Monday, March 7, 2016

शिव जी का कहना है कि वह मूलतः दलित , आदिवासी , पशु चारकों के देवता हैं । सवर्ण जातियों ने मूल निवासियों की भूमि के साथ उनका देवता भी हथिया लिया । कोई बात नहीं । लेकिन उन पर अत्याचार न करें ।अब आदि देव की छवि एक नशेड़ी , उदंड डांसर और गो वंश पर क्रूरता करने वाली कौन बना रहा है । गाली तो मझे इस पोस्ट पर भी खानी ही है । साँच कहें तो मारन धावे .

Rajiv Nayan Bahuguna
अभी अभी मुझे झपकी आई और शिव जी ने मुझे स्वप्न में निम्नलिखित बातें उनकी तरफ से तुरन्त शेयर करने का निर्देश दिया है :-
1:- दूध पत्थर पर गिरा कर बर्बाद न करें , बल्कि बच्चों को पिलायें।
2:- भांग , चरस , गांजा , धतूरा , अफीम जैसे अवैध नशे का सेवन न करें । नशा करना हो तो शराब पियें । सबसे बेहतर यह है कि नशा करो ही मत ।
3:- गंगा समेत सभी नदियों को साफ़ और अबाध रखें , वरना वे नदियों को सुखा देंगे ।
4:-
शिव जी का कहना है कि वह मूलतः दलित , आदिवासी , पशु चारकों के देवता हैं । सवर्ण जातियों ने मूल निवासियों की भूमि के साथ उनका देवता भी हथिया लिया । कोई बात नहीं । लेकिन उन पर अत्याचार न करें ।
5:- हाथी बहुल इलाक़ों में जंगल न उजाड़ें , अन्यथा गणेश जी रुष्ट होंगे
6:-हिमालय को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखे।
7:-साम्प्रदायिकता न फैलाएं ।
अस्तु
इतनी मनमानी और दुष्प्रचार शायद ही किसी अन्य देवता या ईश्वर के साथ हो । आज जिसका जो मन आ रहा है , शिव जी के वैसे चित्र डाल रहा है । कोई उन्हें गांजे की चिलम थामे , काला धुंआ छोड़ते दिखा रहा है , तो किसी ने एक टांग पर खड़ा कर उन्हें भंगड़ा डांसर बना दिया है । कुछ चित्रों में वह पत्नी और बालक के साथ एक बैल की पीठ पर कमण्डल और त्रिशूल समेत सफर कर रहे हैं । इब्ने बतूता की पुस्तक में मैंने पढ़ा है कि भारत के हिन्दू गधे और बैल पर सवारी करना अत्यधिक आपत्ति और अपमान जनक मानते हैं । मुस्लिमों ने भारत में बैल की सवारी शुरू की । निम्न मध्य वर्ग के मुसलमान , जिन्हें घोड़ा उपलब्ध नहीं था , बैल की सवारी करते थे । हिन्दू इस बात पर चिढ़ते थे । बैल पर एक से अधिक व्यक्तियों के बैठने पर कई बार हिन्दू उनसे झगड़ा भी करते थे । बाद में मुग़लों ने यह प्रथा बन्द करवा दी। कुछ कांवड़ियों को मैंने दारु का पव्वा गटकते हुए भी हर हर महादेव कहते कई बार देखा सुना है । भाँग , चरस , गांजा , सुल्फा आदि का रसिया तो उन्हें घोषित किया ही जाता है , लेकिन धतूरा जैसे नशे को भी उनसे जोड़ दिया गया , जिसका प्रयोग ज़हर खुरान गिरोह अपने शिकार को चित्त करने हेतु करते हैं । राजस्थान के बाड़मेर इलाके में जाकर मुझे पता लगा कि शिवजी अफीम का सेवन भी करते थे ।
अब आदि देव की छवि एक नशेड़ी , उदंड डांसर और गो वंश पर क्रूरता करने वाली कौन बना रहा है । गाली तो मझे इस पोस्ट पर भी खानी ही है । साँच कहें तो मारन धावे .....

No comments:

Post a Comment