांिको और बुवद्जीववयों को मध्य प्रिे श सरकार ने सरकारी खचे से


एसी का दटकट तनकाि बुिावा लभजवाया था- इस्िेमाि करने क मकसि से काांशीराम क




ववरोध में ! काांशीराम को यह बाि समझने में िे र नहीां िगी और उन्होंने मध्य प्रिे श क


भोपाि में ही िलििों का िसरा कायणकमण ककया और उसमे उन्होंने काांग्रेस क डाईवलसणटी अजेंडा



का पिाणफास ककया और कहा कक 'आांबेडकर अजें डा' ही िलििों की जस्थति में बििाव िा

सकिा है! जब वह यह भाषण कर रहे थे िो मै उनको टीवी पर िाइव िे ख रहा था, भाषण

करिे-करिे वह बे होस होकर नीचे चगर पडे कयणि ािाणवों ने उनको उठाकर कसी पर त्रबठाया


और पानी वपिाया! उन दिनों उनकी ित्रबयि सही नहीां थी और वह अक्सर बीमार रहिे थे !

कायणकिाणवों ने उनसे हॉजस्पटि चिने का आग्रह ककया जजसक लिए उन्होंने जाने से मना कर


दिया! उन्होंने द्वारा उठकर कफर उस भाषण को पूरा ककया - इस जनूनी हि िक वह प्रयास

करिे थे! काांशीराम क राजनीतिक प्रयोग से जो एक बडी सम्भावना भारि में तनमाणण हुई है

वह यह कक अगर वैचाररक सांघठन और इसक तनयांत्रण में राजनीतिक सांघठन को समनव्य


क साथ चिाया जाये िो भारि क अन्िर बामसेफ क वैचाररक आन्िोिन को बडी िेजी क





साथ फिाया जा सकिा है और इस आन्िोिन क कारण शीघ्र ही भारि क मितनवासी भारि





कक सत्िा पर अपना व्रचश्व स्थावपि करक व्यवस्था पररविणन क इस आन्िोिन को पूणण कर



सकिे हैं!

इन िोगों की मिि से काांग्रेस क दिजनवजय लसांह ने मध्य प्रिे श क



मूितनवालसयों को इतिहास क सांद्बण में मा० काांशीराम साहे ब क जीवन से क्या सबक िेना



चादहए? -

िथागि गौिम बुद् द्वारा तनमाणण ककये गए सांथागि सांघठन 'लभक्क सांघ' क माध्यम से



लमिी न कक ककसी व्यजक्ि-आधाररि सांघठन क द्वारा! िसरी बाि जजन िोगों ने मध्यकािीन



भारि में जजन सांिो-महापुरुषों ने व्यजक्ि-आधाररि आन्िोिन चिाये वह मात्र ववचारधारा को

जजन्िा बनाये रखने क लिए सफि हुवे, सांपूणण मितनवालसयों की मुजक्ि इससे सांभव नहीां हो


सकी और यह छट-पुट आन्िोिन इन व्यजक्ियों क साथ ही ख़त्म हो गए! विणमान भारि में



काांशीराम का आन्िोिन भी मौलिक रूप से व्यजक्ि-आधाररि आन्िोिन ही था जो उनक


तनवाणण क साथ ही ख़त्म हो गया और ज्यािा महत्वपूणण यह है कक इस हाि ही में घटे


इतिहास क हम समस्ि बुवद्जीवी िोग प्रत्यििशी है! जो प्रमाणणि िथ्य है! उनक आन्िोिन



यह कक ढाई हज़ार साि पहिे मितनवालसयों को ब्राहमणों की गिामी से मुजक्ि



को जो मायाविी चिा रही है वह बहुि पहिे से ही ब्राहमणों क तनयांत्रण में चिा जाने क


कारण मितनवासी बहुजन समाज कफर से समस्याग्रस्ि हो गया है और ब्राहमणों का


मायाविी को जजन्िा बचा क रखने क पीछे यह इांटरे स्ट है कक मायाविी का प्रयोग



मितनवासी बहुजन समाज क सांस्थगि आन्िोिन को काउां टर करने क लिए ककया जाए,



इसक अिावा ब्राहमणों को मायाविी क जजन्िा रखने की कोई प्रासांचगकिा समझ में नहीां



आिी है! इसक अिावा भी अन्य कोई भी व्यजक्ि-आधाररि बामसेफ सांघठना इतिहास क



पररपेक्ष्य में मूितनवासी बहुजनो क मजक्ि क आन्िोिनों को सफि बनाने में कामयाब नहीां



हो सकिी है - हााँ ऐसे िोग अपनी तनजी स्वाथण-पूिी हे िु समाज क नाम पर िकान अवश्य



चिा सकिे हैं! व्यजक्ि-आधाररि सांघटनाओां में जो व्यजक्ि सेण्ट्टर-स्टे ज पर होिा है वह

व्यजक्ि सेण्ट्टर-स्टे ज पर ही बना रहे इसक लिए ही वह व्यजक्ि काम करिा है सांघठन बढाने


का कोई काम नहीां करिा है , कई गिि िरीको का इस्िेमाि करिा है और जजन िोगों को

ऐसे व्यजक्ि की

आरोप िगाकर कायणकिाण को सामाजजक रूप से ख़त्म करने क उद्देश्य से उसको बिनाम करक



सांघठन से बहार का रास्िा दिखा दिया जािा! बहुि सारे िोग व्यजक्ि-आधाररि नेित्व की

ओछी हरकिों क कारण सामाजजक काम करना ही छोड िे िे हैं और इस िरह क जो िोग



बैठ जािे हैं उन िोगों की कम से कम िो पीदढयाां मूितनवासी आन्िोिनों से नफरि पाि

िेिी हैं! ''व्यजक्ि का व्यवहार ही व्यजक्ि क वास्िववक ववचार का प्रतित्रबम्ब होिा है '' - इस


कसौटी पर नेित्व को कसना चादहए और कथनी-करनी में लभन्निा होने पर ऐसे नेित्व और



सांघठन को त्याग िे ना चादहए! इस िरह से इस तनष्कषण पर पहुांचा जा सकिा है कक भारि
भर में जजिने भी व्यजक्ि-आधाररि और जािी-आधाररि सांगठन मितनवालसयों क चि रहे हैं



वह अप्रत्यि रूप से ब्राहमणों को फायिा पांहुचा रहे है या कफर ब्राह्मणों क मािहि चि रहे

हैं! ऐसे व्यजक्ि-आधाररि सांघठन में कोई भी कायणकरिा सुरक्षिि नहीां होिा है और कयणकिाणवों

का समय,पैसा और हुनर ऐसे िोगों क साथ िगकर क जाया चिा जािा है ! इसलिए व्यजक्ि-


आधाररि सांघठनो को चाहे वह बामसेफ हो या कफर अन्य कोई सांघठन ककसी को भी ककसी

िरह का कोई सहयोग इस जानकारी क प्रकाश में नहीां करना चादहए!


बिमालशयों का पिा चि जािा है उन व्यजक्ियों को ककसी िरह का फजी

जय मूितनवासी!

(Chaman lal)

No comments:

Post a Comment