Thursday, June 24, 2021

जहां हमारे पुरखे बसते थे- पलाश विश्वास

 Palash Biswas:

हमारे पुरखे जहां बसते थे। https://en.m.wikipedia.org/wiki/List_of_rivers_of_Bangladesh#/media/File%3ABangladesh_LOC_1996_map.jpg

इस साइट पर जाकर नदियों का नक्शा देखें। खुलना जिला अब baagerhat, सात्खीरा और खुलना जिलों में विभाजित है। तो बरीशाल पिरोज़पुर,भोला और बरीशाल जिलों में। यह पूरा इलाका नदियों और द्वीपों का है। जो सुंदरवन इलाका है।


उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड की  तराई, आंध्र, ओडीशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान में आये बंगाली शरणार्थी इन्ही इलाकों से हैं।


 इस विशाल इलाके के उत्तर में जैशोर, फरीदपुर और ढाका जिले हैं।जिनमें फरीदपुर से कुछ लोग शरणार्थी बने। 


ढाका और जैशोर,राजशाही और कुसठिया के ज्यादातर लोग पशिम बंगाल में सम्पत्ति विनिमय करके बस गए। वे बंगाली भूगोल से बाहर नही गए।


 त्रिपुरा के पूरब में और असम के दक्षिण में कुमिल्ला जिले से सबसे ज्यादा शरणार्थी त्रिपुरा और असम में जा बसे। 


नोआखाली बरीशाल से पूरब में हैं जहां सबसे भयानक दंगे 1947 में हुए। ये लोग तितर बितर होकर बंगाल असम त्रिपुरा और भारतभर में बिखर गए।


नोआखाली और कुमिल्ला के साथ भारत के त्रिपुरा से नीचे बंगाल की खाड़ी से लगा इलाका चटगांव और कक्ष बाजार का है,जिसके पश्चिम में बर्मा यानी म्यांमार है।  पहाड़ों और द्वीपों का यह पूरा इलाका आदिवासियों का था। जहां जनसंख्या का 98 प्रतिशत बौद्ध चकमा आदिवासी थे,जो विभाजन के बाद त्रिपुरा से लेकर अरुणाचल तक बस गए।

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