उत्तराखण्ड की आपदा को गंभीरता से नहीं लिया
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उत्तराखण्ड की आपदा को गंभीरता से नहीं लिया
भारत सरकार व राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड की आपदा को गंभीरता से नहीं लिया - लाखों जनता उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में फंसी है, कोई विशेष आपरेशन शुरू करने के बारे में सोचा तक नहीं गया- गुप्तकाशी में फंसी महिला ने फोन पर बताया कि केदारनाथ क्षेत्र में 2 हजार से ज्यादा काल के गास में समाये वहीं सैकडो गाडिया नदी में समायी है-
केदारनाथ में मंदिर को छोड़ सबकुछ बह गया -बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे केदारनाथ से पांच साथियों के साथ लापता - उत्तराखंड सरकार की आपदा नीति की चौतरफा आलोचना – देहरादून,, मसूरी, .ऋषिकेश में जन जीवन अस्तं– व्य सत - नैनीताल में अब बहा.तब बहा की स्थिाति रही, १८८० की पुनरावृत्ति हुई - धारचूला में तबाही, में अलकनंदा ने कहर बरपाया - रुद्रप्रयाग शहर तबाही के मुहाने पर - उत्तराखंड में प्रकृति का रौद्र रूप नुक्सान के अब तक के आंकड़े- राज्य सरकार के पास नहीं है आंकडे- उत्तरकाशी में पूरा जिला ही आपदा में फंसा – दैवीय आपदा की दृष्टि से सबसे संवेदनशील टिहरी जनपद – प्रतापनगर, देवप्रयाग, भिलंगना प्रखंड, घनोल्टी क्षेत्र, चम्बा में भारी जन व धनहानि – चमोली में भारी तबाही, अल्मो,डा जनपद में भारी क्षति –बागेश्वर जनपद में भारी हानि के उपरांत खाद्यान्नत संकट गहराया,
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