देहरादून, शिमला। भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में 90 धर्मशालाओं के बाढ़ में बह जाने से हजारों के मरने की आशंका है। हिमालयी क्षेत्र में भारी बारिश से आई आपदा के कारण उत्तराखंड में 90 धर्मशालाओं के बाढ़ में बह जाने से हजारों तीर्थयात्रियों के मरने की आशंका है और केदारनाथ क्षेत्र में फंसे लोगों को बाहर निकालने और राहत कार्य के लिए भारतीय वायु सेना के अतिरिक्त हेलीकाप्टर को लगाया गया है। कें्रदीय गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उत्तराखंड आपदा राहत एवं प्रबंधन कें्रद ने बताया है कि अचानक आई बाढ़ के कारण 90 धर्मशालाओं के बह जाने से मरने वालों की संख्या हजारों में हो सकती है। हालांकि आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 150 बतायी गई है। मौसम साफ होने के साथ ही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेशों दोनों प्रदेशों में पूरा जोर राहत अभियान को तेज करने पर है। हिमाचल प्रदेश में इस उद्देश्य से भारतीय वायु सेना के दो हेलीकाप्टर और राज्य सरकार के एक हेलीकाप्टर को इलाके में फंसे 600 पर्यटकों को बाहर निकालने के काम में लगाया गया है। उत्तराखंड के केदारनाथ में फंसे लोगों को वहां से निकालने के लिए भारतीय वायु सेना के आठ अतिरिक्त हेलीकाप्टर लगाए गए हैं । बाढ़ और बादल फटने के कारण केदारनाथ में भारी नुकसान हुआ है। पुलिस महानिरीक्षक आर एस मीणा ने प्रेट्र से कहा कि हेमकुंड साहिब के रास्ते में केदारनाथ और गोविंदघाट में फंसे 15,000 लोगों को निकालकर वायु एवं सड़क मार्ग से जोशीमठ स्थित राहत शिविर लाया गया है। प्रशासन बारिश और बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। मीणा ने कहा, ''प्रभावित इलाकों में बचाव एवं राहत अभियान में पहले से लगाये गए 12 हेलीकाप्टरों के अलावा अभियान को तेज करने के लिए आठ और हेलीकाप्टरों को लगाया गया है।'' उन्होंने कहा कि अभी राहत अभियान बारिश से सबसे अधिक प्रभावित रू्रदप्रयाग जिले में केदारनाथ मंदिर और इसके आसपास के इलाकों में कें्िरदत है जहां 90 धर्मशालाएं बह गई हैं ,जिसमें ढेर सारे तीर्थयात्री ठहरे हुए थे। देहरादून से दो हेलीकाप्टरों ने इलाके में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए उड़ान भरी। सेना ने भी तीर्थयात्रियों को बाहर निकालने के लिए पर्वतीय बचाव दल को लगाया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जबर्दस्त बाढ़ के कारण रू्रदप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिले में काफी स्थानों पर अभी तक नहीं पहुंचा जा सका है और इस आपदा के कारण हुई क्षति का आकलन करना असंभव हो गया है। बड़ी संख्या में गांव अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण मरने वाले लोगों की संख्या के बारे में अनिश्चितता है। हिमाचल प्रदेश में बारिश से बुरी तरह प्रभावित किन्नौर जिले में राहत एवं बचाव अभियान तेज कर दिया गया है और यहां फंसे 600 पर्यटकों को बाहर निकालने के लिए वायु सेना के दो और प्रदेश सरकार के एक हेलीकाप्टर को लगाया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अभियान सुबह साढे छह बजे शुरू कर दिया गया और पिछले पांच दिनों से कई स्थानों पर फंसे लोगों को रामपुर लाया जा रहा है। 5000 लोग बचाए गए, मरने वालों की संख्या 200 के पार, सैकड़ों लापता
Thursday, 20 June 2013 09:36 | सुनील दत्त पांडेय, देहरादून। उत्तराखंड में आई भीषण आपदा से मरने वालों की संख्या दो सौ के पार पहुंच गई है। केदार घाटी सहित आस-पास के इलाकों में सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं। चार धाम यात्रा मार्ग पर अभी भी करीब 50 हजार तीर्थ यात्री फंसे हुए हैं। आपदा के पांच दिन बाद भी कई दुर्गम इलाकों में तीर्थ यात्रियों तक प्रशासन की पहुंच नहीं हो पा रही है। वायु सेना के साथ निजी हवाई कंपनियों के करीब 22 हेलिकॉप्टर तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित स्थानों तक लाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। सेना की मदद से अभी तक पांच हजार यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा सका है। सेना के हेलिकॉप्टर से विभिन्न स्थानों में फंसे लोगों के पास राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। हेलिकॉप्टरों के जरिए केदारनाथ घाटी में फंसे करीब ग्यारह सौ यात्रियों को फाटा और गुप्तकाशी लाया गया है। रुद्रप्रयाग में चार लोगों के बहने की खबर मिली है। केदारघाट और रुद्रप्रयाग के आसपास कई होटल और रिहायशी इमारतें जमींदोज हो गई हैं। केदारनाथ तक पहुंचने के पहले मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में मंदाकिनी नदी के किनारे बने चालीस होटल नदी में समा गए हैं। केदारघाटी में स्थित सोनप्रयाग का मुख्य बाजार भी पूरी तरह बह गया है। वहां की दुकानें मलबे के ढेर में तब्दील हो गई हैं। केदारघाटी के ही चंद्रापुरी में गढ़वाल मंडल विकास निगम का हट गेस्ट हाउस, प्रिंस होटल, मोनिका होटल भी बह गए हैं। केदारघाटी के विजय नगर सिल्ली में नदी किनारे बने 20 मकान जमींदोज हो गए हैं। वहीं घाटी के ददनी गांव में गढ़वाल मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस पूरी तरह तबाह हो गया है। घाटी के सुमाड़ी गांव में सात, तिलवाड़ा में चार मकान ढह गए हैं। रुद्रप्रयाग में विशाल दीन दयाल पार्क का नामोनिशान मिट गया है। श्रीनगर में सशस्त्र सीमा बल का प्रशिक्षण केंद्र पूरी तरह तबाह हो गया है। ऋषिकेश से केदारनाथ तक राष्टÑीय राजमार्ग सिरोपगड़, खाखरा, गौरीकुंड समेत कई जगहों पर कई किलोमीटर तक बह गया है। रुद्रप्रयाग के मुख्य बाजार को जोड़ने वाला बेलनी पुल भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। केदारघाटी में स्थित केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। राज्य के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में मलबा आ जाने से मंदिर को काफी नुकसान हुआ है। मंदिर परिसर में कई शव देखने को मिल रहे हैं। केदारनाथ मंदिर के आस-पास सभी भवन मलबे में बह गए हैं। आदि जगदगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल गढ़वाल मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस और आसपास के कई आश्रम व धर्मशालाओं का नामोनिशान तक नहीं रहा। बदरीनाथ धाम में घटतौली से सात किमी दूर अरबा नाला के एक ट्रैकिंग दल के चालीस लोग फंसे हुए हैं। इनमें सात विदेशी नागरिक हैं। बदरीनाथ मार्ग में पांडुकेश्वर गांव में नदी का बहाव मुड़ जाने से पूरा गांव खाली करा लिया गया है। केदारनाथ में सोलह जून की रात आठ बजे तेज बारिश से हालात बिगड़ने लगे। सत्रह जून की सुबह करीब छह बजे केदारनाथ मंदिर के पीछे घाटी में बादल फटा और केदारघाटी में स्थित एक सरोवर में मलबा घुसने से सरोवर का तटबंध टूट गया। इससे पानी और मलबे का सैलाब केदारनाथ मंदिर और आस-पास के इलाकों को तबाह करते हुए आगे निकल गया। http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/47319-5000-200- |
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