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मातृभाषा और अधिकार के लिए लड़ी जायगी दिल्ली तक जंग । देश के बटवारे के बाद जो सरहदे खिची गई उनकी लकीरे आज भी भारत में बिथापित बंग बंधुओ के चेहरे पे साफ साफ दिखाई दे रहा है ।आज पुरे 68 साल से निवास रत बंग बंधू राजनैतिक दल के लिए महज एक कठपुतली बन कर रह गय और चुनाव जितने का एक मुद्दा बन कर रह गय । 68 साल तक के इंतेजार के बाद भी जब मातृभाषा और जाति का अधिकार नहीं मिला तो पुरे बंग बंधुओ ने एक नई इतिहास रचा । निखिल भारत बंगाली उदबातु समन्वय समिति के नेतृतव में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बसे 133 बंगाली गांव के लोगो ने परलकोट की भूमि में एक साथ हजारो की संख्या में एक आम सभा का आयोजन किया ।भारत पाकिस्तान(बांग्लादेश) बिभाजन के बाद पुरे देश में बंगालियों को टुकड़ो टुकड़ो में बांट कर बसाया गया ।जिन्हें जमीन मिली पर मालिकाना हक़ नहीं मिला,जाती है पर मान्यता नहीं मिला,यहाँ तक की मातृभाषा से भी बांछित किया गया ।बिथापिथ बंबन्धुओ को पूरा समाज सरणार्थी और घुसपैठिया कह कर संबोधित करते है ।आज की स्थिति में पुरे भारत में एक मात्र सिर्फ बंगाली अपनी मातृभाषा में शिक्षन और पिछड़ी जाती के दर्जे के लिए जूझ रहे है जो की इनका संबैधानिक अधिकार है ।इस ओर शासन का ध्यान आकर्शण करते हुये डॉ सुबोध बिस्वास ने कहा हम भीख नहीं मांग रहे है मातृभाषा हमारी न्यायिक मांग है जो हमें मिलना चाहिये ।वही सभा को संबोधित करते हुय निमाई सरकार एक्स MLA ओडिसा ने कहा बहुत हो गया अब हम हमारा अधिकार ले के रहेगे चाहे जो भी क़ुरबानी देनी पड़े ।आगे नगरपंचायत अध्यक्ष पखांजूर अशीम राय ने कहा मुझे अगर इस अधिकार को पाने के लिए पद का त्याग करना पड़े तो ए पद मैं त्यागने को तैयार हूँ ।जिला पंचायत सदश्य कांकेर शुप्रकाश मल्लिक ने कहा यहाँ राजनैतिक पार्टिया नमोशूद्र की मान्यता की बात करके अपनी अपनी रोटिया सेकते है ।और चुनाव खत्म हो जाने के बाद सब भूल जाते है ।शुद्धिर मण्डल क्रन्तिकारी 1974 ने कहा हमारे देश के प्रति पूर्वजो का बलिदान हम जाया नहीं होने देंगे उन्हें वो सम्मान दिलाकर छोड़ेंगे जिस सम्मान के वो हक़दार है ।ए लड़ाई हम दिल्ली तक लेकर जायँगे ।17-8-2015 को पखांजूर में एक आम सभा ने एक नया इतिहास रच डाला आज तक इतनी बड़ी संख्या में लोग इस जमीन पर नहीं देखि गई ।बंग बंधुओ की इतनी बड़ी संख्या एक जूट होकर लगातार चार घंटे पानी में भीगते हुय बच्चे औरत बुजुर्ग ने स्थानीय SDM पखांजूर को अपनी मांग को लेकर ज्ञापन सौपते हुए देख कर ऐसा लग रहा है जैसे यहाँ मांग अगर पूरी नहीं हुई ।तो लगता है पुरे देश में एक नया इतिहास रचेगा जो दिल्ली से देखने को मिलेगी जिसकी बिगुल बज चुकी है।॥।।।।। मिथुन मण्डल (नईदुनिया कांकेर |
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