Tuesday, June 18, 2013

सरकार कारपोरेट के शिकंजे में - अखिलेन्द्र लोकतांत्रिक आंदोलनों की अनदेखी मंहगी पड़ेगी-परवेज


  • आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट 
    सरकार कारपोरेट के शिकंजे में - अखिलेन्द्र
    लोकतांत्रिक आंदोलनों की अनदेखी मंहगी पड़ेगी-परवेज
    आइपीएफ संयोजक के उपवास का आठंवा दिन 
    लखनऊ 17 जून 2013, प्रदेश की सरकार बिल्डरों और रीयल स्टेट के कारपोरेट जगत के शिकंजें में है और उन्हीं के लाभ के लिए नीतियों का निर्माण कर रही है। नेशनल हाईवे की मौजूदगी में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे और गंगा एक्सप्रेस वे जैसी योजनाओं की कतई जरूरत न होने के बाबजूद सरकार मात्र टाउनशिप और फार्म हाउस बनाकर बेहिसाब मुनाफा कमाने के लिए किसानों की उपजाऊ भूमि को छीनकर बिल्डरों, पंूजी घरानों के हवाले करना चाहती है। इसी प्रकार छोटे मझोले किसानों के प्रदेश में अखिलेश सरकार कांट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देकर किसानी को कारपोरेट जगत के हाथों में देने में लगी है। सरकार की इस किसान विरोधी नीतियों का जनांदोलन से मुकाबला किया जायेगा। यह बातें प्रदेश में कानून के राज की स्थापना के लिए विधानसभा के सामने सीपीआईएम, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत तमाम वाम-जनवादी ताकतों द्वारा समर्थित उपवास पर बैठे आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने आठवें दिन आयोजित सभा में कहीं। उन्होनें सरकार से कहा कि कारपोरेट और रियल स्टेट के बिल्ड़रों के मुनाफे के लिए बनायी जा रही नीतियों से वह बाज आएं और सरकार उ. प्र. विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजे कि जब तक देश में भूमि उपयोग की समग्र नीति 'भूमि उपयोग आयोग' का गठन करके केन्द्र सरकार द्वारा नहीं बना दी जाती तब तक कारपोरेट हित के लिए सरकार या कारपोरेट द्वारा किसानों की जमीन की खरीद पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाएं साथ ही कांट्रैक्ट फार्मिंग पर रोक लगाएं और कृषि के विकास के लिए कोआपरेटिव खेती को प्रोत्साहित करें। 
    आज उपवास का समर्थन करने राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष परवेज आफताब के नेत्त्व में उलेमा कौसिंल के दर्जनों कार्यकर्ता उपवास पर पहुंचे। राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष परवेज आफताब ने सभा में कहा कि खालिद मुजाहिद की मौत और गिरफ्तारी पर दर्ज एफआईआर की विवेचना तत्काल शुरू कराने, अवैध खनन पर रोक लगाने, स्मारक घोटालें मेें लोकायुक्त की संस्तुतियों को स्वीकार कर इसके दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने व सीबीआई जांच कराने और प्रदेश में किसान आयोग का गठन करने जैसे प्रदेश के ज्वलंत सवालों पर अखिलेन्द्र के उपवास के आंठ दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी। प्रदेश में लोकतांत्रिक आंदोलनों की अवहेलना का खामियाजा सरकार को उठाना होगा। उन्होनें कहा कि अखिलेन्द्र जो सवाल उठा रहे है वह सरकार की खुद की धोषणाओं के दायरे में है। इसलिए अपनी धोषणाओं को पूरा करते हुए किसानों के कर्जो को माफ करना चाहिए और बकाएं का भुगतान करना चाहिए, मनरेगा में सौ दिन काम और 15 दिन में मजदूरी के भुगतान की गारंटी करनी चाहिए, वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों और परम्परागत वनाश्रित जातियों को पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना अधिकार देना चाहिए, किसानों व बुनकरों के कर्ज माफ करने चाहिए, उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार बिजली विभाग में काम करने वाले संविदा मजदूरों का नियमितिकरण करना चाहिए। 
    अखिलेन्द्र का मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई.जी. एस. आर. दारापुरी ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट हो रही है। उनके पेशाब में कीटोन और प्रोटीन का आना जारी है। उनका ब्लड़ प्रेशर और प्लस रेट भी बढ़ा हुआ है। 
    आज अपना समर्थन व्यक्त करते हुए राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव व पूर्वमंत्री का0 कौशल किशोर, सीआईटीयू के प्रदेश अध्यक्ष आरएस बाजपेई, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के सचिव लाल देवेन्द्र सिंह चैहान, सीपीएम के जिला सचिव का0 छोटेलाल पाल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के महामंत्री ओकांर सिंह, लालबहादुर सिंह, गोण्ड़ा के सहसंयोजक दयाराम गोस्वामी, महेश पाल, कमलेश सिं एड़वोकेट ने अखिलेन्द्र के उपवासस्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित किया।
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