Tuesday, December 17, 2013

नये संदर्भ में नया किस्सा सब बूझ रहे हैं अपना हिस्सा नगा संन्यासिन ने कहा बहुत ठीक गंगासागर मेले में देखता किधर है दुनिया इधर है FDI POLICY UNDER REVIEW India likely to Scrap Ban on FII Investments in Defence Defence, finance ministries have had a round of discussions to resolve the issue

नये संदर्भ में नया किस्सा

सब बूझ रहे हैं अपना हिस्सा

नगा संन्यासिन ने कहा

बहुत ठीक गंगासागर मेले में

देखता किधर है

दुनिया इधर है


FDI POLICY UNDER REVIEW

India likely to Scrap Ban on FII Investments in Defence

Defence, finance ministries have had a round of discussions to resolve the issue


पलाश विश्वास


24 Ghanta

নির্ভয়ারা...

http://zeenews.india.com/bengali/nation/10-rape-cases-in-india-before-nirbhaya_18602.html


‪#‎RespectWomen‬

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मैं तो मस्त तब हो जाउंगा स‌चमुच जब प्रकाश जी जैसे लोग,हमारे तमाम स‌मर्थ स‌क्षम मेधासंपन्न लोग,जो हम स‌े बहुत ज्यादा पढ़ चुके हैं,स्थापित हैं और बेहतर लिख भी स‌कते हैं,हमारे मुद्दों पर जल जमीन जंगल आजीविका और नागरिकता के मुद्दों पर अभिषेक और रियाज की तरह खुलकर मोर्चा स‌ंभाले।मृत विचारधाराओं में प्राम प्रतिष्ठा करके इस मुक्त बाजार के छनछनाते विकास के तिलिस्म के खिलाप अपनी अपनी तलवारे निकालें।हम तो भाई घर की मुर्गी हैं,जब चाहे तब हलाक करें या जिबह।


आखिरकार आप के सरदर्द से निजात पाने के लिए वामपंथी दक्षिणपंथी मध्यपंथी बहुजनपंथी राजनीति ने समाजवादी बहिस्कार के बावजूद अल्पमत सरकार की ओर से पेश लोकपाल विधेयक को अल्पमती राज्यसभा में पारित करा लिया।हम पहले ही कह रहे थे कि खंडित जनादेश ने छात्र युवा महिला जैसी सामाजिक शक्तियों की गोलबंदा की दिशाएं कोल दी हैं।वर्ण वर्चस्वी रालेगण सिद्धि में किरण बेदी और जनरल वीके सिंह की मौजूदगी में अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जीत लेने का जश्न शुरु कर दिया है।अभी लोकसभा में कल यह विधेयक पास होना है और अभी राष्ट्रपति का दस्तखत बाकी है। लेकिन इस प्रकरण ने साबित कर दिया है कि सत्तावर्ग के संकट में, बदलाव के आसार दिखते ही कैसे सर्वदलीय सहमति से आनन फानन में देश की संसद कानून बनाती बिगाड़ती है।


न्यायपालिका की अवमानना सारी सरकारें कर रही हैं।असंवैधानिक गैरकानूनी सीआईए नाटो की खुफिया निगरानी परियोजना के कारपोरेट प्रमुख तो प्रधानमंत्रित्व के दावेदार भी हैं। तेल कंपनियां और तमाम बैंक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन करते हुए लोगों को आधार नंबर जमा करने का फतवा जारी कर रही है और मीडिया निराधार आधार को भारतीय नागरिकता की पहचान बनाने की मुहिम चलाकर महाविध्वंस रचने में लगा है। पांचवी छठी अनुसूचियों,पर्यावरण कानून,वनाधिकार और स्थानीय निकायों के अधिकारों पर जो फैसले और आदेश सुप्रीम कोर्ट के हैं,भारतीय संविधान में जो प्रावधान हैं,उनका खुल्ला उल्ळंघन हो रहा है।लेकिन अवमानना का कोई मामला दर्ज नहीं हो रहा है और न सर्वोच्च न्यायालय कोई संज्ञान ले रहा है। इसके विपरीत दागियों को जेल भेजने और चुनाव लड़ने से रोकने का जो फैसला आया,लालू की गिरफ्तारी और जमानत पर रिहाई के मध्य उसका क्या हश्र हुआ,आपके सामने है।बाकी मुद्दों को हाशिये पर रखकर एनजीओ प्रायोजित समलैंगिकता के अधिकार पर कैसे विमर्श की दिशा मोड़ दी गयी है,संसद में विधेयकों को निःशब्द पारित कराने और परदे के पीछे संसद और सरकार के बाहर कारपोरेट नीति निर्धारण में उसका भी बड़ा काम है।हम आपका ध्यान लगातार इस ओर खींचते रहे हैं।



Power Grid Corp

बीएसई | एनएसई 17/12/13

विनिवेश के मोर्चे पर नाकाम सरकार ने अब पीएसयू ईटीएफ के रास्ते से पैसे जुटाने की तैयारी शुरू कर दी है। सीएनबीसी आवाज़ को एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि विनिवेश विभाग ने पीएसयू ईटीएफ में शामिल करने वाली कंपनियों को शॉर्टलिस्ट कर लिया गया है। इसमें पावर ग्रिड, आरईसी, पीएफसी समेत 11 कंपनियां शामिल हैं।


विनिवेश विभाग ने पीएसयू ईटीएफ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि फरवरी में 11 सरकारी कंपनियों के पीएसयू ईटीएफ लॉन्च किए जाएंगे। पीएसयू ईटीएफ में पावर ग्रिड, आरईसी और पीएफसी जैसी पावर कंपनियों पर खास फोकस होगा। इसके अलावा पीएसयू ईटीएफ में कोल इंडिया, ओएनजीसी और आईओसी को भी शामिल किया जाएगा। पीएसयू ईटीएफ में 5 साल में बेहतर डिविडेंड देने वाली कंपनियां ही शामिल की गई हैं।




लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद आखिरकार लोकपाल बिल राज्यसभा में पास हो गया। समाजवादी पार्टी के सदन से वॉक आउट के बाद राज्यसभा ने तकरीबन एकमत से इस बिल को पास कर दिया। अब ये बिल लोकसभा में जाएगा।


लोकपाल बिल के लिए रालेगण सिद्धि में अनशन पर बैठे अन्ना हजारे ने इस बिल के पास होने पर खुशी जताई और कहा कि कल लोकसभा में इस बिल के पास होने के बाद वे अपना अनशन तोड़ देंगे। अन्ना ने ये भी कहा कि इस बिल के कानून बनने के बाद देश का तकरीबन आधा करप्शन खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बिल के पास होने को मील का पत्थर बताया।


इससे पहले सुबह इस बिल पर चर्चा शुरू हुई। समाजवादी पार्टी ने इस बिल का विरोध किया और सदन से वॉकआउट किया। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि मौजूदा लोकपाल बिल के परिणाम खराब होंगे, इसलिए उनकी पार्टी इसका विरोध कर रही है।


रामगोपाल यादव के मुताबिक इस बिल के पास होने से कोई भी मंत्री सही फैसलों पर भी फाइल पर दस्तखत करने से घबराएगा। राम गोपाल यादव के मुताबिक भारी दबाव और भय की वजह से कई दल इसका समर्थन कर रहे हैं।


सुबह समाजवादी पार्टी को मनाने की कोशिश के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ बैठक की। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और सपा नेता रामगोपाल यादव भी मौजूद थे।


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी लोकपाल बिल को पास कराने की रणनीति पर चर्चा के लिए अपने घर पर एक बैठक बुलाई, जिसमें संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री नारायण सामी को बुलाया गया। बैठक के बाद कमलनाथ ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि आज हर हाल में लोकपाल बिल पास होना चाहिए।

मल्टीब्रांड में पहली एंट्री जल्दः आनंद शर्मा

प्रकाशित Tue, दिसम्बर 17, 2013 पर 13:30  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने सीएनबीसी आवाज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि मल्टीब्रांड रिटेल में पहली एंट्री ये साल खत्म होने के पहले ही हो सकती है।


आनंद शर्मा का कहना है कि सिंगल ब्रांड रिटेल में पहले ही 300 करोड़ डॉलर आ चुके हैं। वहीं सरकार हमेशा एफडीआई के लिए अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश में रही है।


वीडियो देखें




याद करें हमने लिखा था


दागियों को बचाने अब क्या क्या गुल खिलेंगे

सत्ता बगीचे में, देखते रहिये

चारा घोटाले के फैसले मद्देनजर

आनन फानन जारी आर्डिनेंस फेल

दोषी लालू जमकर सत्ता जीमने

के बाद आराम करने चल दिये जेल

ओबीसी को घेरने का आदर्श

वक्त है सत्ता वर्चस्व के लिए

सुर्खियों में लालू हैं सर्वत्र

जगन्नाथ मिश्र हैं नहीं

http://antahasthal.blogspot.in/2013_09_01_archive.html

संसद के पिछले सत्र के दौरान हमने लिखा था

इस संसद की भी कुंडली बांचें कोई!

http://antahasthal.blogspot.in/2013/08/blog-post_5.html

संसद के पिछले सत्र के दौरान हमने एक किस्सा सुनाया था।फिर वही किस्सा आपकी याददाश्त ताजा करने के लिए और उसके बाद नये संदर्भ में नया किस्सा भी।


नये संदर्भ में नया किस्सा

सब बूझ रहे हैं अपना हिस्सा

नगा संन्यासिन ने कहा

बहुत ठीक गंगासागर मेले में

देखता किधर है

दुनिया इधर है


हमारे एक परममित्र हैं, जो जवानी में नक्सली हुआ  करते थे। लखनऊ और दिल्ली होकर प्रगतिवादका परचम थामे विराजमान हुए कोलकाता में।


ज्योतिष के परमार्थ में लाल किताब उन्होंने समर्पित कर दी। पत्रकारों में वे अजब लोकप्रिय हैं।


जिस किसीकी कुंडली बनायी, वह सीधे संपादक बन गया!


मैंने कितनी बार कहा। मेरे साथ दूसरे जो जनमजनम के लिए हाशिये पर धकेले गये हैं। उन ज्योतिषाचार्य से बार बार हमारे लिए भी कोई कुंडली बनाने को कहते रहे। वे जवाब में यही रटते रहे, होइहिं सोई जो राम रचि राखा।मूषिकस्य नियति।


नया किस्सा हमारे गुरुजी के भोगे हुए यथार्थ का है।हमारे गुरुजी हमारे परमप्रिय सहकर्मी हैं।वे नारी को नरकद्वार मानते हैं और अब भी कुंवारे हैं।हम तमाम लोग उनको दशकों से कोशिश ककके भी विवाह के लिए मना नहीं पाये।


कोलकाता में गुरुजी बेहद लोकप्रियहैं। पत्रकारिता की उस विरल प्रजाति में हैं गुरुजी जो हैं तो डेस्क पर अत्यंत सीनियर,स्ट्रींगर तक को एक्रीडशन मिल जाने पर भी उन्हें बतौर पत्रकार मान्यता नहीं मिली है और न संवाददाता बाहैसियत उन्हें बतौर संवाददाता कोई सुविधा सहूलियत मिलती है। लेकिन संजोग से वे भी हमारे पुराने अखबार के जरिये कोयलांचल में रहे हैं। अखंड मध्यप्रदेश और पूर्वोत्तर में भी उन्होंने पत्रकारिता की है। वे रोजाना रिपोर्टिंग में लगे रहते हैं।जो पुष्प पल्लव मिलता है वे उसे धर्मतल्ला के हाकरों में बांट देते हैं।लेकिन पोस्तो छोड़ते नहीं हैं।बांटने के लिए लड़ भिड़कर ले ही ले लेते हैं। चूंकि वे कुंवारे हैं और संयुक्त परिवार उनका काफी बड़ा है। रोज वे किराना और सब्जी बाजार जाते रहते हैं। उन्होंने अपने भाइयों के बच्चों को दत्तक लिया हुआ है और उनका सारा खर्च भी उठाते हैं।हम उन्हें इसीलिए गुरुजी मानते हैं कि बिना किसी की परवाह किये वे जो मर्जी सो करते रहते हैं। प्रबंधन के तमाम दबाव के बावजूद उन्होंने कंप्यूटर पर बैठना मंजूर नहीं किया और जाहिर है कि आज तक उन्होंने कोई पेज नहीं बनाया।पेजमेकर जमात में सामिल न होने की कामयाब जिद और तमाम संपादकों और प्रबंधकों को और उनके फतवे को किनारे करने की दक्षता के लिए वे हमारे गुरुजी हैं।अब कोलकाता में दूसरे लोग भी उन्हें गुरुजी ही कहने लगे हैं।


गुरुजी ने कोई पापकर्म किया हो,ऐसा हमारी जानकारी में नहीं है।लेकिन वे जनसत्ता में आने से पहले से गंगासागर की रपट बनाते रहे हैं। कभी कोई अंतराल नहीं है।गंगासागर पर लेखन और गंगासागर रिपोर्टिंग के लिए उनका नाम कबी गिनीज बुक आफ रिकार्ड में शामिल हो सकता है।


गुरुजी, फिल्मों के विशेषज्ञ हैं।फिल्म निर्देशन का बाकायदा डिप्लोमा किया हुआ है। फिल्म सोसाइटी में हैं।हर फिल्मोत्सव की हर फिल्म देखते हैं।फिल्मो का बारे में उनकी जानकारियों का बड़ा खजाना है।मध्य बिहार के इस सहज सरल प्राणी की कोई बड़ी महत्वाकांक्षा भी नहीं है। हाथ से लिखने के जमाने में वेखूब और नियमित लिखते थे।कंप्यूटर घृणा की वजह से नेट जमाने में उनका लेखन डिक्टेशन तक सीमाबद्ध है। हालत यह है कि मन्ना डे से बंगलुरु में जाकर लंबा साक्षात्कार लेने के बावजूद,निरंतर उनके संपर्क में रहने के बावजूद उनका लिका कुछ कहीं नहीं छपा।उन्होंने लिका ही नहीं।सबको सुनाते रहे।सुन सुनकर लोगों ने स्टोरी दाग दी। उनके प्रवचल धैर्यपूर्वक सुनकर लोगों ने फिल्मों पर किताबें भी लिख दी। उनका आभार जताये बिना। हमें कोफ्त होती रही।


बड़े से बड़े स्टार और निर्देशकों से गुरुजी की मुलाकात होती रही है।यह संपर्क बनाये रखने के लिए वे मुंबई स्वप्ननगरी में भी जाते रहे हैं। लिकन खुद फिल्म नहीं बनायी कि इसमें महिलाओं से बी काम लेना पड़ेगा और वे महिलाओं से कोई संपर्क नहीं रखना चाहते।तमाम नायिकाओं के साथ उनकी तस्वीरें हैं लेकिन उन्होंने किसी को छुआ नहीं है।उल्टे हम लोग उन्हें धमकाते रहते हैं कि इन्ही तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए किसी हिरोइन से हम उनका चक्कर चला देंगे।


ऐसे गुरुजी के साथ गंगासागर में एक भयंकर हादसा हो गया।

वे नगा सन्यासिनों की कुटिया की तरफ दूसरे पत्रकारों फोटोकारों के झुंड के साथ एक दफा चले ही गये। बाकी लोग तो बातचीत करते रहे और दनादन दनादन फोटो दागते रहे पर हमारे गुरुजी नारी से सहस्र योजन दूर रहने वाले ब्रह्मचारी निर्वस्त्र नगा संन्यासिन को देखने तक की हिम्मत न जुटा पाये।

इसपर नगा संन्यासिन ने मजा लेते हुए कहा

तू देखता किधर है

दुनिया इधर है

बहुत भारी जोखिम उठाकर यह किस्सा खोल रहा हूं क्योंकि गुरुजी के साथ दो साल और रहना है।यही नहीं,हम सबके अर्थ संकट के वक्त गुरुजी हमारे एटीएम भी हैं।वे नाराज हो गये तो चाणक्य से भी खतरनाक हैं।मट्ठा डालकर जड़ खोदकर रहेंगे।भुक्तबोगी लोग जानते ही हैं। बहरहाल उनकी इजाजत के साथ तो यह किस्सा खोला नहीं जा सकता।


लेकिन संसदीय लोकतंत्र की मौजूदा दशा दिशा को समजाने में यह किस्सा बेहद प्रासंगिक है।

लोग लोकपाल और आप में,समलैंगिक विमर्श में खप रहे हैं और कारपोरेट नरमेध को और निरंकुश बनाने का चाकचौबंद इतजामात हो रहे हैं।


भारतीय औषधि कारोबार अब पूरी तरह बहुराष्ट्रीय निगमों के हवाले हो गया है। भारत में निवेश और विनिवेश का माहौल लगातार सुधारा जा रहा है।निवेशकों की आस्था तेजी से मजबूत हो रही है।पेंशन बीमा पीएफ वेतन बाजार के हवाले हैं तो रक्षा क्षेत्र को भी एफडीआई के लिए खोला जा रहा है। खुदरा एफडीआई पर हंगामा बरपाने वाले देशभक्त संप्रदाय भारतीय रक्षा और आंतरिक सुरज्क्षा को विदेशी निवेशकों,सीआईए,मोसाद,नाटो और पेंटागन के हवाले किये जाने की कार्रवाई,असंवैधानिक कारपोरेट समूह की ओर से चलाई जा रही भारत सरकार कंपनी के देश बेचो अभियान,जनसंहार अश्वमेध में साझेदार तो हैं ही,इन परम आदरणीय पुरोहितों में अंबेडकरी बहुचजन,समाजवादी,द्रमुक जैसे क्षेत्रीय अस्मिताओं के तमाम झंडेवारदार और विचारधारा एवम भारतीय सर्वाहारा के सबसे बड़े ब्रांडेड ठेकेदार वामपंथी भी शामिल है।

अद्भुत नजारा है कि भारत रत्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों की माडलिंग कर रहा है।अब धर्मोन्मादी कारोपेरट राष्ट्रवाद काइससे बड़ा कोई प्रतीक या बिंब तलाशे भारतीय कवि संप्रदाय।


इस महीने की शुरुआत में बाली में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के उद्योग मंत्रियों की बैठक ने एक बार फिर इस ओर इशारा किया कि किस तरह भारत का राजनीतिक तंत्र अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों से जुड़ा हुआ है और वह भी घरेलू राजनीति के जरिये। कुछ हद तक ऐसे अंतरसंबंध जरूरी होते हैं। लेकिन वे तब परेशानी का सबब बन जाते हैं जब सरकार के राजनीतिक प्रतिनिधि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंचों पर मसलों को उलझाने की कोशिश करते हैं और घरेलू राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए गलत तथ्य पेश करते हैं। इसका नुकसान स्थानीय उद्योग और देश की अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ता है।



FDI POLICY UNDER REVIEW

India likely to Scrap Ban on FII Investments in Defence

Defence, finance ministries have had a round of discussions to resolve the issue

DEEPSHIKHA SIKARWAR NEW DELHI


India may scrap the ban on portfolio investments in the defence sector, a move that would come as a big relief to listed equipment manufacturers including Larsen & Toubro and Pipavav Defence besides giving more flexibility to the likes of the Tata and Mahindra groups that have big stakes in the industry.

The finance and defence ministries are reviewing the five-month-old foreign direct investment (FDI) policy, a government official told ET.

The defence procurement policy that came into force in June gave local vendors the right of first refusal to help promote indigenous industry. In August, as part of this strategy, the Union Cabinet allowed foreign direct investment (FDI) in defence up to 26% through the automatic approval route and above 26% to select proposals that provide access to technology once they were cleared by the Cabinet Committee on Security. A press note subsequently issued by the Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP) said portfolio investment was not permitted even though this is not barred under the Foreign Exchange Management Act (Fema) and the Cabinet note had not sought it.

This led to confusion for a number of listed companies that already had foreign institutional investment.

"It does not make sense to ban FII (investment) now that had been allowed earlier," said the official cited above.

A clear foreign investment policy will give companies the impetus needed to expand business to the scale needed to meet demand.

"The restriction should be technically effective only after a specific amendment is made in Schedule II (Portfolio Investment Scheme) of Fema 20 regulations. In the interim, confusion will prevail, including on existing FII investments in the sector," said Akash Gupt, executive director, PwC.

The uncertainty has kept FII investments low even though it is widely expected that private sector companies will get a much bigger share in defence procurement in the years ahead.

Foreign institutional investors had a 2.31% stake in Pipavav Defence at the end of September, up marginally from 2.2% at the end of June. Since April 2000, the defence sector has got just $4.94 million of FDI. Under Fema, foreign institutional investors cannot invest in a sector that is on the prohibited list. Investment up to 24% is permitted if asector is not on the list.

The government has, however, not put any sector on the prohibited list as the move could send out negative signals to foreign investors at a time when it is making efforts to attract foreign investment. The defence and finance ministries have already had one round of discussions to resolve the issue. The Confederation of Indian Industry and others have also lobbied hard with the government for a friendlier FDI policy.

The defence procurement policy 2006 already allowed more than 26% FDI on a case-by-case basis through the Cabinet Committee on Security in state-ofthe-art technology areas but the DIPP wanted it incorporated in the FDI policy for more clarity. The review of FDI policy was taken up after a panel headed by economic affairs secretary Arvind Mayaram recommended raising the overseas investment limit in defence to 49%. The defence ministry had shot down the idea because of security concerns.











रक्षा में 100 फीसदी एफडीआई चाहता है उद्योग जगत

भारत ने जहां हथियारों के आयात में चीन को पीछे छोड़ दिया है वहीं उद्योग जगत का एक संगठन देश के रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मौजूदा 26 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करना चाहता है, ताकि देश में आधुनिकतम सैन्य प्रौद्योगिकी आ सके और आयात में कुछ कमी हो।


Business | रविवार मार्च 25, 2012 07:14 PM IST

दूरसंचार, रक्षा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाने के पक्ष में वाणिज्य मंत्रालयवाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि वह दूरसंचार तथा रक्षा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा बढ़ाने के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष जल्दी ही प्रस्ताव रखेंगे।


Business | रविवार जून 16, 2013 10:34 PM IST

बीमा, दूरसंचार, खुदरा क्षेत्रों के लिए उदार किए एफडीआई के मानदंडदेश में आर्थिक सुधारों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने मंगलवार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को और उदार बनाने तथा बीमा, खुदरा, दूरसंचार एवं रक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा में वृद्धि करने का फैसला किया है।


Business | बुधवार जुलाई 17, 2013 12:19 AM IST

Read More:  रक्षा उपकरण, रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश, टेलीकॉम क्षेत्र, एके एंटनी, आनंद शर्मा, निवेश की सीमा, एफडीआई,FDI in defence, AK Antony, Anand Sharma, FDI limit, telecom area



आप का नया दांव, जनमत संग्रह से बनेगी सरकार

प्रकाशित Tue, दिसम्बर 17, 2013 पर 19:56  |  स्रोत : CNBC-Awaaz


आम आदमी पार्टी की सबसे आकर्षक बात रही है की वो राजनीति अलग तरीके से करती है। लेकिन क्या अब बात कुछ ज्यादा आगे जा चुकी है। अलग राजनीति के नाम पर क्या लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक बन रहा है। कुछ ऐसा ही लगता है जब सुनने में आता है की एसएमएस, ट्वीट और ईमेल से ये तय होगा कि आम आदमी पार्टी सरकार बनाएगी की नहीं।


क्या आम आदमी पार्टी जनता के कंधे पर बंदूक रखकर अपना बचाव कर रही है। कांग्रेस और बीजेपी का क्या रुख है। वो चुप चाप तमाशा देख रहे हैं, रुके हुए हैं कि कब आम आदमी पार्टी गलत कदम लेगी, कब फंसेगी। क्या हो रहा है दिल्ली में, सीएनबीसी आवाज़ की खास पेशकश आप का धर्म संकट में इन्हीं तमाम मुद्दों के जवाब जानने की कोशिश की गई है।


दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार बनाएंगे या नहीं, इसका फैसला अब दिल्ली के लोग एसएमएस और फोन के जरिए करेंगे। कांग्रेस के सभी मांगे मानने के बाद अब आम आदमी पार्टी भंवर में फंसती दिख रही है। इस भंवर से निकलने के लिए अरविंद केजरीवाल ने फेंका है नया दांव।


ओपिनियन पोल के जरिए फैसला होगा कि कांग्रेस से समर्थन लिया जाए या नहीं। लेकिन अरविंद केजरीवाल का नया दांव कई सवाल भी खड़े कर रहा है। सबसे पहला सवाल तो ये कि सरकार बनाने के लिए जनता की राय क्यों मांग रही है आम आदमी पार्टी। क्या दिल्ली की जनता का वोट ही उसकी राय नहीं है और सबसे अहम ये कि जब कांग्रेस ने सारी शर्तें मान ली तो फिर कैसा धर्मसंकट।


दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर सस्पेंस बरकरार है। आम आदमी पार्टी ने आज भी सरकार बनाने पर फैसला नहीं किया है। आज पार्टी के नेताओं और विधायकों की बैठक के बाद पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार बनाने पर जनता की जो राय होगी उसी के मुताबिक फैसला होगा।


अरविंद केजरीवाल ने बताया कि जनता की काय लेने के लिए 25 लाख पर्चे बांटे जाएंगे और लोग अपनी राय एसएमएस या फिर पार्टी की वेबसाइट पर दे सकते हैं। पार्टी हर विधानसभा क्षेत्र में जनसभाएं भी करेगी। अरविंद केजरीवाल ने बताया कि रविवार तक लोग अपनी राय दे सकेंगे और सोमवार को फैसला किया जाएगा कि वो सरकार बनाएंगे या नहीं।


nside story


Portfolio Investments in Defence Sector Likely to be Okayed

India may scrap the ban on portfolio investments in the defence sector, a move that would come as a big relief to listed equipment manufacturers including Larsen & Toubro and Pipavav Defence besides giving more flexibility to the likes of the Tata and Mahindra groups that have big stakes in the industry.

PM-Led Panel on Manufacturing may Mull Tax Sops in Jan Meet

The Committee on Manufacturing, chaired by Prime Minister Manmohan Singh, is likely to consider tax incentives and subsidies at its next meeting in January to make the sector more competitive, a senior official who is part of the panel told ET. The committee, which has already worked out a plan to reinvigorate the textiles industry and indigenously develop a civilian aircraft, is also likely to focus at its next meeting on measures needed to substitute imports in sectors such as telecom equipment and shipbuilding.

PSU Chiefs may Turn Down PM Directive for Fresh Investments

With industrial output remaining downcast, Prime Minister Manmohan Singh has summoned public sector firms' bosses for a direct interaction with him and to impress upon them the need to jump-start India's investment cycle with their vast cash surpluses. But given the stuttering economy, PSU chiefs are likely to tell Singh that lining up fresh investments is difficult as no optimistic assumptions can be made due to uncertain market demand for new capacity.

GSK to Bring in $1B to Increase Stake in Indian Offshoot

Move to buy 24% in pharma arm follows recent stake hike in consumer healthcare biz

OUR BUREAU MUMBAI



   GlaxoSmithKline Plc (GSK), the UK's largest drug maker, offered to spend up to $1 billion to raise its stake in Indian subsidiary GlaxoSmith-Kline Pharmaceuticals through a voluntary open offer, in line with similar moves by other overseas companies and marking its confidence in the local business despite new price controls having sharply eroded sales in the country.

The move will result in GSK investing a total $2 billion or so in its two Indian subsidiaries, indicating the parent's growing confidence in increasing exposure in the country of 1.2 billion people where the pharmaceuticals market is estimated at about . 75,000 crore. GSK had offered to raise its stake in GlaxoSmith-Kline Consumer Healthcare, the maker of Horlicks, through a voluntary offer earlier this year, sticking to the group's philosophy of growing organically and investing in local businesses.

GSK said on Monday that it was looking to buy a 24% stake in the pharmaceuticals subsidiary for about $1billion, or . 6,400 crore, at . 3,300 a share, a premium of 26% over Friday's closing price of . 2,468.40. This will take its holding to 75% from 50.7%. The stock surged on the announcement, ending 18.6% up at . 2,927.40. There was a knock-on effect on Indian units of overseas drug makers. India an Important Market, Says GSK

Merck rose 5.95% to Rs 624.95, while Novartis rose 6.2% to Rs 448.95, even as the Sensex shed 0.27% to close at 20,659.52 points. The company is committed to investing organically in India instead of going for bigticket acquisitions, GSK group CEO Andrew Witty had said in an interview to ET last month. "Acquisitions bring in tremendous complexity, disrupt existing business and can be enough of a distraction to poison existing relationships," Witty had said. "M&A is not all that bad, but you have to be careful and analyse carefully what you are buying." During his visit to India last month, Witty announced an investment of Rs 843 crore for setting up a manufacturing plant in Bangalore.

David Redfern, chief strategy officer at GSK, sought to explain the move that took many investors by surprise on Monday.

"India, strategically, is an important market for us. We are strongly motivated by the organic business of the company and hence this decision," he said.

The company continues to maintain that it has no plans to delist its India business, and operationally the open offer will not have any impact on the unit. "By way of the two open offers for investing $2 billion in India within one year, GSK has only reiterated its commitment, which is very significant," said Sunil Sanghai, managing director and head of banking at the Hongkong and Shanghai Banking Corp.

The move is similar to that of Unilever Plc, which made an open offer of $5.4 billion in June to raise its stake in Hindustan Unilever, its Indian subsidiary, said Amit Bordia, head of corporate finance, Deutsche Bank India.

"MNCs have decided to play the India opportunity strategically. This is a secular trend, across sectors. Most global companies have an India plan, have identified their strategic next step, and will act on it as and when they sense an appropriate moment," he said. "In that manner, increasing their footprint in India is not a question of if but of when for most large global players." To be sure, GSK's move comes at a time when the India business has been hit by the new drug pricing control regime that has cut into sales. Apart from that, Indian authorities this year revoked a patent for GSK's breast cancer drug Tykerb and later capped prices of its blockbuster antibiotics such as Augmentin at almost half of what it charged Indian consumers. Regardless, the UK company's strategy underscores its faith in the Indian market and its importance for the future of the company. "GSK has been in India for more than 100 years. I think the open offer by GSK Plc for GSK Pharma and earlier for GSK Consumer, is a re-endorsement of the parent's commitment to India," said Sanghai of HSBC. "It certainly indicates GSK's confidence in the long-term India growth story. It's a strategic long-term view, specially coming after the recent investment plan announced by the company."

Analysts advised investors with a short-term view that the open offer would be a good opportunity to cash out, but said those with a longer-term outlook should stay put.

"Long-term investors should hold on to the shares, as GSK's investment in the India unit signifies that the India business will grow for the company," said Sarbajit Kaur, vice president at brokerage firm Angel Broking.


MNCs Eye Bigger Share in India Units to Tap Growth

Weak rupee, lower returns on savings abroad offer opportunity to MNCs raise stakes

RAJESH MASCARENHAS MUMBAI



   Multinational companies (MNCs) are increasing their control over their Indian subsidiaries to capture the higher growth potential of Asia's third-largest economy.

On Monday, London-listed GlaxoSmithKline Plc, announced an open offer which, if successful, will raise its stake in its Indian unit, GlaxoSmith-Kline (GSK) Pharmaceuticals from 50.7% to 75% — the maximum limit as per Sebi norms. GSK Plc has offered to pay . 3,100 a share, a 26% premium to Friday's closing price.

In July this year, Unilever Plc hiked its stake by 14.8% to 67.28% in Hindustan Unilever (HUL), its Indian unit, spending . 19,188 crore.

Early this year, GlaxoSmithKline Plc increased its stake from 43.2% to 72.46% in GSK Consumer, which sells the famous Horlicks brand, investing a total of . 4,805 crore. In August, McGraw Hill Financial, the owners of global rating agency Standard & Poor's (S&P) increased their stake in India's leading credit rating company Crisil to 67.8% from 52.8%, investing . 1,290 crore.

"MNCs would look to raise the stake in their Indian subsidiaries as emerging markets display higher growth and start accounting for a larger share of their global business," says Ravi Sardana, EVP-investment banking, ICICI Securities. "The present weakness in the rupee provides an opportune time for increasing their stake."

Analysts say more MNCs may move to raise their holdings in their Indian arms to 75% in the next few months. These may include Nestle, Maruti Suzuki, Ranbaxy, Colgate, Cummins and Proctor & Gamble, according to market sources.

"Many MNCs have lots of cash in their balance sheets. If this cash is invested in a fixed deposit or any other instruments in the US or Europe, it will give them a tiny return. In contrast, if they invest in their Indian subsidiaries, that will earn them a return on equity in excess of 20%," says Manishi Raychaudhuri, managing director and head of research, BNP Paribas Securities India. Nestle Global, for instance, is sitting on $10 billion in cash whereas Pfizer, which recently announced the merger of its two Indian subsidiaries Pfizer & Wyeth, has accumulated cash of over $33 billion in its balance sheet. The contribution of emerging market to sales has been increasing. Maruti Suzuki, for instance, is contributing 40% to Suzuki Motors' sales.

"The yield on investment in the Indian business of an MNC is likely to increase with better growth and higher dividend payout ratios if the parent company increases its holding," says Raychaudhuri of BNP Paribas.

The sharp depreciation in the Indian currency is another incentive for an MNC to raise their holding in its Indian subsidiary. The rupee has depreciated nearly 13% so far this year, though it has recovered after hitting a low of 68.83 on August 28. It closed at . 61.75 to the dollar on Monday.

Unilever the promoter of HUL saved nearly . 2,215 crore, between the announcement of an open offer which was on April 30 this year, and the completion of the process on July 4 because of 12% depreciation in the rupee.

These corporate actions by MNCs have often led to windfall gains by minority shareholders. GSK Pharma's share price rose over 18% on Monday post the open offer announcement while the announcement of open offer for HUL by Unilever Plc led to a 22% appreciation in HUL's share price on the day.

rajesh.mascarenhas@timesgroup.com




http://epaper.timesofindia.com/Default/Client.asp?Daily=ETM&showST=true&Enter=true&Skin=ETNEW

याद करें कि पिछले संसद सत्र में मैंने क्या लिखा था

मैंने तब लिखा थाःजनसुनवाई की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संवैधानिक प्रावधानों की परवाह किसी को है नहीं।इसी के मध्य शांति जल छिड़कर संसद का मानसून सत्र शुरु हुआ है जहां सर्वदलीय सहमति से पेंशन से लेकर रक्षा समेत तमाम सेक्टर विदेशी पूंजी के हवाले करने की तैयारी है।



मैंने तब लिखा थाःदेश को आपरेशन टेबिल पर एनेस्थिया देकर आपरेशन करने में लगी है चिदंबरम, मोंटेक, निलकणि वगैरह वगैरह की कारपोरेट टीम और कारपोरेट चंदे से चलने वाली आरटीआई मुक्त राजनीति परदा टांगने को तत्पर है।


आम सहमति है कि विधेयकों को पास कराकर नरमेध यज्ञ को पूर्णाहुति दी जाये।


रंग बिरंगी विचारधाराओं के पुरोहित दलबद्ध मंत्रोच्चार कर रहे हैं वैदिकी और भारतेंदु बहुत पहले लिख गये हैं कि वैदिकी हिंसा  हिंसा न भवति।


हमारे सर्वशक्तिमान मीडिया दिग्गज लोकतंत्र की दुहाई देते हुए इन्ही कारपोरेट धर्मोन्मादियों के हक में चट्टानी गोलबंद हैं और जहां भी प्रतिरोध की आवाज सुनायी पड़ रही है, मेधा एकाधिकारी दिग्गज चड्डी पहनकर अखाड़ों में उतरकर चुनौतियां जारी करके मजमा लगाये हुए हैं और हम तालियां पीटकर मजा लेने वाले तमाशबीन हैं।


यह ऐसा लोकतंत्र है ,जहां सुंदर वन के मरीचझांपी द्वीप में देशभरके शरणार्थियों को विचारधारा बाकायदा आमंत्रित करके बसाती है अस्पृश्य शरणार्थियों को वोटबैंक सजाकर सत्ता दखल के लिए। फिर सत्ता मिल जाने पर दूसरे किस्म का वोट बैंक तैयार हो जाने पर अछूतों की मौजूदगी से समीकरण गड़बड़ाने की वजह से वही विचारधारा उनका, उन्ही सर्वहारा अस्पृश्यों का वध संपन्न करती है।श


रणार्थियों को बाघों का चारा बना दिया जाता है।


मनुष्यों को सुनामी, जलप्रलय और अनंत विस्थापन नागरिकताहीनता में विसर्जित करने वाला यही संसदीय तंत्र बाघों को गोद लेता है।


बाघों के अभयारण्य हैं, लेकिन वनाधिकार कानून बन जाने के बावजूद पांचवीं छठी अनुसूचियों, संविधान के प्रावधानों और यहां तक की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उल्लंघन अवमानना के तहत जल जंगल जमीन नागरिकता आजीविका से बेदखली के लिए सैन्य राष्ट्र का अनवरत युद्ध जारी है निनानब्वे फीसद भारतीय जनता के विरुद्ध।


इसी वधस्थल की वैधता के लिए संसद का निर्लज्ज इस्तेमाल कर रहे हैं हमारे जन प्रतिनिधि।


अश्वमेधी कार्निवाल में मोमबत्ती जुलूस में ही अभिव्यक्त है नागरिकता।


न विरोध है, न प्रतिरोध है और न कहीं कोई जनांदोलन हैं।


सिर्फ मूर्तियां हैं, मूर्ति पूजा का कर्मकांड है और शास्त्रों के उद्धरण हैं।



सिर्फ तकनीक है। कला कौशल है। मनुष्यवध की निर्ममतम दक्षता है।


अमानवीयता की पराकाष्ठा है।


लूट है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां है।अबाध पूंजी प्रवाह है।


शेयर बाजार के सांड़ राजकाज चला रहे हैं।


ग्लेशियर पिघल रहे हैं।


नदियां घाटियां दम तोड़ रही हैं।


समुंदर में हलाहल है और संसदीय अमृतमंथन है।


फिर सुरों के लिए अमृत और असुरों के लिए हलाहल का शास्त्रीय प्रावधान हैं।


विधायें हैं। माध्यम हैं। मंच हैं। संगठन हैं। सौंदर्यशास्त्र हैं । व्याकरण हैं ।वर्तनी है।


सिरे से गायब है समाज और सामाजिक यथार्थ।


केदारघाटी में लापता पांच हजार से ज्यादा लोग जीवित है या मृत,अब यह सवाल कोई नहीं पूछता। कोई लाइव कार्यक्रम, रातदिन प्रसारण और हवाई यात्रा नहीं है।


पूजा आयोजन हैं। मठाधीश हैं। कैमरा ,प्रकास और ध्वनि समर्पित अलौकिकता के प्रति।


लौकिक जो लोग बचे हुए लावारिश है, भूकंप,भूस्खलन और जलप्रलय के थपेड़ों से निरंतर बचते हुए रोज मरमर कर जी रहे हैं, विधाओं से उनका बहिस्कार है।माध्यमों में उनकी अनंत अस्पृश्यता है।


मंचों पर काबिज हैं विद्वतजन और राजनेता।जो तमाम छिद्रो से परस्परविरोधी आवाज निकालने के दक्ष कलाकार हैं।


बाकी सड़क से संसद तक कंबंधों का अनंत मौन जुलूस है।सन्नाटा घनघोर जबकि सारा देश दावानल में दहक रहा है और कहीं पानी का एक बूंद तक नसीब नहीं है आग बुझाने के लिए।


किस मरुस्थल में मृगमरीचिका के पीछे भाग रहे हैं हम


हमारे एक परममित्र हैं, जो जवानी में नक्सली हुआ  करते थे। लखनऊ और दिल्ली होकर प्रगतिवादका परचम थामे विराजमान हुए कोलकाता में।


ज्योतिष के परमार्थ में लाल किताब उन्होंने समर्पित कर दी। पत्रकारों में वे अजब लोकप्रिय हैं।


जिस किसीकी कुंडली बनायी, वह सीधे संपादक बन गया!


पूरे देश में ऐसे सरस्वती के वरदपुत्र सारस्वत कुंडलीपुत्र कुंडलधारी हैं।




जिनकी महिमा अपरंपार।


जहर को अमृत बताने में उनकी कोई सानी नहीं।


आंकड़ों और परिभाषाओं के तिलस्म में वे ही दरहकीकत किलेदार हैं।


मैंने कितनी बार कहा। मेरे साथ दूसरे जो जनमजनम के लिए हाशिये पर धकेले गये हैं। उन ज्योतिषाचार्य से बार बार हमारे लिए भी कोई कुंडली बनाने को कहते रहे। वे जवाब में यही रटते रहे, होइहिं सोई जो राम रचि राखा।मूषिकस्य नियति।


इन दिनों वे कामरुप कामाख्या में कुंडली बना रहे हैं। गुवाहाटी में कोई हो तो उनसे इस संसद की कुंडली भी बनवा लें कि आखिर इसका हश्र स्टाक एक्सचेंज के अलावा और क्या क्या होना है।


फेसबुक बजरिये मेरा जो अंतःस्थल सार्वजनिक है, वह विधाओं के बंधन में नहीं है। न उसका कोई व्याकरण है और न कोई सौंदर्यशास्त्र।हमारी पहली और अंतिम प्राथमिकता सामाजिक यथार्थ है। विधायें खपती रहती हैं अंतर्ज्वाला  में। तो वही कुछ पंक्तियां अपने प्रियजन वीरेदा के लिए लिख दी।कुछ मित्रों ने इस अपने अपने ब्लाग पर चस्पां भी कर दिया। इसपर विद्वतप्रतिक्रिया आयी कि बकवास कविता है। कवि का चूतियापा है। वीरेनदा को कोई बड़प्पन ही दिखा,कवि का चूतियापा है। इनपंक्तियं में चापलूसी के अलावा कुछ नहीं है।


मित्रवर आपकी जानकारी के लिए,यही चूतियापा हमारा अलंकार है।


हम अपने प्रियजनों की चापलूसी कर रहे हैं।


कारपोरेट शक्तियों, सत्ता प्रतिष्ठान और महाशक्तिधर संपादकों, प्रकाशकों और आलोचकों की नहीं।


वीरेनदा और गिरदा जैसे लोगों के वजूद के हिस्सा हैं हम।


वे कवि हुए न हुए, उनके सामाजिक यथार्थबोध के ही अनुगामी हैं हम।


दिल्ली में आज जो मित्रमंडली वीरेनदा का जन्मदिन मना रही है, उम्मीद है की उन्हें भी चापलूसों की जमात कहने से परहेज नही करेंगे कुछ महामहिम, जिनका सामाजिक यथार्थ से कोई लेना देना नहीं है।


मैं किसान का बेटा हूं। विश्वविद्यालयी शिक्षा और करीब चार दशकों की अपरिवर्तित पत्रकारिता के डटर्जेंट ले लोगों को मेरे रोम रोम में रची बसीम माटी नजर नहीं आती। हम तो उसी माटी के हैं और माटी में मिल जायेंगे। माटी ही हमारा वजूद है और माटी ही हमारी नियति।


उनका क्या होगा श्रीमन, जिनके पावों के नीचे कहीं कोई जमीन नहीं है और जो हवाई यात्राओं और हवाई किलों के वाशिंदा हैं।गिरदा और वीरेनदा जैसे लोगों की चापलूसी हम लोग इसलिए करते हैं कि पावती रसीद की यहां जरुरत नहीं होती, सिर्प अपनी माटी से जुड़े होने का अहसास होता है।


उम्मीद है कि पहाड़ों की बयार और माटी की सोंधी महक हमारे रंगबाजों, और हमारे मोर्चे परत तैनात साथियों को और ऊर्जावान बनायेगी।


हम चूंकि कोलकाता में है ,इसलिए तेलंगाना की तपिश यहां भी खूब महसूस कर रहे हैं।


देख रहे हैं शरारती राजनीति के लिए कैसे कैसे घृणामशाल जल रहे हैं हमारे चारों तरफ जैसे कि गोरखा इस देश के वासी न हों, शत्रुराष्ट्र की सेना है पहाड़ों की पूरी आबादी और उनके सफाये से हमें अपने भौगोलिक वर्चस्व बनाये रखना होगा।


बाकी आंध्र में क्या हो रहा है, क्या जज्बात  हैं असम और महाराष्ट्र में, क्या खेल है उत्तरप्रदेश के चार रोज्यों में विभाजन का, उल्कापात के दृश्यसमान मीडिया उद्भासित है।


परिवर्तन के बाद जो पहाड़ मुस्कुरा रहा था,वहां शोला क्यों हुआ शबनम इन दिनों?


पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग की सेहत का कितना ख्याल रखा विभाजित बंगाल ने


बंग भंग का सवाल जो उठा रहे हैं वे किस अखंड बंगाल की बात कर रहे हैं ?


मूल अखंड बंगाल की राजनीत ने अपनी ही बंगाली अस्पृश्य जनसंख्या को कैसे देशभर में छितराकर सत्ता वर्चस्व कायम रखा है विभाजन के बाद से।


तीन फीसद का वर्चस्व है जीवन के हर क्षेत्र में।


कोई परिवर्तन इस सामाजिक यथार्थ को बदल नहीं सकता ठीक उसीतरह जैसे 1979 में मनुष्यों को बाघों का चारा बनाने का आजतक न्याय नही हुआ। कोई जांच आयोग नहीं बना।


इस देश में कोने कोने में मरीचझांपी सजा है और कहीं कोई रपट दर्ज नहीं होती।


इतिहास को पीठ दिखाकर जारी है विमर्श।


हम भूल गये कि अंग्रेजों की महिमा से ही आज नेपाल की पराजय के बाद उत्तराखंड और दार्जिलिंग के पहाड़ भारत के भूगोल में है।


लेकिन इस देश के संसदीय लोकतंत्र ने इस विजित भूगोल के साथ हमेशा युद्धबंदियों जैसा सलूक किया है।


न उनके नागरिक अधिकार है और न मानवाधिकार।


हमने इस वंचित जनसमुदाय को सिर्फ पर्यटन या धार्मिक पर्यटन दिया और दिया अपने विकास का विनाश।


हिमालय का चप्पा चप्पा लहूलुहान है।


नैसर्गिक दृश्यबंध और काव्यिक छंद,अलंकार व विंब संयोजन के पार हमने न पहाड़ के जख्म देखें और अलावों में सुलगती आग की तपिश महसूस की।


अब वंचितों की आवाज गूंजने लगी तो हम दमन और घृणा के स्थाईभाव में  निष्णात हैं।


हर राज्य में ऐसे अस्पृश्य भूगोल है, जिनके विरुद्ध सशस्त्र सैन्य अधिकार समेत तमाम कानून है, लेकिन कानून का राज कहीं नहीं है।


न कहीं संविधान लागू है भारत का और न कही भारतीय लोकतंत्र का नामोनिशन है।


सिर्फ वह अंतराल वद्ध निर्वाचन उत्सव की बारंबारता है।


बाकी वे देश के इतिहास भूगोल से अदृश्य है।

उनकी बुनियादी समस्याओं को संबोधित किये बिना सिर्फ शतरंज की बिसात बिछायी जाती रही।


मोहरे बदलते रहे।


अबाध लूटतंत्र जारी रहे।


ऐसा युद्ध बंदी भूगोल इस देश में हर कहीं एटम बम की तरह सुलग रहा है। धमाके होने पर ही हमें उनके वजूद का अहसास होता है। लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने के बजाय, जन हिस्सेदारी के बजाय हम सिर्फ वर्चस्व की भाषा के अभ्यस्त हैं। यही है संसदीय लोकतंत्र। धिक्कार है इस पाखंड को।



इस अनुपम सृष्टि के स्रष्टागण अब संसद के मानसून सत्र में नरमेध यज्ञ की पूर्णाहुति की तैयारी में हैं और शांति जल से पवित्र भी हो चुके हैं। पूरी वैदिकी शुद्धता के साथ एकाधिकारवादी कारपोरेट आक्रमण के कर्मकांड को संपन्न करने की सहमति बन चुकी है जनादेश की जंग के बावजूद।


विडंबना यह है गुलामों के जनांदोलन, बहुजनों के जनांदोलन की दिशा और दशा बदलने के लिए, निनानब्वे फीसद की कथा व्यथा को अभिव्यक्त करने के लिए सही संदर्भ में सही बात कहने का जोखिम उठाकर हम अपनी प्रतिष्टा, सुविधा, हैसियत और लोकप्रिया को दांव पर लगे नहीं सकता। कंडोम और डियोड्रेंट में बदलते जनमत की आत्मरति मग्न देश में इसके अलावा कुछ संभव ही नहीं है।


अब टीवी पर धारावाहिक मनोरंजन के चैनल बदल गये हैं। डिजिटल हो गया है टीवी पर मनोरंजन के ये राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनल मुफ्त है। आइये, हस्त मैथुन उत्सव का आनंद लें।

http://antahasthal.blogspot.in/2013/08/blog-post_5.html








Palash Biswas

भारत में प्रोफेसरों की यह दुर्गति है।बाकी लोगों का हाल क्या होगा कारपोरेट राज में स‌मझ लीजिय़े।

Majha Lakhshvedhi : Professor story 1712

Uploaded by ABP MAJHA

http://www.youtube.com/watch?v=g-XYZGLPIbo

भारत में प्रोफेसरों की यह दुर्गति है।बाकी लोगों का हाल क्या होगा कारपोरेट राज में स‌मझ लीजिय़े।

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Economy

India signs DTAA with Macedonia to prevent income tax evasion

The agreement provides that taxation of dividend, interest and royalty in the source country will not exceed 10 per cent, it added.

'Growth prospects weak, little chance of improvement in 2014'

Global rating agency Moody's said India's economic growth remains weak and there is little chance of recovery next year.

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To boost primary market, Sebi may drop mandatory IPO grading

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Congress appropriates Lokpal bill passage credit to Rahul Gandhi

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Devyani case: Parties demand apology from US, support tit-for-tat response

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PTI BJP asked the government to take up the matter strongly with the American establishment and even demanded arrest of American gay partners in India.

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Politics/Nation

AICC meet may lead to changes in party, government posts

Congress is expected to utilise the AICC meeting here on January 17 for an organisational revamp to make the party fighting fit ahead of Lok Sabha polls.

Nilekani meets KPCC chief, fuels speculation about political entry"Nandan Nilekani met me this morning and shared his views... I have conveyed to him whatever I should as KPCC President," Karnataka PCC Chief said.

Hope states pass legislations modelled on Lokpal bill: GovtGovernment today expressed happiness over the passage of Lokpal Bill in Rajya Sabha and hoped that the states would also make laws on similar lines within a year.


मैन्युफैक्चरिंग को रफ्तार देने की पॉलिसी बनाएगी सरकार

ईटी | Dec 17, 2013, 12.13PM IST

दिलाषा सेठ, योगिमा सेठ शर्मा

नई दिल्ली

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला हाई लेवल पैनल जनवरी में एक बैठक कर सकता है, जिसमें टैक्स के मोर्चे पर रियायतें और सब्सिडी देने सहित कई ऐसे कदमों पर विचार किया जाएगा जिनसे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां बाजार की होड़ में बनी रह सकें।


इस पैनल ने टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री की रफ्तार बढ़ाने और स्वदेशी सिविलियन एयरक्राफ्ट बनाने के लिए पहले ही एक प्लान तैयार कर लिया है। अगली मीटिंग में यह टेलीकॉम उपकरणों और शिप बिल्डिंग जैसे सेक्टर्स में आयात पर निर्भरता घटाने के उपायों पर फोकस करेगा।

कमेटी के सदस्य एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशियल ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि हम मैन्युफैक्चरिंग, खासतौर से ज्यादा श्रमशक्ति की जरूरत वाले सेक्टर्स में आगे बढ़ें। इससे रोजगार सृजन होगा। इसके अलावा हाई टेक्नॉलजी वाले सेक्टर्स पर भी जोर है।


देश इस वक्त मैन्युफैक्चरिंग में सुस्ती और ज्यादा इंपोर्ट्स की समस्या से जूझ रहा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने इस फाइनेंशियल ईयर के दूसरे क्वॉर्टर में महज 1 पर्सेंट ग्रोथ दर्ज की है, जबकि पहले क्वॉर्टर में आंकड़ा 2.8 पर्सेंट का था। 2013-14 के पहले आठ महीनों में इंडस्ट्रियल ग्रोथ जीरो रही है।


उम्मीद जताई जा रही है कि गोल्ड इंपोर्ट पर बंदिश लगाने जैसे कदमों से 2013-14 में करेंट एकाउंट डेफिसिट घटकर जीडीपी का 3 पर्सेंट रह जाएगा। ये कदम तब उठाए गए थे, जब करेंट एकाउंट डेफिसिट 2012-13 में जीडीपी का 4.8 पर्सेंट हो गया था। इससे रुपये पर दबाव बढ़ गया था।


ऑफिशियल ने कहा कि सरकार अब लॉन्ग टर्म प्लान बनाना चाहती है जिससे इन दोनों मसलों का समाधान हो सके। सोच यह है कि ऐसा पॉलिसी एनवायरमेंट बनाया जाए, जिसमें देश का करेंट एकाउंट डेफिसिट 12वें प्लान के अंत में जीडीपी के 3 पर्सेंट पर रहे और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार बढ़े ताकि साल 2022 तक इससे 10 करोड़ जॉब्स पैदा हो सकें।


सरकार को डर है कि इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स की डिमांड साल 2020 तक 400 अरब डॉलर की हो जाएगी और इनका इंपोर्ट 320 अरब डॉलर का हो जाएगा। अगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा नहीं दिया गया तो इससे जुड़ा आयात क्रूड ऑयल के इंपोर्ट से भी ज्यादा हो सकता है। इस समय भारत 33 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक गुड्स आयात करता है। क्रूड ऑयल और गोल्ड के आंकड़े ही इससे ज्यादा हैं।


घरेलू शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री का आकार 92 अरब डॉलर का होने का अनुमान है। हालांकि यह इंपोर्ट पर बुरी तरहनिर्भर है। शिप रिपेयरिंग में ज्यादा श्रमशक्ति और कौशल की जरूरत होती है। सरकार को लग रहा है कि भारतसस्ते और कुशल मजदूरों के दम पर दूसरे देशों को टक्कर दे सकता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र फ्रेमवर्क बनानाचाहिए। क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डी के जोशी ने कहा कि सरकार को ऊंचे आयात और जॉब क्रिएशन केमसलों से निपटने के लिए कई मोर्चों को ध्यान में रखकर नीति बनानी होगी। टेलीकॉम और शिप बिल्डिंग जैसेहाई एंड सेक्टर्स में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना अच्छी सोच है , लेकिन रोजगार का बड़ा हिस्सा तोटेक्सटाइल्स , कंस्ट्रक्शन , जेम्स एंड ज्वैलरी और एजुकेशन से आएगा।


केयर रेटिंग्स के मदन सबनवीस ने कहा कि अगर सरकार वाकई चाहती है कि मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार बढ़े तोउसे 10-12 सेक्टर्स पर एकसाथ ध्यान देना होगा।

Economic and Political Weekly

Commentary: Gender Issues for the Fourteenth Finance Commission

http://www.epw.in/commentary/gender-issues-fourteenth-finance-commission.html

Like ·  · Share · 4011 · 18 hours ago ·

Amalendu Upadhyaya and hastakshep.com shared a link.

82 हजार अखबार व 300 चैनल फिर भी मीडिया से दलित गायब!

Hastakshep.com

मीडिया के लिये भी बने कानून- उर्मिलेश लखनऊ। राज्यसभा टीवी के संपादक उर्मिलेश ने कहा है कि भारत का मीडिया दुनिया का सबसे बड़ा मीडिया है। मीडिया का व्यवसाय 80 हजार सात सौ करोड़ का है। देश में 82 हजार अखबार और तीन सौ से ज्यादा चैनल हैं। देश में मीडिया व्यवसाय से 108 बड़े ...


The Economic Times

5 hours ago

MNCs eye bigger share in India units to tap growthhttp://ow.ly/rPtQA


The Economic Times

December 15

India Inc's finance honchos back Narendra Modihttp://ow.ly/rM27f

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इंडियन सब्सिडियरी के लिए GSK का बिलियन डॉलर बायबैक ऑफर

ईटी | Dec 17, 2013, 12.15PM IST

मुंबई:

ब्रिटेन की सबसे बड़ी दवा कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन पीएलसी (जीएसके) ने अपनी भारतीय सब्सिडियरी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड के 1 अरब डॉलर के शेयर वॉलेंटरी ओपन ऑफर के तहत खरीदने का ऐलान किया है। कुछ दूसरी विदेशी कंपनियां भी ऐसा कर चुकी हैं। इससे भारतीय मार्केट पर उनके भरोसे का पता चलता है। हालांकि ताजा मामले में एक बात यह भी है कि भारत में नई ड्रग प्राइसिंग पॉलिसी से विदेशी दवा कंपनियों की सेल्स और मार्जिन में कमी आई है।


इस कदम का मतलब यह है कि जीएसके भारत में अपनी दो सब्सिडियरीज में 2 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट करेगी। यहां का दवा बाजार 75,000 करोड़ रुपये का है। जीएसके ने हॉर्लिक्स बनाने वाली अपनी यूनिट ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थेकेयर में स्टेक बढ़ाने का भी ऑफर इसी साल दिया था। जीएसके अभी तक ऑर्गेनिक रूट (बगैर किसी कंपनी को खरीदे हुए) से भारत में बिजनेस बढ़ाने की बात पर टिकी हुई है। इसलिए वह यहां की यूनिट्स में इनवेस्टमेंट कर रही है।


जीएसके ने सोमवार को कहा कि वह फार्मास्युटिकल सब्सिडियरी में 24 पर्सेंट स्टेक बायबैक करने के लिए करीब 1 अरब डॉलर यानी 6,400 करोड़ रुपये खर्च करेगी। कंपनी 3,300 रुपये प्रति शेयर पर ओपन ऑफर लेकर आई है, जो शुक्रवार की कीमत से 26 पर्सेंट ज्यादा है। इससे कंपनी में उसकी होल्डिंग अभी के 50.7 पर्सेंट से बढ़कर 75 पर्सेंट हो जाएगी। इस ऐलान के बाद जीएसके फार्मा के शेयर सोमवार को 18.6 पर्सेंट चढ़कर 2,927.40 रुपये पर पहुंच गए। इसका असर दूसरी विदेशी फार्मा कंपनियों पर भी पड़ा। मर्क लिमिटेड के शेयर 5.95 पर्सेंट चढ़कर 624,95 और नोवार्टिस के शेयर 6.2 पर्सेंट चढ़कर 448.95 रुपये पर चले गए। वहीं बीएसई का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 0.27 पर्सेंट की गिरावट के साथ 20,659.52 पर रहा।

जीएसके भारत में अपना बिजनेस ऑर्गेनिक रूट से बढ़ाने पर टिकी हुई है। कंपनी के ग्रुप सीईओ एंड्रयू विटी ने पिछले महीने इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में यह बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दूसरी कंपनी को खरीदने से कुछ उलझनें भी बढ़ती हैं। इससे कंपनी के मौजूदा बिजनेस मॉडल पर असर पड़ता है। मर्जर और एक्विजिशंस इतना बुरा भी नहीं है, लेकिन आपको सावधानी बरतनी होती है कि आप कैसी कंपनी खरीद रहे हैं। पिछले महीने विटी भारत के दौरे पर आए थे। तब उन्होंने बंगलुरु में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए 843 करोड़ के इनवेस्टमेंट की बात कही थी। ओपन ऑफर के बारे में कंपनी के चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर डेविड रेडफर्न ने कहा कि भारत कंपनी के लिए अहम मार्केट है। हम यहां कंपनी के ऑर्गेनिक बिजनेस से बहुत खुश हैं। इसलिए हमने ओपन ऑफर के जरिए स्टेक बढ़ाने का फैसला लिया है। कंपनी ने यह भी कहा कि उसका भारतीय यूनिट को शेयर बाजार से डीलिस्ट कराने का कोई इरादा नहीं है।


नारायण मूर्ति ने की नरेंद्र मोदी के लिए जमकर बैटिंग


नवभारतटाइम्स.कॉम | Dec 14, 2013, 11.52AM IST

नई दिल्ली

जब दुनिया के जाने-माने इकॉनमिस्ट और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन के साथ कन्नड़ साहित्यकार प्रफेसर अनंतमूर्ति ने कहा था कि वे नरेंद्र मोदी को बतौर पीएम नहीं देखना चाहते हैं तो जमकर बवाल हुआ था। अब इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने कहा कि मैं इन दोनों की राय से सहमत नहीं हूं। मूर्ति ने NDTV से खास इंटरव्यू में कहा कि वह मोदी के विकास मॉडल पर अमर्त्य सेन की आलोचना से भी इत्तेफाक नहीं रखते।


उन्होंने कहा कि मैं गुजरात इटरप्राइजेज इंस्टिट्यूट का अध्यक्ष हूं और वहां के विकास के बारे में जानता हूं। नरेंद्र मोदी से कई बार मिल चुका हूं। मूर्ति ने कहा कि मोदी ने गुजरात में शानदार काम किए हैं। खास कर सड़क और पावर के क्षेत्र में उन्होंने बहुत काम किए हैं। गुजरात देश में कई राज्यों से बेहतर काम कर रहा है। ऐसे में नरेंद्र मोदी को क्यों नहीं क्रेडिट देना चाहिए। मूर्ति से पूछा गया कि क्या वह अमर्त्य सेन और प्रोफेसर अनंतमूर्ति के उस मत से सहमत हैं कि वे नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनते नहीं देखना नहीं चाहते। इस पर मूर्ति ने कहा कि हमें उस पर जाना चाहिए कि देश के विकास के लिए कौन अच्छा हो सकता है।


2002 में गुजरात में हुए दंगों के बारे में उन्होंने कहा कि हमें इससे आगे बढ़ने की जरूरत है। देश में दंगे हर दिन होते हैं और हर जगह हुए हैं। हम वहीं अटके नहीं रह सकते। मोदी को लंबे समय से गुजरात की जनता बहुमत दे रही है। गलतियां किसी से भी हो सकती हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण बात यह है कि जो देश को विकास की पटरी पर ले जा सकता है उसे आगे आने में कोई दिक्कत नहीं है। मूर्ति से पूछा कि क्या वह अपने पूर्व कॉलीग नंदन निलेकणि को यदि कांग्रेस आगे करती है तो सपोर्ट करेंगे। मूर्ति ने कहा कि उनके पास शानदार विजन हैं। मैंने उनकी किताब पढ़ी है और उसमें भी उनका शानदार विजन सामने आता है। ऐसे लोगों को आगे करना चाहिए।

नारायण मूर्ति ने कहा कि आज की तारीख में देश को हाई क्वॉलिटी और मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। फिलहाल हम कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। गरीबी और बेरोजगारी इनमें से प्रमुख समस्याएं हैं। हमें अजेंडा के साथ काम करना होगा। जीडीपी ग्रोथ और बिजनस ग्रोथ पर प्रमुखता से ध्यान देना होगा। मूर्ति ने कहा कि इस देश को विकास की पटरी पर लाने के लिए बहुत जरूरी है हाई क्वॉलिटी नेतृत्व को सत्ता मिले। जब उनसे पूछा गया कि लिडरशिप में आइडिया अहम है या व्यक्ति। इस पर नारायण मूर्ति ने कहा कि हम दोनों को पूरी तरह से अलग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि एक अच्छा कम्यूनिकेटर ही मजबूत नेता हो सकता है। हम इतिहास में उन मजबूत नेताओं को देख सकते हैं जो कि शानदार कम्यूनिकेटर भी थे। महात्मा गांधी, जॉज वॉशिंगटन, अब्राहम लिंकन से विंस्टन चर्चिल तक लोगों से कम्यूनिकेट करते थे।


हमारे नेताओं को भी चाहिए कि वह लोगों तक पहुंचें। संवाद करें क्योंकि यह उनकी प्राइमरी जॉब है। उन्हें लोगों के भरोसे को जगाने की जरूरत है। जब मूर्ति से पूछा गया आप राहुल और मोदी में किसे बेहतर मानते हैं। इस पर मूर्ति ने कहा कि मैं राजनीतिक नहीं हूं और कौन बेहतर है इस पर मेरी टिप्पणी की कोई जरूरत नहीं है। मैं कोई फैसला नहीं दे सकता कि राहुल बेहतर हैं या मोदी। लेकिन हमें वैसे नेता को मौका देना चाहिए जो देश का विजन तय करने की क्षमता रखता है। जो लोगों से कम्यूनिकेट करता है। जो जीडीपी ग्रोथ रेट 9 पर्सेंट से ज्यादा ले जाने की कपैसिटी और विजन रखता है। यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह तो हमारे नेता की न्यूनतम क्वॉलिटी होनी चाहिए।


नारायण मूर्ति ने आम आदमी पार्टी की जीत को रेखांकित करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने साबित कर दिया है कि लोगों को जोड़कर कम संसाधन में भी चुनाव जीते जा सकते हैं। दिल्ली में 40 पर्सेंट सीट जीत कर केजरीवाल ने राजनीति में नई ऊर्जा भरी है। मूर्ति ने कहा कि अरविंद की राहुल गांधी ने भी सराहना की है। अरविंद लोगों में उम्मीद जगा रहे हैं और राजनीति के प्रति लोगों की आस्था पैदा कर रहे हैं। राजनीति में बिना प्रयोग के परिवर्तन नहीं होता है। नारायण मूर्ति ने कहा कि दिल्ली में विपक्ष के सपोर्ट से सरकार बनानी चाहिए।




Samit CarrRISING OCCUPATIONAL SAFETY & HEALTH NETWORK OF INDIA (ROSHNI)

काम करने से मना किया तो दो के काटे हाथ - BBC Hindi - भारत

bbc.co.uk

उड़ीसा के कालाहांडी ज़िले में मजदूरों ने काम करने से मना किया तो ठेकेदार ने ये कहते हुए मजदूरों को हाथ काट दिए कि अगर ये हाथ उसके काम नहीं आ रहे हैं तो फिर किसी के काम नहीं आएंगे.

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The Economic Times

15 hours ago

Communal Violence Prevention Bill cleared by Cabinethttp://ow.ly/rOzmI

The Economic Times

15 hours ago

Lok Sabha polls: Govt makes major changes in MNREGA to lure rural masses http://ow.ly/rOeZm

The Economic Times

16 hours ago

Consensus exists over Rahul Gandhi as PM candidate: Congress

http://ow.ly/rOeMe

The Economic Times

17 hours ago

Netra: Govt's internet spy system to scan reams of tweets, emails, messages http://ow.ly/rNb0C

The Economic Times

Yesterday


Why AAP's 18 demands to Congress & BJP are impracticalhttp://ow.ly/rN7hj | Why Anna is opposing it http://ow.ly/rN7iS

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24 Ghanta

এক গুচ্ছ প্রকল্পের উদ্বোধনে জেলা সফরে মুখ্যমন্ত্রী

http://zeenews.india.com/bengali/zila/cm-on-zila-tour_18630.html

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India Today

Stripped, searched and made to stand with drug addicts and sex workers. Indian diplomat Devyani Khobragade's ordeal

Indian diplomat strip searched, Meira Kumar refuses to meet US MPs : North, News - India Today

indiatoday.intoday.in

The Lok Sabha speaker cancelled her meeting with a senior US Congressional delegation as a mark of protest against the treatment meted out to India's Deputy Consul General Devyani Khobragade in New York.

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Urmilesh Urmil

मीडिया में दलित-वंचित क्यों नहीं हैं?

लखनऊ की सरजमीं से नई पहल

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लखनऊ में 16 दिसम्बर की संगोष्ठी बेहद प्रेरक रही। दिल्ली में इस तरह के विषयों पर कहां चर्चा होती है? पर लखनऊ की संगोष्ठी की विचारोत्तेजक चर्चा और पत्रकारों-बुद्धिजीवियों-कार्यकर्ताओं की सक्रिय हिस्सेदारी से मुझे महसूस हुआ कि अलग-अलग विचारधाराओं के जनपक्षी लोग नए ढंग से सोचने के लिए बाध्य हो रहे हैं। शायद, बड़े सवालों पर भविष्य की वैचारिक एकता की आधारभूमि ऐसे ही तैयार होगी। इस संगोष्ठी का आयोजन आंबेडकर महासभा ने किया था। उसका प्रयास काबिले-तारीफ था। महासभा अगर आज के बड़े सवालों पर लगातार पहल करती रहे तो वह उत्तर प्रदेश में नवजागरण का बड़ा मंच बन सकती है। मीडिया में दलितों की अनुपस्थिति बड़ा प्रश्न है। अगर आजादी के 66 साल भी मीडिया-संचालकों-संपादकों के स्तर पर इन समुदायों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो राज्य क्यों नहीं आगे आया? इसका मतलब राज्य कहीं न कहीं इस अन्याय में शामिल है। भारतीय मीडिया में एफर्मेटिव एक्शन के लिए अब नई पहल की जरूरत है। क्या मीडिया समूहों के मालिक, संपादक, एडिटर्स गिल्ड, प्रेस कौसिल जैसे निकाय इस बारे में अब भी चेतेंगे!

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Ashish Maharishi

देखिए आप यदि बड़े बाप की औलाद हैं तो कानून आपकी रखैल बनने को तैयार है। मसलन मुकेश अंबानी के बेटे के मामले में ही देख लीजिए। 8 दिसंबर की रात मुकेश अंबानी की साढ़े चार करोड़ की ऑस्‍टन मॉर्टिन कार से दो लोग घायल हो जाते हैं।


यह वही कार है जिसमें सचिन की विदाई पार्टी वाली रात मुकेश अंबानी के बेटे आकाश अंबानी को देखा गया था। कार का नंबर है MH-01-BK-99


मुकेश अंबानी के एक कर्मचारी बंसी जोशी ने इस हादसे की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है, इसके बावजूद पुलिस उसे अरेस्‍ट नहीं कर रही है। जबकि चश्मदीदों का कहना है कि कार में दो लोग सवार थे।

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Lenin Raghuvanshi shared a link.

Alarming Rise of Torture Based on Religion

muslimstoday.in

People's Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR), Varanasi and Human Rights Law Network (HRLN), New Delhi, with the support from European Union and Dignity Danish Institute Against Torture orga...

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Economic and Political Weekly

The premature death of Paul Joora, the former chairman of the Nicobarese tribal council in the Great and Little Nicobar Islands, in 2012 has left a void in the Nicobarese society. This article briefly reflects upon Joora's vision for the rehabilitation of his community in the aftermath of the tsunami, which hit the Nicobar archipelago in 2004.

http://www.epw.in/web-exclusives/nicobarese-tribal-leader-who-lived-two-lives.html



The Economic Times

Women inch closer to top roles in core sector http://ow.ly/rPpJ8

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Navbharat Times Online

दिल्ली में कोहरे की मारः जानें कौन-कौन सी ट्रेनें हैं लेट

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/heavy-fog-delays-many-flights-in-delhi/articleshow/27488879.cms

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BBC World News

NSA 'considering' ‪#‎Snowden‬ amnesty.


A senior official has said it's possible that the former intelligence contractor could be granted an amnesty, if he agrees to stop revealing secret documents. http://www.bbc.co.uk/news/world-us-canada-25399345


The NSA has suffered huge embarrassment over the extent of its operations at home and abroad.


The US has had to explain why it appears to have been tracking calls and emails made by several friendly heads of state.


But NSA Director Gen Keith Alexander has dismissed the idea.

"This is analogous to a hostage taker taking 50 people hostage, shooting 10, and then say, 'if you give me full amnesty, I'll let the other 40 go'. What do you do?" ‪#‎NSA‬


Do you think Snowden should be granted an amnesty? Let us know.


( Photo courtesy of Getty Images)



Lenin Raghuvanshi

Interesting. Is it future of India? Please think:

http://www.thehindu.com/news/national/other-states/onethird-of-gujarat-mlas-face-criminal-cases-including-rape/article4235994.ece

One-third of Gujarat MLAs face criminal cases, including rape

thehindu.com

Some 57 Members of Legislative Assembly elected by Gujarat in the December polls face criminal charges, including that of rape and murder, while nearly three-fourth of them are crorepatis, up from 31 per cent in the 2007 elections, according to data analysed by the Gujarat Election Watch.

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Jayantibhai Manani

देश के संविधान और कानून के साथ मनुस्मृति की मानसिकता से ग्रस्त न्यायधीश और पोलिस अधिकारी खिलवाड़ करते रहे है. क्या आदिवासी महिलाए महिला नहीं है? संघ के कट्टर जातिवादी और पुरातनपंथी ब्राह्मण नेताओ द्वारा नियंत्रित छतीसगढ़ सरकार के शासन में आदिवासी को न्याय संभव है?

आज के दिन दिल्ली में एक बलात्कार हुआ था . इसके बाद वर्मा आयोग की सिफारिशों के आधार पर कानून में नयी धारा जोड़ी गयी .जिसके अनुसार अधिकार प्राप्त स्तिथी में पुरुष यदि अपनी अधीनस्थ महिला के साथ यौन शोषण करता है तो महिला की रिपोर्ट तुरंत लिखी जायेगी और महिला के बयान को ही आरोपी के विरुद्ध गवाही माना जायेगा . अभी हाल में ही तरुण तेजपाल को इसी धारा के तहत जेल में डाला गया है . सोनी सोरी के मामले में ठीक यही धारा लागू होती है . वह पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग की अभिरक्षा में थी .अंकित गर्ग ने उसके गुप्तांगों में पत्थर भर दिये . सोनी सोरी ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी सूचना दे दी. कोलकाता के सरकारी अस्पताल ने सोनी सोरी के गुप्तांगों से पत्थर निकाल कर सर्वोच्च न्यायालय के सामने रख दिए . सर्वोच्च न्यायालय ने आज तक अंकित गर्ग के विरुद्ध प्राथमिक रिपोर्ट लिखने का आदेश नहीं दिया . छत्तीसगढ़ के सरगुजा की लेधा नामकी आदिवासी महिला के गुप्तांगों में पुलिस अधीक्षक कल्लूरी ने मिर्चें भर दी थीं . थाने में पुलिस वालों ने महीना भर लेधा के साथ बलात्कार किया . कल्लूरी ने केस वापिस करवाने के लिए लेधा के परिवार का अपहरण कर लिया . लेधा अब मजदूरी कर के अपना पेट पालती है .कल्लूरी को वीरता का प्रमोशन मिल गया . उड़ीसा की आदिवासी लड़की आरती मांझी के साथ पुलिस वालों ने सामूहिक बलात्कार किया . आरती मांझी पर सात फर्ज़ी केस बना कर जेल में डाल दिया . आरती मांझी सातों मामलों में बरी हो गयी है . पुलिस वालों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है . छत्तीसगढ़ की कवासी हिड़मे के साथ थाने में पुलिस वालों ने इस बुरी तरह यौन शोषण किया कि उसका गर्भाशय बाहर आ गया . हिड़मे सात साल से जेल में है . हिड़मे की अभी आयु बाईस साल है . प्रतारणा के समय वह मात्र पन्द्रह साल की थी . क्या एक देश का कानून अलग अलग समुदाय के लिए अलग अलग तरह से काम करता है ? अगर आप इस बात को सहन कर लेते हैं कि देश का कानून अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग तरह से ही काम करेगा तो ऐसे पक्षपात पूर्ण कानून को इस देश के करोड़ों लोग अपना कानून कैसे मानेंगे ? हम चाहते हैं कि कानून का राज आये . लेकिन अगर आप अपने कानून को खुद ही लागू करने में हिचकिचाते हैं तो पूरे देश में कानून का राज कैसे लागू होगा ? ये कानून आदिवासी इलाकों में कब लागू होगा

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Dilip Khan

मुकेश अंबानी का बेटा साढ़े चार करोड़ रुपए की गाड़ी से टक्कर मारता है, हफ़्ते बाद तक आपको पता नहीं चलता। टीवी-अख़बार हर तरफ़ चुप्पी। ऐसा मनमोहन सिंह के साथ भी नहीं हो सकता।अब भी मान लीजिए अंबानी प्रधानमंत्री से ज़्यादा शक्तिशाली है। उमर अब्दुल्ला ने इस पर सही ट्वीट किया था, "सिर्फ मुंबई पुलिस को पता नहीं है कि गाड़ी चला कौन रहा था, बाकी सब लोग जानते हैं।"

बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में घर के एक पुराने सेवक ने पुलिस के पास जाकर ग़लती कबूल ली है। किस्सा खतम, बच्चे लोग घर जाओ।

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Like ·  · Share · 785348173 · 20 hours ago ·

Himanshu Kumarअष्टावक्र

जातिगत आरक्षण का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि आरक्षण के कारण अयोग्य लोग सरकारी अधिकारी ,डाक्टर और वैज्ञानिक बन गये हैं .


तो जातिगत आरक्षण के कारण अधिकारी डाक्टर या वैज्ञानिक बने किसी अयोग्य का उदाहरण देने का कष्ट करेगा कोई ?


लेकिन याद रखना फिर मैं अयोग्य ब्राह्मणों , अयोग्य ठाकुरों और अयोग्य बनियों की सूची भी जारी करूँगा जो पारिवारिक जान पहचान या पैसे के दम पर बड़ी बड़ी नौकरियों पर काबिज हैं और भयंकर भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं तथा देश और समाज के द्रोही हैं .


इसलिये जाति समाप्त करने की मुहीम में जुडिये . जाति के रहते आरक्षण समाप्त करने की मांग असामाजिक और क्रूर मांग है .


आरक्षण तो आबादी में विभिन्न जातियों के अपने हिस्से के बराबर ही नौकरी में उनका हिस्सा देने में मदद करने के लिये है . ये अलग बात है कि ज्यादातर आरक्षित पदों पर भी बड़ी जातियों का कब्ज़ा है .


क्योंकि आरक्षित जातियों में शिक्षा का विकास नहीं हुआ इसलिये वो तो अभी तक अपने हिस्से की नौकरियाँ भी नहीं पा सके .

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Vidya Bhushan Rawat

13 hours ago ·

  • भारत का मानवीयकरण अभियान।।
  • एक बार फिर हम इस मुहीम के तहत सड़क पर है. २० दिसंबर से २९ दिसंबर तक उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद में हथगाम से हमारी पैदल यात्रा शुरू हो रही है जो जातिवाद, छुआछूत, साम्प्रदायिकता और अंधविश्वाश के विरुद्ध जनता में जनजागरण करेगी। स्कूलो, कालेजो, नुक्कड़ो पर लोगो से साथ वार्तालाप करेगी और जिन प्रश्नो को अक्सर हम छुपा कर रखने का प्रयास करते हैं उन पर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखेगी।
  • हथगाम गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म स्थल है जो साम्प्रादायिक दंगो के शिकार हुए थे और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए उनके कार्यो को आज भी याद किया जाता है. यात्रा का समापन २९ दिसंबर को फतेहपुर शहर में होगा जहाँ पर एक मानववादी मेला भी आयोजित किया जा रहा है. मानववादी मेला हमारा एक प्रयास है के भगवान् के बिना भी हम अच्छे से जी सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं. इस दिन हम उन सभी लोगो को आमंत्रित करते हैं जो वैज्ञानिक चिंतन और मानववादी मूल्यों में यकीं रखते हों.

Abhishek Srivastava via Junputh
10 hours ago · Edited ·
  • दैनिक जनसत्‍ता में प्रकाशित Prakash K Ray और Apoorvanand के समलैंगिकता विषयक लेखों पर Vyalok की टिप्‍पणी। Attn. Palash Biswas Arvind Shesh Panini Anand Avinash Das Sanjay Tiwari पंकज कुमार झा Dilip Khan Rangnath Singh Shree Prakash
  • जनपथ : आप वामपंथी हैं, तो समलैंगिक तो होंगे ही...!
  • www.junputh.com
  • 11Unlike ·  · Share · Stop Notifications · Hide from Timeline
    • You, Ashish Maharishi, Chandan Kumar and 6 others like this.
    • Dilip Khan लेख लिखा ही इसलिए गया है ताकि वामपंथ को एक बार फिर भाला भोंका जा सके। शीर्षक उसे और पुष्ट करता है। पढ़ा। इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिसको समलैंगिकता को नकारने का ठोस तर्क (जिस पर व्यालोक पाठक का ज़ोर है) माना जा सके। पुराण-ग्रंथ वगैरह का वनलाइनर जवाब है ...See More
    • 6 hours ago · Like · 3
    • Dilip Khan हां, अगर सिर्फ चुटकी लेने के लिए लिखा गया लेख है तो मैं ज़ोरदार आवाज़ में ताली बजा देता हूं..उससे ज़्यादा कुछ भी नहीं है इसमें। प्रकाश के रे से उन्हें जेएनयू का वामपंथ याद आता है और अपूर्वानंद के लेख पर बात करने के बजाए वो लेक्चरार हैं कि नहीं ये लिखना ज़रूरी लगता है। निजी खुन्नस, असहमतियों के लिए स्वतंत्र लेख लिखा जा सकता था।
    • 6 hours ago · Like · 5
    • Prakash K Ray Is lekh se sabse adhik mast Palash Ji hain.
    • 2 hours ago · Like · 1
    • Abhishek Srivastava Prakash K Ray पलाश दा को खुश रखना हम सब की सामूहिक जिम्‍मेदारी है।
    • 2 hours ago · Like · 2
    • Palash Biswas ऎसी क्या बात है प्रकाश जी,हम लोग तो दक्षिमावर्त के तरुण विजय हैं नहीं।वामपंथियों की दुर्गति मजा लेने का मामला नहीं है,यह भारतीय यथार्थ को नये स‌िरे स‌े स‌मझकर नयी जमीन बनाने की चुनौती है।वामपंथियों के जनसरोकार के मुद्दे कम हो गये हैं,आप के डर स‌े कांग्रेस भाजपा के स‌ाथ लोकपाल प्राथमिकता में शामिल स‌ंसदीयवामपंथ ने भूमिसुधार के एजंडे को बहुत पीछे छोड़ दिया है।साम्राज्यवादविरोधी अभियान अब महज वोट बैंक स‌मीकरण है।ऎसे वामपंथियों स‌े इस देश का कुछ होने वाला है नहीं ,इसलिए हम वामपंथियों का दुर्गति का न जश्न मनाते हैं और न मातम।वामपंथियों ने वामपंथ को इस देश में स‌िरे स‌े गैरप्रासंगिक बना दिया है और उनके इस धतकरम पर टिप्पणी करना भी मुक्त बाजार के शिकंजे में फंसी आम जनता का,सर्वहारा का अपमान है।
    • 3 minutes ago · Like · 1
    • Abhishek Srivastava Palash Biswas पूरी तरह सहमत...
    • a few seconds ago · Like
  • हमारी ये यात्रा न तो कोई लॉबिंग है और न ही कोई कानून बनाने कि मुहीम।। ये केवल अपने को बदलने की लड़ाई है, अपनी जनता को अपनी भाषा में समझने की कोशिश और हमारी ये कोशिश हमेशा जारी रहेगी। क्योंकि हम संशाधनो के अभाव का रोना नहीं रोते लेकिन इनकी कमी के कारण सभी को आमंत्रित भी नहीं कर पाते। हालांकि इस स्टेटस में यही कहना चाहता हूँ के कोई साथी कभी भी आना चाहे तो हार्दिक स्वागत है. सर्दी के दिन हैं इसलिए जायदा सतर्क रहने की जरुरत होती है लेकिन इन यात्राओ से हम बहुत कुछ सीखते हैं और साथ रहना भी जान जाते हैं. अभी तक युवा लोगो की छोटी टीम मेरे साथ चलेगी। ये युवा हमारे साथी हैं जो सीखना चाहते हैं और हुत समय से हमारे मानववादी आंदोलन के मज़बूत स्तम्भ बन रहे हैं. इन यात्राओ के हर दिन मैं कुछ न कुछ लिखने का प्रयास करूँगा ताकि आपसे रुबरु हो सकूँ और आपकी राय भी ले सकू.
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