Thursday, August 18, 2011

Fwd: lokpal & Janlokpal



---------- Forwarded message ----------
From: Dr. Mandhata Singh <drmandhata@gmail.com>
Date: 2011/8/18
Subject: lokpal & Janlokpal
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


इतिहास इसे भी याद रखेगा
Dr. Mandhata Singh
From Kolkata (INDIA)
 १६ अगस्त को जब अन्ना हजारे अनशन पर बैठने से पहले गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। वहीं भारी हुजूम जमा हो गया। सभी समाचार चैनल अपने-अपने तरीके से इस घटनाक्रम को प्रसारित कर रहे थे। उसी समय स्टार न्यूज के दीपक चौरसिया यह पता करने की कोशिश कर रहे थे कि कितने लोगों को पता हैं कि लोकपाल बिल क्या है और जनलोकपाल बिल उससे क्या भिन्न है। मोटे तौर पर तो सभी जान रहे थे कि सरकारी लोकपाल बिल जनहित में नहीं है मगर क्या भिन्न है, यह बताने में वे सभी लोग असमर्थ रहे जिनसे चौरसिया ने दोनों में अंतर पूछा था। कई ने तो अंतर बताने की बजाए देशभक्ति गीत गाए। सवाल यह नही है कि लोग कितना जानते हैं बल्कि सवाल यह है कि दीपक चौरसिया किस तकनाकी ज्ञान की अपेक्षा उन सामान्य लोगों से कर रहे थे जो यह मानकर आए थे कि अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। और सरकार से भ्रष्टाचार रोकने की गारंटी का कानून लाने की मांग कर रहे हैं। समर्थन के लिए आई जनता को क्या इतना जानना काफी नहीं ? शायद दीपक चौरसिया इससे ज्यादा की अपेक्षा रख रहे थे। तो क्या सारी जनता किसी आंदोलन में शामिल होने से पहले अध्ययन में जुट जाए। क्या यह संभव है? मेरा दावा है कि अगर अचानक इस देश के तमाम सांसदों व विधायकों से भी पूछा जाए तो वे भी इतनी बारीकी से दोनों लोकपाल विधेयकों का फर्क नहीं बता पाएंगे।
 चौरसिया शायद बताना चाह रहे थे कि यह भेड़ों वाली भीड़ है और किसी को भ्रष्टाचार या लोकपाल से कोई लेनादेना नहीं है। अगर इस पूछताछ के बाद खुद चौरसिया यह स्पष्ट करते कि यह भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता है जो अन्ना ते समर्थन में जुटी है। अगर इन्हे तकनीकी फर्क नहीं भी मालूम है तो क्या ये भ्रष्टाचार को समाप्त होते देखना चाहते हैं। मगर उन्होंने जानबूझकर ऐसा करके लोगों में गलतफहमी फैलाने की कोशिश की। एक कार्यकर्ता यह देख रहा था और उसने आकर स्पष्ट किया कि सभी को तकनीकी जानकारी रखना संभव नहीं मगर भ्रष्टाचार के मायने सभी जानते हैं। मीडिया का यह रोल भी किसा भ्रषटाचार से कम नहीं। इतिहास इसे भी याद रखेगा।
  आलइंडिया ब्लागर एसोसिएशन ने एक पोस्ट डाली है जिसमें दोनों लोकपाल बिल में मुख्य फर्क को बताया है। मैं यहां उसके पीडीएफ को डाल रहा हूं ताकि आप भी इन बारीकियों को जान लें और फिर कभी कोई दीपक चौरसिया गुमराह करे तो करारा जवाब दे सकें। मित्रों भ्रष्टाचार की जड़े बड़ी गहरी हैं और कहां कहां समाई हुई हैं कह पाना मुश्किल है। भले जड़ से मिटाने पर सवाल खड़ा हो रहा है तो क्या प्रयास ही नहीं किए जाने चाहिए। भ्रष्टों की मंडली तो साथ नहीं देगी मगर सचमुच में जो त्रस्त है उसे तो लड़ना ही पड़ेगा। अब दीपक चौरसिया से सीख लीजिए और खुद को जवाब देने लायक भी बनाकर रखिए। इस लिहाज हम दीपक के आभारी भी हैं उन्होंने हमारी इस कमी परह सवाल उठाया। निंदक नियरे राखिए.................।

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Dr. Mandhata Singh
From Kolkata (INDIA)
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Palash Biswas
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