From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/16
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com
भाषा,शिक्षा और रोज़गार |
- दिल्लीःएमसीडी स्कूलों में अब भी जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं नौनिहाल
- रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय:अगस्त माह आधा, परिणाम लापता
- बिहारःमोतिहारी में नहीं बनेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय!
- सीबीएसई 11वीं में सात नए कोर्स
- रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयःपहले कॉपी देखिये, फिर तय कीजिये पुनर्मूल्यांकन करवाना है या नहीं
- हिमाचलःनहीं भर पाई इंजीनियरिंग संस्थानों की 3623 सीटें
- डिग्री शिक्षकों को भी बतानी होगी संपत्ति
- झारखंडः25 हजार चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को मिलेगा ग्रेड पे
- दिल्ली के चार फर्जी बोर्ड जिनसे रहें सावधान
- हिमाचलःलोकपाल ने दिलाया बेरोजगारी भत्ता
- छत्तीसगढ़ पीएमटी घोटाला: मेडिकल कॉलेज में फिर दबिश देगी सीआईडी
- मध्यप्रदेशःइंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक में प्रवेश से चूके पांच हजार छात्र
- देश के टॉप 45 विश्वविद्यालयों में रांची विश्वविद्यालय भी
- डीयूःओबीसी दाखिले के लिए 10वीं कटऑफ लिस्ट!
- मध्यप्रदेशःएमबीबीएस की कुर्सी मिलेगी डेंटिस्ट को
- राजस्थानःपांच लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर
दिल्लीःएमसीडी स्कूलों में अब भी जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं नौनिहाल Posted: 14 Aug 2011 11:22 PM PDT राजधानी के दस लाख नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने का दावा करने वाले दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में आज भी डेढ़ लाख बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। फिलहाल राजधानी में नगर निगम के 1729 स्कूल संचालित होते हैं। नौनिहालों को बेहतर तालीम देने के लिए निगम रोज नई योजनाओं की घोषणा करता है, लेकिन इन स्कूलों में जमीन पर बैठने वाले लगभग 15 फीसदी नौनिहालों के लिए पिछले डेढ़ साल से नगर निगम बेंच तक नहीं खरीद पाया है। आलम यह है कि निगम के इन स्कूलों में एक बेंच पर दो बच्चों को बैठाया जाता है। फिलहाल, इन स्कूलों में 70 हजार बेंचों की कमी हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए निगम जितनी देरी करेगा, उतनी ही बेंचों की जरूरत और बढ़ती जाएगी, क्योंकि हर स्कूल में रोज कई बंेच टूट जाते हैं। खास बात यह है कि इस समस्या को कई बार नगर निगम की स्थायी समिति में भी उठाया गया। इसके बावजूद योजना को अमलीजामा पहनाने में देरी हो रही है। इस मामले में निगम में शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नागपाल का कहना है कि तकनीकी समस्याओं की वजह से टेंडर प्रक्रिया में देरी हो रही हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए अब नगर निगम भी सीपीडब्ल्यूडी के नियमों को अपनाते हुए टेंडर प्रक्रिया जारी करेगा। यह समस्या अगले पांच से छह महीने में दूर हो जाएगी। ज्ञात हो कि इस समस्या से निजात पाने के लिए नगर निगम एक समिति का भी गठन कर चुका है। इसकी सिफारिश पर ही नियमांे में परिवर्तन करने की तैयारी है। पीएसकेबी टीचर्स यूनियन के सुप्रीमो रामकिशन पूनिया का कहना है कि निगम वास्तविक जरूरतों के बदले अन्य गैरजरूरी कार्यो पर धन खर्च करता है और वास्तविक समस्याओं को दूर करने के लिए ठोस नीति नहीं बनाई जाती है(बलिराम सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय:अगस्त माह आधा, परिणाम लापता Posted: 14 Aug 2011 11:17 PM PDT रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में अगस्त माह बीत जाने के बाद भी मुख्य परीक्षाओं के परिणामों का अभी तक कुछ अता-पता नहीं है। परिणाम घोषित न होने से छात्र कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने से वंचित हो रहे हैं। फाउन्डेशन कोर्स की कई कॉपियों के लिये तो विवि को मूल्यांकनकर्ता नहीं मिल रहे हैं, जो परिणामों में देरी की सबब बन रहा है। हालांकि पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र के जाने के बाद से प्रभारी कुलपति काम में तेजी लाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं, परंतु विश्वविद्यालयीन कर्मचारी स्वयं अधिकारियों से वस्तु-स्थिति छुपा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि कई सेमेस्टर परीक्षाओं के परिणाम भी अब तक लम्बित होने की यही वजह है, कि बाहर भेजी गई कॉपियां महीनों बाद जांचकर नहीं आ पाईं हैं। जब कुलपति या कुलसचिव कॉपियों के मूल्यांकन की प्रगति पूछते हैं तो कर्मचारियों या परीक्षाओं संबंधी कार्यभार देखने वालों द्वारा उन्हें सभी बंडल जंचकर आने की बात कही जाती है, यही वजह है कि जब कोई आन्दोलनरत् छात्र परिणाम घोषित कराने की मांग लेकर विवि आते हैं तो उन्हें शीघ्र परिणाम घोषित किये जाने की बात तो कही जाती है, लेकिन असलियत कुछ और होने की वजह से परिणाम घोषित होने में देरी होती है। बाहर जा रहीं हैं कॉपियां फाउन्डेशन कोर्स की कॉपियों के कई बंडल अभी जंचने की राह देख रहे हैं। मूल्यांकनकर्ता न मिलने की वजह से कॉपियां बाहर जंचने के लिये भेजी जा रही हैं। इसकी वजह शासकीय कॉलेजों के शिक्षकों का मूल्यांकन में रुचि न दिखाना है और जो शिक्षक मूल्यांकन कार्य में रुचि दिखा रहे हैं, उन्हें 20 रुपये तक मूल्यांकन कार्य करने की बाध्यता आड़े आ रही है। हालांकि विवि प्रशासन इस बाध्यता को तोड़ने का मन बना रहा है, लेकिन उसके लिये भी बैठक आयोजित कर सभी उपस्थितों की अनुमति लेनी होगी। यह सब देखते हुए कुलपति डॉ. जेएम केलर ने प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में कॉपियां जंचवाने का निर्णय लिया है। शीघ्र आएंगे परिणाम फाउन्डेशन कोर्स की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य अभी बकाया है। यही वजह है कि कॉपियां बाहर जंचवाने के लिये भेजी जा रही हैं। छात्रों के परिणाम शीघ्र घोषित होंगे। डॉ. जेएम केलर, प्रभारी कुलपति(दैनिक भास्कर,जबलपुर,स्वतंत्रता दिवस,2011) |
बिहारःमोतिहारी में नहीं बनेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय! Posted: 14 Aug 2011 11:13 PM PDT पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने के बिहार सरकार की मांग को केंद्र द्वारा सिरे से खारिज कर दिए जाने के बाद यह मुद्दा गर्माने लगा है। मामले से सीधे तौर पर जुड़े मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने साफगोई से कहा कि सरकार मोतिहारी में जमीन की व्यवस्था कर चुकी है, सड़क मार्ग से वह राजधानी से जुड़ चुका है इसलिए अब कदम वापस लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता। प्रधान सचिव ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के हर क्षेत्र में शिक्षा का फूल खिलाना चाहती है, नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे यही मकसद है और मोतिहारी में भी। उन्होंने कहा कि केंद्र आइआइटी, बिहटा को प्रदत्त जमीन पर केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाना चाहता है जो नियम विरुद्ध होगा। दरअसल, शुक्रवार को राज्यसभा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने जदयू सांसद शिवानंद तिवारी द्वारा मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने की राज्य सरकार की मांग से संबंधित सवाल के जवाब में घोषणा की थी कि मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का कोई इरादा नहीं है, विश्वविद्यालय पटना में ही बनेगा। भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि केंद्र का यह फैसला संघीय व्यवस्था के प्रावधान के खिलाफ है। केंद्र का तर्क है कि मोतिहारी में आधारभूत संरचना और कनेक्टिविटी न होने के चलते अच्छे फैकल्टी मेंबर नहीं जा सकेंगे और न ही मेधावी छात्र उस विवि की ओर मुखातिब होंगे। सिब्बल के अनुसार, राज्य सरकार को मोतिहारी के अलावा और भी विकल्प देने चाहिए थे मगर उसने ऐसा नहीं किया। अप्रैल में बिहटा में नीतीश ने सिब्बल से मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि इसके लिए समुचित भूमि अर्जित की जा चुकी है तथा राजधानी से सड़क के जरिये उस स्थान को जोड़ दिया गया है। वहां विश्वविद्यालय बनने से उस क्षेत्र का विकास हो जाएगा(दैनिक जागरण,पटना,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
सीबीएसई 11वीं में सात नए कोर्स Posted: 14 Aug 2011 11:11 PM PDT देशभर के सीबीएसई स्कूलों में अगले शैक्षणिक सत्र 2012-13 से 11वीं कक्षा में 7 नए कोर्स शुरू किए जाएंगे। सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने रविवार को कोटा में पत्रकारों से बात करते हुए इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि स्कूली छात्रों में एप्टीट्यूड विकसित करने के लिए सीबीएसई अगले साल से कई नए प्रयोग कर रहा है। छात्र स्कूल से ही अपनी रूचि के अनुसार रोजगारपरक विषय चुनकर उस क्षेत्र में आगे पढ़ाई करके कॅरिअर बना सकेंगे। छात्रों को ज्यादा से ज्यादा च्वाइस के विषय चुनने की छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि नए बदलाव में शिक्षकों की ट्रेनिंग पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। वे स्कूलों में अच्छी तरह पढ़ा रहे हैं या नहीं, इसकी बारीकी से वीडियो मॉनिटरिंग की जाएगी। हिस्ट्री में अब ज्यादा लिखो: सीबीएसई ने 2012 से 12वीं कक्षा में हिस्ट्री के वैकल्पिक पेपर में निबंधात्मक प्रश्नों के अंक 8 से बढ़ाकर 10 कर दिए हैं, इनमें शब्द सीमा भी 250 की जगह अब 500 होगी। लघु निबंधात्मक प्रश्नों में 5 की बजाय अब 3 प्रश्न ही पूछे जाएंगे। इसके पीछे तर्क यह है कि छात्रों की प्रश्नों के उत्तर लिखने की क्षमता बढ़ाई जाए। ये होंगे नए कोर्स प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, एनिमेशन, इवेंट मैनेजमेंट, रिटेल मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक जैसे विषयों में से किसी एक को वैकल्पिक विषय के रूप में चुन सकते हैं। अभी किसी भी संकाय के तीन मुख्य विषयों के साथ इंग्लिश और एक अन्य वैकल्पिक विषय चुनना होता है(दैनिक भास्कर,कोटा,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयःपहले कॉपी देखिये, फिर तय कीजिये पुनर्मूल्यांकन करवाना है या नहीं Posted: 14 Aug 2011 11:08 PM PDT मुख्य परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन में लगातार हो रही गड़बड़ियों को देखते हुए पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय अब पुनर्मूल्यांकन का पूरा सिस्टम ही बदलने की तैयारी कर रहा है। इसमें नतीजों से असंतुष्ट छात्र को पुनर्मूल्यांकन आवेदन के पहले उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी दी जाएगी। अपनी कॉपी को छात्र देखकर तय कर पाएंगे कि उन्हें पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करना है या नहीं। नए सिस्टम में रविशंकर यूनिवर्सिटी में मूल्यांकन में होने वाली गड़बड़ी भी एक्सपोज हो जाएगी।मूल्यांकनकर्ताओं को अब संभलकर कॉपियां जांचनी पड़ेगी।हर साल किसी न किसी परीक्षा के मूल्यांकन को लेकर छात्रों में नाराजगी होती है।किसी खास विषय में ज्यादातर छात्रों को कम नंबर मिलने की बात आती है, तो कभी कॉपियों में एक जैसे नंबरों पर उनकी आपत्ति होती है।इसे लेकर छात्र नेताओं की ओर से अक्सर रविवि परिसर में हंगामा और विवाद भी होता रहा है। कुछ मामलों में उनकी शिकायतें सही भी मिली हैं। तत्कालीन कुलपति डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी ने मूल्यांकन में गंभीर लापरवाही करने वाले एक दर्जन शिक्षकों को काली सूची में डाला था। इन्हीं सब गड़बड़ियों और शिकायतों को देखते हुए रविवि प्रशासन का नया पुनर्मूल्यांकन नियम काफी मददगार होगा। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। गोपनीय, अकादमी और परीक्षा विभाग के अधिकारी नियम बनाने के साथ इसमें लगने वाले संसाधन, आने वाले खर्च और कर्मचारियों की व्यवस्था का आंकलन किया जा रहा है। कार्यपरिषद की बैठक में एक बार इस मसले को रखा जा चुका है। बैठक में फैसला हुआ है कि इसके नियम में संशोधन और खर्च का आंकलन किया जाए। नए नियम के तहत पुनर्मूल्यांकन और फोटो कॉपी के शुल्क भी अलग से तय होंगे। इसमें लगने वाला सारा खर्च छात्र को वहन करना होगा। इससे पहले परीक्षा परिणाम से असंतुष्ट छात्रों की अधिक संख्या को देखते हुए पूर्व कुलपति डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी ने कार्यपरिषद की आपात बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल में उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी दिए जाने वाले नियम को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया था। इसके तहत अब छात्रों को पुनर्मूल्यांकन के बाद मांगे जाने पर उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी दी जाती है। काली सूची में डाले गए शिक्षक डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी के कार्यकाल में पुनर्मूल्यांकन के आवेदनों को देखते हुए उत्तर पुस्तिकाओं की रेंडम जांच की गई थी। इसमें अधिकांश शिक्षकों ने कॉपी जांची ही नहीं थी और उसके प्रथम पेज में मनमाने तरीके से अंक डाल दिए थे। इस पर एक दर्जन शिक्षकों को काली सूची में डालते हुए पांच साल तक परीक्षा कार्य से वंचित करने का फैसला किया गया था। इन बिंदुओं पर हो रहा विचार - छात्र को सारी उत्तर पुस्तिकाएं दी जाएं या सिर्फ दो? - इसमें रविवि को कितना खर्च आएगा? - कितने कर्मचारी लगेंगे? - कितनी प्रिंटिंग मशीन लगेंगी? - पारदर्शिता के साथ परीक्षा की गोपनीयता कैसे बनी रहेगी? - छात्रों का साल बर्बाद नहीं होगा। - गलती फौरन पकड़ में आएगी। - पुनर्मूल्यांकन प्रणाली में आएगी पारदर्शिता। - गड़बड़ियों के कारण होने वाले विरोधों और विवादों से मिलेगी मुक्ति। "बार-बार बढ़ रही शिकायतों को देखते हुए पुनर्मूल्यांकन नियम में संशोधन का विचार किया जा रहा है। नियम बनाने के लिए विभागों को कहा गया है। बहुत जल्दी ही इसे लागू किया जाएगा।" डॉ. शिव कुमार पांडेय, कुलपति, रविवि(संजय पाठक,दैनिक भास्कर,रायपुर,स्वतंत्रता दिवस,2011) |
हिमाचलःनहीं भर पाई इंजीनियरिंग संस्थानों की 3623 सीटें Posted: 14 Aug 2011 11:02 PM PDT हिमाचल में इंजीनियरिंग संस्थानों के भविष्य पर शुरुआती दौर में ही संकट पैदा होने लगा है। इस बार गिने-चुने कॉलेजों में ही सीटें भर पाई हैं। प्रदेश के जिन 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों और 14 फार्मेसी संस्थानों के लिए 6520 सीटें आवंटित की गई थीं उनमें से 3623 सीटें खाली रह गई हैं। बीटेक में इन इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 5580 सीटें भरी जानी थी। अलग-अलग कॉलेजों के लिए काउंसलिंग से अलॉट की जाने वाली इन सीटों में से केवल 1957 ही भर पाई हैं। तीन बार काउंसलिंग के लिए तारीख बढ़ाने के बावजूद बीटेक के लिए केवल 4275 आवेदन ही आए जबकि सीटें 5580 थीं। यह सीटें तकनीकी यूनिवर्सिटी की काउंसलिंग से भरी जानी थीं। बी-फार्मा में भी 820 में से 288 रहेंगी खाली : बी-फार्मा में कुल 820 सीटों के लिए प्रदेश के 14 फार्मेसी संस्थानों में मात्र 477 आवेदन आए। यहां भी स्टूडेंट्स का क्रेज लगातार घट रहा है। इनमें से 432 सीटें प्रथम वर्ष के लिए और 55 द्वितीय वर्ष के लिए भरी गई हैं। यहां 288 सीटें खाली रही हैं। बीटेक के लिए द्वितीय वर्ष के दाखिलों में भी केवल 400 स्टूडेंट्स ने ही दाखिला लिया है। 11 अगस्त को इन सीटों को भरने के लिए हुई तीसरे दौर की काउंसलिं के लिए 30 जुलाई आवेदन करने की आखिरी तारीख थी, लेकिन कुछ स्टूडेंट्स ने ही आवेदन किया। इन तमाम संस्थानों के पास सीटें भरने के लिए 15 फीसदी का मैनेजमेंट कोटा रहता है, लेकिन 50 फीसदी सीटें ज्यादातर संस्थानों में खाली चल रही हैं। लिहाजा 15 फीसदी कोटे से भी सीटें नहीं भर पाई हैं। प्रदेश के करीब छह संस्थानों में ही 70 से 90 फीसदी सीटें जैसे-तैसे भर पाई हैं(दैनिक भास्कर,शिमला,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
डिग्री शिक्षकों को भी बतानी होगी संपत्ति Posted: 14 Aug 2011 10:57 PM PDT देश में उच्च शिक्षा के निजीकरण के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से भ्रष्टाचार बढ़ा है। कॉलेजों को मान्यता देने का मामला हो या कोर्सेज को, लगातार भ्रष्टाचार सामने आता रहा है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और एआइसीटीई जैसे संस्थानों के अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में घिरते रहे हैं। अब विश्वविद्यालय भी इससे अछूते नहीं है। आलोचनाओं और उठते सवालों के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के तमाम विवि के अधिकारियों और शिक्षकों को अपनी संपत्ति घोषित करने का फरमान जारी किया है। फरमान के बाद भ्रष्टाचार का हिस्सा रहे अधिकारियों पर अंकुश लगाने में आसानी होगी। माना जा रहा है कि इस मामले में लगातार आयोग के शिकायतें मिल रही थीं। कॉलेजों के निरीक्षण का मामला हो या मान्यता का, विवि अधिकारियों को शायद ही किसी में कमी नजर आती हो। तमाम निरीक्षण की रिपोर्ट सकारात्मक रहती हैं। इसके बावजूद निजी शिक्षण संस्थानों में शैक्षिक स्तर व गुणवत्ता कम हो रही है। ऐसे में आयोग का मानना है कि कहीं न कहीं व्यवस्था में खामी है और भ्रष्टाचार पैर पसार रहा है। यूजीसी ने हाल ही में जारी सर्कुलर के माध्यम से देश भर के विवि के कुलपति, कुलसचिव, वित्त नियंत्रक-शिक्षकों समेत तमाम अधिकारियों को संपत्ति घोषित करने के निर्देश दिए हैं। आयोग के इस फैसले को राज्य के विवि के कुलपति सकारात्मक पहल मान रहे हैं। वे भी मानते हैं कि भ्रष्टाचार से विवि भी मुक्त नहीं हैं। ऐसे में जो लोग सही हैं, वे इस फैसले का स्वागत करेंगे। दून विवि के कुलपति प्रो. गिरिजेश पंत का कहना है कि आयोग का यह फैसला सराहनीय है। जिस तेजी से भ्रष्टाचार बढ़ रहा, शिक्षा का क्षेत्र भी इससे बच नहीं सकता। ऐसे में संपत्ति सार्वजनिक करने की बाध्यता अच्छा उपचार हो सकता है। उत्तराखंड तकनीकी विवि के कुलपति प्रो. डीएस चौहान भी इसे अच्छी पहल मानते हैं। उनका कहना है कि इस फैसले से वित्त के मामलों से जुड़े अधिकारियों पर अंकुश लगेगा(दैनिक जागरण,देहरादून,स्वतंत्रता दिवस,2011) |
झारखंडः25 हजार चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को मिलेगा ग्रेड पे Posted: 14 Aug 2011 10:38 PM PDT सरकार चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को ग्रेड पे का तोहफा देने जा रही है। मैट्रिक पास कर्मी को 1800 और नन मैट्रिक को 1650 रुपए का लाभ मिलेगा। यह एक अप्रैल 2011 से प्रभावी होगा। लगभग 25 हजार चतुर्थवर्गीय कर्मचारी सीधे या अपरोक्ष रूप से इससे लाभान्वित होंगे। सरकार के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की अगली बैठक में मुहर लग जाएगी। कर्मी पिछले चार साल से 1800 रुपए के ग्रेड पे को लेकर आंदोलन कर रहे थे। सीधा लाभ पाने वाले कर्मियों की संख्या लगभग 10 हजार है, जिन्हें एसीपी का लाभ नहीं मिला है। एसीपी का लाभ प्राप्त कर्मियों को ग्रेड पे के बढ़ने से बहुत अधिक लाभ नहीं होगा। ग्रेड पे में बढ़ोतरी से प्रत्येक कर्मचारी को औसतन 800 रुपए प्रति माह का लाभ होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के पद समाप्त करने और न्यूनतम ग्रेड पे 1800 किए जाने के बाद से ही राज्य में भी इस संवर्ग के कर्मी केंद्रीय सेवा शर्तो के अनुरूप लाभ दिये जाने की मांग कर रहे थे(दैनिक भास्कर,रांची,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
दिल्ली के चार फर्जी बोर्ड जिनसे रहें सावधान Posted: 14 Aug 2011 10:36 PM PDT '8वीं फेल 9वीं करें और 10वीं फेल सीधे 12वीं करें' जैसे लुभावने विज्ञापनों को देखकर अपनी पढ़ाई पूरी करने की चाह रखने वाले छात्र सावधान हो जाएं, क्योंकि कहीं ऐसा न हो जाए कि उनको दी जाने वाली मार्क्सशीट ही फर्जी बोर्ड से जारी की गई हो। दिल्ली पुलिस कमिश्नर की मानें तो राजधानी में चार फर्जी बोर्ड चल रहे हैं और अगर इनके खिलाफ शिकायत मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से इन सभी चारों बोर्ड को लेकर अलर्ट जारी किया गया है जिसमें बताया गया कि किस तरह से केन्द्र सरकार के प्रतीक व नाम सम्बंधी एक्ट 1950 के सेक्शन 3 के तहत बिना मंजूरी के कोई भी व्यक्ति अपने ट्रेड, बिजनेस, पेशे के साथ-साथ पेटेंट टाइटल में केन्द्र सरकार का नाम या इससे मान्यता प्राप्त होने का दावा नहीं कर सकता है। संयुक्त आयुक्त केवल सिंह की ओर से जारी इस नोटिस में साफ किया गया है कि राजधानी में चार फर्जी बोर्ड चल रहे हैं और इनसे बचकर रहें। इन चार बोर्ड के नाम ऑल इंडिया बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, गाजीपुर, दिल्ली, बोर्ड ऑफ एडल्ट एजुकेशन, सेंट्रल बोर्ड ऑफ हाईयर एजुकेशन, वाचस्पति भवन, उत्तम नगर, दिल्ली व बोर्ड ऑफ एडल्ट एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, ब्रह्मपुरी, नई दिल्ली है। नोटिस में यह भी साफ किया गया है कि इन बोर्ड से बचकर रहा जाए और यदि इनके खिलाफ किसी भी तरह शिकायत मिलती है तो पुलिस कानून के तहत कड़ी कार्रवाई करेगी। उघर, सीबीएसई के अधिकारियों की मानें तो वेबसाइट पर जारी इस अलर्ट के जरिए ज्यादा से ज्यादा छात्रों को इस बात की जानकारी दी जा रही है कि वह किसी भी तरह के बहकावे में न आएं और अपनी पढ़ाई के लिए मान्यता प्राप्त बोर्ड का ही चुनाव करें, क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि पढ़ाई करने के बाद भी योग्यता अधूरी रह जाए(दैनिक भास्कर,दिल्ली,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
हिमाचलःलोकपाल ने दिलाया बेरोजगारी भत्ता Posted: 14 Aug 2011 10:34 PM PDT प्रदेश में मनरेगा के मजदूरों के हक में पहली बार ऐतिहासिक फैसला आया है। प्रदेश में यह पहला मौका है जब मनरेगा लोकपाल ने मजदूरों को काम न मिलने की सूरत में बेरोजगारी भत्ता देने के आदेश दिए हैं। धर्मपुर उपमंडल की डरबाढ़ पंचायत के नौ मजदूरों को प्रति मजदूर 86 दिन का बेरोजगारी भत्ता देने के आदेश दिए हैं। मजदूरों की ओर से उनके हक दिलवाने की पैरवी हिमाचल किसान सभा के जिला सचिव भूपेंद्र सिंह ने की। डरवाढ़ पंचायत के छतरैण गांव के 20 मजदूरों ने पिछले साल 30 जुलाई को पंचायत से 100 दिनों की मजदूरी के लिए मनरेगा के तहत आवेदन किया था। इनमें से 9 मजदूरों को 14 दिन, 8 मजदूरों को 28 दिन और 3 मजदूरों को पंचायत कोई मनरेगा के तहत काम उपलब्ध नहीं करवा पाई। इसके चलते मजदूरों ने 18 अप्रैल 2011 को लोकपाल मनरेगा मंडी को बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया था। सुनवाई के बाद लोकपाल एसपी चटर्जी ने 9 मजदूरों के हक में फैसला सुनाया। पंचायत के जिन 8 मजदूरों को 100 दिन की जगह सिर्फ 28 दिन का काम मिला है उनकी ओर से मनरेगा लोकपाल के पास दायर मामले में फैसला 30 अगस्त को आएगा। जिन तीन मजदूरों को एक भी दिन का काम नहीं मिला है उनके बारे में लोकपाल अपना फैसला 5 सितंबर को सुनाएंगे(दैनिक भास्कर,शिमला-मंडी,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
छत्तीसगढ़ पीएमटी घोटाला: मेडिकल कॉलेज में फिर दबिश देगी सीआईडी Posted: 14 Aug 2011 10:33 PM PDT रायपुर मेडिकल कॉलेज में 2006 से 2010 तक की बैच में प्रवेश लेने वाले 28 संदिग्ध चिकित्सा छात्रों के फिंगर प्रिंट लेने के लिए सीआईडी की टीम दोबारा मेडिकल कालेज में दबिश देने की तैयारी कर रही है। कार्यवाही के बारे में मेडिकल कालेज के डीन डॉ. एके शर्मा को सूचित कर दिया गया है। डीन से अपील की गई है कि वे छात्रों को एक तिथि में एकत्र होने का आदेश जारी करें। रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस समेत लगातार तीन दिनों की छुट्टी होने की वजह से जांच का काम फिलहाल अटक गया है। इस कारण छात्रों को कॉलेज में उपस्थित रहने के लिए नोटिस जारी नहीं हो सकी है। सीआईडी से मिली जानकारी के अनुसार पांच बैच के 32 छात्रों के अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर लिए गए थे। इनमें से दो छात्रों के अंगूठे के निशान आपस में मेल नहीं खा रहे। दोनों छात्रों को सीआईडी ने फर्जी घोषित कर दिया है। हालांकि दोनों के नाम अब तक उजागर नहीं किए गए हैं। फोरेंसिक विभाग के विशेषज्ञों ने सीआईडी अफसरों को बताया कि छात्रों के अंगूठे के निशान ठीक ढंग से नहीं लिए गए हैं। इस वजह से फॉर्म में और वर्तमान में अंगूठे के निशान की जांच कर पाना संभव नहीं हो रहा है। यही वजह है कि 28 छात्रों के अंगूठे के निशान दोबारा लिए जाएंगे। माना जा रहा है कि छुट्टियों के बाद जांच की कार्रवाई आगे बढ़ेगी। पिछली मर्तबा की गलती से सीख लेते हुए सीआईडी की टीम इस बार फोरेंसिक विशेषज्ञों के निर्देश पर छात्रों के अंगूठे के निशान चार तरीके से लेगी। इसमें सीधा और तीन तरीके फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा बताए गए तरीके से लिए जाएंगे। चार तरह से अंगूठे के निशान लेने के बाद जांच का काम भी आसान हो जाएगा। इससे लैब में किसी भी एंगल से अंगूठे के निशान मिलाए जा सकेंगे। इस वजह से इस जांच की रिपोर्ट भी एक सप्ताह के भीतर मिल जाएगी।जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
मध्यप्रदेशःइंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक में प्रवेश से चूके पांच हजार छात्र Posted: 14 Aug 2011 10:30 PM PDT प्रदेश के इंजीनियरिंग एवं पॉलीटेक्निक कॉलेजों में पांच हजार छात्र काउसिलिंग प्रक्रिया में त्रुटियां करने के कारण प्रवेश से चूक गए हैं। इनमें कई तो ऐसे हैं, जिन्हें पीईटी में अच्छे नंबर मिले हैं। इन छात्रों को अब द्वितीय चरण की काउंसिलिंग में भाग लेने का अवसर मिलेगा, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इन्हें पसंद का कॉलेज या ब्रांच मिल ही जाए। बीई में प्रवेश पाने से चूकने वालों की संख्या लगभग 3500 और पॉलीटेक्निक में 1500 है। बीई प्रथम चरण की काउंसिलिंग में 43 हजार एवं पॉलीटेक्निक में 11 हजार छात्रों ने कॉलेज लॉक किया था। प्रवेश पाने से चूके छात्रों का कहना है कि उन्हें काउंसिलिंग के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी, इसलिए कॉलेज का चयन ठीक से नहीं कर सका। इनमें कुछ ऐसे भी छात्र हैं जिन्होंने रजिस्ट्रेशन एवं सत्यापन तो कराया, लेकिन कॉलेज लॉक करना भूल गए। ऐसे छात्रों के पीईटी में अच्छे अंक आए थे। प्रवेश से चूके छात्र द्वितीय चरण की काउंसिलिंग में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए छात्रों को तीस रुपए पोर्टल चार्ज देना होगा। कहां हुई चूक? डीटीई के मुताबिक बीई एवं पॉलीटेक्निक प्रथम चरण की काउंसिलिंग में भाग लेने वाले छात्रों ने रजिस्ट्रेशन एवं सत्यापन के बाद लॉकिंग संबंधी गलतियां की हैं। ऐसे छात्रों ने मेरिट के आधार पर कॉलेजों का चयन नहीं किया। पसंद के कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए केवल एक कॉलेज एवं एक ब्रांच को ही लॉक किया। कुछ ने तो रजिस्ट्रेशन और सत्यापन के बाद 5100 रुपए भुगतान नहीं किया। विभाग ने ऐसे छात्रों को कॉलेज आवंटित नहीं किया। ये है स्थिति - बीई की कुल सीटें- 8५ हजार - प्रथम चरण में प्रवेश- 20 हजार - 19 हजार छात्रों ने अपग्रेडेशन का विकल्प चुना - पॉलीटेक्निक की सीटें- 11 हजार - रिक्त- 1500 छात्रों की गलती से प्रवेश हुए कम बीई एवं पॉलीटेक्निक काउंसिलिंग के दौरान छात्रों की गलतियों के कारण प्रवेश कम हुए अन्यथा इंजीनियरिंग की 43 हजार एवं पॉलीटेक्निक की 11 हजार सीटें भर जातीं। अब पॉलीटेक्निक की करीब 1500 एवं बीई की 43 हजार सीटें रिक्त हैं(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
देश के टॉप 45 विश्वविद्यालयों में रांची विश्वविद्यालय भी Posted: 14 Aug 2011 10:26 PM PDT रांची विवि को देश के टॉप 45 विश्वविद्यालयों में स्थान मिला है। एक मीडिया कंपनी के नवीनतम अंक में प्रकाशित सूची में आरयू 43वें स्थान पर है। यह पोजिशन विश्वविद्यालयों की आधारभूत संरचना को आधार बनाकर किए गए सर्वे में आया है। बीआईटी के बाद आरयू राज्य का पहला यूनिवर्सिटी है, जिसे यह गौरव प्राप्त हुआ है। देश में वर्तमान में कुल 450 यूनिवर्सिटी है। आरयू ने भेजा था डाटा सर्वे से पहले रांची विवि का डाटा मांगा गया था। रजिस्ट्रार डॉ. ज्योति कुमार ने निर्धारित समय पर डाटा भेज दिया था। इसमें बेसिक साइंस भवन, एकेडमिक स्टाफ कॉलेज का गेस्ट हाउस, इनफार्मेशन एंड ई नॉलेज सेंटर आदि शामिल थे। आरयू के लिए बड़ी उपलब्धि रांची विवि को आधारभूत संरचना के आधार पर श्रेष्ठ 45 विश्वविद्यालयों में शामिल किया जाना बड़ी उपलब्धि है। विवि के अधिकारी और कर्मियों की टीम भावना से कार्य करने की वजह से यह संभव हो पाया है।"" डॉ. एए खान, कुलपति, रांची विवि(दैनिक भास्कर,रांची,स्वतंत्रता दिवस,2011) |
डीयूःओबीसी दाखिले के लिए 10वीं कटऑफ लिस्ट! Posted: 14 Aug 2011 10:21 PM PDT दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए 10वीं कटऑफ लिस्ट जारी होने जा रही है। ओबीसी आरक्षण के चलते खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए विश्वविद्यालय दाखिले के लिए अब तक छात्रों की राह देख रहा है। विश्वविद्यालय में उपलब्ध ओबीसी की 14,580 सीटों के लिए पांच सामान्य और चार विशेष कटऑफ जारी होने के बाद भी बात बनती नजर नहीं आ रही है। कुलपति प्रो. दिनेश सिंह की मानें तो नौवीं कटऑफ के दाखिले 16 अगस्त तक चलेंगे और यदि फिर भी सीटें खाली रह जाएंगी तो और कटऑफ जारी की जाएगी। हालांकि कुलपति ने साफ कर दिया है कि अंतिम फैसला 16 अगस्त के बाद बची सीटों को देखते हुए होगा। विश्वविद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नए सत्र के दाखिलों के लिए निर्धारित व्यवस्था के तहत 13 जुलाई तक पांच कटऑफ जारी कर सामान्य व ओबीसी श्रेणी के दाखिले किए जाने थे और इसके बाद ओबीसी की बची सीटें सामान्य श्रेणी को बीते सालों की तरह स्थानांतरित होनी थीं। लेकिन पहले मंत्रालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय के रुख के बाद ओबीसी की सीटें सामान्य श्रेणी को स्थानांतरित करने की व्यवस्था खत्म हो गई। इसी अनिवार्यता का पालन करने में जुटे विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी 8वीं व 9वीं कटऑफ के जरिये ओबीसी की करीब 3500 सीटों को भरने का प्रयास जारी है लेकिन बहुत ज्यादा सफलता मिलती नहीं दिख रही है। कुलपति प्रो दिनेश सिंह की मानें तो पिछले कई सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि डीयू के कॉलेजों में दाखिले के लिए अंक प्रतिशत 39 से 40 फीसदी तक गिरा है। छात्राओं के मोर्चे पर तो राजधानी कॉलेज में यह अंक प्रतिशत 38 प्रतिशत तक पहुंच गया है जबकि जाकिर हुसैन कॉलेज ने अपने यहां बंगाली और पर्शियन के लिए सभी योग्य उम्मीदवारों को दाखिले देने की घोषणा कर दी है यानी उनका बस बारहवीं पास होना भर जरूरी है। कुलपति ने कहा कि हमने ही कॉलेजों को यह छूट दी है कि वह ओबीसी की खाली सीटों को भरने के लिए अपने यहां अंक प्रतिशत अनिवार्य योग्यता तक ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार सीटें सामान्य व अन्य श्रेणी में परिवर्तित नहीं की जाएंगी। ऐसे में यदि सीटें खाली रहती हैं तो नई कटऑफ जारी करने का विकल्प खुला है। नौवीं कटऑफ से भी नहीं हुई सीटें फुल डीन छात्र कल्याण प्रो. जेएम खुराना की मानें तो फिलहाल यह जानकारी मिल रही है कि नौवीं कट ऑफ सूची के बाद भी सीटें नहीं भर पा रही हैं। प्रो. खुराना ने कहा कि जरूरत पड़ी तो विश्वविद्यालय और कट ऑफ सूची निकाल सकता है। उन्होंने बताया कि कॉलेजों को कहा गया है कि वे 16 अगस्त को ओबीसी की खाली सीटों का ब्योरा दें, जिसके आधार पर अगली कटऑफ का भविष्य तय होगा(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
मध्यप्रदेशःएमबीबीएस की कुर्सी मिलेगी डेंटिस्ट को Posted: 14 Aug 2011 10:19 PM PDT अब गांवों के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के रिक्त पदों पर डेंटिस्टों की भर्ती की जाएगी। इसके लिए बीडीएस डिग्रीधारी को एक साल की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, जो सरकारी मेडिकल कॉलेज में होगी। विशेष ट्रेनिंग में इन्हें मेडीसिन, हड्डी रोग, स्त्री रोग, नेत्र रोग, सर्जरी और फॉरेंसिक मेडीसिन की शिक्षा दी जाएगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह योजना कैबिनेट उपसमिति के निर्देश पर बनाई है। इसे सितंबर में मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एमबीबीएस डिग्रीधारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने को तैयार नहीं हैं। इस कारण प्रदेश में डॉक्टरों के करीब 2500 पद खाली हैं। इसी को देखते हुए डेंटिस्टों की तैनाती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर करने का फैसला लिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों से हर साल 620 एमबीबीएस जबकि एकमात्र सरकारी डेंटल कॉलेज से ४क् और प्राइवेट डेंटल कॉलेज से 1300 डेंटिस्ट निकलते हैं। इनमें से एमबीबीएस करने वाले करीब सौ लोग ही सरकारी नौकरी करते हैं। फाइलों से बाहर आए निर्णय हमीदिया अस्पताल के सेवानिवृत्त अधीक्षक डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बीडीएस डॉक्टर स्पेशल ट्रेनिंग लेकर मरीजों का इलाज करने में आयुष डॉक्टरों से ज्यादा सक्षम होंगे, लेकिन सरकार डेंटिस्टों को गांव के अस्पतालों में पदस्थ करने के निर्णय पर अमल करे। उन्होंने बताया कि जुलाई में राज्य सरकार ने आयुष डॉक्टरों को गांव के अस्पतालों में पदस्थ कर डॉक्टरों की कमी दूर करने का दावा किया था, जो महज घोषणा बनकर रह गया। डॉक्टरों के रिक्त पदों की स्थिति : पदनाम रिक्त पद विशेषज्ञ डॉक्टर 1953 मेडिकल ऑफिसर 997 (आंकड़े प्रशासकीय प्रतिवेदन से लिए गए हैं) एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए बीडीएस डिग्रीधारक डॉक्टरों को एक साल की ट्रेनिंग देकर गांव के अस्पतालों में पदस्थ करने की योजना बनी है। इन डॉक्टरों की पदस्थापना केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर के अस्पतालों में होगी। नरोत्तम मिश्रा, मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पहले चरण में 500 डेंटिस्टों को ट्रेनिंग संयुक्त संचालक चिकित्सा शिक्षा ने बताया कि डेंटिस्टों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नियुक्त करने से पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक साल की ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले चरण में 500 डेंटिस्टों का चयन ट्रेनिंग के लिए किया जाएगा। खराब सेवा शर्तो के कारण नहीं जाते गांवों में जेपी अस्पताल के सेवानिवृत्त अस्पताल अधीक्षक डॉ. एके चौधरी ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डिग्री के बाद प्रीपीजी की तैयारी करने के कारण गांव के अस्पतालों में ड्यूटी करने नहीं जाते। इसके अलावा ये डॉक्टर सरकारी नौकरी में वेतन कम मिलने और खराब सेवा शर्तें होने के कारण भी गांव के अस्पताल में ड्यूटी करने नहीं जाते(रोहित श्रीवास्तव,दैनिक भास्कर,भोपाल,स्वतंत्रता दिवस,2011)। |
राजस्थानःपांच लाख बच्चे अब भी शिक्षा से दूर Posted: 14 Aug 2011 10:16 PM PDT राज्य में ड्रॉप आउट और अनामांकित 5 लाख 30 हजार 307 बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से नहीं जोड़ा जा सका है। सर्व शिक्षा अभियान की हाल ही जारी नामांकन अभियान की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। डेढ़ माह तक चले नामांकन अभियान के दौरान इन बच्चों को जोड़ा जाना था। राज्य में सर्व शिक्षा अभियान के तहत गत वर्ष चाइल्ड ट्रेकिंग अभियान चलाया गया था। इस दौरान छह से 14 वर्ष के छह लाख 96 हजार 573 अनामांकित और पांच लाख 14 हजार 344 ड्रॉप आउट कुल 12 लाख 10 हजार 917 बालक- बालिकाओं को चिन्हित किया गया था। इनमें चार लाख 94 हजार 395 बालक तथा सात लाख 16 हजार 522 बालिका शामिल हैं। इस शिक्षा सत्र में इन बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विशेष नामांकन अभियान चलाया गया।यह अभियान पहले एक से 31 जुलाई तक था। बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दी गई लेकिन स्वतंत्रता दिवस की तैयारी के कारण इस माह अभियान सुस्त पड़ गया तथा अभियान खत्म होने से पहले ही एसएसए ने इसकी रिपोर्ट जारी कर दी। अभियान के दौरान सभी जिलों के लक्ष्य निर्धारित किए गए। स्कूल के प्रत्येक अध्यापक को दो- दो बालकों को जोड़ने के निर्देश शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल ने दिए थे लेकिन विभाग अभियान के तहत लक्ष्य पूरा करने में सफल नहीं हो सका। अभियान के दौरान सीटीएस सर्वे में चिन्हित बालकों में से आधे बालक ही स्कूल पहुंच सके। कहां हुई गड़बड़ी सीटीएस सर्वे में चिन्हित शिक्षा से वंचित बालकों की सूचियां सभी स्कूलों को वार्ड और क्षेत्र के हिसाब से दी गई थी लेकिन अधिकांश स्कूलों के अध्यापकों को अपने क्षेत्र में वह बच्चे मिले ही नहीं। दरअसल इन स्कूलों को ऐसे बालकों की सूचियां दी गई, जिनका घर स्कूल से दस किलोमीटर दूर था। बीकानेर में ही शहरी क्षेत्र की स्कूलों को गांव के बालकों की सूचियां थमा दी गई। चिन्हित बालक या तो क्षेत्र से पलायन कर गए या ओवर ऐज हो गए। कुछ बालक बीमारी या हादसे का शिकार होकर काल के ग्रास बन गए। ऐसे ही हालात कमोबेश सभी जिलों में रहे हैं। अब संशोधित सीटीएस सर्वे शिक्षा से वंचित पांच लाख से अधिक बालकों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य में संशोधित सीटीएस सर्वे करवाया जा रहा है। पता चला है कि गत वर्ष सीटीएस सर्वे वर्ष 2008 की मतदाता सूची के आधार पर किया गया था, जिसकी वजह से ड्रॉप आउट बालकों और परिवारों की संख्या में अंतर आ गया। एसएसए का स्क्रीनिंग सिस्टम भी गड़बड़ा गया। गलतियां सुधारने के लिए एसएसए ने अब संशोधित सर्वे के नाम से चार प्रपत्र जारी किए हैं। पहला प्रपत्र मूल सर्वे का है, जो वर्तमान में हुआ है। दूसरे प्रपत्र में शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़े बालकों के लिए है। तीसरे प्रपत्र में नए बालक चिन्हित होंगे और चौथा प्रपत्र डिलिटेशन का होगा, जिसमें ऐसे बालकों की संख्या दर्ज होगी, जो पहले सर्वे के दौरान पलायन कर गए, ओवर ऐज हो गए या जिनकी मृत्यु हो चुकी है। रिपोर्ट मांगी है नामांकन अभियान सालभर चलाएंगे। मैंने अभियान की रिपोर्ट मांगी है। उसके आधार पर जिम्मेवारी तय की जाएगी। -मास्टर भंवरलाल, शिक्षा मंत्री आधे बच्चे ओवरएज सर्वे में चिन्हित बालकों में से आधे ही नामांकित हुए हैं। आधे बालक या तो पलायन कर गए या ओवर एज हो चुके हैं। संस्था प्रधानों से उनकी सूचियां मांगी गई हैं। -अख्तर अली जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक)(नवीन शर्मा,बीकानेर-जोधपुर,स्वतंत्रता दिवस,2011) |
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Palash Biswas
Pl Read:
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