वोट के सिवाय तेरे पास कुछ नहीं बै चैतू,वोट गेरने से पहिले सोोचबै कथे कथे गड्डा खनै हो,कथै कथै दफन हो जाना है
दिल्ली चुनाव निपटने का इंतजार है ,फिर समझो कयामत वसंत बहार है।
देहलिया त रिफ्यूजी कालोनी रहिस बै चैतू।सगरे देश विदेश के तमामो रिफ्यूजी खून पसीना बहायौ अपनी जड़ों से बेदखली उपरांते।अनंनतर शांतता ,रिफार्म चालू आहे।फर्स्ट क्लास चुनाव सुपर फर्स्ट क्लास डिजिटल सिटिजन वास्ते चकाचक स्मार्टसिटी ह।
पलाश विश्वास
'दिल्ली में बीजेपी हारी तो मार्केट में आएगी गिरावट'
'दिल्ली में बीजेपी हारी तो मार्केट में आएगी गिरावट'
आईपीएल का खेल हो गइलन के चियरिनै नइखै पण बजट मा थ्री चीयर्स फार इंवेस्टर्स।सुधारो वइसन के वोडाफोन मुक्त।वाईफाई वइसन के फोर जी कारोबार चोखा।
राजनीति मीडिया मा जो चीयर चियारिनै बा,उनर जलवा दैखे बै चैतू।
डिफेंस मा शतप्रतिशत एफडीआई के घोटाला बंद,डीविंग वैध।परमाणु होईके औद्योगिक विदेशी कंपनी खातिर सबै छूट बा,हमार तुहार पैसा जो बीमा कंपनी मा बाड़न,उमा से कीड़े मकोड़ों खातिरे अंतिम संस्कार वैदिकी रीते से संभव होइखे।
राजनीति मीडिया मा जो चीयर चियारिनै बा,उनर जलवा दैखे बै चैतू।
चीयर चियारिनों के जलवे से ,मैजिक से ,जंत्र मंत्र तंत्र आयुर्वेद से भटक गयो मन त आश्रम मा पहुंच जाई फिन आगवाड़ा पछवाड़ा मुक्त हो,देहमुक्त हो आउर सीधे स्वर्गवासी ,ई इंतजाम ह।
आज भारत अरबतियों वाला देश बन गया है. अरबतियों की सख्ंया में पहली भारत तीसरे पायदान पर पहुंचा है. अमेरिका और चीन के बाद भारत का दर्जा है. इस सूची में मुकेश अंबानी समेत देश के कई बड़े दिग्गज शामिल हैं. दुनियाभर के 2089 अरबपतियों में से 97 अरबति भारत देश के है. इस सूची में न्यूनतम 6000 करोड़ रुपये की प्रॉपटी वाले अमीरों को इसमें जगह दी गयी है.
बूझ सकै तो बूझ बै वोटर चैतू क कोई न बाप तुहार कोई ना महतारी तुहार तू ससरुरा बलिप्रदत्त बकरा बकरी वानी,गरदन पर तलवार चमकै चमचमाचम ह।
वौटवा गिरल चाहि,जनादेश चाहि लैंड स्लाइड के सुनामी हिंदुत्व मांझा कि म्हारा देश कत्ल गाह हुआ जाये आउर चाक हो जाई हमार तुहार गर्दनवा।
बूझ सकै तो बूझ बै वोटर चैतू,नसमझलि ह तो तू जां वोट गिराइब त तुहार चौतरफा सत्यानाश खातिर चौकस इंतजाम करिकै दिल्ली मा बइठलन कार्पोरेट मैनेजर सगरे कारपोरेट राजनेते निती सगरे।
यहीच राजकरण आहे।राजकाज आहे।
भाजपाई मोदी महाराजज्यूर विजन डाकुमेंट दरअसल नस्ली नरसंहार का खुला चिट्ठा है।
पूर्वोत्तर के लोग प्रवासी बाड़न संघ परिवार के लिए तो बारी जो रिफ्यूजी अंदर बाहर के दिल्ली मा बसै हो,जो हिमालय से,मध्यभारत से पूरब से अनार्य मेहनतकश जन जल जंगल जमीन से निरंतर बेदखल होकर दिल्ली लुटियंस मा बहार खिलवल वानी ,उ सगरे लोग विदेशी ह।पण सगरे लोग वोटर वानी।
वोट से सरकार बनी।
सत्ता आउर राजकाज चली।
तो आम आदमी औरत की बड़ी पूछ हो के सबै नेता उपनेता नेत्रीवृंद जनतासाठी सेल्फी तान रहल बा।
बाकीर किस्सा वहींच जो सिनेमा मा हुई रहल बा।
विदेशी शूटिंग मा भारत का चकाचौंध जलवा वानी।
सामाजिक यथार्थ नइखे।
बाकी श्री चारसौ बीस के आवारा का सीन ह।
सपनों का सौदागर ह।
स्वप्नसुंदरियां गली गली घूमै ह।
पर्दा से बाहर जो जनता तमाशबीन ह,उकर खातिर जो जिंगदगी नर्क बा,उकर कोई चर्चा नइखे।कोई मुद्दा नइखे।
सपना बोई जा रहिस देहलिवा मा उजाड़ खेती पर बसो सीमेंटवा जंगल मा।
ई डिजिटल भारत बा।
आईटी दक्ष जौन ह,जौन पइसा वइसा कालाधन सफेद कर रहल वानी,उनर थ्रीडी राकशो ह,कार्निवाल ह।
दिल्ली के दखल खातिर महाभारत ह के आर्थिक सुधारो वास्ते मोदी मैजिक चालू रहल चाहि।
किरण क्रेन फेल होत दीखै तो शेयबाजारो मा लूज मोशन हो गइलन।
बाजार की दिन की जोरदार तेजी खत्म हो गई है। सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में नजर आ रहे हैं।
तीसे हजार पार करत करत शेयर धमाधम गिर रहल बा।
उनर सफाई ह कि सांढौ उछल कूद करे करै थकल वानी सो मुनाफा वसूली चाली वाहे।
खबरों के मुताबिक देश में दिल्ली चुनाव की सरगर्मी तेज है, दो दिन बाद दिल्ली में चुनावों की वोटिंग होगी और 10 फरवरी को चुनाव के नतीजे आएंगे। कुछ हद तक बाजार की नजर भी दिल्ली चुनाव के नतीजों पर है। बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल लिंच नेदिल्ली चुनाव पर रिपोर्ट निकाली है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली के चुनाव नतीजों का केंद्र सरकार के कामकाज पर असर नहीं होगा। बाजार पर भी चुनाव नतीजों का ज्यादा असर नहीं होगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक नतीजों के बाद केंद्र सरकार का रिफॉर्म एजेंडा नहीं बदलेगा।
इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर इन चुनाओं में बीजेपी की हार हुई तो बाजार में कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन बाजार पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। अगले 2 महीनों में बाजार में 5 फीसदी तक गिरावट मुमकिन है। इसके अलावा महंगे वैल्युएशन और कमजोर नतीजों से भी बाजार पर दबाव दिखेगा। बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल लिंच की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में सेंसेक्स 33,000 का लक्ष्य हासिल कर सकता है। और दिल्ली में बीजेपी के लिए खराब नतीजे बस सेंटिमेंट के लिए निगेटिव होंगे।
सारा कार्यक्रम बेदखली खातिर चलल रहि के सगरा कानून बिगड़ दिहल चाहि।
ओबामा खातिर कंक्रीट डिजिटल देश बनावक चाहि।
सारा बाजार शापिंग माल चाहि।
सारी जमीन सेज चाहि।
बाजार और इंडस्ट्री सभी की नजरें बजट पर हैं, क्योंकि दोनों के लिए अगला ट्रिगर बजट से ही आने वाला है। इस बार का बजट बहुत खास रहने वाला है।। माना जा रहा है कि अपने अभियान मेक इन इंडिया को मजबूत बनाने के लिए सरकार बड़े फैसले ले सकती है।
आजतक के मुताबेक आम बजट से ठीक पहले आरबीआई चीफ रघुराम राजन ने निवेश में टैक्स छूट का दायरा बढ़ाने की वकालत की है. उन्होंने बुधवार को कहा कि इस सीमा को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये से अधिक किया जाना जरूरी है. विशेषज्ञों से बातचीत में राजन ने कहा, 'आपको ध्यान होना चाहिए कि सरकार ने पिछले बजट में निवेश पर टैक्स छूट की सीमा 50,000 रुपये बढ़ाई थी. सवाल यह है कि क्या टैक्स छूट सीमा को और बढ़ाया जा सकता है?' उन्होंने कहा कि बीते समय में रियल टैक्स बेनेफिट में गिरावट आई है क्योंकि काफी लंबे समय से टैक्स छूट की सीमा एक लाख रुपये थी. इसे बढ़ाने की जरूरत है.
रुपै का कारोबार बंद किलै चाहि के डालर की चांदी चाहि।
गार खतम हो घइल।
कास्टम मा छूचैछूट।
आयात निर्यात मा छूटे छूट।
परमानेंट टैक्स फारगन बंदोबस्त चाहि।
सौ निजी कंपनी पेमेंट लाइसेंस धर लीन्हो के एसबीआई नेटवर्कवा टूटल चाहि।
पूंजी सरकारी बैंकी की विनिवेश निजीकरण मा खपायै चाहि।
जेएसटी चाहि।
राज्यों को उपनिवेश मा तब्दील करना चाहि।
योजना आयोग नीति आयोग बना दिहिस के राज्यों का हिस्सा सगरा सरासर गबन ह जइसन मर्जी वइसन आपनों अपनों को रेवड़ी बांटेके चाहि।
कोलइंडिया स्टेकवा मा चालीस फीसद शेयर एलआईसी धर लिहिस।
बाकीर एफडीआई मस्त बा।
फ्री फ्लो विदेशी पूंजी,कालाधन साइकलवा दनादन ह के प्रीमियम का कहि,बैंकवा मा जमा पूंजी भी जोखम मा फंस गइल के शेयर बाजार मा पीएफ पेंसन ग्रेच्युटी धंसा दिहिस फिन पीएफवा गैरजरुरी बा।
जेतना चाहे ओएक्सल मा बेचे दिबो।
जो खरीद सकै तो खरीद लें बाकी जनता दस दस बच्चा पैदा करै के गुलामों की संख्या कम पड़लन।
कारपोरेट वास्ते बजट सुधारों की हाईस्पीड गिलोटन सजाइके कारपोरेट वकीलवा देहलिवा जीतै खातिर तंबू डाले ह।
हार जाई तो वाटरलू बन जाइब देहलिवा।
सिनेमा हिट वास्ते जनता का सपोर्ट चाहि।
उ जनता ठेंगी दिखा दें त समझ बै चैतू के काठ का हांडी फूंकल बा।
जो सगरा कानून बदले चाहि,जो देश बेचन तैयारी बा,संसद संविधान को बाट लगावन इंतजाम चाकचौबंद का रहिस, कोई काला चोर उ सगरा स्वर्ण लंका मा आगे लगा दी।
देहलिवा न जितल तो मतलब के अश्वमेधी घोड़े के शाह सवार गिर जइहैं।
सोच बै, चैतू।काला चोर जितल त निपटेंगे उससे पण जो य हिंदू साम्राज्यवादी नरसंहरा के सौदागर बाड़न,उकर धूल चटावैक चाहि तो उनर नोट.कारपोरेट फंडिंग का बाजा बजना जरुरी बा।
अब वोट के सिवाय तेरे पास कुछ नहीं बै चैतू,वोट गेरने से पहिले सोोचबै कथे कथे गड्डाखनै हो,कथै कथै दफन हो जाना है।
दफिना से बचैके चाहि त ई वोट उनर तलवारी की धार पर फैंके मारि चाहे कि तलवारे टूटकर गिर जाइब।
दिल्ली चुनाव निपटने का इंतजार है ,फिर समझो कयामत वसंत बहार है।
मसलन मीडिया खबर मुताबिक इस बार बजट को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय काफी सक्रिय हो गया है। सीएनबीसी आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने बजट को लेकर एक प्रेजेंटेशन भी दिया है। इसी तरह रेल बजट को लेकर भी प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ सलाह-मशविरा हो रहा है।
बताया जा रहा है कि बजट से जुड़े 3-4 मुद्दों को लेकर पीएमओ और वित्त मंत्रालय के अधिकारी संपर्क में हैं। मेक इन इंडिया से जुड़े सुझावों को शामिल करने को लेकर पीएमओ की दिलचस्पी है। वहीं पीएमओ, टैक्स के मुद्दे पर निवेशकों को बड़ी राहत देने के मूड में है। साथ ही पीएमओ, पिछली तारीख से टैक्स, ट्रांसफर प्राइसिंग और जीएएआर को लेकर स्पष्ट संदेश देना चाहता है। वहीं पीएमओ का इंफ्रास्ट्रक्चर, पब्लिक इन्वेस्टमेंट पर खासा जोर है।
केन्द्र सरकार अपना आम बजट पेश करने की तैयारियों में लग गई है। गौरतलब है कि इस बार के बजट में जहां नवीन प्रावधान लागू करने की बातचीत हो रही है वहीं विदेशी निवेश की को कठोर बनाने के लिए एक अहम कदम उठाने के प्रयास किए जा सकते है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आम बजट में निवेश की स्थिति बहुत अच्छे कदम उठाने की घोषणा कर सकते है क्योकि सरकार की मंशा है कि विदेशी निवेश से देश के औद्योगिक और आर्थिक तंत्र को ठोस बनाया जा सके।
वर्ष 2012-13 के बजट में जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल यानी GAAR को इंट्रोड्यूस किया गया था और फिर असेसमेंट इयर 2016 की प्रथम अप्रैल तक के लिए इसे खिसका दिया था। इंडस्ट्री की डिमांड के मुताबिक इसे आगे और भी खिसखाया जा सकता है।
'सोच यह है कि इन्वेस्टमेंट में रिवाइवल हो। घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स में व्यय की गति बढ़े और बाधाएं हटें।Ó आम बजट 28 फरवरी को प्रस्तुत किया जायेगा। वर्ष 2014 के अन्तिम समय में ग्रॉस कैपिटल फॉर्मेशन महज 3 प्रतिशत बढ़ा। इससे एक साल पहले इसमें 0.3प्रतिशत की कमी देखने को मिली।
यह सूचना प्राप्त हुई है कि सरकार ज्यादा कर लगाने जैसे कदम बढ़ाने से बचने का प्रयास करेगी, इसके पीछे कर पेड जनता को राहत देने की कोशिश की जा सकती है लेकिन सबसे बड़ा मकसद निवेश से जुड़े प्रयासों को मंद नहीं करना है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से आम बजट बनाने में गहरी दिलचस्पी और सक्रियता दिखाई जा रही है। खबर है कि करीब 10 दिन पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने बजट को लेकर एक प्रेजेंटेशन दिया था। वित्त सचिव, राजस्व सचिव समेत बजट टीम के वरिष्ठ सदस्य प्रेजेंटेशन के दौरान मौजूद थे। इसके अलावा इस प्रेजेंटेशन के दौरान प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा भी मौजूद थे।
उधर, रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ओर से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रेजेंटेशन दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि रेल मंत्री का प्रेजेंटेशन 1.5 घंटे से ज्यादा चला और इसमें उत्तर पूर्वी राज्यों को रेल नेटवर्क से जोड़ने पर फोकस रहा। इस प्रेजेंटेशन में असम, मेघालय और मिजोरम जैसे राज्यों में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर चर्चा हुई।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर पूर्वी राज्यों के दौरे के दौरान सेंट्रल फंडिंग की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने इन राज्यों में 14 नई रेलवे लाइनें बनाने का ऐलान किया था। सूत्रों के मुताबिक रेल बजट में इन राज्यों में कनेक्टिविटी बढ़ाने का प्लान पेश किया जा सकता है। साथ ही आनेवाले दिनों में 1-2 प्रेजेंटेशन मीटिंग हो सकती है।
फासिस्ट सत्ता और हिंदू साम्राज्यवाद अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भी नहीं सुनने जा रहा है।
सुषमा को चीन भेज दिया।
राजनाथ कहीं दीखबै नहीं करै हो।
उनर सेक्रेटरी का बाजा वइसन ही बजा दियो जइसन सुषमा स्वराज के विदेश सचिव को।
उ सुपरस्पीड मा।
हिंदुत्व बजरंगी छुट्टा आउर छुट्टा सगरे सांढ़,बाकीर जनता खातिर पोलोनियम 210.
फैसल तोके करैके बा।
लालकृष्ण आडवाणा के चेले चपाटे,मुरली मनोहर जोशी वगैर ह वगैरह क्या हर्षवर्धन जो पिछले चुनावों में मुख्यमंत्रीत्व के दावेदार थे,वा ,कभी इसी के दावेदार रहे विजय मल्होत्रा वगैरह वगैरह गुमशुदा हो गइलन।
दशकों से दिल्ली मा जो भगवा झंडा बुलंद कर रहलन,उनर कूकूरगति है के हड़ि हड़ि आवाज लगा रहो तमाम दलबदलू जो कल तक घोर भाजपा विरोधी रहलन बाड़ा।
स्वदेशी के गुरुघंटाल नानाजी देशमुख,अर्थ विशेषज्ञ गुरुमूर्ति जइसन के विचार कारपोरेटखात में जमा होई गइलन।
शाही अश्वमेध के घोड़े खुरों पर तलवार बांधली हो।
सांढ़ों के सींग धारदार खूबै,उछल उछलकर लहूलुहान करै देश और शाहसवार कल्कि अवतार सगरे देश बेचकर गुजरात बना रहलन सगरा देश।
दिल्ली वाटरलू मा ई जोड़ी डीत गइलन त बजट बमबारी है फिन एटमिक रेडियोशन से मोर बाप हम सगरे भोपाल गैस त्रासदी होजाइब या फिर जो अकाली सिखों का बैंड बाजा बजा बजा सिखी को हिंदुत्व का चोखा चचख बनावन का खेल करी सत्ता की हड्डियां चूस रहलन,उ सच सच दसने से रहे कि सिख हिंदू हुए बीना जी नहीं सकते और आपरेशन ब्लू स्टार अब भी जारी है।
राजपथ पर जिंदा जलते रहने,खाड़कू बताकर बेगुलनाह का कत्लेआम के बावजूद जो केसरिया सिख हैं,उनकी रब मनाये खैर और बाबरी विध्वंस,घर घर दंगा,घर बेघर हर गली मोहल्ला फिर वाइब्रेंट गुजरात ह।
पिछले बजट से बचा है अस्सी हजार करोड़ जो टुकड़ा फेंकने काम आयी।वो अस्सी हजारो ह के अस्सी लाख करोड़,बताना भी मुश्किल है।
दस लाखो का सूट पहिनकर जो ओबामा संग पींग लड़ा रहलन,उकर झूला अबकी वसंत बहार कयामत होई जाब बै चैतू।
रुपै विकासदर का बेस ईयर घटाकर झट से सात तक पहुंचा दिहिस।
तेल कीमते दुनियाभर में घट गइल,हमार वास्ते कैश सब्सिडी आधार कार्ड रहि गइल।
खेती चौपट.कृषि विकास दर गिरल,औद्योगिक उत्पादन गिरल,मैनुफैक्चरिंग गिरल पण विकास दर सात फीसद।
वइसन जइसन हम तुम भिखाऱी हो गइलन ,खाना नइखै,रोजगार नइखे,सरो पर छत नइखै,शिक्षा नइखे,चिकित्सा नइखै, झा चकाचक स्मार्ट शहर मा गांव देहात के कत्ल के खूनवा का नामोनिशां नइखै,पण गरीबी उन्मूलन हो गइलन।
समाजवाद आ गइलन।
हिंदी हिंदुस्तान हिंदी बाड़न हमनी देश बेच खायकै।
गोरखो पांड झूठो हल्ला करै रहिस के समाजवाद धीरे धीरै अइहै।ईसाई सिख बौद्ध मुसलमान यहूदी पारसी सबै हिंदू हो जाई तो समाजवाद आ गइल के वैदिकी हिंसा जायजे बा।गीता महोत्सव चालू आहे के मनुस्मृति बंदोबस्त मजबूत होइखै चाहि।
यहींच समाजवाद।
बाकी जनता जो बचि जाव नरसंहार निरंतर मध्ये,बिलियनर मिलियनर जो नइखै,सबै हैवनाट हो जाई तो ड्रिकलिंग ट्रिकलिंग ग्रोथ धकाधक होवै,धक से आ जाई समाजवाद।
जो गुलामो हो जाई जनता सारी फिन अमेरिकी राज हो,अमेरिकी डालर हो,समाजवादी हिंदुत्व समरस हो जाइब।
महाभारत देहलिवा मतबल यहीच एकच।
मंहगाई जीरो बतावत है।
160 डालर का तेल पचास डालर नइखे ,त बाजार मा आधो कीमत पर मिलल चाहि चीजें,सो सब्जियां सस्ती मिलल कि ना मिलल,अनाजो मंहगा है।खाने क तेल मा तो हम खुदै फ्राई हो रहल वानी।
माथे मा जो गड़बड़झाला ह,उकर खातिर तरह तरह मसामावन गोरा बनाने का कलाकौशल हुई गइलन त इलाज वास्ते बाबा का चूर्ण,पुत्र बीज बेटिया बचाओ साथ,फिन आयुर्वेद ह आम आदमी खातिर बाकीर अस्पताल आम जनता खातिर नईखे।
फीस बुलंद ह,सिलेबस हिंदुत्व बा,जमीन जायदाद बिक जाई,बच्चा लोगवन खातिर एजुकेशन नइखे।एजुकेशन मिलल तो ससुर लाख कोरड की नौकरियां जो उनर बच्चा लोगन को मिलल रहल वानी,हमार बच्चों खातिर चार साल तक बंधुआ मजदूरी कानून निषेध बा बाकी समझ लिजो मिड डे मिलल,उकर खिचड़ी खायकै मजबूत मजदूर बंधुआ बनै हमार पूत मुलगा मुलगी डोकरा डोकरी और मनरेगा जख्मी जो ह सो ह।
कारोबारी लोग शुरु से संघ परिवार साथे है।
हिंदुत्व खातिर उनर कुर्बानी जुग जुग जी रौ।
गवर्नमेंट मिनिमम बा।बिजनैस फ्रेंडली बा।कोई शक नाही।सिंगल विंडा।पर्यावरण हरी झंडी।तुरंत जमीन अधिग्रहण।तुरंतएफडीआई।तुरंते टैक्स होली डे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में भी विनिवेश का लक्ष्य लगभग 43,000 करोड़ रुपये के आसपास रख सकते हैं। चालू वित्त वर्ष में भी सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से इतनी ही राशि मिलने की उम्मीद है। एक सूत्र ने कहा, 'विनिवेश का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के लक्ष्य के अनुरूप होगा। सिर्फ कुछ ही बड़ी कंपनियां ऐसी हैं, जिन्हें न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियम को पूरा करना है।'
जेटली वित्त वर्ष 2015-16 का बजट 28 फरवरी को पेश करेंगे। राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकार कर संग्रहण के बाद विनिवेश को प्रमुख स्रोत के रूप में देखती है। यह पूछे जाने पर कि अगले वित्त वर्ष के लिए ऊंचा लक्ष्य क्यों नहीं रखा जा सकता, सूत्र ने कहा कि हम अगले वित्त वर्ष में कोल इंडिया का एक और बड़ा विनिवेश नहीं कर सकते। हालांकि, बाजार ऊंचाई पर है और कंपनी का शेयर का मूल्यांकन कम है।
टैक्स फारगन।
डालर पौंड मा ट्रैंजेक्शन।
इंटरेंस्ट कट जबतब।
डिजिटल मतलब ई कि डाटाबैंकवा सेंट्रल एसी बा।बायोमैट्रिक हमार कुंडली बांचे लिन्हौ हम कठपुतली बा।हमार पैसा ,हमार संपत्ति एको क्लिक से मुक्त बाजार मा निवेश बा। पीएफ डिजिटल के फटाक से अटाक आउर तुहार हमार पीएफवा बाजार मा।निवेश शर्त सापेक्ष बा बकीर इकानामी पोंजी बा के कैसिनो हो गइल देश या।
पण उ तमाम मंझौले कारोबारी ,छोटन का का कहे दिवालिया बन रहल वानी के डिजिटल देश मा कारोबार अलीबाबा चालीस चोर हवाले है।ईटेलिंग ने जो बारह बजाये सो बजाये ,अब खुदरा बाजार मा कोई माई बापमाई महतारी न टिक सकै ह।
बाकी देश मा या अमेरिकी परमाणु चूल्हा होय या फिन अमेरिकी कंपनियों का सेज या पिर डालर का कारोबर या फिर सगरा इंफ्रास्ट्रक्चर जो दरअसल कारपोेट बिल्डर माफिया राडज जल जमगल जमीन आजीविका नागरिकता उजाड़ अभियान खेत खलिहान चौपट आउर जनपद जनपद कब्रिस्तान ह।
देहलिया त रिफ्यूजी कालोनी रहिस बै चैतू।
सगरे देश विदेश के तमामो रिफ्यूजी खून पसीना बहायौ अपनी जड़ों से बेदखली उपरांते।अनंनतर शांतता ,रिफार्म चालू आहे।फर्स्ट क्लास चुनाव सुपर फर्स्ट क्लास डिजिटल सिटिजन वास्ते चकाचक स्मार्टसिटी ह।
हिंदी जनता खातिर कोईकंप्लीट प्राइवेटाइजेशन खातिर कंप्लीट ब्लैक आउट विद मनोरंजन के लिए कुछ भी करेंगा।
हमउ बटोर उटोर कर हिदी अंग्रेजी मा जो गोबर माटी पाथ परहल वानी तनिक उहा छान लै बै चैतू के बांचै लै खुदै सारा मैटर आउर ठोंक दनदन हर लिंक।
पीसी नइखै तो मोबाइलौ मा ठोंक।
के प्रिंटवा मा हमार दखल नइखे।
प्रिंट बेदखल बा।
टीवी बिलियनर मलियनर बा।हमउ नेट भरोसे बा।
सकबा त नेटवा मा बांच लै चैतू के अब टैम नइखै।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली के समक्ष फंसे कर्ज या एनपीए के कारण संकट का कोई जोखिम नहीं है। उन्होंने कहा कि एनपीए मुख्य रूप से सार्वजनिक बैंकों में है और उन्हें सरकार का समर्थन प्राप्त है। राजन ने एक टीवी पर साक्षात्कार में कहा कि मुझे नहीं लगता कि प्रणाली में फंसे कर्ज के कारण संकट का कोई जोखिम है। इसकी एक वजह भी है कि एनपीए मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों में है जिन्हें सरकार का पूरा समर्थन होता है। उन्होंने कहा कि गैर निष्पादित आस्तियां बैंकों पर भारी नहीं पड़ेंगी।
इकोनामिक टाइम्स के मुताबेक दिल्ली के चुनाव पर शेयर बाजार का भविष्य टिका हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक यदि बीजेपी इस चुनाव में हारती है तो शेयर मार्केट में 5 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।
दिल्ली की राजनीति पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। अब तक के सर्वे में जहां इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत नजर आ रही है, वहीं मोदी लहर पर सवार होकर केंद्र की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली बीजेपी के लिए यह अग्निपरीक्षा के बराबर है।
ज्यादातर ओपिनियन पोल्स में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बीजेपी पर बढ़त ले जाते हुए दिखाया जा रहा है। लोकसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद बीजेपी ने हाल में होने वाले सभी विधानसभा चुनाव जीत लिए हैं, लेकिन दिल्ली में बीजेपी के लिए डगर आसान नहीं दिख रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हार का असर स्टॉक मार्केट पर भी पड़ेगा। अगले 2 महीनों में मार्केट में करीब 5 फीसदी गिरावट आ सकती है। ऐनालिस्ट्स का मानना है कि मार्केट में गिरावट थोड़े समय के लिए होगी क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव मार्केट के लिए छोटी घटना है।
इंस्टिटयूशनल इक्विटीज, अंबित कैपिटल के सीईओ सौरभ मुखर्जी ने हाल ही में कहा, 'इसका प्रभाव बहुत ही कम समय तक पड़ेगा, क्योंकि दिल्ली के चुनाव का केंद्र सरकार पर बहुत ही कम प्रभाव पड़ेगा।'
इंटरनैशनल रेटिंग एजेंसी मिरिल लिंच ने निवेशकों से इस गिरावट को शेयर खरीदने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।
इकोनामिक टाइम्स के मुताबिक आपकी मेहनत की कमाई को सरकार सड़क बनाने में खर्च करना चाहती है। आपने पेंशन की जो रकम एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) में जमा की है, सरकार उसे राजमार्ग विकास कार्यक्रम पर खर्च करने की योजना बना रही है।
वित्त मंत्रालय ने पेंशन फंड निवेश के नियमों में संशोधन किया है। इस संशोधन से नैशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को ईपीएफओ से कर्ज लेने की अनुमति मिल जाएगी। बदले हुए नियम के तहत अप्रैल 2015 से पेंशन फंड को एनएचएआई जैसी अथॉरिटी के बॉन्डस में निवेश किया जा सकता है। पहले प्रावधान था कि इस राशि को पीएसयू के बॉन्ड्स में ही निवेश किया जा सकता था, लेकिन अब बदले हुए नियम से यह अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी।
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मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की योजना है कि अगले 4 से 5 साल तक हर दिन 30 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
निजी सेक्टर से निवेश नहीं मिलने के कारण राजमार्ग मंत्रालय ने निवेश के अन्य विकल्प पर गौर करना शुरू कर दिया। सूत्रों के मुताबिक राजमार्ग मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से पेंशन फंड्स के लिए निवेश नियमों में संशोधन के लिए संपर्क किया ताकि वह ईपीएफओ से कर्ज ले सके।
वर्तमान में ईपीएफओ के पास भारत के 5 करोड़ से अधिक कर्मचारियों की रिटायरमेंट सेविंग्स है। इसके पास 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक पेंशन फंड्स है।
राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इस प्रकार के निवेश का मार्ग प्रशस्त करने के लिए गुरुवार को वित्त, श्रम और राजमार्ग सचिवों एवं सेंट्रल प्रविडेंट फंड कमिशनर के.के.जालान समेत टॉप ब्यूरोक्रेट्स के साथ मीटिंग करेंगे। उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस महीने के अंत में अपने बजट में इस संबंध में घोषणा कर सकते हैं।
रबतियों की सूची में ब्रिटेन और रूस से आगे भारत, ये हैं देश के टॉप 10 अरबपति
आज भारत अरबतियों वाला देश बन गया है. अरबतियों की सख्ंया में पहली भारत तीसरे पायदान पर पहुंचा है. अमेरिका और चीन के बाद भारत का दर्जा है. इस सूची में मुकेश अंबानी समेत देश के कई बड़े दिग्गज शामिल हैं. दुनियाभर के 2089 अरबपतियों में से 97 अरबति भारत देश के है. इस सूची में न्यूनतम 6000 करोड़ रुपये की प्रॉपटी वाले अमीरों को इसमें जगह दी गयी है.
भारत शीर्ष तीन देशों में शामिल
हुरन ग्लोबल रिच लिस्ट के भारत के मुख्यालय कोच्चि में देश के अरबतियों की सूची तैयार हुई है. जिसमें यह साफ हुआ है कि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में धन की कमी नहीं है. शायद इसीलिए अरबपतियों की संख्या के लिहाज से भारत शीर्ष तीन देशों में शामिल हो गया है. हालांकि भारत को उपलब्धि पहली बार मिली है. हुरन की भारत संबंधी धनी व्यक्तियों की सूची रिच लिस्ट-इंडिया, 2015 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी टॉप सबसे टॉप पर है. अगर अरबतियों के आकड़ों पर नजर डाले तो सबसे ज्यादा अरबपति अमेरिका में हैं. उसके बाद फिर चीन का नंबर है. यहां पर भी अरबपतियों की संख्या कुछ कम नहीं हैं. इसके बाद फिर भारत का नंबर है. इससे सूची से यह साफ हो गया है कि भारत ने रूस और ब्रिटेन जैसे देशों को भी पीछे छोड़ दिया है.
मुकेश अंबानी सूची में पहले नंबर पर
हुरन ग्लोबल रिच लिस्ट के मुताबिक देश के जाने माने बिजनेस मैन मुकेश अंबानी सूची में पहले नंबर पर हैं. उनके पास 27,500 मिलियन डॉलर की संपदा है. उनके बाद सूची में सनफार्मा के दिलीप सांघवी का स्थान आता है. उनकी संपत्ति 21,500 मिलियन डॉलर है. वहीं कुमार मंगलम बिरला इस सूची में 16,000 मिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं. इसके बाद चौथे नंबर पर अजीम प्रेमजी का नाम है. इनके 14,000 मिलियन डॉलर है. इसके बाद शिव नडार 13,000 मिलयन डॉलर, एसपी हिंदुजा फेमली 12,000 मिलयन डॉलर, प्लोंजी मिस्त्री 10,500 मिलयन डॉलर का नाम हैं. वहीं आठवें नंबर पर सुनील मित्तल फेमली 85,00 मिलियन डॉलर है. इसी सूची में नवें नंबर पर गौतम अडानी 73,00 मिलयन डॉलर व दसवें नंबर पर अनिल अंबानी 71,00 मिलयन डॉलर के साथ शामिल हैं.
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आम बजट में होंगे इन्वेस्टमेंट का माहौल बेहतर करने के कदम
इकनॉमिक टाइम्स| Feb 5, 2015, 09.33AM IST
दीपशिखा सिकरवार, नई दिल्ली
फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली इस बार आम बजट में ऐसे पैकेज से परदा उठा सकते हैं, जिससे इन्वेस्टमेंट से जुड़ा सेंटिमेंट मजबूत हो और विदेशी पूंजी के लिए इंडिया एक आकर्षक जगह के रूप में उभरे।
कुछ प्रॉडक्ट्स पर कस्टम्स ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है ताकि देश में मैन्युफैक्चरिंग को रफ्तार मिल सके। वहीं, फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के लिए मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स में बदलाव किए जा सकते हैं। साथ ही, इनडायरेक्ट ट्रांसफर्स पर पार्थो शोम समिति की कुछ सिफारिशों को लागू किया जा सकता है।
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साल 2012-13 के बजट में जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल यानी GAAR को इंट्रोड्यूस किया गया था और फिर असेसमेंट इयर 2016 की पहली अप्रैल तक के लिए इसे टाल दिया गया था। इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार, इसे आगे टाला जा सकता है।
एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशल ने कहा, 'सोच यह है कि इन्वेस्टमेंट में रिवाइवल हो। घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स में इन्वेस्टमेंट की रफ्तार बढ़े और बाधाएं हटें।' आम बजट 28 फरवरी को पेश किया जाएगा।
दमदार इकनॉमिक ग्रोथ के लिए इन्वेस्टमेंट में रिवाइवल जरूरी है, लेकिन डेटा से पता चल रहा है कि इस संबंध में कोई खास तेजी नहीं आ सकी है। फाइनैंशल इयर 2014 में ग्रॉस कैपिटल फॉर्मेशन महज 3% बढ़ा। इससे एक साल पहले इसमें 0.3% की गिरावट आई थी।
एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस संबंध में उठाए जाने वाले कदमों का इन्वेस्टर स्वागत करेंगे। क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डी के जोशी ने कहा, 'प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में अभी तेजी नहीं आई है। इसके लिए कुछ कदमों की जरूरत है।'
बजट तैयार कर रही टीम भी सावधानी बरत रही है। वह फाइनैंशल इयर 2013 के बजट में इनडायरेक्ट ट्रांसफर्स पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने के प्रावधान जैसा कोई कदम उठाने से बचेगी, जिससे इन्वेस्टमेंट से जुड़ा सेंटिमेंट कमजोर हो।
इस संबंध में अंतिम फैसला तो बजट पेश करने की तारीख करीब आने पर ही किया जाएगा, लेकिन सरकार कई सेक्टर्स के लिए ड्यूटी स्ट्रक्चर और विदेशी निवेशकों के लिए टैक्सेशन का ढांचा बदलने पर विचार कर रही है।
फाइनैंस मिनिस्ट्री ज्यादा इन्वेस्टमेंट अलाउंस पर भी विचार कर रही है। इस स्कीम को जेटली ने अपने पहले बजट में पेश किया था।
फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स पर मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स के मामले में भी विचार किया जा रहा है। इनमें से कुछ निवेशकों को टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटिस भेजे हैं। यह कदम तब उठाया गया, जब टैक्स ट्राइब्यूनल्स ने कुछ मामलों में टैक्स लगाए जाने का समर्थन किया था।
खेतान एंड कंपनी के पार्टनर संजय सांघवी ने कहा, 'टैक्स से जुड़े कुछ बड़े मुद्दों पर सरकार के सकारात्मक कदम से भारत के बारे में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।' शोम पैनल ने लिस्टेड कंपनियों में शेयर ट्रांसफर्स को टैक्स के दायरे से बाहर रखने की सलाह दी थी। इस पर भी विचार किया जा सकता है।
टैक्स के मोर्चे पर मिल सकती है और राहत
इकनॉमिक टाइम्स| Jan 5, 2015, 09.55AM IST
नेहा पांडेय, देवरस
फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली के पहले बजट पर टैक्सपेयर्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही थी। बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट और दूसरे डिडक्शन बढ़ाए जाने से छोटे टैक्सपेयर्स और मिडिल इनकम वाले बहुत खुश हुए थे, लेकिन नॉन-इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर लागू टैक्स रूल्स में चेंज से हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर्स को जोर का झटका लगा था।
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बजट में बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट को बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दिया गया था और सेक्शन 80 सी के तहत सालाना बचत को बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दिया गया था। सीनियर सिटिजंस के लिए बेसिक एग्जेम्पशन को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया था। बजट में होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन की लिमिट बढ़ाकर दो लाख रुपये सालाना कर दिया गया था। इन बदलावों से बेशक आसमान छूती महंगाई और हाई इंटरेस्ट रेट से परेशान टैक्सपेयर्स को खुशी मिली।
लेकिन नॉन इक्विटी फंड्स पर लगने वाले टैक्स के रूल्स में बदलाव होने से इन्वेस्टर्स टैक्सपेयर्स को थोड़ी निराशा हाथ लगी। लॉन्ग टर्म एसेट्स की गिनती में आने के लिए नॉन इक्विटी फंड्स के मिनिमम होल्डिंग पीरियड को एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 10% फ्लैट टैक्स देने का ऑप्शन भी वापस ले लिया गया। अब टैक्स को इंडेक्सेशन के साथ 20 पर्सेंट पर फिक्स कर दिया गया है।
हाउस प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेंस
बजट में कुछ अहम क्लासिफिकेशन भी किए गए। प्रॉपर्टी की सेल में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है, बशर्ते कैपिटल गेंस को मकान की सेल के छह महीने के भीतर कैपिटल गेंस बॉन्ड्स में इन्वेस्ट किया जाता है। यह एक फाइनैंशल इयर में 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता, लेकिन अगर कोई मकान किसी फिस्कल इयर की दूसरी छमाही में बिकता है तो उससे हासिल होने वाली रकम को कैपिटल गेंस बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट किए जाने पर कितना टैक्स डिडक्शन हो सकता है, इस बारे में क्लैरिफिकेशन नहीं दिया गया था।
बहुत से टैक्सपेयर्स ने इन्वेस्टमेंट को दो साल में ब्रेक करके एक करोड़ रुपये तक के टैक्स डिडक्शन का दावा किया। अब सरकार ने क्लैरिफाई किया है कि टोटल डिडक्शन 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता। बजट में यह भी क्लैरिफाई किया गया कि मकान की सेल से हासिल रकम से मकान की खरीदारी पर टैक्स बेनेफिट तभी मिलेगा, जब प्रॉपर्टी इंडिया में खरीदी गई होगी। इस नियम का फायदा उठाकर रईस टैक्सपेयर्स विदेश में प्रॉपर्टी खरीद लिया करते थे।
2015 में मिल सकते हैं और फायदे
इंडिया में टैक्स रेट्स सही हैं, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स को लगता है कि अगले बजट में टैक्सपेयर्स को और राहत मिल सकती है । डेलॉयट हैस्किंस एंड सेल्स में टैक्स पार्टनर होमी मिस्त्री ने हा, 'बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है।' बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट को मौजूदा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा सकता है। पिछले बजट में टैक्स स्लैब के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी, लेकिन इस बार इसमें थोड़ा चेंज हो सकता है। इससे इफेक्टिव टैक्स रेट में और कमी आ सकती है।
सबसे बड़ा फायदा दूसरे टैक्स रिफॉर्म्स के तौर पर मिल सकता है। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) को बड़े टैक्स रिफॉर्म्स के रूप में देखा जा रहा है। भले ही यह इन्डायरेक्ट टैक्स है और औसत कन्जयूमर पर सीधे असर नहीं करेगा, लेकिन GST लागू होने के बाद प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज की कीमत में गिरावट आ सकती है।
सरकार GST के 2016 में लागू होने की उम्मीद कर रही है, लेकिन दूसरे अहम टैक्स रिफॉर्म पर कोई सुगबुगाहट नहीं है। डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) कई साल से लटका है। DTC बदलाव के कई दौर से गुजर चुका है, लेकिन मोदी सरकार इस बार इस कानून का एकदम नया वर्जन ला सकती है।
प्राइस वाटर हाउसकूपर्स के ऐग्जिक्युटिव डायरेक्टर और पार्टनर कौशिक मुखर्जी को लगता है कि सरकार को बच्चों की ट्यूशन फीस (दो बच्चों तक हर बच्चे पर हर महीने 100 रुपये), 800 रुपये के कन्वेयेंस अलॉउंस पर डिडक्शन जैसे छोटे बेनेफिट्स पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'ये डिडक्शन अब भी बहुत कम हैं। इनको बढ़ाया जाना चाहिए या खत्म कर दिया जाना चाहिए।' इसी तरह, फाइनैंस मिनिस्टर को सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम की डिडक्शन लिमिट को बढ़ाकर असलियत के पास लाना चाहिए। अपने और फैमिली के लिए सालाना 15,000 रुपये की मौजूदा लिमिट बहुत कम है।
'मेक इन इंडिया' के लिए टैक्स स्ट्रक्चर सही करेगी सरकार
ईटी हिंदी| Jan 22, 2015, 11.19AM IST
विकास धूत, नई दिल्ली
डायपर्स से लेकर LED लैंप और बॉयलर्स से लेकर टेक्सटाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सामान इंडिया में बनाने को बढ़ावा देने के लिए सरकार टैक्सेशन स्ट्रक्चर में मौजूद खामियों को दुरुस्त करने पर विचार कर रही है। इससे इन सामानों को विदेश से आयात करने के मुकाबले देश में इन्हें बनाना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा।
मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बूस्ट देने के लिए फाइनैंस मिनिस्ट्री ने टैरिफ कमीशन से कहा है कि वह टेक्सटाइल्स, कैपिटल गुड्स, इंजीनियरिंग प्रॉडक्ट्स, एल्युमिनियम, स्टील और कॉपर प्रॉडक्ट्स और डायपर्स जैसे कई सेक्टरों के इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर्स के बारे में इंडस्ट्री के आवेदनों की पड़ताल करे। इनवर्टेड ड्यूटी तब पैदा होती है, जब किसी फिनिश्ड प्रॉडक्ट पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी लोकल मैन्युफैक्चरर्स के इस्तेमाल किए जाने वाले रॉ मैटीरियल्स पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी से कम होती है।
मिसाल के तौर पर, डायपर्स पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी 10.64 फीसदी है और इस पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी 6.18 फीसदी है। हालांकि, डायपर्स के रॉ मैटीरियल्स (पॉली फिल्म, लायक्रा थ्रेड, वेस्ट इलास्टिक और सुपर-एब्जॉर्बेंट मैटीरियल) पर इंपोर्ट ड्यूटी कहीं ज्यादा है। आसियान देशों से आने वाले डायपर्स पर महज 3 फीसदी स्पेशल ड्यूटी लगती है।
एक अधिकारी ने कहा, 'इस तरह के ड्यूटी स्ट्रक्चर का मतलब है कि इंडियन मैन्युफैक्चरर इंपोर्टेड विकल्पों का सामना नहीं कर सकते हैं।' अधिकारी ने कहा कि सुस्त पड़ी घरेलू कैपेसिटी की वजह से इन सेक्टरों में इंपोर्ट में भारी इजाफा हुआ है। फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने हाल में ही कहा था कि सरकार की पूरी कोशिश मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट को कम करना और क्वॉलिटी सुधारना है। उन्होंने चेताया था, 'अन्यथा हम मैन्युफैक्चरर्स की बजाय ट्रेडर्स का देश बन जाएंगे।' आजादी हासिल होने के बाद पिछले साल तीसरा ऐसा साल था, जब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ नेगेटिव रही थी। इंडिया इंक ने इसकी मुख्य वजह रॉ मैटीरियल की अधिक लागत और टैक्सेशन को माना था। इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार टैक्स स्ट्रक्चर को दुरुस्त करेगी और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स या FTA की भी समीक्षा करेगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने अलग-अलग सेक्टरों के करीब 100 प्रॉडक्ट्स की एक लिस्ट सबमिट की थी, जिनमें भारी दिक्कत है और जिनकी वजह से डोमेस्टिक कैपेसिटी को नुकसान हो रहा है। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर्स के मामले ज्यादातर FTA के तहत दी गई रियायतों के चलते पैदा हो रहे हैं। फिक्की की प्रेसिडेंट ज्योत्सना सूरी ने कहा कि हालांकि इंडस्ट्री देश की इकनॉमिक डिप्लोमेसी कोशिशों की तारीफ करती है, लेकिन इंडस्ट्री चाहती है डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाए और प्रतिस्पर्धा में रुकावट पैदा करने वाली दिक्कतों को दूर किया जाए।
GST लागू होने से किन कंपनियों को होगा फायदा
इकनॉमिक टाइम्स| Dec 19, 2014, 09.03AM IST
मुंबई
केंद्रीय कैबिनेट के बुधवार को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) पर संविधान संशोधन बिल को पास करने के बाद गुरुवार को शेयर बाजार ने शानदार वापसी की। बीएसई सेंसेक्स 403.55 या 1.52 पर्सेंट चढ़कर 27,113.68 पर चला गया। वहीं, एनएसई निफ्टी 127.15 यानी 1.58 पर्सेंट चढ़कर 8,157 पर बंद हुआ।
जीएसटी बिल को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। जीएसटी के लागू होने से देश में इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम पूरी तरह बदल जाएगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी के लागू होने से भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (जीडीपी) में दो पर्सेंटेज पॉइंट्स की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बारे में केपीएमजी इंडिया के चीफ ऑफरेटिंग ऑफिसर (टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज) सचिन मेनन ने बताया, '2006 से जिन लोगों ने जीएसटी को लाने के लिए काम किया है, उन सबको देश याद रखेगा। यह भारत के फिस्कल रिफॉर्म्स के इतिहास में अहम मोड़ है। इससे भारत को इकनॉमिक सुपरपावर बनने में मदद मिलेगी।'
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मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी के लागू होने में कुछ वक्त लग सकता है। इसलिए अभी इससे कंपनियों या स्टॉक्स पर पड़ने वाले असर के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इस बारे में कोटक सिक्यॉरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमें लगता है कि जीएसटी से टैक्सेशन स्ट्रक्चर सिंपल हो जाएगा। इससे वेयरहाउसेज की संख्या कम होगी और पूरी सप्लाई चेन में टैक्स क्रेडिट होगा। इसलिए यह एफिशंट सिस्टम है।'
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि एक्साइज इंडस्ट्रीज, अमारा राजा बैटरीज, जुबिलेंट फूडवर्क्स, एशियन पेंट्स, पिडिलाइट इंडस्ट्रीज, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, आईटीसी और मैरिको जैसी कंपनियों को जीएसटी के लागू होने से फायदा हो सकता है।
कोटक सिक्यॉरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है, 'महिंद्रा एंड महिंद्रा, पीवीआर सिनेमाज और डिश टीवी अभी जितना टैक्स दे रही हैं, जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें इससे कम टैक्स चुकाना पड़ेगा।' महिंद्रा एंड महिंद्रा को बड़ी एसयूवी पर अभी 41 पर्सेंट टैक्स देना पड़ता है। जीएसटी लागू होने के बाद यह घटकर 20-24 पर्सेंट रह जाएगा। वहीं, पीवीआर सिनेमाज को औसतन 23 पर्सेंट एंटरटेनमेंट टैक्स देना होगा।
यूबीएस की हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा उन सेक्टर्स को होगा, जिनमें बड़ी संख्या में अन-ऑर्गेनाइज्ड प्लेयर्स हैं। इन सेक्टर्स में अन-ऑर्गेनाइज्ड कंपनियां जीएसटी लागू होने से टैक्स के दायरे में आएंगी और इससे बड़ी कंपनियों की कम्पीट करने की ताकत बढ़ेगी।
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जीएसटी के आने से लॉजिस्टिक्स ऑपरेशंस बेहतर होंगे। इससे अपैरल और ड्यूरेबल जैसे सेक्टर्स को कम इनवेंटरी रखनी पड़ेगी। नए इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम के आने से लॉजिस्टिक सलूशन कंपनियों को भी फायदा होगा। यहां हम कुछ ऐसी कंपनियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें जीएसटी को लेकर ब्रोकरेज फर्मों से पॉजिटिव रेटिंग मिली है।
लॉन्ग टर्म में कंपनी के रेल फ्रेट बिजनस के लिए आउटलुक पॉजिटिव है। सरकार डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बना रही है। ब्रोकरेज कंपनियों का कहना है कि इकनॉमिक रिकवरी से गेटवे सहित कॉनकॉर और जीडीएल जैसी लॉजिस्टिक कंपनियों को लाभ होगा। ब्रोकरेज फर्म शेयरखान ने जीडीएल को बाय रेटिंग दी है। उसका कहना है कि कॉनकॉर को खरीदने से भी इन्वेस्टर्स को फायदा हो सकता है।
सेंचुरी प्लाईबोर्ड्स इंडिया लिमिटेड तेजी से बढ़ रहे प्लाईवुड और लेमिनेट सेगमेंट में बड़ी प्लेयर है। ऑर्गेनाइज्ड मार्केट में इस कंपनी की 25 पर्सेंट हिस्सेदारी है। वुड खरीदने के लिए प्लाईवुड इंडस्ट्री कोई एक्साइज ड्यूटी या वैट नहीं चुकाती है। इसलिए प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स को कोई सेनवैट क्रेडिट नहीं मिलता। एक्साइज ड्यूटी नहीं लगने के चलते इस सेगमेंट में बचत के काफी मौके हैं। यही वजह है कि इंडस्ट्री में 70 पर्सेंट अन-ऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स हैं।
हालांकि, जीएसटी के लागू होने के बाद अन-ऑर्गेनाइज्ड कंपनियों के लिए टैक्स का फायदा खत्म हो जाएगा। ऐसे में सेंचुरी प्लाईबोर्ड्स जैसी ऑर्गेनाइज्ड कंपनियों की मार्केट हिस्सेदारी बढ़ सकती है।
आईडीएफसी सिक्यॉरिटीज ने कंटेनर कॉर्पोरशन पर रिपोर्ट दी है। उसके मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद सीमेंट, स्टील और ऑटो जैसे सेक्टर्स से मांग बढ़ सकती है। पहले ही इस बारे में इनक्वायरीज बढ़ चुकी हैं। कॉनकॉर अपने लॉजिस्टिक्स पार्क्स अहम लोकेशन पर बना रही है। इससे जीएसटी के बाद बढ़ने वाली मांग को वह आसानी से पूरा कर पाएगी। हालांकि, ब्रोकरेज फर्म ने कॉनकॉर को अभी न्यूट्रल रेटिंग दी हुई है। कंपनी ने कुछ रूट्स पर टैरिफ में औसतन छह पर्सेंट की बढ़ोतरी की है।
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