गंगोत्री ग्लेशियर से भी हो सकता है जल प्रलय
प्रवेश कुमारी | अंतिम अपडेट 3 जुलाई 2013 8:57 AM IST पर
केदारघाटी में तबाही के पीछे वजह अत्यधिक बारिश के साथ ही ग्लेशियर से बनी झील को बताया जा रहा है। इसके बाद अब दूसरे धामों की सुरक्षा का सवाल भी उठ खड़ा हुआ है।
गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री के सर्वे के दौरान जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) ने यहां बने ग्लेशियर की स्थिति को लेकर चेताया था। अतिक्रमण से लेकर यहां पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या पर नियंत्रण संबंधी सुझाव दिए थे, लेकिन कुछ नहीं किया गया।
गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री के सर्वे के दौरान जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) ने यहां बने ग्लेशियर की स्थिति को लेकर चेताया था। अतिक्रमण से लेकर यहां पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या पर नियंत्रण संबंधी सुझाव दिए थे, लेकिन कुछ नहीं किया गया।
तकरीबन 10 साल पहले 2003 में जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के तत्कालीन डायरेक्टर यूपी गुप्ता के निर्देशन में इस सर्वे को अंजाम दिया गया था।
बेहद संवेदनशील है ग्लेशियर
सर्वे की रिपोर्ट में गंगोत्री मंदिर के पीछे स्थित ग्लेशियर का हिस्सा लैंड स्लाइड के लिहाज से बेहद संवेदनशील करार दिया गया था। बताया गया था कि यहां कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है। लेकिन इससे आगे इस पर कुछ नहीं किया गया। केदारघाटी की तबाही के बाद एक बार फिर से इसकी अनदेखी का प्रश्न खड़ा हो गया है।
खुद जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के विशेषज्ञ इस बात को स्वीकारते हैं कि जिस तरह की आपदा अचानक पड़ी बारिश से ग्लेशियर के फूटने की वजह से पैदा हुई, अगर अब भी नहीं चेता गया तो भविष्य के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।
लौटी एएसआई की टीम
केदारघाटी की तबाही के बाद सरकारी संस्तुति पर केदारनाथ धाम के निरीक्षण केलिए दून पहुंची आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम को मौसम का साथ नहीं मिला।
मौसम खराब होने के चलते वह केदारनाथ के लिए रवाना नहीं हो सकी और वापस लौट गई। टीम में एडिशनल डायरेक्टर जनरल वीआर मणि, डायरेक्टर कंजरवेशन ज्ञानावेश शर्मा, डायरेक्टर मान्यूमेंट्स एके सिन्हा समेत कंजरवेशन आफिसर अमरनाथ गुप्ता शामिल थे।
बेहद संवेदनशील है ग्लेशियर
सर्वे की रिपोर्ट में गंगोत्री मंदिर के पीछे स्थित ग्लेशियर का हिस्सा लैंड स्लाइड के लिहाज से बेहद संवेदनशील करार दिया गया था। बताया गया था कि यहां कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है। लेकिन इससे आगे इस पर कुछ नहीं किया गया। केदारघाटी की तबाही के बाद एक बार फिर से इसकी अनदेखी का प्रश्न खड़ा हो गया है।
खुद जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के विशेषज्ञ इस बात को स्वीकारते हैं कि जिस तरह की आपदा अचानक पड़ी बारिश से ग्लेशियर के फूटने की वजह से पैदा हुई, अगर अब भी नहीं चेता गया तो भविष्य के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।
लौटी एएसआई की टीम
केदारघाटी की तबाही के बाद सरकारी संस्तुति पर केदारनाथ धाम के निरीक्षण केलिए दून पहुंची आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम को मौसम का साथ नहीं मिला।
मौसम खराब होने के चलते वह केदारनाथ के लिए रवाना नहीं हो सकी और वापस लौट गई। टीम में एडिशनल डायरेक्टर जनरल वीआर मणि, डायरेक्टर कंजरवेशन ज्ञानावेश शर्मा, डायरेक्टर मान्यूमेंट्स एके सिन्हा समेत कंजरवेशन आफिसर अमरनाथ गुप्ता शामिल थे।
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