Tuesday, September 25, 2012

Fwd: Press release - illegal mining in forest land in sonbhadra, UP



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From: Roma <romasnb@gmail.com>
Date: 2012/9/24
Subject: Press release - illegal mining in forest land in sonbhadra, UP



प्रेस विज्ञप्ति - सोनभद्र में अवैध खनन का मामला
  
 सोनभद्र में अवैध खनन का मामला राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुका है इसमें लिपापोती करने वाले लोगों को भी जेल जाना पड़ेगा यह बातें 24 सितम्बर को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एनएपीएम (नेशनल अलायंस फार पिपुल्स मुवमेंट) के सदस्य व प्रेस क्लब सोनभद्र के उपाध्यक्ष विजय विनीत  व शांता भट्टाचार्या ने कही। इस दौरान उन्होने 38 अवैध खनन कर्ता समूहों की सूची भी जारी की। उन्होने ने बताया कि एनएपीएम की संरक्षक मेघा पाटेकर जैसी सामाजिक कार्यकर्ता हैं इसके अलावा इस अवैध खनन के मुद्दे पर अशोक चैधरी, डा. सन्दीप पाण्डेय व रोमा जैसी सामाजिक कार्यकर्ता सीधे तौर पर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के लिये प्रयासरत हैं। विजय विनीत ने बाताया कि चार दिन पूर्व ओबरा डीएफओ ने जो अज्ञात लोगो के खिलाफ वन क्षेत्र में अवैध खनन के मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी है वह नाम से होनी चाहिये थी। क्योंकि उनके पास उन 38 अवैध खनन कर्ताओं व फर्मों की सूची है जो इस कार्य में वर्षों से लिप्त थे। सोनभद्र में अवैध खनन के मुद्दे पर शीघ्र ही एक राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार किया जायेगा जिसमें नामी गिरामी सामाजिक कार्यकर्ता व भू-वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। इसके अलावा एक श्वेत पत्र भी तैयार किया जा रहा है जिसे शीघ्र प्रकाशित किया जायेगा। इसके लिये सोनभद्र के कुछ मीडिया संगठनों से वार्ता चल रही है। उन्होने कहा कि  कर्नाटक में अवैध खनन के मामले में एदुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी गवानी पड़ी शायद वहां के लोग सोनभद्र के लोगों से ज्यादा ताकतवर हैं। महाराष्ट्र में भी अवैध खनन के मुद्दे पर सरकार की काफी छिछालेदर हुई। लेकिन सोनभद्र में अवैध खनन के चलते अब तक पिछले एक दशक में दर्जनों मजदूर अपनी जान गवां जुके हैं फिर भी यहां शासन-प्रशासन में बैठे लोगों की कौन कहे किसी साधारण से व्यक्ति के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही नहीं हो सकी है। इसका जागता उदाहरण है बिल्ली मारकुण्डी हादसा जहां खादान हादसे को छह माह बीत चुके हैं। यह उद्योग अब लोगों के लिये संकट का कारण बन चुका है। 27 फरवरी, 2012 को खनन हादसे के बाद जो सवाल इस उद्योग लेकर उठाये जा रहे हैं उससे शासन सेे लेकर प्रशासन तक के चेहरे पर से परत दर परत नकाब उतरती जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक टीम द्वारा इस मुद्दे पर गहरायी से की गयी छानबीन के बाद जो मामले उजागर हुये हैं व स्थानीय प्रशासन-शासन व खननकर्ताओं को कटघरे में खड़ा करने के लिये काफी है। जनपद में स्थित सैकड़ों खदानो में कितनों ने वैध खनन किया, कितनों ने अवैध यह सवाल तो अनुŸारित था ही छानबीन के बाद अब यह तथ्य सामने आया है कि उनमें 38 खदाने तो सीधे वन विभाग की जमीन पर संचालित हो रही है। यह खेल वर्षों से जारी है। आखिर वन विभाग इतने लम्बे समय तक क्या करता रहा। उसने इन खदानों को बंद कराने व खनन करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं की यह सवाल सबके जेहन में कौंध रहा है। यदि वन विभाग ने कार्यवाही नही की तो जाहिर है कि इस खेल में उसके साथ खनन विभाग व राजस्व विभाग भी समान रूप से शामिल हैं। जिन लोगों की खदाने वन भूमि पर संचालित हैं उनके बारे में अपर मुख्य वन संरक्षक (केंद्रीय) आजम जैदी ने 22 अगस्त को सचिव वन आर.के. सिंह को पत्र लिखकर अवगत कराया था बावजूद इसके वन भूमि पर खनन करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इससे साफ है कि सम्बन्धित विभागों व शासन में बैठे लोग आंख मूंदकर प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करने की खुली छूट दे रखी है। जो खदाने वनभूमि पर संचालित हो रही हैं उन्हें 05 नवम्बर, 1969 को ही भारतीय वनअधिनियम 1927 की धारा-(4) में शामिल कर लिया गया था। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी जानकारी में मुख्य वन संरक्षक केंद्रीय योगेन्द्र सिंह चैहान ने मैग्सेसे पुरस्कार के विजेता डा0 संदीप पाण्डेय को यह जानकारी दी है। दी गयी जानकारी में बताया गया है कि बिल्ली मारकुण्डी की 2622.10 हेक्टेअर भूमि धारा- (4) में शामिल है। जो लोग अपनी खदाने वनभूमि पर संचालित कर रहे हैं उनमें सभी राजनीतिक दलों के लोग शामिल हैं। इसके अलावा कुछ पत्रकार भी शामिल हैं। वहीं खनन विभाग में कार्यरत सर्वेयर अशोक मौर्या के साले अनिल मौर्या की खदान है। अवैध खनन का यह खेल पिछले डेढ़ दशक से जारी है। सन् 1998, 2002, 2010 में भी खदानों में विस्फोट होने से कई श्रमिक अपनी जान गवां चुके हैं कई आज भी अपाहिज बनकर अपनी जिंदगी गुजारने पर मजबूर है। सन् 2005 में खनन सचिव संजय भूस रेड्डी खदानों को निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि इस जनपद में अवैध खनन का यह खेल वर्षों से जारी है इसमें कुछ विभागों के अधिकारियों के सगे सम्बन्धी भी लिप्त हैं।अवैध खनन जो जिले में चोरी-छिपे होता था वह 2002-03 में तत्कालीन जिलाधिकरी-एमबीएस रामी रेड्डी व 2004-05 में डीएम रहे वी.के. वाष्र्णेय के कार्यकाल के दौरान खुलकर अवैध खनन का खेल खेला गया। सोनभद्र में अवैध खनन के मामले में रेड्डी को निलम्बित भी किया गया था। पूर्व के कुछ और जिलाधिकारियों ने शासन सŸाा में बैठे हुये लोगों के प्रभाव में आकर वनभूमि पर जबर्दस्त अवैध खनन कराया था। जो लोग वनभूमि पर खनन कर रहे हैं उनकी भी सूची आरटीआई के तहत दी गयी है सूची के अनुसार बिल्ली मारकुण्डी में वनभूमि खनन करने वालों में रामनारायण सिंह पुत्र रामदेव सिंह, केके स्टोन प्रोडक्ट, पा. राजेश कुमार जायसवाल पुत्र स्व. कैलाश चन्द्र गुप्ता, राकेश जायसवाल, दिलीप कुमार जायसवाल, अनिल कुमार मौर्या, रमेश कुमार सिंह, प्रतिभा सिंह, मां वैष्णव इण्टर प्राईजेज, विश्वनाथ मिश्र, उदयानन्द मिश्र, आलोक कुमार राय, महाबीर प्रसाद अग्रवाल, संतोष कुमार सिंह, कादिर अली, केशव प्रसाद विश्वकर्मा, रंगनाथ, अग्रवाल ब्रदर्स, निर्मला अग्रवाल, चंचला केशरी, अशोक कुमार मिश्र, जयगुरू राम सेवासमिति, ज्ञानेन्द्र तिवारी, वैभव सेवा समिति, मीरा जालान, सार्थक सेवा समिति, विप्लव जालान, प्रदुम्न कुमार सिंह, अरिवन्द कुमार, अरविन्द कुमार यादव, सौरभ क्रेसर्स, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, ओम स्टोन प्रोडक्ट, ओम प्रकाश राठौर, आशा सिंह, दीपक कुमार सिंह, शशी त्रिपाठी, मेसर्स यूनाईटेड माइनिंग वक्र्स सेवा समिति, मुहम्मद आरिफ, मुहम्मद शादिक, सलीम हुसैन, अमरेश पाण्डेय, मार्डन स्टोन क्रेसिंग कम्पनी, स्वर्ण लता कौर, अशोक कुमार सिंह, राजेन्द्र क्रेसर कम्पनी, राजेन्द्र प्रसाद, राकेश जायसवाल, मुनि कुमार सेठ, रविन्द्र जायसवाल, राकेश जायसवाल, पाण्डेय उद्योग समिति, रमेश चन्द्र पाण्डेय, मीरा जालान, रामनरेश, आनन्द कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, गिरधर सीमेंट लिमिटेड, माधव हरिउपाध्याय, उमाशंकर सिंह, मक्खन स्टोन वक्र्स, संविज कुमार अग्रवाल, प्रवीण कुमार गर्ग शामिल हैं। इसमें कई लोग कई-कई स्थानों पर खनन कर रहे हैं। इन खनन कर्ताओं ने पत्रकार से लेकर बसपा विधायक सहित कई राजनीतिक दलों के लोग पदाधिकारी है। आखिर इस अवैध खेल मेें जिला प्रशासन चुप्पी क्यों साधे हुये है। यहीं नहीं खनन न चालू करने व अवैध खादानों के खिलाफ कड़े रूख अपनाने वाले नौजवान जिलाधिकारी सुहास एल0वाई को अचानक दो दिन पहले उनके पद से हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है। ज्ञातव्य हो कि खनन हादसे के समय चुनाव चल रहा था इसलिए इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं हो सकी, लेकिन नई सरकार का जब गठन हुआ तो सोनभद्र जिला लगभग दो महीने तक बिना किसी जिलाधिकारी के चला। अवैध खनन के मामले में जिन अधिकारीयों ने भी कड़ा रूख अपनाया उन्हें जल्दी ही जि़ले से भगा दिया गया।

                                          विजय विनीत
                                          जिला उपाध्यक्ष
                                        प्रेस क्लब , सोनभद्र
                                        सदस्य - एनएपीएम


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