Tuesday, June 22, 2021

कैसी रचना जरूरी है?

 कैसी रचना जरूरी है?

पलाश विश्वास

हमारे गुरुजी ताराचन्द्र त्रिपाठी जी हमे gic नैनीताल

 में बताया करते थे कि रचना इतनी मौलिक और ताकतवर होनी चाहिए कि नाम न भी डालें तो पाठक रचनाकार को फौरन पहचान ले।


वॉल्टेयर ऐसे ही रचनाकार थे।जो हमेशा रचना और नाम छुपाते थे। लेकिन हर बार रचना सामने आ जाती थी।नाम उजागर हो जाता था।उन्हें निर्वासन और मृत्यु दंड की सजा सुनाई जाती रही लेखन के लिए।किसी देश में उन्हें राहत नहीं मिली।हारकर उन्होंने अपनी सारी रचनाएँ जला डाली।


पाठकों के माध्यम से उनकी हर रचना अग्निपाखी बन गयी,जिनकी उड़ान अभी थमी नहीं है और न थमनेवाली है। कालजयी ऐसी रचना ही बनती है। 


प्रायोजित रचना की ज़िंदगी बेहद छोटी होती है।


पाठक जिस रचनाकार को पहचान नहीं पाते,मार्केटिंग से उसकी रचना भले बिक जाए, समय की कसौटी पर टिक नहीं सकती।


बेस्टसेलर या लोकप्रिय साहित्य कालजयी होता तो बहुत लोग हैं जिन्हें हम भूल नहीं पाते।


Dsb Campus Nainital में हम अक्सर किसी साहित्यकार को न पढ़ पाने पर यह तर्क देते थे कि जिसे हमने पढ़ा ही नहीं वह साहित्य महान कैसे हो सकता है?


यह कुतर्क है,निःसन्देह। लेकिन कटु सत्य भी है।


रचना आम लोगों के लिए है तो हर हाल में आम लोगो तक पहुंचनी चाहिए। रचना उनतक सम्प्रेषित भी होनी चाहिए और देश दुनिया,समय,पृथ्वी,प्रकृति और समूचे ब्रह्मांड पर उसका असर भी होना चाहिए।


आलोचकों के मानक से बढ़कर है जनता और समय के प्रतिमान। अप्रकाशित रचना में भी दम हो तो वह दावानल की तरह फैल जाती है।


निरंकुश नरसंहारी विध्वंसक वर्चस्व के विरुद्ध ठीक ऐसी ही रचनाओं की जरूरत है।

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