हम बकरों की जमात तो हलाल किये जाने लायक ही है!
मुद्दे कहीं हैं नहीं। मुद्दों पर कोई चर्चा हो ही नहीं रही। लोकतांत्रिक प्रणाली का हाल यह है कि इरोम शर्मिला को अनशन करते हुए बारह साल हो गये , पर हमें इरोम में कुछ दिलचस्प नजर नही आता। मीडिया पर छायी हैं पूनम पांडेय जैसी सेक्सी कन्याएं।बंगाल में तीन कन्या का उत्सव चल रहा है।अभिनेत्रियों के न्यूड या टापलैस अवतार की आड़ में जारी नीति निर्धारण की प्रक्रिया को क्या हम कभी नहीं समझेंगे और घोटालों की हरिकथा अनंत में लोकतंत्र से मोक्ष की बाट जोहते रहेंगे अनंत काल?गनीमत है कि राजनीति भी कम सेक्सी, कम मजेदार नहीं है। धर्मोन्माद और सेक्स के काकटेल में हम मुक्ति खोजने लगे हैं।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
ललकारीं सोनिया, मनमोहन ने गिनाईं उपलब्धियां, राहुल का रहा युवाओं पर जोर! नई दिल्ली की रामलीला में भगवान के दर्शन हो गये देश को।नियति का दर्शन भी हुआ होगा। अमेरिका में जब लोक कल्याणकारी राज्य की मौजूदगी का अहसास दिलाते हुए अश्वेत राष्ट्रपति लगभग हारी हुी बाजी जीतने के करीब हैं, वहीं जनसंहार की नीतियों को जायज बताने में शर्मा नहीं रहे भारत भाग्यविधाता। इस विधाता के हाथों हम खिलौनेभर हैं। लाखों की तादाद में वहां जमा हुजूम को क्या समझ में आया कि उनकी ही बलि चढ़ाने की पूरी तैयारी है? हम बकरों की जमात तो हलाल किये जाने लायक ही है!कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को सरकार के आर्थिक सुधार के कदमों का पुरजोर समर्थन किया और विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि वह लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर और लोगों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है।भ्रष्टाचार पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोनिया ने कहा कि यह कैंसर की तरह है जिससे गरीब लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार भ्रष्टाचार से प्रभावी ढंग से निपटने में अपने प्रयासों को तेज करेगी।
मुद्दे कहीं हैं नहीं। मुद्दों पर कोई चर्चा हो ही नहीं रही। लोकतांत्रिक प्रणाली का हाल यह है कि इरोम शर्मिला को अनशन करते हुए बारह साल हो गये , पर हमें इरोम में कुछ दिलचस्प नजर नही आता। मीडिया पर छायी हैं पूनम पांडेय जैसी सेक्सी कन्याएं।बंगाल में तीन कन्या का उत्सव चल रहा है।अभिनेत्रियों के न्यूड या टापलैस अवतार की आड़ में जारी नीति निर्धारण की प्रक्रिया को क्या हम कभी नहीं समझेंगे और घोटालों की हरिकथा अनंत में लोकतंत्र से मोक्ष की बाट जोहते रहेंगे अनंत काल?गनीमत है कि राजनीति भी कम सेक्सी, कम मजेदार नहीं है। धर्मोन्माद और सेक्स के काकटेल में हम मुक्ति खोजने लगे हैं। घोटालों का भंडाफोड़ जारी रहेगा और घोटाले भी जारी रहेंगे। कालाधन का विरोध होता रहेगा और कालाधन के राज में सुखी और संपन्न भी रहेंगे। छोटी छोटी सहूलियतों, मामूली मौकों, वेतन में इजाफा और भत्तों की घोषणा से, राहत और पुनर्वास के पैकेज, फर्जी योजनाओं से हम अपनी समस्याएं सुलझाने की उम्मीद में हैं। हमें भी कुछ मिल जाये तो भ्रष्टाचार से क्या परहेज विदेशी पूंजी से अगर भोग के सारे इंतजाम हो सकते हैं, थ्री जी फोर जी वर्चुअल जिदगी जीते हैं, तो आर्थिक सुधारों का विकल्प क्या है? जल जंगल जमीन नागरिकता और मानव अधिकार से वंचित लोग तो दूसरे होंगे! पाने की ललक में हमने तुरत फुरत अपनी उंगलियों की छाप भी कारपोरेट के हवाले कर दी। अब वे चाहे झटके से गरदन अलग कर दें या हलाल कर दें, तरीका तो वे ही चुनेंगे!
रोजाना अपने खिलाफ हो रहे नए खुलासों और चौतरफा ताबड़तोड़ हमलों पर बचाव के बजाय कांग्रेस ने जोरदार पलटवार का रास्ता अख्तियार कर लिया है। भ्रष्टाचार, महंगाई और नीतिगत निष्क्रियता के आरोपों पर दिल्ली के रामलीला मैदान से रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी महासचिव राहुल गांधी ने एक सुर में विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। सोनिया ने विरोधियों को कांग्रेस जैसा विकास करके दिखाने की चुनौती दी। प्रधानमंत्री ने महंगाई और रिटेल में एफडीआइ समेत हाल में सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर सफाई दी। जबकि, राहुल ने खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने समेत बड़े राजनीतिक बदलावों की भूमिका रखी।मनमोहन सिंह ने रविवार को विपक्ष की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सहित सरकार की विभिन्न नीतियों से आम आदमी को फायदा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।मनमोहन सिंह ने कहा,'कांग्रेस और उसका विरोध करने वाले के बीच यही फर्क है कि उनकी पार्टी और सरकार दोनों ही समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा,'हमें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कठिन फैसले लेने होंगे, जो हमारा विरोध कर रहे हैं एक दिन वे गलत साबित होंगे।'
बाजार के मुताबिक हमारी सोच और संस्कृति का नजारा देखिये!भारत के लोग सेक्स के भूखे होते हैं, निर्माता निर्देशक महेश भट्ट ने यह विवादास्पद बयान देकर बहस का एक नया मुद्दा छेड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के दर्शकों को फिल्मों में अगर सेक्स परोसा जाए तो वे ज्यादा संतुष्ट होते हैं। लेकिन वे लोग ये बात स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। भारतीय दर्शक सेक्स के भूखे होते हैं लेकिन बाहर से दिखाते नहीं है। कामुकता भारत में एक बीमारी की तरह फैल रही है। इस मामले में दर्शकों को खुश करने के लिए भंट्ट कैंप काफी आगे है।निर्माता महेश भट्ट के मुताबिक आज के लोगों को अगर पारिवारिक फिल्में दिखाई जाएं तो वे फ्लॉप हो जाती है और जिस्म, मर्डर, राज टू जैसी फिल्में ही लोगों को पंसद आती है। लोगों के स्वाद में भी बदलाव हुआ है। अब लोगों को फिल्म में कहानी के साथ-साथ सेक्स का तड़का चाहिए।तो दूसरी ओर,किसी न किसी बात के लिए न्यूड होने वाली पूनम पांडे इन दिनों इंटरनेट की सोशल नेटवर्किग साइट पर खूब धूम मचा रही है। हाल ही में पूनम पांडे एक इवेंट के दौरान बाइक पर अपना फोटोशूट करवाया है। इस फोटोशूट के दौरान पूनम ने पिंक कलर की बेहद ही छोटी ड्रेस पहनी हुई थी। पूनम की यह ड्रेस उपर से जितनी खुली हुई थी लंबाई में काफी छोटी थी। बाइक पर जैसे ही पूनम बैठी। पूनम के अन्तर्वस्त्र वहां मौजूद लोगों को पूरी तरह से दिखाई दे रहे थे। इस फोटो में पूनम ने पिंक ड्रेस पहन रखी है। इस पिंक ड्रेस में पूनम बेहद ही हॉट हौर सेक्सी लग रही है।बीबीसी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में सरकार के सहयोग से चलने वाले स्टार थिएटर ने शनिवार को एक बांग्ला फिल्म का प्रदर्शन यह कहते हुए बंद कर दिया कि यह फिल्म सरकार-विरोधी संदेश देती है।समझा जाता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारे पर ही इसका प्रदर्शन रोका गया है। दिलचस्प बात यह है कि ममता बनर्जी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने भी इस फिल्म में काम किया है।तीन कन्या' नामक इस फिल्म में जानी-मानी अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने भी अभिनय किया है। यह फिल्म शुक्रवार को ही रिलीज हुई थी। फिल्म को सेंसर बोर्ड पास कर चुका है. दूसरी ओर, राज्य सरकार ने इसका प्रदर्शन रोकने में अपना हाथ होने की खबरों का खंडन किया है।राजनीति के तड़का के अलावा बोल्ड दृश्यों, खासकर ऋतुपर्णा की भूमिका के लिए भी यह फिल्म चर्चा में है।
इसी बीच हिमाचल विधानसभा चुनावों में मतदान के जरिये अगले लोकसभा चुनाव का रिहर्सल शुरू हो गया। चुनाव प्रचार अभियान की बानगी देखते हुए पता चला कि कितनी आसानी से हम लोग बुरबक बनाये जा सकते हैं।हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनावों में रविवार को 75 फीसदी से अधिक मददाताओं ने मतदान किया। इस बार राज्य के 68 विधान सभा सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान संपन्न हुआ। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहा। कुछ जगह वोटिंग मशीन में खराबी की शिकायत आई लेकिन बाद में खराब मशीनों को बदल दिया गया। राज्य के सिरमौर और कुल्लू जिलों में सबसे अधिक मतदान होने की खबर है, जबकि आदिवासी बहुल जिले लाहौल-स्पीति में सबसे कम मतदान हुआ। चुनाव प्रचार अभियान के दौरान इस बार बड़े-बड़े राष्ट्रीय नेताओं ने इस पहाड़ी राज्य का दौरा किया था।
लीजिये, आपकी थाली में एक और स्वादिष्ट बष्टाचार व्यंजन पेश है!सेंट्रल विजिलेंस कमिशन(सीवीसी) की जांच में कॉमनवेल्थ गेम्स(सीडब्ल्यूजी) से जुड़े कई प्रॉजेक्ट्स को अमली जामा पहनाने में सरकारी महकमों और निजी कंपनियों की ओर से 1,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के मामले सामने आए हैं।सीवीसी की ओर से सीडब्ल्यूजी से जुड़े घोटाले की जांच के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तथा दूसरी एजेंसियों के अधिकारियों को मिलाकर बनाए गए विशेष जांच प्लेटफॉर्म की मदद से इसका खुलासा हुआ है। विजिलेंस कमिशनर आर. श्रीकुमार के मुताबिक, इसमें 1,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है।उन्होंने कहा कि सीवीसी इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सीडब्ल्यूजी के घोटालों में कर रहा है। इन खेलों के दौरान 9,000 पब्लिक फंड वाले प्रॉजेक्ट्स में 37 सरकारी और निजी कंपनियों ने 15,000 करोड़ रुपये की रकम खर्च की। उन्होंने कहा कि इसमें विभिन्न एजेंसियों की जांच हुई। हर जांच और पूछताछ के अपने नतीजे हैं। कई एजेंसियों की इस जांच में एक खास बात यह रही कि घोटाले में कई पक्षों की ओर से बड़ी टैक्स चोरी की गई। इनमें से कई टैक्स, जैसे इनकम टैक्स, सर्विस टैक्स, वैल्यू एडेड टैक्स की सोर्स से ही कटौती की जानी थी। बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म ने इसमें 1,000 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है।
लोकायुक्तों के 11वें सम्मेलन में जब भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं के प्रमुख एक मंच पर आए तो उन्होंने कई समस्याओं की ओर ध्यान खींचा। कैग विनोद राय ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना भारत उच्च विकास दर हासिल नहीं कर सकता।
विनोद राय ने कहा, 'आर्थिक विकास टिकाऊ नहीं रहता यदि वह पारदर्शिता और जवाबदेही पर आधारित हो। भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा नया नहीं है। देश को 8 प्रतिशत विकास दर हासिल करना है तो भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण लाना ही होगा। जनजागरूकता बढ़ाने के लिए हमने जटिल ऑडिट रिपोर्ट के स्थान पर छोटी बुकलेट में रिपोर्ट बनाना शुरू किया है, जिसे नॉडी बुक्स कहा जा सकता है।
सामाजिक क्षेत्र के सभी विषयों पर हमने 14-15 पेज की बुकलेट प्रकाशित की है। प्रयास उत्कृष्टता के होने चाहिए। सामान्य व्यक्ति बने रहने का जश्न मनाने के नहीं।'
भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं को एकजुट होना होगा : सीवीसी
गौरतलब है कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) प्रदीप कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थाओं को एकजुट होना होगा। इससे भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारियां साझा करना आसान होगा। नेटवर्किंग एसोसिएशन बनेगा। उन्होंने कहा कि सतर्कता एवं जांच एजेंसियों के कामकाज में कई खामियां हैं। 'हम अकेले चल रहे हैं। कभी-कभार ही हाथ मिलाते हैं। भ्रष्टाचार पर काबू पाने में हमारा रिकॉर्ड बेहद कमजोर है। कोई यह चर्चा नहीं कर रहा कि हम भ्रष्टाचार से कैसे निपटें।कुमार ने कहा कि कमरों से लेकर सड़कों तक भ्रष्टाचार चर्चा के केंद्र में है। उन्होंने कहा, 'सभी लोग भ्रष्टाचार की बात करते हैं, लेकिन इसपर कोई बात नहीं होती कि भ्रष्टाचार से निपटने में हम व्यवस्था को किस तरह मजबूत कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि लोगों का विश्वास फिर से बहाल करने के लिए जरूरी सुधार लाने के प्रयासों के बारे में सोचने की जरूरत है।
उद्योग मंडल एसोचैम ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए कृष्णा-गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस उत्पादन से जुड़ी समस्याओं और दूरसंचार स्पेक्ट्रम मुद्दा सुलझाने को आज कहा।
उद्योग मंडल ने रक्षा उत्पादन में विदेशी निवेश और खोलने की भी वकालत की। एसोचैम ने कहा कि बिजली संयंत्र और उर्वरक इकाइयों जैसे कई क्षेत्र प्राकृतिक गैस की कमी के चलते परिचालन करने में असमर्थ हैं।
एसोचैम ने सुझाव दिया है, 'ढांचागत क्षेत्रों के समक्ष आ रही ईंधन की कमी की समस्याओं को दूर करने के लिए गैस मूल्य निर्धारण का मुद्दा हल करना और केजी बेसिन में उत्पादन बहाल करना आवश्यक है। इसके अलावा, उच्च मुद्रास्फीति और ढांचागत क्षेत्र में निवेश में तेजी लाने जैसे मुद्दों को भी हल किए जाने की जरूरत है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी के बयानों को टीम केजरीवाल ने बेहद हास्यास्पद करार दिया है। मनीष सिसोदिया के मुताबिक, मरीज को यह बताने से क्या होगा कि उसे कैंसर है, जबकि उसका इलाज करने से मना किया जा रहा है।सिसोदिया ने कहा कि सोनिया गांधी आम लोगों को बता रही हैं कि भ्रष्टाचार कैंसर है। यह तो हर आदमी जानता है। वे यह क्यों नहीं बतातीं कि प्रधानमंत्री और पूरी संसद के वादे के बावजूद उनकी सरकार जन लोकपाल क्यों नहीं ला रही? यह तो वैसा ही हुआ कि डॉक्टर मरीज को यह तो बताए कि उसे कैंसर है मगर इलाज करने से इन्कार कर दे। सूचना का अधिकार [आरटीआइ] कानून को ले कर अपनी सरकार की पीठ थपथपाने पर सिसोदिया ने कहा, 'जिस कानून को जनता के इतने संघर्ष के बाद लागू किया गया, उसे कमजोर भी इसी सरकार ने कर दिया। लोगों को सूचना नहीं मिल रही, धमकियां मिल रही हैं। सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं।राहुल गांधी कह रहे हैं कि सरकार में आम लोगों के लिए दरवाजे बंद हैं। उन्होंने भी समस्या को तो सही पहचाना, लेकिन न तो इसका कारण बताया और न ही इलाज। दस जनपथ और प्रधानमंत्री कार्यालय के आस-पास कोई आ जाए तो उसे गिरफ्तार कर लेते हैं। ऐसे में लोगों की भागीदारी कहां से होगी?
जाहिर है कि बेशर्मी पर कांग्रेस का एकाधिकार नहीं है। सत्ता के प्रबल दावेदार संघ परिवार की नैतिकता का यहह आलम है कि घोटालों के आरोप में बुरीतरह घिरे भाजपा अध्यक्ष के विकल्प का अता पता नहीं है और वे ताल ठोंकर मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि देश में राजनीतिक अस्थिरता इस हद तक पहुंच गई है कि लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकता है। मध्य प्रदेश की जनता को चुनाव के लिए तैयार रहना है और लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखानी है। एक दिवसीय दौरे पर रविवार को मध्य प्रदेश आए गडकरी ने धार में जनजातीय जनसमूह के बीच कहा कि यह जनसमुद्र इस बात का साक्षी है कि देश के जनजातियों का भाजपा में अटल विश्वास है।
समाजवादी नीतीश कुमार को मोदी का चेहरा पसंद नहीं है, पर उसी गठबंधन में जमे हुए हैं , जहां प्रधानमंत्रित्व का अघोषित दावेदार मोदी के सिवाय कोई और नहीं। समाजवाद के सिद्धांत भूलकर उन्हें अपने वोटबैंक को खुश करने की पड़ी है। परमामु ऊर्जा भी चाहिए उन्हें।पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की और संकल्प लिया कि वह इस अधिकार को लेकर ही रहेंगे। उन्होंने हुंकार भरी कि यदि बिहार के 10.5 करोड़ लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज किया जाएगा तो अगले साल दिल्ली के रामलीला मैदान को वह बिहारियों से पाट देंगे। गांधी मैदान में आयोजित अधिकार रैली में लाखों की संख्या में जुटे लोगों को सम्बोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार ही नहीं विकास के मामले में राष्ट्रीय औसत से नीचे खड़े राज्यों को भी उनका हक मिलना चाहिए!
कांग्रेस के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों, देश भर के सांसदों, विधायकों और प्रदेश अध्यक्षों की मौजूदगी में हुई इस महारैली के जरिये कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की गई। आरोपों की बौछार के जवाब के लिए सोनिया-मनमोहन-राहुल ने अपने भाषणों के जरिये तर्को की ढाल और अस्त्र भी दिए। यूं तो मंच पर अन्य पदाधिकारी और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद थे, लेकिन बोले सिर्फ यही तीन। रैली का संचालन कांग्रेस महासचिव व मीडिया विभाग के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी ने किया।
सबसे आक्रामक और जोशीला भाषण सोनिया का रहा। उन्होंने विपक्ष पर नकारात्मक राजनीति का आरोप लगाते हुए परोक्ष रूप से भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर तीखा तंज मारा और सिविल सोसाइटी के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन व विपक्ष के कथित गठजोड़ की तरफ इशारा भी किया। उन्होंने कहा, 'जो लोग भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं वे खुद भ्रष्टाचार में डूबे हैं। जो दूसरों के लिए गढ्डा खोदता है, उसके लिए कुआं तैयार रहता है।' कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्ष पर निर्वाचित सरकार और लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ने वाली।
प्रधानमंत्री ने खुदरा क्षेत्र [रिटेल] में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] समेत पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ाने जैसे मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा। विपक्ष पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अगर ये कड़े फैसले न लिए जाते तो देश आर्थिक रूप से पिछड़ जाता और बेरोजगारी बढ़ती जाती। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जो भी फैसले किए गए हैं, उनके दूरगामी अच्छे परिणाम होंगे। प्रधानमंत्री ने संगठन और सरकार के बीच दूरी के संदेश को भी खत्म करने की कोशिश की और कहा, 'आठ साल से हम सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के आदर्शो के मुताबिक ही काम कर रहे हैं।'
रैली को सबसे पहले राहुल ने संबोधित किया और भविष्य की अपनी योजनाओं की तरफ इशारा किया। विपक्ष पर बरसते हुए उन्होंने कहा, हरित क्रांति, कंप्यूटर, उदारवाद जैसे फैसले कांग्रेस ने किए। विपक्ष की आलोचना से कुछ नहीं होता अब कांग्रेस ही राजनीतिक व्यवस्था भी बदलेगी। उन्होंने खाद्य सुरक्षा विधेयक के तैयार होने का दावा किया और कहा, हम गरीबों के हित में देश के विकास के लिए हर काम करेंगे और युवाओं को राजनीति की मुख्य धारा में लाएंगे।
''जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार साबित होगा, उसे कानूनी तौर पर बख्शा नहीं जाएगा। हम ही आरटीआइ लाए, जिसके जरिये एक आम आदमी किसी भी सरकार से सच्चाई का पता लगा सकता है। आप खुद से पूछिए कि क्या ऐसा कानून कोई ला सकता है जो भ्रष्टाचार छिपाना चाहता है। हम लोकपाल विधेयक लाए, जिसे भाजपा ने राज्य सभा में पास नहीं होने दिया। फिर भी इसे पास कराने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हमारी निंदा करने वाले बताएं कि क्या उन्होंने कोई ऐसी सरकार चलाई है जिसने ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन के लिए इतने कम समय में इतने क्रांतिकारी कदम उठाए हों।'' - सोनिया गांधी [कांग्रेस अध्यक्ष]
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''भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकें। ईमानदार अधिकारी फैसलों से न डरें, ऐसा माहौल बनाना चाहिए। रिटेल में एफडीआइ का विरोध करने वाले इसे या तो समझ नहीं रहे या फिर देश को गुमराह कर रहे हैं। विदेशी निवेश से लाखों रोजगार मिलेंगे। दूसरे देशों का तजुर्बा है कि छोटे व्यापारी खत्म नहीं हुए। 1991 में हमने एफडीआइ के बारे में बड़े फैसले किए थे, जिसके अच्छे नतीजे निकले। नीतियों में बदलाव की जरूरत हुई तो फिर करेंगे। कड़े फैसले करना मजबूरी थी, न करते तो देश आर्थिक मंदी की तरफ चला जाता, जिसके नतीजे गंभीर होते।'' - मनमोहन सिंह [प्रधानमंत्री]
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''सबसे बड़ी समस्या हमारा राजनीतिक तंत्र है। मौजूदा तंत्र में आम आदमी के लिए सभी दरवाजे बंद हैं। पूरे देश के युवाओं को यह तंत्र ठोकर मारकर गिरा देता है। लेकिन, विपक्ष ने कभी तंत्र सुधारने की बात नहीं की। केवल आरोप लगाने से कुछ नहीं होता। कांग्रेस ही हरित क्रांति, कंप्यूटर और आर्थिक उदारीकरण लाई। अब राजनीतिक तंत्र को भी कांग्रेस ही बदलेगी। हम युवाओं को आगे लाएंगे। हिंदुस्तान की आवाज को कांग्रेस में लाना है।'' - राहुल गांधी [कांग्रेस महासचिव]
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