Monday, April 22, 2013

दीदी का गुस्सा और एक बागी पुलिस अफसर की चेतावनी!

दीदी का गुस्सा और एक बागी पुलिस अफसर की चेतावनी!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



राज्यभर में शारदा या श्रद्धा ग्रुप के फर्जीवाड़े के खिलाफ क्रमशः तेज हो रहे जनाक्रोश पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी ​​प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे नाटकबाजी ही नहीं बताया बल्कि आत्महत्या और गुमशुदगी का विकल्प चुनने को मजबूर लोगों को उन्होंने नसीहत दी है कि ऐसी कंपनी में निवशे करते हुए उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। मालूम हो कि पहले राज्य सरकार ने शारदा कर्णधार सुदीप्त सेनगुप्त की गिरफ्तारी की संभावना से साफ इंकार करते हुए चिटफंड को केंद्र सरकार की मंजूरी का हलवाला देते हुए गेंद सेबी और रिजर्व बैंक के पाले में डाल दी ​​थी। पर इस मामले में सत्तादल के सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और नगरप्रधानों के लिप्त होने के आरोप तेज होते न होते दीदी राजधर्म निभाने​ ​ लगी और इस सिलसिले में सुदीप्त सेन की गिरफ्तारी के लिए लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है। संकट से निपटने के लिए राष्ट्रपति भवन में  लंबित विधेयक को मंजूरी देने के लिए कल तक अपील करती मुख्यमंत्री अब चिटफंड कंपनियों की संपत्ति जब्त करने के लिए अध्यादेश जारी करने का विकल्प आजमाना चाहती है। पर कानूनी पेचदगियों के चलते यह उपाय कितना कारगर होगा , अभी से कहा नहीं जा सकता।दीदी ने इस सिलसिले में एक जांच आयोग के घठन की मंसा भी जाहिर की है। अब ऐसी परिस्थिति में दीदी का गुस्सा संकट से निपटने में कितना मददगार होता है, यह भी देखना होगा। वैसे राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और विख्यात साहित्यकार नजरुल इस्लाम ने, जो हमेशा सत्ता से पंगा लेने और बहिष्कृत हो जाने के लिए विवादास्पद है, काफी पहले राज्य सरकार को आगाह कर दिया था कि चिटफंड से राज्य में व्यापक पैमाने पर आम लोगों का सर्वनाश होने जा रहा है।जाहिर है कि ऐसा कत्तई नहीं है कि इतना सब कुछ अचानक से एक दिन में हो गया। साल 2007-08 से ही राज्य में कुकुरमुत्ते की तरह उग आईं ये चिटफंड कंपनियां गरीब निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा कर चुकी हैं, लेकिन इन कंपनियों की ओर से दी जाने वाली लुभावने स्कीम पर रोक लगाने की दिशा में कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई।शारदा ग्रुप की धोखाधड़ी से करीब 2.5 लाख एजेंट प्रभावित है। इन एजेंटों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ तो इनमें से कई लोगों का वह पैसा फंस गया है जो इन्होंने शारदा ग्रुप में निवेश किए थे और दूसरी तरफ उन्हें आम निवेशकों का गुस्सा भी झेलना पड़ रहा है।


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छोटे निवेशों में आई भारी कमी

इन चिटफंड कंपनियों की तरफ लोगों के जाने से 2012-13 के पहली छमाही में छोटे निवेशों में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई। स्मॉल सेविंग्स में यह निवेश 8 हजार करोड़ से घटकर 200 करोड़ पर पहुंच गया।


पश्चिम बंगाल सरकार पर कोलकाता की एक चिट फंड कंपनी शारदा ग्रुप को बचाने का आरोप लगा है। डूबने की कगार पर पहुंची कंपनी अपने डिपॉजिटरों को पैसे नहीं लौटा पा रही है, और डिपॉजिटर पैसे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं।

वहीं जमाकर्ताओं को रकम नहीं लौटाने के कारण कंपनी के हजारों एजेंट ममता बनर्जी के घर के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई एजेंटों पर तो 20 करोड़ रुपये तक की देनदारी है। गुस्साए डिपॉजिटरों ने शारदा कंपनी के दफ्तरों में लूट-मार तक मचा दी है।लोग इस धोखेबाजी के लिए ममता बनर्जी सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं, क्योंकि इस दल से जुड़े कई लोगों का शारदा ग्रुप के साथ गहरा संबंध है। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी शारदा ग्रुप के बंद हो जाने से कंपनी के हजारों मझोले और छोटे निवेशकों की जान अटकी हुई है। इन कंपनियों में निवेश करने वाले लोग सड़कों पर उतर आए हैं और इस चिटफंड कंपनी के दफ्तरों और एजेंट्स को निशाना बना रहे हैं। आरोप है कि अकेले शारदा ग्रुप ने ही पश्चिम बंगाल में लोगों के 20 हजार करोड़ रुपये डकार लिए हैं। इस मामले में बुरी तरह घिरी ममता सरकार ने एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई है। बताया जा रहा है कि सरकार चिट फंड पर अध्यादेश भी ला सकती है।


महिला ने की खुदकुशीः इस बीच शारदा ग्रुप की ठगी का शिकार हुई एक महिला ने की आत्महत्या की खबर है। इस महिला ने शारदा ग्रुप में 30 हजार रुपये जमा किए थे। दक्षिण 24 परगना के बारूईपुर में जीवनभर की गाढ़ी कमाई से हाथ धो देने वाली महिला ने शनिवार को खुद को आग लगा ली। रविवार को अस्पताल में उसकी मौत हो गई। इसके अलावा जिले में ही एक एजेंट ने जहर खा लिया। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।




राइटर्स बिल्डिंग में राज्य के वित्तमंत्री अमित मित्र  और उद्योग मंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय की मौजूदगी में चिटफंट की तूफानी बैठक राजपथ ​​पर पुलिसिया रोक टोक के बीच हुए एजंटों और ग्राहकों के जबर्दस्त धरना प्रदर्शन के बीच संपन्न हुई। टीवी चैनलों पर दिनभर इस धरना प्रदर्शन की खबर छायी रही तो शाम को टीवी के पर्दे पर गुस्से से भरी दीदी का चेहरा आ गया। दीदी के वक्तव्य का सार जो निकला , उससे साफ जाहिर ​​है कि राज्य सरकार को इस विपदा का पूर्वाभास था। पर आंधी पानी से पहले एहतियाती उपाय काम नहीं आये। वैसे दीदी ने दावा किया कि  सीबीआई ने राज्य सरकार को पहले बता दिया था लेकिन यह जानकारी उसने विधाननगर थाने में मामला दायर होने के बाद बांगाली नववर्ष की पहली तारीख पोयला बैशाख के बाद ही सरकार के साथ शेयर की।


मुख्यमंत्री लेकिन प्रशासनिक व्यर्थता की बात मानने से  साफ इंकार कर दिया और कहा कि जनता को पैसा लगाने से पहले जांच पड़ताल करनी चाहिए थी। अब जो नुकसान हुआ सो हुआ। उसकी भरपायी नहीं की जा सकती।इसपर आशंका यह है कि सरकार को नये कानून और अध्यादेश से कोई नतीजा निकलने की उम्मीद नहीं है।यह जनता के एटम बम को ​

​डीएक्टिव करने की कवायद के सिवाय ककुछ नही है। राज्यभर से जो दीदी, बचाओ बचाओ की गुहार आयी है, उसके जवाब में दीदी का यह प्रत्युत्तर है कि न रकम की वापसी की उम्मीद करें और न मुआवजा की।


गौरतलब है कि नौ महीने पहले राज्य के बागी साहित्यकार  पुलिस अफसर  पुलिस उपाधीक्षक नजरुल इस्लाम ने राज्य के गृह सचिव वासुदेव बंद्योपाध्याय को लंबी चिट्ठी लिखकर चिटफंड कंपनियों के गोरखधंधे का खुलासा करते हुए राज्य सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग​ ​ की थी। लेकिन उस चिट्ठी के बाद भी विवादास्पद शारदा कंपनी के अखबारों की लांचिंग पर मुख्यमंत्री समेत तृणमूल के सांसद और मंत्री ​​देखे गये। भाकायदा सार्वजनिक सभाओं में मंत्री और सांसद इस कंपनी को कुल्ला सर्टिफिकेट देते रहे। कंपनी की ओर से स्वास्थ्य कार्यक्रम का भी उद्घाटनमुख्यमंत्री ने स्वंय किया।जबकि इस कंपनी ने अपने ब्रांड एंबेसेडर के तौर पर शताब्दी राय के नाम का इस्तेमाल किया।इन ​​विस्फोटक तथ्यों के आलोक में दीदी का गुस्सा कितना जायज है. यह तो जनता तय करेगी। मालूम हो कि लोगों को एक बकाया खास तौर ​​पर याद है , जबकि राज्य सरकार ने राज्य के लोकप्रिय बहुप्रसारित  अखबारों को सरकारी पुस्तकालयों में निषिद्ध करके चिटफंड कंपनियों​ ​ के अखबारों को अनिवार्य पाठ्य बना दिया था। अब तो चर्चा यह भी जोरों पर है कि चिटफंड कंपनी के बंद अखबारों के कर्मचारियों की ​​छंटनी के बाद इनअखबारों को एक अत्यंत प्रभावशाली , केंद्र में पूर्व मंत्री चलाने वाले है। ताजा परिस्थितियों के कारण अब ऐसा हो पायेगा कि नहीं, बताया नहीं जा सता। पर इन अखबारों से जुड़े जो लोग दुबारा नौकरी पर बहाल होने की उम्मीद कर रहे थे, ताजा प्रकरण ने शायद उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।


बहरहाल चिटफंड कंपनी के डूब जाने पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया और इसके लिए विशेष जांच दल बनाया।राइटर्स बिल्डिंग में उच्च स्तरीय बैठक के बाद ममता ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में एसआईटी मामले की जांच करेगी और यह जांच जांच आयोग कानून के तहत की जाएगी।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चिटफंड कंपनियों के संचालन को प्रतिबंधित करने के लिए सख्त अध्यादेश के लिए मसौदा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि रविवार को जब राष्ट्रपति ने उनकी तबीयत के बारे में जानने के लिए उन्हें फोन किया था तब उन्होंने उनसे कहा था कि चिटफंड कंपनियों के संचालन को प्रतिबंधित करने के लिए पिछली वाममोर्चा सरकार द्वारा पारित विधेयक लौटाया जाए ताकि राज्य सरकार ऐसी अवैध गतिविधियों से निबटने के लिए उसमें कड़े प्रावधान शामिल कर सके।


उन्होंने कहा, ''वर्ष 2009 में वाममोर्चा सरकार द्वारा अग्रसारित विधेयक यदि 24 घंटे के अंदर लौटाया जाता है तो हमारी सरकार तत्काल अध्यायदेश की उद्घोषणा कर देगी।''


ममता ने आरोप लगाया कि वाममोर्चा सरकार ने जो कानून प्रस्तावित किया था, उसमें कुछ गड़बड़ियां है और चिटफंड कंपनियां उसके ही शासनकाल में फली फूलीं।''


उन्होंने कहा कि चिटफंड की अवैध गतिविधियों पर अंकुश पाने के लिए कड़े कानून जरूरी हैं और चूंकि उनका संचालन केंद्रीय कानूनों द्वारा शासित है न कि राज्य सरकार द्वारा, ऐसे में जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर आती है।


स्थिति पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''पिछले कुछ साल से कुछ चिटफंड कंपनियां गरीब निवेशकों को हाई रिटर्न का वादा कर उन्हें ठग रही हैं।'' शारदा प्रकरण से हजारों निवेशकों पर गंभीर असर पड़ा है। उन्होंने कहा, ''मैं बहुत सख्त हूं और यदि केंद्र पिछली वाममोर्चा सरकार द्वारा अग्रसारित कानून हमें 24 घंटे के अंदर लौटा देता है तो हम देखेंगे कि यह धन कैसे निवेशकों को लौटाया जा सकता है।''


ममता ने कहा नए कानून में संपत्ति जब्त करने, निरीक्षण, तलाशी आदि के लिए प्रावधान होंगे ताकि गरीब निवेशकों को उनका पैसा वापस मिले। उन्होंने कहा कि विधाननगर थाने, सीआईडी और कोलकाता पुलिस ने शारदा ग्रुप के अध्यक्ष सुदीप्त सेन को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन वह भाग गया।


जब ममता से पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस शारदा ग्रुप के साथ कथित संबंधों को लेकर दो सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, उन्होंने कहा, ''जब वे वहां थे, तब वे सांसद नहीं थे। कानून अपना काम करेगा। हमारी सरकार पारदर्शी हैं। यदि कोई अपराध करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'' उन्होंने कहा कि कई पूर्व माकपा मंत्रियों एवं कई पत्रकारों के खिलाफ भी जांच की जा रही है।


ममता ने शारदा ग्रुप मीडिया सीईओ पद से इस्तीफा देने वाले राज्यसभा सदस्य कुणाल का नाम लिए बगैर कहा, '''यदि सांसद ने गलत किया है तो कानून अपना काम करेगा।'' एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, ''मुझे नहीं मालूम कि उन्होंने निवेशकों से कितना धन एकत्र किया है, चाहे वह 1000 करोड़ है या एक लाख करोड़। लेकिन हमें इस विषय पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।'


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