दुनिया को खुला बाजार बनाने की अहम रणनीति, यूरोपीय संघ को नोबेल पुरस्कार!
भारत में कारपोरेट मीडिया अन्ना ब्रिगेड के अवसान के बाद ठीक उसी तर्ज पर अरविंद केजरीवाल का महिमामंडन करके बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने का काम कर रही है। आर्थिक अखबार में लीड खबर केजरीवाल और अंदर पूरे पेज का इंटरव्यू! इसी के साथ केजरीवाल के समर्थन में राबर्ट बढेरा के बारे में सनसनीखेज का खुलासा।यह सब आर्थिक सुधारों के अश्वमेध को भिना प्रतिरोध केक वाक में तब्दील करने की कवायद है।पूरा मामला हिंदुत्व के घनघोर पुनरूत्थान में तब्दील होता नजर आ रहा है। क्या कारपोरेट मीडिया ने संघ परिवार को सत्ता में लाने का फैसला कर लिया है? मॉडल और एक्ट्रेस रीमा शर्मा ने मुंबई में ऑटो व टैक्सी किराए में बढ़ोतरी का विरोध करने के लिए न्यूड फोटो शूट करवाया है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
ग्लोबल कारपोरेट व्यवस्था अपने हितों के लिए नोबेल पुरस्कार का इस्तेमाल करती है, यह कोई नई बात नहीं है। पर जिस तरह यूरोपीय संघ को नोबेल पुरस्कार देकर साम्यवाद के सफाये के बाद अशांत यूरोप को महिमामंडित किया गया, वह दुनिया को खुला बाजार बनाने की अहम रणनीति है। पिछले सालों में आर्थिक मोर्चे पर अशांत यूरोपीय संघ (ईयू) को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। पुरस्कार की दौड़ में 231 नाम थे। लेकिन ईयू ने बाजी मारी। क्योंकि विरोधी राजनीति के बावजूद उसके 27 देश अपनी आर्थिक जरूरतों के मद्देनजर एक बने रहे हैं। भारत में कारपोरेट मीडिया अन्ना ब्रिगेड के अवसान के बाद ठीक उसी तर्ज पर अरविंद केजरीवाल का महिमामंडन करके बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने का काम कर रही है। आर्थिक अखबार में लीड खबर केजरीवाल और अंदर पूरे पेज का इंटरव्यू!पूरा मामला हिंदुत्व के घनघोर पुनरूत्थान में तब्दील होता नजर आ रहा है। क्या कारपोरेट मीडिया ने संघ परिवार को सत्ता में लाने का फैसला कर लिया है? इसी के साथ केजरीवाल के समर्थन में राबर्ट बढेरा के बारे में सनसनीखेज का खुलासा।यह सब आर्थिक सुधारों के अश्वमेध को भिना प्रतिरोध केक वाक में तब्दील करने की कवायद है।कांग्रेस के लिए आज आए टिहरी और जंगीपुर उपचुनाव के नतीजे खतरे की घंटी हो सकती हैं। जंगीपुर से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि जिन वजहों से कांग्रेस पार्टी के जीत के वोटों में कमी आई है, उनमें विपक्ष का एफडीआई के खिलाफ प्रचार और बढ़ती मंहगाई भी शामिल है।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत ने आज जंगीपुर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी माकपा के मुजफ्फर हुसैन को 2536 मतों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की जबकि उनके पिता ने वर्ष 2009 में 1.28 लाख मतों के प्रभावशाली अंतर से यह सीट जीती थी।वित्तमंत्री से राष्ट्रपति बने प्रणव मुखर्जी की साख के लिए यह जोरदार धक्का है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने उत्तराखंड की टिहरी लोकसभा सीट को गंवा दिया है। दूसरे उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से टिहरी लोकसभा सीट जीत ली है। इस सीट पर कांग्रेस की ओर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा चुनाव के मैदान में थे और भाजपा की ओर से माला राजलक्ष्मी शाह चुनाव लड़ रही थीं। पिछले दो बार से विजय बहुगुणा इस सीट से विजयी घोषित हो रहे थे। लेकिन उनके बेटे साकेत बहुगुणा कोई कमाल नहीं दिखा पाए। माला राजलक्ष्मी ने साकेत को 25 हजार वोटों से हरा दिया।
डीएलएएफ के साथ सौदे को लेकर विवादों में घिरे कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। अब कॉरपोरेशन बैंक ने वाड्रा की कंपनी के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें वाड्रा की कंपनी ने कहा था कि उसे हरियाणा के मानेसर में जमीन खरीदने के लिए ओवरड्राफ्ट मिले थे। राबर्ट वाड्रा पर सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल की ओर से लगाए गए आरोपों को कांग्रेस बड़े ही हल्के में ले रही थी, लेकिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा और अब एक अंग्रेजी अखबार ने वाड्रा की बैलेंस शीट को तार तार कर दिया है। ऐसे में वाड्रा की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। राबर्ट वाड्रा के अनुसार उन्हें हरियाणा के मानेसर में जमीन खरीदने के लिए सात करोड़ 94 लाख रूपये कार्पोरेशन बैंक द्वारा ओवरड्राफ्ट से मिले है, लेकिन कार्पोरेशन बैंक ने इस संबंध में हुए किसी भी लेन देन से इनकार कर दिया है, जिससे राबर्ट वाड्रा खुद ही अपने बयान के घेरे में फंसते नजर आ रहे हैं।बैंक ने एक अंग्रेजी समाचार पत्र के सवाल पर कहा कि यह सच है कि राबर्ट वाड्रा से हमारी बैंक के कारोबारी संबंध हैं। लेकिन हमारे पास वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी को धन देने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। गौरतलब है कि वाड्रा ने 2007-08 में मानेसर में साढ़े तीन एकड़ जमीन खरीदी थी। वाड्रा की कंपनी ने सौदे के लिए बैलेंस सीट में कार्पोरेशन बैंक से ओवरड्राफ्ट मिलने का जिक्र किया था। लेकिन बैंक ने इस संबंध में हुए किसी भी लेन देन से इनकार कर दिया है।कंपनी की बैलेंस शीट पर राबर्ट वाड्रा, उनकी मां मौरीन वाड्रा और एसआरसी भट एंड एसोसिएट्स के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस रामचंद्र भट के हस्ताक्षर हैं। बैंक के इनकार के बाद सवाल उठ रहे हैं कि जमीन की खरीद के एवज में पहली किस्त कैसे दी गयी है और सवाल यह भी है कि बैंक और वाड्रा में से कौन गलत है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार पर बेवजह हल्ला मचाने से देश की छवि खराब होगी। चिंतित पीएम के मुताबिक केजरीवाल देश का माहौल खराब कर रहे हैं इसलिए वे ये सब बंद करें। पीएम के इस बयान पर टीम केजरीवाल ने कहा कि ये पीम का संवेदनहीन बयान है।
लोकप्रियता हासिल करने के लिए मॉडलों और एक्ट्रेसेज ने न्यूड होना सबसे बेहतर तरीका बना लिया है। अब रीमा शर्मा का भी नाम न्यूड होने वाली एक्ट्रेसेज की लिस्ट में जुड़ गया है। मॉडल और एक्ट्रेस रीमा शर्मा ने मुंबई में ऑटो व टैक्सी किराए में बढ़ोतरी का विरोध करने के लिए न्यूड फोटो शूट करवाया है। रीमा ने बताया कि उसने ऑटो और टैक्सी ड्राइवरों की मनमानी वसूली के खिलाफ चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत न्यूड फोटोशूट करवाया है। एनजीओ सिटीजन एक्शन फोरम ने रीमा को अपने न्यूज ब्लॉग के लिए न्यूड होने का ऑफर दिया था।
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद छह दिन तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला तो कांग्रेस टीम केजरीवाल को कोर्ट जाने की चुनौती दे रही थी, लेकिन अब उसका यह दांव उल्टा पड़ सकता है। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के आरोपों पर केंद्र से जवाब मांगा है। लखनऊ पीठ ने वाड्रा और डीएलएफ के बीच डील के बारे में यह जवाब एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मांगा है। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की ओर से दायर की गई है। मामले की अगली सुनवाई 21 नवम्बर को होगी। याचिका में वाड्रा के खिलाफ केजरीवाल तथा उनके सहयोगियों की ओर से लगाए गए आरोपों की पूरी जांच करवाने की मांग की गई है। अपनी याचिका में नूतन ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव को भी पत्र भेजा है, लेकिन वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि उन्हें कोई जवाब नहीं मिलेगा। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का बचाव करते हुए बुधवार को कहा था कि केजरीवाल के पास अगर वाड्रा के खिलाफ सबूत हैं तो वो कोर्ट में जाकर केस करें। पवार ने कहा था कि अब तो ये आम बात हो गई है कि कोई भी किसी पर आरोप लगाकर चुप हो जाता है और उसके बाद सरकार से उस मामले में जांच की मांग करता है, लेकिन ऐसे मामले में कोई भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल भी वाड्रा के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं।सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन से जुड़ा एक और विवाद जुड़ गया है। वाड्रा ने दिल्ली और गुड़गांव से सटे मेवात इलाके की बेशकीमती जमीन से 3 साल में ही मोटा मुनाफा कमाया। इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला ने ये आरोप लगाया है। जमीन की रजिस्ट्री के मुताबिक वाड्रा ने 2009 में 28 एकड़ जमीन सिर्फ 71 लाख में खरीदी और 2011 में इसी जमीन को 2 करोड़ 15 लाख में बेच दिया। जमीन बेचने वाले एक परिवार के सदस्य को बाद में कांग्रेस का टिकट भी मिल गया।दिल्ली से सटे हरियाणा के मेवात में जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं। लेकिन तीन साल पहले सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने इस इलाके में काफी कम कीमत में 28 एकड़ जमीन खरीद की। ये जमीन रॉबर्ट वाड्रा ने 6 पार्टियों से लगभग तीन लाख रूपये प्रति एकड़ के भाव से खरीदी। दिलचस्प बात यह है की 2009 में खुद राज्य सरकार ने इस इलाके में कम से कम 16 लाख रूपये प्रति एकड़ स्टाम्प ड्यूटी तय की हुई थी। लिहाजा वाड्रा ने जो जमीन करीब तीन लाख रूपये प्रति एकड़ कीमत पर खरीदी उस पर 16 लाख रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से राज्य सरकार को स्टाम्प ड्यूटी अदा किया। यानी जमीन की मूल कीमत से स्टाम्प ड्यूटी 8 गुणा ज्यादा थी। अब वाड्रा का यह सौदा विपक्षी दल इंडियन नेशनल लोकदल के गले नहीं उतर रहा। इनेलो के सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने वाड्रा द्वारा सस्ती दर में खरीदी गई जमीन की जांच करने की मांग की है।विपक्ष का सवाल यह है की सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से कम दाम में यह जमीन कैसे खरीदी और बेची गयी। कहीं ऐसा तो नहीं की वाड्रा को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन को बाजार से कम दाम पर बेचा दिखाया गया। रोबेर्ट वाड्रा ने अपनी कम्पनी मेसर्स रियल अर्थ एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के तौर पर मेवात के फिरोजपुर जिरका के शकरपुरी गांव के छह लोगों से करीब 28 एकड़ जमीन खरीदी है। कागजात के मुताबिक वाड्रा ने रूबी तबस्सुम से सात लाख में दो एकड़, आनंद डज फुड इंडिया से करीब साढ़े आठ एकड़ जमीन 20 लाख रूपए में, मेमूना और सुभाष चंद से दो-दो एकड़ जमीन सात-सात लाख रूपए में और फिरदौस बेगम से सवा 11 एकड़ जमीन 24 लाख रूपए में खरीदी। यानी वाड्रा ने करीब 28 एकड़ जमीन 71 लाख रूपए में 2009 में खरीदी। हरियाणा सरकार के कागजातों के मुताबिक दो साल बाद यानी नवंबर 2011 में वाड्रा ने यही जमीन दिल्ली की साउथ एक्स इलाके की कंपनी हिंद इंटरप्राईजेज प्राईवेट लिमिटेड को कुल 2 करोड़ 15 लाख रूपए में बेच दी। यानी वाड्रा ने 2009 में 2 लाख 53 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से कुल करीब 28 एकड़ जमीन खरीदी और उसे 2011 में सात लाख 68 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर दो करोड़ 15 लाख एक हजार पांच सौ 62 रूपए में बेची।हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकश चौटाला के मुताबिक वाड्रा ने करीब 28 एकड़ जमीन में से 17 एकड़ जमीन कांग्रेस के नूंह विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अफताब अहमद के परिवार से खरीदी है। चौटाला का आरोप है कि इस जमीन की एवज में आफताब को नूंह विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की तरफ से टिकट दिया गया। यही नहीं विधायक के परिवार की बाकी बची जमीन को अर्बन डेवलप्मेंट प्लान में शामिल कर लिया गया। जिसकी वजह से उनकी जमीनों की कीमते कई गुणा बढ़ गई। फिरोजपुर जिरका से चौटाला की पार्टी के विधायक नसीम अहमद के मुताबिक हुड्डा सरकार की छत्रछाया में वाड्रा और आफताब को फायदा पहुंचाया गया। जब कांग्रेस के विधायक आफताब अहमद से बात की तो उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। आफताब का कहना है की जमीनों को उनकी कीमत के मुताबिक ही बेचा गया।
नोबेल कमेटी के अध्यक्ष थॉर्बजोर्न जगलैंड ने शुक्रवार को पुरस्कार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ईयू ने यूरोप को युद्ध के महाद्वीप से शांति के महाद्वीप में तब्दील करने में अहम भूमिका निभाई है। इस फैसले से यूनियन को मंदी से लड़ने की प्रेरणा मिलेगी। ईयू को बतौर पुरस्कार 12 लाख डॉलर (करीब 6.33 करोड़ रु.) मिलेगा। पुरस्कार वितरण समारोह 10 दिसंबर को ओस्लो में होगा।
फैसले पर विवाद के आसार
1. नॉर्वे का विरोध : ईयू को शांति का नोबेल मिलने का नॉर्वे ने विरोध किया है। वहां के एंटी-ईयू मेंबरशिप ऑर्गेनाइजेशन के हेमिंग ओलाउसेन ने कहा कि यह फैसला निर्थक है। नॉर्वे दो बार 1972 और 1944 में ईयू में शामिल होने से मना कर चुका है।
2. यूनियन ही संकट में : यूरोप यूरोजोन के संकट से गुजर रहा है। हालात इतने खराब हैं कि ईयू के भविष्य को लेकर ही गंभीर बहस चल रही है। नोबेल कमेटी के सचिव गेर लैंडेस्ट ने कहा भी कि यह यूरोप के लिए संदेश है। उपलब्धियां हासिल करने और आगे बढ़ने के लिए जो भी जरूरी है वह करते रहना चाहिए। यह रिमाइंडर भी है कि अगर यूरोपीय संघ को टूटने दिया गया तो किस तरह के नुकसान भी होंगे।
यह प्रयासों की जीत है
हम अवॉर्ड की घोषणा से खुश हैं। यह हमारे प्रयासों को सराहने और प्रेरणा बढ़ाने के लिए है। ईयू ने युद्ध की जगह शांति और घृणा की जगह एकता कायम की है।' -मार्टिन शुल्ज, यूरोपीय संसद के प्रेसिडेंट
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और अरविंद केजरीवाल के बीच जंग और तेज हो गई है। केजरीवाल ने जहां जेल से छूटने के बाद खुर्शीद के इस्तीफे की मांग करते हुए अपना आंदोलन और तेज कर दिया वहीं खुर्शी की पत्नी लुईस ने हमलावर रुख अपनाते हुए सीधे केजरीवाल को निशाना बनाया। लुईस ने अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वह विकलांग लोगों के कंधे का सहारा लेकर राजनीति कर रहे हैं।। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी के ट्रस्ट में एक के बाद एक धांधलेबाजी सामने आ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी के फर्जी साइन पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ट्रस्ट को मार्च 2011 में फंड का दूसरा हिस्सा (68 लाख रुपए) जारी किया। ट्रस्ट पर आरोप है कि इससे पहले वह फर्जी लेटर्स के आधार पर 2009-10 में केंद्रीय मंत्रालय से 71 लाख रुपए ले चुका था।24 मार्च 2011 की तारीख पर यूपी सरकार में विकलांग कल्याण विभाग के पूर्व विशेष सचिव के सिग्न्चर वाले लेटर में कहा गया है कि राज्य सरकार विकलांग लोगों की सहायता के लिए डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के काम से संतुष्ट है। इस लेटर में कहा गया है कि ट्रस्ट ने 2009-10 में राज्य के 17 जिलों के विशेष कैंपों में 'सक्षम तकनीकी विशेषज्ञों' की मौजूदगी में विकलांग लोगों को सामान दिए हैं। इस लेटर में यह सिफारिश की गई है कि मंत्रालय ट्रस्ट को और पैसे दे दे।
शनिवार को बवाना में बनाई गई अस्थायी जेल से बिना शर्त रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ दोबारा संसद मार्ग थाने पहुंच गए। उन्होंने वहां समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका अबियान तब तक चलता रहेगा जब तक सलमान खुर्शीद इस्तीफा नहीं दे देते।
मगर, इस मामले में अब तक चुप्पी साधे रहने वाली लुईस खुर्शीद शनिवार को मीडिया के सामने आईं और इन अटकलों को खारिज कर दिया कि उनके पति इस मुद्दे पर इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा, 'कोई कारण नहीं है कि उनके पति इस्तीफा दें। खुर्शीद के खिलाफ न तो केंद्र सरकार ने कोई जांच कराई है और न ही कैग की कोई रिपोर्ट है। ऐसे में उन्होंने क्यों इस्तीफा दे देना चाहिए।'
उन्होंने एक टीवी समूह की भी आलोचना की जिसके खिलाफ उन्होंने अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि ऐसी और याचिकाएं भी दायर की जाएंगी। एक याचिका कानून मंत्री भी दाखिल करेंगे।
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