Sunday, October 2, 2011

Fwd: भारत में मुर्दे बोलने लगे हैं: अरुंधति राय



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2011/10/2
Subject: भारत में मुर्दे बोलने लगे हैं: अरुंधति राय
To: Yeh Fasl Ummeedo Ki Humdum <rakesh343@gmail.com>


इस सारी झूठी आजादी के महोत्सव का यह शोर-शराबा हवाई अड्डों के गलियारों में बजते उन लोगों को कदमों की आवाजों को घोंटने में मदद करने के लिए है, जिन्हें टांग कर वापस लौटते जहाजों पर चढ़ाया जा रहा है. यह हथकड़ियों की उन खनखनाहटों को खामोश करने के लिए है जो मजबूत, गर्म कलाइयों में लगी हुई हैं. यह जेल के दरवाजों के ठंडे लोहे की खनक को दबाने के लिए है.
 
हमारे फेफड़ों से ऑक्सीजन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. शायद यह वह वक्त है कि हम अपनी देह में जो भी सांस बची रह गई है उसका इस्तेमाल करें और कहें: 'खूनी दरवाजों को खोल दो.'

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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