Thursday, July 4, 2013

अकेले बीरभूम जिले या जंगल महल में सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की कवायद से माओवादी खतरा टलनेवाला नहीं है!

अकेले बीरभूम जिले या जंगल महल में सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की कवायद से माओवादी खतरा टलनेवाला नहीं है!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


सुकमा के जंगल में माओवादी हमले के बाद बंगाल में रेड अलर्ट जारी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी माओवादियों की हिटलिस्ट में टाप पर हैं। लेकिन इसके बाद दीदी ने जंगल महल में जाकर खुली आमसभा में माओवादियों को खुली चुनौती दे दी कि अगर उनकी हि्म्मत है तो उनपर गोली चलाकर देखें।ऐसे में कोयलांचल और उत्तरबंगाल में माओवादी सक्रियता की सूचनाएं लगातार आती रहीं। केंद्र सरकार की ओर से भी निरंतर सूचनाएं मिल रही है। झारखंड से बंगाल सटा होने से माओवादी किसी भी वारदात को अंजाम देकर झारखंड भाग सकते है। इसका अंदेशा पुलिस व खुफिया विभाग ने भी जताया है। इधर, मेदनीपुर, पुरूलिया इलाका माओवादी दस्ता में शामिल कई आतंकी का नाम भी खुफिया विभाग ने गृह विभाग को सौंपा है। उत्तर दिनाजपुर जिला पुलिस अधीक्षक अखिलेश चतुर्वेदी ने कहा कि केएलओ या माओवादी की उत्तर दिनाजपुर में सक्रियता होने अथवा केएलओ आतंकी मलखान सिंह के मालदा से उत्तर दिनाजपुर में आने की स्थिति में पुलिस को उसकी पहचान कराने व गिरफ्तार करने के उद्देश्य से जिले के सभी थानों की पुलिस को मलखान सिंह की फोटो भेज दी गई है। साथ ही केएलओ या माओवादी अन्य राजय या जिला अथवा सीमा पार आकर किसी भी तरह का कोई वारदात को अंजाम नहीं दे सके इसके लिए सभी थाना को सतर्क करने के साथ चेकिंग एवं गस्त आदि बढ़ा दी गयी है।


ओड़ीशा के बालासोर और सारंडा के जंगल के रास्ते बंगाल रेड कारीडोर से सीधे जुड़ गया है।जबकि सिंहभूम से लालगढ़ तक का मुक्तांचल पहले से मौजूद है। बिहार में जमुई में ट्रेन पर हमले का मामला ठंडा होते न होते पाकुड़ में झारकंड के अपेक्षाकृत  शांत संथाल परगना इलाके में एसपी समेत आठ पुलिस कर्मियों को चलती जीप में सीधे गोली से उड़ा देने से बंगाल में माओवादी सक्रियता का उत्कर्ष सामने आने लगा है।पाकुड़ में पुलिस अमले पर माओवादियों द्वारा हमला करने के बाद संभावित पंचायत चुनाव में प्रत्याशी व समर्थकों का अपहरण करने का खुफिया विभाग ने अंदेशा जताया है। इस संबंध में खुफिया विभाग के सूत्रों ने बताया कि पंचायत चुनाव के दौरान माओवादी व केएलओ संयुक्त रूप से सूबे के विभिन्न जिलो में आतंकी वारदात को अंजाम देने को प्रयासरत हैं। इस संबंध में केंद्रीय व राज्य खुफिया विभाग को रिपोर्ट प्रेषित कर दी गयी है। जिसमें कहा गया है कि 20-25 महिला माओवादी कैडर समेत लगभग 100 के तादाद पीपल्स लिबरेशन गेरिला आर्मी(पीएलजीए) खतरनाक माओवादी कई दल में बंटकर पश्चिम मेदनीपुर के झाड़ग्राम, वेलपहाड़ी, नयाग्राम, विनपुर, जामबनी, पुरूलिया के बलरामपुर, बान्दोयान आदि इलाकों में है। जिनका मकसद पंचायत चुनाव के दौरान उम्मीदवार का अपहरण प्रचार-प्रसार अभियान पर हमला करने की है। सिर्फ जंगली क्षेत्री ही माओवादी के निशाने पर नहीं बल्कि उत्तर बंगाल के मालदा, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, उत्तर दिनाजपुर जिले में भी वारदात होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।


बिना लालबत्ती, बिना नंबर की एसपी की गोपनीय यात्रा के बारे में चुनिंदा पुलिस अफसरों के अलावा किसी को नहीं मालूम था, फिरभी जिसतरह बिना किसी बारुदी सुरंग या अवरोध के चलती गाड़ी पर गोलीबारी करके एसपी की हत्या माओवादियों ने कर दी, दीदी के माओवादी चुनौती से निपटने के तौर तरीके पर सवाल उठने शुरु हो गये हैं।झारखंड में मंगलवार को माओवादी हमले में पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक [एसपी] अमरजीत बलिहार समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए।बलिहार सन 2003 बैच के आइपीएस अधिकारी थे। नक्सलियों द्वारा एसपी को मारने की यह दूसरी वारदात है। इससे पहले सन 2000 में रांची से सटे लोहरदगा जिले में तत्कालीन एसपी अजय कुमार सिंह भी नक्सली हमले में शहीद हुए थे।घात लगाकर माओवादी हमले की यह वारदात अपराह्न तीन बजे तब पेश आई जब एसपी बलिहार डीआइजी दुमका के साथ बैठक के बाद वापस लौट रहे थे। दुमका जिले के काठीकुंड थाना क्षेत्र में जमनी व आमतल्ला के मध्य घात लगाए करीब सौ माओवादियों ने एसपी के वाहन और साथ चल रही बोलेरो पर अचानक हमला किया। पुलिसकर्मी जब तक संभलते-तब तक एसपी की स्कॉर्पियो गाड़ी में बैठे अंगरक्षक व पुलिस जवान शहीद हो चुके थे।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि माओवादी उनकी हत्या करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने माओवादियों को चुनौती दी कि वे उन्हें छूकर भी दिखाएं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि माकपा, कांग्रेस और माओवादी उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। यह भी कहा है कि कामदूनी दौरे के दौरान माकपा और माओवादी उनकी हत्या करने की साजिश रची थी। अगर, ऐसा है तो यह काफी गंभीर मुद्दा है, इसकी गंभीरता से पड़ताल होनी चाहिए और ममता की सुरक्षा और कड़ी करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि ममता ने पहली बार अपनी हत्या की साजिश रचे जाने का आरोप लगाया है।


मुख्यमंत्री बनने के बाद करीब तीन बार वह खुद की जान पर खतरा होने की बात कह चुकी हैं। आखिर एक मुख्यमंत्री की जान का सवाल है। इसलिए यह राष्ट्रीय चिंता का भी विषय है। ऐसे में, चाहिए कि इस सूचना को केंद्र सरकार भी गंभीरता से ले। राज्य के सुरक्षा तंत्र के साथ मिलकर केंद्रीय खुफिया तंत्र को शीघ्र सारे मामले की पड़ताल करनी चाहिए। हालांकि, विपक्ष ने इसे राजनीतिक स्टंट करार देते हुए कहा है कि यह सब मूल समस्या से ध्यान भटकाने की कोशिश मात्र है। कांग्रेस व माकपा के नेताओं का कहना है कि यदि ऐसा है तो मुख्यमंत्री को इसका प्रमाण देना चाहिए। वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस का कहना है कि सीएम कामदूनी गांव जा रही हैं, इसकी सूचना न ही गांव वालों को थी और न ही मीडिया को। यहां तक कि पुलिस को भी खबर नहीं थी। फिर माकपा को सूचना कहां से मिली? यह सब सिर्फ अपनी गलती छिपाने के लिए और लोगों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश वाली बयानबाजी है।


ममता ने पंचायत चुनाव के प्रचार के लिए आयोजित एक सभा में कहा कि जब मैं जंगलमहल का दौरा करने की योजना बना रही थी तो मुझे बताया गया कि माओवादी यहां मेरी हत्या की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें चुनौती देती हूं कि ताकत है तो मुझे छूकर भी दिखाएं। मुझे बताएं कि वे कब, कहां और किस वक्त मेरी हत्या करना चाहते हैं और मैं वहां मौजूद रहूंगी। वे बंदूक से मुझे नहीं डरा सकते। मैंने पिछले 34 वर्षों से माकपा की बंदूकों से संघर्ष किया है।


बनर्जी ने माकपा पर माओवादियों से साठगांठ के आरोप भी लगाए ताकि जंगलमहल में फिर से हिंसा का दौर शुरू हो। बहरहाल उन्होंने कहा कि जो माओवादी सामान्य जीवन में लौटना चाहते हैं उनका स्वागत है और उनकी सरकार ऐसे माओवादियों का सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि कई आत्मसमर्पण कर चुके हैं और सामान्य जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। पश्चिम मिदनापुर जिले में पंचायत चुनाव सभा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार जंगलमहल में शांति बहाल करने में सफल रही है। सत्ता में आने के बाद यह हमारी चुनौती और प्रतिबद्धता थी।


उन्होंने कहा कि हम आतंक को जंगलमहल में नहीं लौटने देंगे। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों को सलाम करती हूं जिन्होंने अपनी जिंदगी खतरे में डालकर उनसे (माओवादियों से) युद्ध किया। मैं जंगलमहल में तैनात जवानों को भी सलाम करती हूं जो लोगों की रक्षा कर रहे हैं।


उत्तरबंगाल को वर्दवान से रेलवे से जोड़ने वाली लाइन रामपुरहाट और पाकुड़ होकर जाती है। इसीके मद्देनजर शक है कि इस वारदात को बंगाल के माओवादियों ने ही अंजाम दिया है। अगर यह सच है तो अकेले बीरभूम जिले या जंगल महल में सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की कवायद से माओवादी खतरा टलनेवाला नहीं है।खुफिया विभागों के सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के माओवादियों का पाकुड़ के रास्ते मालदा जिले में आवागमन है। झारखंड के माओवादी केएलओ संयुक्त रूप से उत्तर बंगाल में बड़ी वारदात करने की फिराक में है। खुफिया विभाग की रिपोर्ट को इस बात से भी बलवती हुई है कि मालदा जिला के हबीबपुर एवं गाजोल इलाका में केएलओ की सक्रियता की भनक पुलिस को लगी है। केएलओ के सांगठनिक सचिव मलखान सिंह के नेतृत्व में आतंकी वारदात करने के मंसूबे की पुलिस को भनक लग चुकी है। हबीबपुर के भाजपा उम्मीदवार नृपेन मंडल की हत्या गाजोल में बम धमाका कांड मलखान व उसके साथी द्वारा किए जाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने केएलओ से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार भी किया है।


देश में 39 दिनों के भीतर यह तीसरी बड़ी माओवादी वारदात है। बिहार में बीते 13 जून को नक्सलियों ने धनबाद-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस पर बिहार के जमुई जिले के कुंदर हाल्ट के समीप हमला किया था जिसमें एक सब इंस्पेक्टर, एक आरपीएफ जवान व एक यात्री की मौत हो गई थी। दर्जनभर यात्री घायल भी हो गए थे। नक्सलियों ने काफी देर तक ट्रेन को कब्जे में रखा था और सुरक्षाकर्मियों के हथियार भी लूट ले गए थे।


इससे पहले 25 मई को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला करके माओवादियों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत 31 लोगों की हत्या कर दी थी। जगदलपुर की वारदात के बाद देश में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़े जाने की घोषणा हुई थी लेकिन अभी तक उसका कोई परिणाम सामने नहीं आया है जबकि उग्रवादी लगातार साजिश को अंजाम देते जा रहे हैं।



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