Friday, June 8, 2012

कम हुआ है तृणमूल का जनाधार

कम हुआ है तृणमूल का जनाधार


Friday, 08 June 2012 10:30

कोलकाता, 8 जून (जनसत्ता)। हाल ही में राज्य की छह नगरपालिकाओं के चुनाव नतीजों से साबित होता है कि विगत एक साल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के प्रति जनसमर्थन में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि कह सकते हैं कि इसमें थोड़ी-बहुत दरार ही आई है। वैसे कहने को तृणमूल ने छह में से चार नगरपालिकाओं में जीत हासिल की है, लेकिन यह नतीजा इस बात के प्रमाण नहीं माने जा सकते कि पार्टी के जनसमर्थन में विस्तार हुआ है। ऐसा कहना है कि राजनीतिक विश्लेषकों का, जिन्होंने चुनाव नतीजों की काफी गहराई से समीक्षा की है। मालूम हो कि बीते तीन जून को राज्य की जिन छह नगरपालिकाओं पर चुनाव हुए थे, उनमें चार पर तृणमूल ने जीत दर्ज की। इनमें दुर्गापुर, पांशकुड़ा, नलहाटी व धूपगुड़ी नगरपालिकाएं शामिल हैं। दूसरी ओर, हल्दिया नगरपालिका पर वाममोर्चा ने व कूपर्स कैंप नगरपालिका पर तृणमूल के गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने कब्जा किया। 
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस ने वर्ष 2009 से जो विजय यात्रा शुरू की थी, उसके आधार पर पार्टी को इस बार छहों नगरपालिकाओं पर जीत दर्ज करनी चाहिए थी। मगर ऐसा नहीं हुआ। ध्यान देने वाली बात यह है कि चुनाव के पहले राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी से लेकर तृणमूल के सांसद शुभेंदु अधिकारी तक ने दावा किया था कि तृणमूल को सभी छह नगरपालिकाओं पर सफलता मिलेगी। लेकिन चुनाव में पूरी शक्ति झोंक देने के बाद भी ऐसा कुछ नहीं हुआ और तृणमूल को चार नगरपालिकाओं से ही संतोष करना पड़ा। गौर करने वाली बात यह भी है कि पूर्व मेदिनीपुर जिले का हल्दिया शुभेंदु अधिकारी व उनके परिवार का गढ़ माना जाता है। बावजूद इसके यहां पर वाममोर्चा की जीत हुई। वहीं दूसरी ओर नदिया जिले के कूपर्स कैंप पर भी तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की खास निगाहें थीं, लेकिन यह नगरपालिका कांग्रेस की झोली में चली गई। राजनीतिक हलकों में इसे विगत एक साल में सत्ताधारी तृणमूल के प्रति लोगों के समर्थन में कमी का संकेत माना जा रहा है। क्योंकि हल्दिया में जीत हासिल करने के लिए शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में तृणमूल ने पूरी ताकत झोंक दी थी। चुनाव प्रचार के दौरान जनसभाओं में शुभेंदु को अक्सर यह दावा करते सुना जाता था कि उनकी पार्टी हल्दिया समेत छहों नगरपालिकाओं पर जीत हासिल करेगी। वे यह भी कहते थे कि छहों नगरपालिकाएं विपक्षहीन हो जाएंगी। 

पिछले दिनों चुनाव नतीजा आने के बाद वाममोर्चा के चेयरमैन व माकपा के राज्य सचिव विमान बसु कहा था-चुनाव प्रचार के समय से लेकर मतदान के दिन तक तृणमूल कांग्रेस ने जो आतंक व हिंसा का तांडव चलाया था, हल्दिया के लोगों ने पार्टी को उसी का जवाब दिया है। इस जीत के लिए उन्होंने वाममोर्चा के कार्यकर्ताओं, समर्थकों व आम लोगों को धन्यवाद दिया। बसु ने कहा था कि मतदान के दिन तृणमूल की ओर से विशेष कर हल्दिया, पांशकुड़ा व दुर्गापुर में व्यापक रूप से हिंसा व आतंक का तांडव चलाया गया था। यहां तक कि चुनाव के बाद भी यह सब जारी है। उन्होंने कहा कि भय व आतंक के इस माहौल में ही लोगों ने अपने लोकतांत्रिक आधिकारों का इस्तेमाल किया। माकपा नेता ने यह भी कहा कि धूपगुड़ी में वाममोर्चा की पराजय के कारणों की खोज की जाएगी। 
इधर, विधानसभा में विरोधी दल के नेता सूर्यकांत मिश्र ने चुनाव नतीजों पर कहा कि एक साल में ही लोग तृणमूल से डरने लगे हैं। मिश्र के मुताबिक एक साल पहले लोगों का स्वत:स्फूर्त समर्थन लेकर तृणमूल सत्ता में आई थी। जबकि वही लोग एक साल के बाद तृणमूल से डरने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हल्दिया में लोगों ने तृणमूल को पीला कार्ड दिखा दिया। अगर पार्टी इसी रास्ते पर चलती रही तो लोग उसे लाल कार्ड भी दिखा देंगे। मिश्र ने माना कि लोगों ने एक साल पहले 2011 के विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा को लाल कार्ड दिखा दिया था। उसके बाद ही राज्य में नई सरकार आई थी। लेकिन लोग अब तृणमूल से ऊबने लगे हैं। मिश्र ने कहा कि नगरपालिका चुनाव में अग सत्ताधारी पार्टी ने हिंसा व आतंक नहीं चलाया होता तो हल्दिया में और अधिक मतों से वाममोर्चा को जीत हासिल होती। हालांकि उन्होंने कहा कि हल्दिया में मिली जीत महत्वपूर्ण है। 
मिश्र ने आरोप लगाया कि झूठे मामलों में हमारी पार्टी के नेता लक्ष्मण सेठ समेत कई लोगों को जेल में बंद रखा गया है। उन्होंने कहा कि इससे तृणमूल के प्रति लोगों में काफी नाराजगी दिख रही है। इसी का नतीजा हल्दिया में तृणमूल की हार है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार को चाहिए कि अविलंब प्रतिहिंसा की राजनीति बंद करे।

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