Saturday, August 22, 2015

सौदागरों के वास्ते बिछगया दस्तरख़ान जो कफ़स से नजर आये उसकाउतना जहान बंद परिंदा क्या जाने कितना बडा आसमान http://www.hastakshep.com/…/08/20/gathering-of-rhetoric-poem‪#‎jumlababu‬

सौदागरों के वास्ते बिछगया दस्तरख़ान
जो कफ़स से नजर आये उसकाउतना जहान
बंद परिंदा क्या जाने कितना बडा आसमान
http://www.hastakshep.com/…/08/20/gathering-of-rhetoric-poem‪#‎jumlababu‬


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