Tuesday, June 18, 2013

Vidya Bhushan Rawat गंगा घाटी सभ्यता को सीमेंट और कंक्रीट के ठेकेदारों के हवाले करने नतीजे सामने आ रहे है

गंगा घाटी सभ्यता को सीमेंट और कंक्रीट के ठेकेदारों के हवाले करने नतीजे सामने आ रहे है. उत्तराखंड में शांत मौसम में गंगा जीवनदायिनी माँ है जिसने भारत के करोडो लोगो को जीवन दिया है और उसके तट पर देश की सबसे उपजाउ जमीने हैं जिसने भारत के किसानो को धनधान्य बनाया। अफ़सोस, उसे गंगा की अस्मिता और संस्कृति को पूंजी के दलालों के हाथो दे देने के प्रयास किये जा रहे है। धर्म के ठेकेदारों ने गंगा का दोहन किया और पूंजी के धंधेबाजों को पहाड़ो में असीमित संभावनाएं नज़र आइ और प्रकृति के सुन्दर नजारो में उन्हे धंधा दिखाई दिया। आज गंगा का आक्रोश देखते हे बनता है . गंगा की इस सुनामी ने भारत में पूंजी के दलालों और उनके सरकारी संक्रक्शको को उनकी औकात बता दी है। अगर अभी भी नहीं चेते और गंगा के अस्मिता के साथ अगर हम खेलते रहे तो हमारा क्या हस्र होने वाला है इसकी कल्पना भी नहीं कर सक्ते. उत्तराखंड की खूबसूरती को प्राकृतिक की रहने दीजिये ताकि हम सब उसकी गोद में प्रकति का आनंद ले सके. इन खुबसूरत वादियों और पहाड़ो की चोटियों में प्रॉफिट और बिज़नस ढूँढने वालो को वहां से निकाल बहार कर दिया जाये. गंगा के आक्रोश के आगे सभी असहाय है, यहाँ तक की तथाकथित भगवान भी ? गंगा को छेड़ने के नतीजे पुरे देश के लिए भयावह हो सकते है। अभी भी समय हैं के सरकार उत्तराखंड में बन रही सभी जलविद्युत परियोजनाओं की पुनर्समीक्षा करे और उन पर तुरंत रोक लगाये ताकि हम सभी सुरक्षित रहे और गंगा घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य कायम रह सके. उफनती गंगा का आक्रोश न केवल उत्तराखंड को ख़त्म कर सकता है अपितु दिल्ली और अन्य कई प्रदेश भी खुद को बचा नहीं पाएंगे .

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