Thursday, March 28, 2013

पानी किसी के बाप का नहीं है! आसाराम बापू सही फरमाते हैं!

पानी किसी के बाप का नहीं है! आसाराम बापू सही फरमाते हैं!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


पर्यावरण और वनाधिकार कानूनों, खनन अधिनियम और समुद्रतट सुरक्षा कानून की ऐसी तैसी करके सूखा और जलसंकट की स्थितियां पैदा करने वाले कारपोरेट राज का समर्थन करने वाले लोग किस मुंह से आसाराम बापू की निंदा कर रहे हैं? महाराष्ट्र समेत देश भर में कृषि और देहात को मारने और किसानों को आत्महत्या करने वाली जलनीति, आदिवासियों को जल जंगल जमीन आजीविका से बेदखल करने वाली जलनीति, ऊर्जानीति और ​​परमाणु ऊर्जा  नीति का निर्विरोध समर्थन करने वालों से ऐसे ही पाखंड की उम्मीद की जा सकती है।  पवित्र कुंभ मेले में संत सम्मेलन की ओर से अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के शंखनाद के बाद अब विश्व हिंदू परिषद व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मिलकर मंदिर एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है। अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती पर विहिप ने 31 मार्च को अहमदाबाद में हिंदू संगम रखा है जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत के भी शामिल होने की संभावना है।


पानी किसी के बाप का नहीं है! आसाराम बापू सही फरमाते हैं!वे बारिश करवा सकते हैं। ऐसा कर दें तो सचमुच सत्ययुग आ जायेगा। विज्ञान से ऊपर है आध्यात्म जो धर्मराष्ट्रवाद का विज्ञान है। वैसे भी भारत में तमाम हिंदुत्ववादी ज्ञान विज्ञान, तकनीक के एकमात्र स्रोत बतौर आर्य सभ्यता बताते हुए नहीं थकते। द्वंद्वात्मक वैज्ञानिक पद्धति की कसौटी पर व्यक्ति विचार और अनुभव को कसने वाले लोग जो अपनी विचारधारा और पद्धति के अलावा बकी सारे विचार, आंदोलन और इतिहास को खारिज कर देने के विशेषज्ञ हैं, वे भी जब इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या करते हैं, तो आर्य सिद्धांतों और हिंदुत्व की स्थापनाओं को ही साबित करते दीखते ​​हैं। ऐसे में आसाराम बापू के बयान पर हंगामा बेमतलब है। अततः धर्म भी मुक्त बाजार में कारोबर है। अरबों डालर का निवेश होता है। ग्लोबल हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदू साम्राज्यवाद आखिर इसी निवेश और कारोबार पर निर्भर हैं। शिक्षित लोगों का ज्योतिष में अखंड विश्वास है। धर्ममत से विवाह और बाकी संस्कार पूरे होते हैं। मंत्र यंत्र, कुंडली और ग्रह नक्षत्र मुताबिक रत्न धारण करना रिवाज है। योगाभ्यास विज्ञानसम्मत है। टीवी चैनलों पर आस्था, संस्कार और ज्योतिश का बोलबाला है। तमाम सेलिब्रिटी इस कारोबार में लगे हैं। संत समाज देश का प्रधानमंत्री तय करता है। ​बहुजनों को मुक्ति दिलाने वाली ताजा तरीन पार्टी संघी मोर्चा के संयोजक के बिना कोई सभा नहीं कर सकते तो उनकी उपस्थिति भी अनिवार्य है जो  हिंदू राष्ट्र के एजंडा मुताबिक नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व के लिए यज्ञ विशेषज्ञ है। वैज्ञानिक तरीके से क्रांति करने वाले भी इस हिंदुत्व के ​​एजंडे पर चर्चा किये बिना, उसका पोषक बने हुए ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन को खारिज करने पर तुले हैं। इन्ही परिस्थितियों मे आसाराम बापू के बयान पर हंगामा बरपा है। जो टीवी चैनल यह खबर प्रसारित कर रहा है, क्या वह संतों के दिग्दर्शन से वंचित है।? धर्म कर्म ओर आस्था से ऊपर हैं?


पूरा विश्व इस वक्त जलसंकट के सम्मुखीन है। पानी के स्रोत सूख रहे हैं। निंदुक लोग तो कहते हैं कि अफ्रीका में भूगर्भीय जल संसाधन पर कब्जा के लिए अरब वसंत का आयोजन है। अबाध पूंजी प्रवाह करने की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली भारत सरकार दियों के मुक्त प्रवाह के विरुद्ध है। नदियां कारपोरेट हाथों में हस्तांतरित हो रही हैं। हिमालय की इतनी दुर्गति कर दी गयी कि ग्लेशियर तक पिघलते हैं। विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुताबिक राजनीति तय होती है और विदेश नीति पर अबाध पूजी प्रवाह और मुक्त बाजार का दबाव इतना ज्यादा है कि भारत और चीन के बीच जल समझौते पर बात नहीं होती। नतीजतन चीन ब्रह्मपुत्र जोसी तमाम नदियों को परमाणु धमाकों से अवरुद्द करने लगा है। पर्यावरण और वनाधिकार कानूनों, खनन अधिनियम और समुद्रतट सुरक्षा कानून की ऐसी तैसी करके सूखा और जलसंकट की स्थितियां पैदा करने वाले कारपोरेट राज का समर्थन करने वाले लोग किस मुंह से आसाराम बापू की निंदा कर रहे हैं? महाराष्ट्र समेत देश भर में कृषि और देहात को मारने और किसानों को आत्महत्या करने वाली जलनीति, आदिवासियों को जल जंगल जमीन आजीविका से बेदखल करने वाली जलनीति, ऊर्जानीति और ​​परमाणु ऊर्जा  नीति का निर्विरोध समर्थन करने वालों से ऐसे ही पाखंड की उम्मीद की जा सकती है।


आध्‍यात्मिक संत आसाराम बापू एक बार फिर अपने बेतुके बोल के चलते विवादों में घिर गए हैं। बीते दिनों महाराष्‍ट्र में होली कार्यक्रम के दौरान पानी की बर्बादी पर उनकी आलोचना हुई थी। अब उन्‍होंने कहा है कि वह किसी के बाप का पानी खर्च नहीं करते। पानी भगवान का है, सरकार का नहीं है। उन्‍होंने यह भी कहा कि वे कहीं भी बारिश करवा सकते हैं। एक तरफ गुजरात के सौराष्ट्र का पूरा इलाका और महाराष्ट्र भीषण सूखे की चपेट में है। कई गांवों में महिलाओं को पीने के पानी के लिए 5-5 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। सौराष्पाट्नीर में पानी की कमी झेल रहे कुछ गांवों के कुंवारों की शादी तक नहीं हो रही है। दूसरी तरफ खुद को संत कहने वाले आसाराम बापू ने होली के बहाने जमकर पानी बहाया और इस पर सवाल उठाए जाने पर कहा कि पानी किसी के बाप का नहीं है। उन्होंने भगवान को यार कहकर संबोधित किया और यहां तक कह दिया कि जहां भी सूखा पड़ा होता है, हम पानी बरसा देते हैं।इतना ही नहीं, गुजरात और महाराष्ट्र के सूखे को नजरअंदाज करते हुए आसाराम कहते हैं कि भगवान मेरे साथ हैं, मैं तो दिल खोल के रंग बरसाऊंगा। उन्होंने खुद के पास चमत्कारिक शक्ति होने का दावा करते हुए भगवान को अपना यार बता डाला। उन्होंने कहा कि हम तो 'यार' के पानी से रंग बरसाते हैं। जहां भी सूखा पड़ा होता है हम पानी बरसावा देते हैं।


इसीके मध्य अमेरिकी सांसदों और कारोबारियों के एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल ने गुरुवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें अपने देश आने का न्यौता भी दिया। गुजरात दंगों को लेकर अमेरिका ने मोदी को वीजा नहीं दिया था।शिष्टमंडल के सदस्यों ने गुजरात की अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए मोदी और उनके प्रयासों की तारीफ की। वर्ष 2002 के दंगों को सही से नहीं संभालने के आरोपों के चलते अमेरिका 2005 से मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा है।इलिनाइस से अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य एरान शॉक ने  संवाददाताओं से कहा कि हमने मुख्यमंत्री मोदी को न्यौता दिया है और अनुरोध किया है कि जो उन्होंने अपने राज्य में हासिल किया है उसे हमें वहां बताएं। जब शॉक से पूछा गया कि क्या मोदी को निमंत्रण का मतलब यह है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने मोदी को वीजा के मुद्दे पर अपना रुख बदला है, इस पर उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर यह अमेरिकी प्रशासन का मसला है लेकिन हम अन्य रिपब्लिकन सांसदों के साथ मिलकर अमेरिका प्रशासन के साथ इस दिशा में काम करेंगे।उन्होंने कहा कि हमने उन्हें वह सब कुछ बताने के लिए अमेरिका आमंत्रित किया है जो उन्होंने यहां अपने राज्य में किया है। हमने खासतौर पर उनके बयान 'कम से कम सरकार, ज्यादा से ज्यादा शासन' के साथ यहां जो देखा, उससे हम प्रभावित हुए। शॉक ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी का कांग्रेस सदस्य होने के नाते मैं भी सीमित सरकार में भरोसा करता हूं!दूसरी ओर, केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी के सरकार के खिलाफ तीखे बयान दिए जाने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज सपा की समर्थन वापसी की संभावना स्वीकार की, लेकिन सरकार के समक्ष खतरा होने या समय से पूर्व चुनाव होने की संभावनाओं को खारिज कर दिया।गठबंधन की बाध्यताओं को सुधार प्रक्रिया के आड़े नहीं आने देने का संकल्प जताते हुए मनमोहन ने कहा कि सरकार को सुधार कार्यक्रम आगे बढ़ाने का विश्वास है और इसके परिणाम अगले कुछ महीनों में सामने आएंगे। सिंह ने कहा, 'यह स्वभाविक है कि गठबंधन को कई मुद्दों से रू-ब-रू होना पड़ता है। कई बार ऐसा लगता है कि इस प्रकार की व्यवस्था स्थायी व्यवस्था नहीं है और मैं इससे इंकार नहीं करता कि ऐसी संभावनाएं नहीं उत्पन्न होती।'


पवित्र कुंभ मेले में संत सम्मेलन की ओर से अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के शंखनाद के बाद अब विश्व हिंदू परिषद व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मिलकर मंदिर एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है। अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती पर विहिप ने 31 मार्च को अहमदाबाद में हिंदू संगम रखा है जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत के भी शामिल होने की संभावना है। परिषद की ओर से यह संगम अपने आप में अनूठा होगा जो देश में एक बार फिर राममंदिर आंदोलन को नई धार देगा।


अयोध्या में राममंदिर निर्माण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक इकाई भाजपा का एजेंडा भले समय समय पर बदलता रहा हो लेकिन विहिप व संघ इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार के समझौते के बगैर आगे बढ़ने की रणनीति बना रहे हैं। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया इस आंदोलन के जरिए जहां संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं वहीं कुंभ मेले में हुए संत सम्मेलन के फैसलों को भी अमली जामा पहनाने की कवायद में जुटे हैं।


विहिप संत समाज के साथ मिलकर भारतभर में मंदिर निर्माण के लिए राम नाम जप अभियान शुरू करने वाला है। इससे पहले तोगड़िया एक बार फिर हिंदू संगम से प्रदेश के 50 हजार कार्यकर्ताओं को जोड़कर अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। अगस्त 1964 में बना विहिप अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती पर हिंदू संगम का आयोजन कर देश के सभी हिंदूवादी संगठनों को एकमंच पर लाने का भी प्रयास कर रहा है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष राघव रेड्डी भी इसमें शिरकत करेंगे जबकि आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत के भी आने की संभावना है।


परिषद के पदाधिकारी बताते हैं कि हिंदू संगम एक विशेष समारोह होगा जिसके बहाने हिंदुत्वादी ताकतों को एकजुट करने केसाथ एक बार फिर राममंदिर आंदेालन को तेज किया जाएगा।


देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में परिषद के इस संगम पर भाजपा की भी नजर रहेगी लेकिन इसमें फिलहाल किसी भाजपा नेता को आमंत्रित नहीं किया गया है। फायर ब्रांड नेता प्रवीण तोगड़िया देश में हिंदुत्व की राजनीति की धुरी माने जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी दूरियां भी जगजाहीर है ऐसे में गुजरात में होने वाले इस हिंदु संगम में प्रदेश भाजपा के नेताओं के शामिल होने की संभावना नहीं है।


गुजरात में राजनाथ का होगा भव्य स्वागत :


भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के भव्य स्वागत से उत्साहित गुजरात भाजपा अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का 6 अप्रेल को अहमदाबाद में भव्य स्वागत करेगी। पार्टी के स्थापना दिवस पर सरदार पटेल स्टेडियम में यह समारोह आयोजित होगा।


गुजरात भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी है। नवरंगपुरा स्थित सरदार पटेल स्टेडियम में एक लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को समारोह में लाया जाएगा जिसके लिए पार्टी के सभी विधायक व जिला अध्यक्षों को निर्देश दिया गया है। नई दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी के भव्य स्वागत के जवाब में गुजरात भाजपा राजनाथ सिंह का भव्य स्वागत करना चाहती है इसके लिए प्रदेश भाजपा में जोरदार तैयारियंा चल रही है।


न्यूज चैनल 'आज तक' के मुताबिक, गुजरात में अपने भक्‍तों के साथ होली मनाते हुए आसाराम ने सारी सीमाएं लांघ दीं। आसाराम ने मीडियावालों की तुलना कुत्तों से कर दी। वह यहीं चुप नहीं बैठें। उन्होंने कहा कि हम किसी सरकार के बाप से पानी नहीं लेते।


गौरतलब है कि 40 साल के सबसे भीषण सूखे से संघर्ष कर रहे महाराष्ट्र की सरकार ने आसाराम से सिर्फ इतना कहा था कि लोग प्यास से मर रहे हैं, आप होली के नाम पर पानी ऐसे मत बहाइए और पानी देने से मना कर दिया था। इस पर आसाराम का पारा चढ़ गया था। उन्होंने आध्यात्मिक संत की परम्परा को ताक पर रख कर एक सड़कछाप की तरह व्यवहार किया। मीडिया पर निशाना साधने के दौरान अपने आप को बापू कहते हुए आसाराम कहते हैं कि बापू मूंग दल रहे हैं और कुत्ते (मीडिया) भौंक रहे हैं।


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