Saturday, 02 February 2013 12:31 |
सुधीश पचौरी वह बदलाव पुल्लिंगी समाज के अपने बीच से उपजे। समाज अपना दिमाग बदले। बदलाव के उपायों पर खुद विचार करे। अपेक्षित संवेदनायुक्त बने। अपने जरूरी और बुनियादी बदलाव की नींव स्वयं रखे। |
Sunday, February 3, 2013
अरी ओ करुणा प्रभामय
अरी ओ करुणा प्रभामय
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