सौदागरों के वास्ते बिछगया दस्तरख़ानजो कफ़स से नजर आये उसकाउतना जहानबंद परिंदा क्या जाने कितना बडा आसमानhttp://www.hastakshep.com/…/08/20/gathering-of-rhetoric-poem#jumlababu
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