Saturday, September 18, 2010

अमेरिका से सावधान पुनश्च नौ अश्वमेध जारी अयोध्या में राम मंदिर की तैयारी


अमेरिका से सावधान पुनश्च नौ

अश्वमेध जारी अयोध्या में राम मंदिर की तैयारी

पलाश विश्वास
http://indianholocaustmyfatherslifeandtime.blogspot.com/
भारत के आर्थिक विकास का पूरा फायदा जहाँ विदेशी निवेशक उठा रहे हैं दूसरी ओर देश की महज तीन फीसदी आबादी को इसका लाभ मिल रहा है।माम तरह के आंकड़ों के बीच सरकार ने आज कहा कि देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में जा रही है। हालांकि इस बात पर भी जेर दिया गया कि मौद्रिक नीति और घाटे को पाटने के लिए कठोर कदमों से महंगाई पर तो काबू पाया जा सकता है लेकिन इससे विकास की गति कम हो सकती है।

पहली मासिक आर्थिक समीक्षा जारी करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि हमें संतुलन बनाकर चलना होगा, क्योंकि हमारे पास बेरोजगारी के नियमित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बेरोजगारी में ज्यादा बढ़ोतरी न हो।

बसु का यह बयान रिजर्व बैंक के रेपो और रिवर्स रेपो रेट के इजाफे की घोषणा के एक दिन बाद आया है। रिजर्व बैंक महंगाई पर काबू के लिए इस साल पांच बार मुख्य दरों में इजाफा कर चुका है। ज्यादातर अर्थशास्त्री मार्च के अंत तक महंगाई दर के घटने का अनुमान लगा रहे हैं, वहीं बसु का कहना है कि दिसंबर के अंत तक महंगाई दर 6 फीसदी पर आ जाएगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पिछले तीन हफ्तों के दौरान महंगाई के जो आंकड़े आए हैं , वह भ्रम पैदा कर रहे हैं।

बसु ने कहा कि मध्यम से दीर्घावधि में विनिर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के बल पर अर्थव्यवस्था की गति अच्छी रहने की उम्मीद है। उन्होंने वित्त मंत्रालय के 8.5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बरकरार रखा। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत से भी कम रह सकती है, पर तीसरी तिमाही की वृद्धि दर पहली तिमाही की 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर से भी ऊंची रहेगी।


अयोध्या विवाद पर अदालती फैसले की आड़ में अश्वमेध यज्ञ को पूर्णाहुति देने की तैयारी है। कांग्रेस ने जैसे राम मंदिर का ताला तुड़वाया और बाबरी विध्वंस को अंजाम दिया, उसी तर्ज पर अब राम मंदिर निर्माण की तैयारी है। इस बवाल में सारे के सारे जन विरोधी कानून पास हो जाने हैं और मूलनिवासियों का दमन हो जाना है। पिछली लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व का ध्रूवाकरण आर्थिक सुधारों और मनमोहन के कारपोरेट सरकार और अमेरिकी हितों के हक में हुआ। बामहण समाज, साधू संत, शंकराचार्य, मीडिया और कारपोरेट तब एकजुट हो गए थे। जैसे बंगाल व बारत में साम्यवादी आंदोलन के सफाए के लिए बंगाल में परिवर्तन के बहाने सारे दक्षिणपंथी ताकते और आर्थक शक्तियां एकजुट हैं।अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की विशेष बेंच के तीनों जजों को हेलीकाप्टर से कोर्ट पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए कोर्ट परिसर के भीतर और आसपास हेलीकाप्टर लैंडिंग के लिए अनुकूल स्थान चिह्न्ति कर लिए गए हैं। इसके अलावा चप्पे-चप्पे की निगरानी के लिए माकूल बंदोबस्त किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार 24 सितंबर को आने वाले इस संभावित फैसले को लेकर बेहद सजग है।केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के 51 साल पुराने कानूनी विवाद पर 24 सितम्बर को आने वाले फैसले के मद्देनजर देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अपील में कहा गया कि ऐसा व्यवहार करें जिससे भारतीय संस्कृति और सभी धर्मो के लिए आदर की सर्वोच्च परम्परा पूरी तरह कायम रहे। अयोध्या में विवादित भूमि के मालिकाना हक पर फैसला 24 सितंबर को ही सुनाया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या पर फैसला टालने की अर्जी को खारिज कर दिया है। अर्जी में सुलह के लिए वक्त मांगा गया था, जिसे हाईकोर्ट ने नहीं माना। वहीं हाईकोर्ट में अर्जी दायर करने वाले रमेश चंद्रा पर अदालत ने 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

पिछले दिनों जनगणना में जाति को शामिल करने के मुद्दे पर जनहित अभियान के तहत मूलनिवासी बुद्धजीवियों का अद्भुत स्वागतयोग्य ध्रूवीकरण हुआ है। पर हमारे पुराने मित्र दिलीप मंडल, आनंदस्वरूप वर्मा, चमनलात, वीर भारत तलवार, उर्मिलेश, उदयप्रकाश जैसे लोग और उनके साथ योगेंद्र यादव, राजकिशोर समेत अनेक दूसरे लोग जिनमें दलित व्वायस के संपादक वीटीआर भी शामिल हैं, मूलनिवासी जनता के अधिकारों के साथ ग्लोबल मनुस्मृति व्यवस्था के व्यापक सत्यानाशी एजंडा जिसमें कश्मीर, दंडकारण्य, लालगढ़, नियमागिरि, पोलावरम, नेपाल, अयोध्या और आर्थिक सुधारों के बहाने कारपोरेट राजकाज, सैन्य शासन, दमन और अत्याचार, नागरिकता हरण, श्रम कानूनोंमें संशोधन, समुद्रतटों की बेदखली, जमीन अधिग्रहण, खनन अधिग्रहण, वित्तीय सुधार, विनिवेश, विदेशी पूंजी, एफडीआई, एफएफआई, शेयरबाजार, सेज. रीटेल चेन, परमाणु व अंतरिक्ष कार्यक्रम, तेल वाणिज्य . ऊर्जा. भुगतान संतुलन, रक्षाबजट, विशेष सैन्य अधिकार कानून, आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध और मूलनिवासियों, अनुसूचियों और मुसलमानों के खलाफ जारी निरंतर घृणा अभियान, चुनावी संसदीय नौटकी और खुला बाजार का तामझाम, निजीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, रीएलटी और रीटेल बूम को जोड़कर देख पाने में नाकाम हैं।छिनाल विवाद में हम कारपोरेट सत्यानाश को नजरअंदाज करते रहे। आपसी संवाद की गुंजाइश नहीं है। मीडिया और साहित्य बिक गया। सिविल सोसाइटी और एनजीओ के झांसे में आ गये हमलोग।
मूलनिवासी बामसेफ के अध्यक्ष वामन मेश्राम और दूसरे अंबेडकरवादियों का ध्यान हम सत्ता समीकरण से इतर अंवेडकर के अर्थ शास्त्र और श्रमिक आंदोलन, किसान आदिवासी विद्रोह की विरासत की ओर दिलाते रहे हैं क्योंकि ग्लोबीकरण का मुकाबला संगठित क्षेत्र में निष्क्रियता के आलम में जिसका श्रेय ट्रेड यूनियनों और वामपंथियों को है, एकदम असंभव है। हमारी बामसेफ से निष्कासित कार्यकर्ता तारा राम मैना जो मेश्राम और मराठियों के खिलाफ उत्तर भारत का परचम उठाए हुए हैं, उनसे भी सिलसिलेवार हुई। ओड़ीशा से अभिराम से लंबी बातचीत हुई। कर्नल बर्वे से तो रोज बात होती है पर यह संवाद निहायत सीमित है क्योंकि हम जनता को संबोधित करने का कोई कारगर माध्यम आजतक ईजाद नहीं कर पाये। सारे माध्यमों पर दुश्मनों का कब्जा है और वे हमारी हर गतिविधि पर, योजनाओं, विचारों और सपनों तक पर काबिज हैं। जो लोग जागरुक हैं, तकलीफदह बात यह है कि  उनके बीच भी आपसी संवाद नहीं है। मसलन हमें योगेंद्र यादव से आजतक संवाद का मौका ही नहीं मिला।

उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ की विशेष पीठ ने श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के 24 सितंबरम को आ रहे निर्णय को टालने का आग्रह करने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगा दिया। मामले के पक्षकार संख्या 17 रमेशचन्द्र त्रिपाठी ने न्यायालय में अर्जी देकर बातचीत से मामले को हल करने का मौका देने के लिए निर्णय की तिथि टालने का आग्रह किया था।

हमारे लोगों को अक्सर यह धोखा हो जाता है कि वे हिंदुत्व और ब्राह्मणवाद को आरएसएस और भाजपा में समाहित पाते हैं। भूल जाते हैं कि भारत विभाजन ब्राह्मणों की साजिश थी। गांधी ने राजपूतों को बेदखल करके सत्ता वर्ग में बनिया तबके को शामिल कराया और मूलनिवासियों के अधिकारों का खात्मे का चाक चौबंद इतजामात किया।

पहले अंबेडकर से पूना पैक्ट पर दस्तखत करके हमारी असली गुलामी का आगाज किया, फिर शूद्र कायस्थ नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मूलनिवासी कुर्मी सरदार भाई पटेल को किनारा करके कश्मीरी बामहण जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री मनोनीत करके। राम राज्य उन्हीं का नारा था और स्वराज और हिंद स्वराज का असली आशय मनुस्मृति शासन लागू करना ही था। जिसके मुताबिक बंगाल और पंजाब का बंटवारा करके सिखों और मूलनिवासियों को उनके होमलैंड ले निकालकर उन्हें सत्ता समीकरण में बेतलब बना दिया गया और पूरे भारत में मूल निवासी आंदोलन, आदिवासी विद्रोह और किसान आंदोलनों की परंपरा को हमेशा हमेशा खत्म करके अनंत ब्राहमण बनिया राज की स्थापना कर दी गयी।

तीन फीसद बामहण हमारे भाग्यविधाता हो गये।

अनुसूचित जातियों जनजातियों, ओबीसी का मुसलमानों के साथ भाईचारा हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया।

बामहण वर्चस्व और मनुस्मृति शासन की सबसे बड़ी एजंसियां संघ परिवार नहीं, बल्कि कांग्रेस और धर्म निरपेक्षता का गुहार लगाने वाले कम्युनिस्ट, समाजवादी, नक्सली और माओवादी पार्टियां हैं। जिनके सहयोगी बन गए मूलनिवासियों अनुसूचित जातियों जनजातियों पिछड़ों और मुसलमानों के बेवफा बेईमान नेता जो बामहणों के द्वारा ही चुने जाते हैं, जनता के द्वारा कभी नहीं। अब वे करोड़पति अरब पति हो गये हैं।

ग्लोबल हिंदुत्व और जिओनिस्ट अमेरिकी साम्राज्यवाद के पारमाणविक गठजोड़ के बाद विदेशी पूंजी और खुला बाजार के सार्वभौम शासन को मनुस्मृति का ही ग्लोबीकरण हुआ है।

आर्थिक सुधार के बहाने अश्वमेध जारी है। समूचा हिमालय कश्मीर, गरखालैंड और पूर्वोत्त र भारत समेत, आदिवासी बहुल पूर्वी मध्य भारत कारपोरेट गृहयुद्ध में जख्मी है और हिंदुत्व और अंध राष्ट्रवाद, विकास और आधुनिकता के नाम पर जनसंहार की संस्कृति हम पर राज कर रही है।

सिखों का नरसंहार कांग्रेस ने किया तो रामजन्मबूमि आंदोलन में नाकाम संघ परिवार को विवादित धर्मस्थल का ताला तोड़कर संजीवनी भी कांग्रेस ने दी।

जेपी के अमेरिका परस्त आंदोलन के बाद मोरारजी की सरकार में संघियों के बोलबाला के बावजूद वामपंथी ही मुख्य ताकत बने हुए थे।

वीपी सरकार के जमाने में भी संघी वामपंथी साथ साथ थे।

नरसिंह राव सरकार और भाजपाई कल्यान सिंह की उत्तर प्रदेश सरकार के संरक्षण में बावरी विध्वंस हुआ।

इस इतिहास को समझे बगैर हम सत्तावर्ग के असली एजंडा को समझ ही नहीं सकते। भारत तेजी से तरक्की कर रहा है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केवल तीन फीसदी भारतीय आबादी ही इस तरक्की का फायदा उठा पा रही है। बाकि का सारा फायदा विदेशी लोगों को मिल रहा। फाइनेंशियल सर्विस देने वाली प्राइवेट कंपनी इन्वेस्ट केयर की स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। इस स्टडी में यह साफ तौर पर कहा गया है कि देश की आर्थिक उपलब्धियों की पहुंच आम जनता तक नहीं के बराबर है। भारत में महज सात प्रतिशत लोगों तक ही इसकी पहुंच है और इसमें भी तीन प्रतिशत से कम लोग ही इसका फायदा उठा पा रहे हैं।


स्टडी में इसकी वजह बताते हुए कहा गया है अशिक्षा और जागरूकता में कमी के चलते ऐसा हो रहा है। स्टडी में यंग प्रोफेशनल्स को सलाह देते हुए कहा है कि नयी पीढ़ी को अच्छी नौकरी, अच्छी सुविधाएं और अच्छी तनख्वाह मिलने के काफी मौके हैं। लेकिन ये तभी संभव है अगर खुद को ज्यादा से ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाया जाए।



प्रकृति और प्रकृति से जुड़े मूलनिवासी के सत्यानाश का कार्यक्रम ही आज अयोध्या विवाद और कश्मीर समस्या के मूल में है, जिसके तहत हिंदुत्व और अंध राष्ट्रवाद के सुनामी में अश्वमेध के घोड़े सर्वत्र दौड़ाया जा सकता है और नरसंहार को वैदिकी हिंसा में जायज ठहराया जा सकता है।राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर 24 सितम्बर को आने वाले फैसले की स्थगन संबंधी याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने पर टिप्पणी से इंकार करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि या तो विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए या अदालत के आने वाले फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।

अयोध्या मसले पर फैसले के मद्देनजर मुस्लिम संगठनों ने आम मुसलमानों से अपील की है कि फैसला किसी के भी पक्ष में हो वे खुद पर काबू रखें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एस. क्यू. आर. इलियास और बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी संयोजक जफरयाब जिलानी ने मुसलमानों से अपील की है कि खुशी या गम जाहिर करने के लिए वे सड़कों पर न उतरें।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने जनता से अपील करते हुए कहा कि अयोध्या विवाद में अदालत के फैसले का स्वागत किया जाए और यदि फैसले के खिलाफ कोई आपत्ति है तो उच्चतम न्यायालय में गुहार लगायी जा सकती है. आईयूएमएल के अध्यक्ष और केंद्रीय रेल राज्य मंत्री ई. अहमद ने एक बयान में कहा, 'किसी भी हालात में फैसले से शांति या कानून व्यवस्था भंग नहीं होने देनी चाहिए.'

अयोध्या मामले में 24 को ही आएगा फैसला

अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की विशेष बेंच का फैसला 24 सितंबर को ही आएगा। बेंच ने फैसला टालने और विवाद को मध्यस्थता से हल करने का आवेदन शुक्रवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने आवेदन देने वाले पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।


विशेष बेंच ने इस मामले में समझौते की गुंजाइश भी बनाए रखी है। जजों ने कहा कि फैसला सुनाने के एक दिन पहले तक यदि पक्षकारों में 70 से 80 फीसदी लोग किसी समझौते पर राजी होते हैं तो वे कोर्ट को बता सकते हैं। बेंच ने माना कि रमेश चंद्र त्रिपाठी ने महज प्रचार पाने के लिए आवेदन लगाया है।


अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में फैसला पहले से तय कार्यक्रम के अनुरूप 24 सितंबर को ही दोपहर 3:30 बजे आएगा। त्रिपाठी के आवेदन का सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी तथा श्री रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की वकील रंजना अग्निहोत्री ने विरोध किया। जस्टिस एसयू खान, सुधीर अग्रवाल तथा डीवी शर्मा की बेंच ने वकीलों की जिरह सुनने के बाद यह आवेदन सिर्फ 30 मिनट में खारिज कर दिया। उधर, त्रिपाठी के वकील प्रशांत चंद्रा ने 'भास्कर' से कहा कि वे विशेष बेंच के फैसले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।


इस मामले में तब नया मोड़ आया, जब सुनवाई शुरू होने से पहले निर्मोही अखाड़े ने एक हलफनामा लगाया। इसमें कहा गया है कि वह बातचीत के जरिए समझौते को तैयार है। राम जन्मभूमि आंदोलन में इस अखाड़े की भूमिका अहम मानी जाती है। उसने अपने आवेदन में कहा कि वह राजीनामे के लिए 27 सितंबर तक का समय चाहता है। आवेदन में यह भी कहा गया कि विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को मध्यस्थ नियुक्त किया जाए। इस मामले में समझौते के सवाल पर अखाड़े के महंत रामचंद्र ने कहा कि देश हित में कुछ भी असंभव नहीं है।


सुरक्षा कड़ी: अदालती फैसले की तारीख नजदीक आने के साथ ही उत्तरप्रदेश के अतिरिक्त मध्यप्रदेश में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। मध्यप्रदेश में असामाजिक तत्वों की धरपकड़ जारी है। साथ ही समाज के प्रमुख व्यक्तियों के साथ प्रशासन लगातार संपर्क में है।


कल्याण का ठंडा स्वागत: राममंदिर आंदोलन के कभी 'हीरो' रहे कल्याण सिंह का अयोध्या पहुंचने पर ठंडा स्वागत हुआ। वे विवादित स्थल पर रामलला के दर्शन करने गुरुवार को आए थे।

भारतीयों को बुला रही है दुनिया

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का असर विदेशों में साफ दिखा दे रहा है। विदेशी कंपनियां तो यहां आ ही रही हैं, भारतीयों को वहां के होटल, टूरिज्म बोर्ड और एयरलाइन रिझाने में लग गए हैं।


भारतीय टूरिस्टों की इस समय विदेशों में भारी मांग है। इस साल के पहले छङ महीनों में साढ़े तीन लाख भारतीय टूरिस्ट विदेश गए जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 25% ज्यादा है। थाईलैंड जाने वाले विदेशी टूरिस्टों में भारतीय तीसरे नंबर पर हैं। सिंगापुर में इस साल जुलाई में 65,000 भारतीय टूरिस्ट गए थे।


भारतीयों की इतनी डिमांड हो गई है कि लगभग 60 देशों के टूरिस्ट ऑफिस भारत में खुल गए हैं। कई देशों की ओर से प्रमोशनल ऑफर आने लगे हैं। इनमें साउथ अफ्रीका मॉरिशस आदि प्रमुख हैं। चीन जैसा देश भी हांगकांग और मकाउ के माध्यम से भारतीय टूरिस्टों को रिझा रहा है।


बड़े होटल चेन भी भारतीयों को अपने याहं बुला रहे हैं। वे उनका विश्वास जीतना चाहते हैं। ताकि भारतीय जब भी विदेश जाएं उन्हीं होटलों में ठहरें।
मजबूत आर्थिक संकेतों के चलते सेंसेक्स 795 अंक बढ़ा
18    सितंबर ,  2010
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मुंबइ। पिछले एक साल की सबसे ब़डी साप्ताहिक तेजी दर्ज करते हुए प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स इस सप्ताह करीब 800 अंक बढ़कर बंद हुआ। घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूत आर्थिक संकेतों के चलते यह तेजी आई।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स इस सप्ताह 795.09 अंक (4.23 प्रतिशत) बढ़ कर बंद हुआ। सप्ताह के पांच कारोबारी दिनों में से चार दिन सेंसेक्स बढ़त के साथ बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों की जोरदार खरीदारी के चलते भारतीय बाजारों में लगातार दूसरे सप्ताह तेजी बनी रही। पिछले दो सप्ताह में सेंसेक्स ने 1,373 अंक की तेजी दर्ज की है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.5 प्रतिशत की दर से विकास करेगी और वर्ष 2011-12 में विकास दर 9 प्रतिशत हो जाएगी। वर्ष 2010-11 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.8 प्रतिशत रही। शुक्रवार को सेंसेक्स 177.26 अंक (0.91 प्रतिशत) बढ़कर 34 महीनों के उच्चातम स्तर पर बंद हुआ। इस सप्ताह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी 244.9 अंक (4.34 प्रतिशत) बढ़कर 5,884.95 अंक पर बंद हुआ। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 53,55 अंक (0.67 प्रतिशत) बढ़कर 8,104.28 अंक पर बंद हुआ और स्मॉलकैप सूचकांक 10.34 अंक (-0.10 प्रतिशत) गिरकर 10,238.91 अंक पर बंद हुआ। इस सप्ताह तेल एवं गैस (5.51 प्रतिशत), रियल्टी (4.48 प्रतिशत), टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं (4.14 प्रतिशत), सूचना प्रौद्योगिकी (3.17 प्रतिशत) और हेल्थकेयर (2.87 प्रतिशत) सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज करने वाले सेक्टर सूचकांक रहे।
वहीं इस सप्ताह सेंसेक्स में सबसे ज्यादा बढ़त दर्ज करने वाली कंपनियों के शेयरों में डीएलएफ (9.43 प्रतिशत), एचडीएफसी (8.48 प्रतिशत) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (7.18 प्रतिशत) शामिल रहे। शुक्रवार को ज्यादातर एशियाई बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। जापान का निक्केई 1.23 प्रतिशत बढ़कर 9,626 अंक पर बंद हुआ और हांगकांग का हेंग सेंग 1.29 प्रतिशत बढ़कर 21,971 अंक पर बंद हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी दर्ज की गई। डाउ जोंस औद्योगिक सूचकांक 0.12 प्रतिशत बढ़कर 10,608 अंक पर बंद हुआ और एस एण्ड पी 500 0.08 प्रतिशत बढ़कर 1,125.59 अंक पर बंद हुआ। वहीं नैस्डेक 0.54 प्रतिशत बढ़कर 2,315.61 अंक पर बंद हुआ। यूरोपीय बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए। एफटीएसई 100, 0.57 प्रतिशत गिरकर 5,508.45 अंक पर बंद हुआ।  

http://www.khaskhabar.com/share-market-09201018128972146.html

जी-20 में संरक्षणवाद का मुद्दा उठाएगा भारत

खास खबर - ‎Sep 17, 2010‎
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि जी-20 की आगामी बैठक में अमेरिकी नीतियों में बढ़ रहे संरक्षणवाद पर भारत अपनी चिंता जाहिर करेगा। मुखर्जी ने आईसीआरआईईआर द्वारा जी-20 के मुद्दे पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा, ""जी-20 को इस तरीके से नीतियों को समन्वित करना चाहिए, ताकि टिकाऊ और संतुलित वृद्धि सुनिश्चित हो सके।"" मुखर्जी ने कहा कि जी-20 के सदस्य देशों को वित्तीय स्थिरता के लिए और अंतर्राष्ट्रीय ...

संरक्षणवाद के खिलाफ तालमेल जरूरी

Pressnote.in - ‎14 hours ago‎
नई दिल्ली। अमेरिका के कुछ राज्यों में संरक्षणवादी नीतियां अपनाए जाने के बीच भारत ने विकसित और विकासशील देशों के समूह से कहा है कि उसे खुले व्यापार परिवेश और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए। ग्लोबल वित्तीय संकट पर आयोजित सम्मेलन में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने यहां कहा कि समूह-20 के सदस्य देशों के बीच आर्थिक वृद्धि को प्रभावित किए बिना वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और समष्टिगत आर्थिक नीतियों ...

आरबीआई के उपायों से नहीं घटेगी महंगाई

याहू! जागरण - ‎Sep 17, 2010‎
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक अपने नीतिगत उपायों को भले ही महंगाई पर अंकुश लगाने पर केंद्रित बता रहा हो, पर योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया इससे इत्तिफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि इन उपायों से कुछ नहीं होने वाला। महंगाई तो तभी नीचे आएगी, जब खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा। उनकी मानें तो मुद्रास्फीति दर और नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि का आपस में कोई संबंध ही नहीं है। आरबीआई की मौद्रिक नीति की पहली मध्य-तिमाही समीक्षा ...

अनिश्चितता के बीच निश्चितता

Business standard Hindi - ‎Sep 17, 2010‎
पहली बार तिमाही के मध्य में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान रेपो व रिवर्स रेपो दरें बढ़ाने का भारतीय रिजर्व बैंक का फैसला उम्मीद के मुताबिक था, हालांकि महंगाई के नए आंकड़ों से लग रहा था कि केंद्रीय बैंक दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगा। कुछ लोग यह तर्क देंगे कि रिवर्स रेपो दर में आधा फीसदी का इजाफा उम्मीद से कुछ ज्यादा है, लेकिन लगता है कि यह बढ़ोतरी आक्रामक नीति का संकेत देने के बजाय शुद्ध रूप से तकनीकी वजहों से की गई(दोनों ...

महंगाई से हाथापाई में उधड़ी जेब की सिलाई

Business standard Hindi - ‎Sep 17, 2010‎
त्योहार की मिठाई से ऐन पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दर बढ़ाकर मुंह का जायका बिगाडऩे का काम किया है, जिसका असर आने वाले दिनों में जेब पर साफ दिखाई देगा। मकान, दुकान, कार और दूसरी जरूरतों के लिए कर्ज जल्द ही महंगे हो जाएंगे। तसल्ली बस इस बात की है कि केंद्रीय बैंक ने दरों में इजाफे का दौर जल्द ही थमने का संकेत दिया है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में आज रिवर्स रेपो दर में 50 आधार अंकों ...

रिजर्व बैंक ने बढ़ाई दरें, ऋण महंगे होने के आसार

खास खबर - ‎Sep 16, 2010‎
मुम्बई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा महंगाई पर काबू पाने के लिए प्रमुख दरों में की गई वृद्धि के कारण देश में घर, कार और अन्य ऋणों का महंगा होना तय है। गुरूवार को जारी ताजा आंक़डों के मुताबिक खाद्य महंगाई की दर 15.1 फीसदी तक पहुंच गई है। गुरूवार को जारी पहली अर्ध तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने इस वर्ष पांचवी बार महत्वपूर्ण दरों में वृद्धि की है। रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर छह फीसदी, जबकि रिवर्स रेपो में 50 आधार अंकों की ...

ज्यादा ईएमआई वसूलने के लिए बैंक तैयार

दैनिक भास्कर - ‎Sep 16, 2010‎
नई दिल्ली. दीवाली के पहले जहां सरकार ने अपने केंद्रीय कर्मचारियों को 10 फीसदी डीए बढ़ा कर तोहफा दिया है, वहीं रिजर्व बैंक ने लोन महंगा करने का रास्ता साफ कर उनकी खुशी छीन भी ली है। हालांकि बैंक का तर्क है कि इससे महंगाई पर लगाम लगेगी। महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों, रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। गुरुवार को अपनी पहली अर्ध-तिमाही मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने ...

महंगाई पर आक्रामक हुआ रिजर्व बैंक

दैनिक भास्कर - ‎Sep 16, 2010‎
मौद्रिक नीति - पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि आरबीआई की नई मौद्रिक नीति से बैंकों की उधारी लागत बढ़ेगी जिसका असर छोटे और मझौले कारोबारियों पर महंगी ब्याज दरों के रूप में पड़ सकता है। इसके अलावा बैंक होम लोन और कंज्यूमर लोन की ब्याज दरें भी बढ़ा सकते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने नई मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 5 ...

मौद्रिक नीति समीक्षा : क्या हैं खास

दैनिक भास्कर - ‎Sep 16, 2010‎
वास्तविक ब्याज दर (महंगाई दर और जमा पर ब्याज की दर) अभी नकारात्मक है। लोगों को बैंक जमा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए इस पर ब्याज बढ़ाने की जरूरत है। -डी.सुब्बाराव, गवर्नर, आरबीआई मेरे विचार से आरबीआई ने सही दिशा में कदम उठाया है क्योंकि रेपो और रिवर्स रेपो रेट में अंतर कम हो गया है। उधर, सिस्टम में अब भी मुद्रास्फीति का भारी दबाव है। -प्रणब मुखर्जी, वित्त मंत्री रेपो व रिवर्स रेपो रेट में ताजा बढ़ोतरी अनुमानों के अनुरूप ...

और महंगे होंगे कर्ज

प्रभात खबर - ‎Sep 16, 2010‎
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फ़िर महंगाई पर शिकंजा कसा है. अल्पकालिक नीतिगत ब्याज दरों में चौथाई से लेकर आधा प्रतिशत तक वृद्धि की गयी है. केंद्रीय बैंक के इस कदम से मकान, दुकान और वाहनों के कर्ज और महंगे हो जायेंगे. हालांकि, जमा पर ब्याज दरें बढ़ने से छोटी जमा करनेवाले ग्राहकों को कुछ लाभ मिल सकता है. इस कैलेंडर वर्ष में यह पांचवां मौका है जब रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में वृद्धि की है. जनवरी और मार्च में नकद आरक्षित ...

आरबीआई के कदम से उद्योगों को होगी मुश्किलें

वेबदुनिया हिंदी - ‎Sep 16, 2010‎
प्रमुख उद्योग संगठनों ने भारतीय रिजर्व बैंक के अल्पकालिक दरें बढ़ाने पर सतर्कता भरी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे छोटे उद्योगों को कारोबारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आरबीआई ने यहाँ मौद्रिक नीति की तिमाही मध्यावधि समीक्षा की घोषणा करते हुए अपनी प्रमुख आधार ब्याज दरों रेपो में 0.25 और रिवर्स रेपो में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। इसके साथ ही अब रेपो दर बढ़कर 6 फीसदी और रिवर्स रेपो दर बढ़कर 5 फीसदी हो गई है ...

बैंकों ने जताई ब्याज दरें बढ़ने की आशंका

वेबदुनिया हिंदी - ‎Sep 16, 2010‎
भारतीय रिजर्व बैंक के अल्पकालिक दरें बढ़ाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बैंकों ने कहा है कि इससे आवास, कारें और व्यक्तिगत ऋण महँगे होने की संभावना है। बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीए प्रभाकर ने कहा कि आरबीआई के इस कदम पर अभी विचार किया जाएगा। अल्पकालिक दरें बढ़ने का तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन बैंकों का जमा दरें बढ़ानी होगी। जमाकर्ता ऐसी उम्मीद करेंगे कि जमा दरें 0.25 प्रतिशत बढ़ाई जाए। ...
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ओबामा ने माना, भारत में है दम

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अब ये खुले दिल मान लिया है कि वाकई भारत में दम है। आर्थिक तरक्की के मामले में भारत और चीन अमेरिका को कड़ी चुनौती दे रहे हैं इसक बात को कबूल करते हुए ओबामा ने कहा " भारत और चीन में बहुत टैलेंटेड लोग हैं। और इन्ही टैलेंटेड लोगों के सहारे ये दोनों देश तेजी से तरक्की कर रहे हैं।


वहीं अमेरिका की मौजूदा आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए ओबामा ने कहा है कि उनके देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है और महंगाई आसमान छू रही है। अर्थव्यवस्था में सुधार भी बेहत धीमी गति से हो रहा है। ऐसे इसे दोबारा पटरी पर लाने और भारत और चीन से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए सबको जी तोड़ मेहनत करने की जरूरत है।


       

       

उपजाऊ भूमि को बचाकर हो अधिग्रहण

       

       

       

       

       

                                         

   

           

Sep 09, 11:44 am

           

                                                               

                               

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नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण को लेकर जारी विवाद के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को कहा कि विकास के नाम पर जमीन अधिग्रहण इस रूप में नहीं होनी चाहिए जिससे हमें उपजाऊ जमीन खोना पड़े और कृषि उपज प्रभावित हो।

संप्रग अध्यक्षा ने कहा कि किसानों की जमीन ली जाए तो उसका उनको उचित मुआवजा दिया जाए। सोनिया सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी की उत्तर प्रदेश के दादरी में कोयला आधारित 980 मेगावाट क्षमता के दूसरे चरण की परियोजना राष्ट्र को समर्पित करने के लिए राजधानी में आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थीं। सोनिया ने कहा कि आर्थिक वृद्धि एवं बुनियादी ढांचा के विकास के लिए हमें जमीन की जरूरत पड़ेगी। लेकिन जमीन का अधिग्रहण इस रूप में नहीं होनी चाहिए जिससे हमें उपजाऊ जमीन खोना पड़े और कृषि उपज पर उसका असर पड़े।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम किसानों की जमीन लेते हैं, उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हम उन्हें कमाई का वैकल्पिक जरिया उपलब्ध कराए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐसे समय यह बात कही है जब आर्सेलर मित्तल, पोस्को जैसी कंपनियों की परियोजनाओं को भूमि अधिग्रहण को लेकर विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक के बेल्लारी में बुधवार को आर्सेलर मित्तल की स्टील परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण हेतु मुआवजे के निर्धारण को लेकर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।

एनटीपीसी की इस परियोजना के दूसरे चरण में दो इकाइयां लगाई गई हैं जिनमें प्रत्येक की क्षमता 490-490 मेगा वाट है। समारोह में बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे, राज्य मंत्री भरत सिंह सोलंकी और बिजली सचिव पी उमाशंकर तथा एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंधनिदेशक अरूप राय चौधरी भी उपस्थित थे।

पर्यावरण संबंधी चिंता को रेखांकित करते हुए सोनिया ने यह भी कहा कि हमें सतत विकास के लिए निश्चित तौर पर पर्यावरण का संरक्षण करना चाहिए। हम जो भी करते हैं, हमें वन एवं पर्यावरण को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वत, पहाड़, नदियां, वन मानवता के लिए प्रकृति की अनमोल देन हैं। इन्हें उस रूप में बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम ऊर्जा के वैकल्पिक साधानों का इस्तेमाल कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने इस संबंध में परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का जिक्र किया तथा बिजली कंपनी एनटीपीसी से इस दिशा में भी जोर-शोर से कदम उठाने को कहा।

बिजली क्षेत्र की अहमियत को रेखांकित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमारी बहुसंख्यक आबादी अभी भी ग्रामीण इलाकों में रहती है। बिजली क्षेत्र आर्थिक वृद्धि और लोगों के आर्थिक उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना इस दिशा में उठाया गया प्रमुख कदम है।

सोनिया ने कहा कि बिजली मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 61,000 मेगावाट का संशोधित लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करना एक बड़ी उपलब्धि होगी। उल्लेखनीय है कि बिजली मंत्रालय ने मौजूदा 11वीं पंचवर्षीय योजना [2007-12] के लिए 78,577 मेगावाट का लक्ष्य रखा था जिसे योजना आयोग ने घटाकर लगभग 61,000 मेगावाट कर दिया है।

               

       

सशस्त्र बलों ने किया अयोध्या में फ्लैग मार्च

       

       

       

       

       

                                         

   

           

Sep 19, 12:24 am

           

                                                               

                               

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अयोध्या [जागरण संवाददाता]। सशस्त्र बलों ने शनिवार को अयोध्या समेत फैजाबाद शहर में फ्लैग मार्च किया। अभियान में एक कंपनी रैपिड एक्शन, छह कंपनी सीआरपीएफ, तीन कंपनी पीएसी, जनपदीय सशस्त्र पुलिस व नागरिक पुलिस की मौजूदगी रही।

जिलाधिकारी एमपी अग्रवाल व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आरकेएस राठौर की अगुआई में मार्च नयाघाट बंधा तिराहे से हनुमानगढ़ी, कनक भवन, रामकोट व टेढ़ीबाजार होकर पुन: नयाघाट पहुंचा। इसी प्रकार फैजाबाद शहर के चौक, रिकाबगंज, नियावां, दिल्ली दरवाजा व गुदड़ी बाजार के अलावा देहात क्षेत्र के मया बाजार, गोसाईंगंज, बीकापुर, मिल्कीपुर, रुदौली व सोहावल में भी सुरक्षा बलों ने मार्च किया। रेड, यलो व ग्रीन प्रत्येक जोन की सुरक्षा के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों को विशेष रूप से कमान सौंपी गई है। इनमें अशोक कुमार टण्डन को रेड जोन, गुलाब सिंह को यलो जोन व एन रवींद्र को ग्रीन जोन का प्रभारी बनाया गया हैं। रविवार को मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में शांति मार्च होगा। 22 सितंबर को करीब 15 हजार सशस्त्र सुरक्षाकर्मी, अत्याधुनिक शस्त्रों, वज्र वाहन व फायर ब्रिगेड आदि के साथ मार्च करेंगे।

रेड जोन की सुरक्षा कड़ी कर यलो जोन के प्रत्येक तिराहे-चौराहे पर सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटियां लगा दी गई है। रविवार को ब्लू जोन व ग्रीन जोन की सुरक्षा कड़ी कर दी जाएगी। रेलवे पुलिस ने भी अयोध्या-फैजाबाद स्टेशनों पर मार्च कर यात्रियों को सुरक्षा के प्रति जागरूक किया।

       

               

       

सरकार को भाने लगा है पीपीपी मॉडल

       

       

       

       

       

                                         

   

           

Sep 18, 09:47 pm

           

                                                               

                               

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नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। सार्वजनिक और निजी भागीदारी [पीपीपी] मॉडल को सरकार सिर्फ 2500 मॉडल स्कूलों तक ही सीमित नहीं रखेगी। उसे पीपीपी का रास्ता कुछ ज्यादा ही अच्छा लगने लगा है। यही वजह है कि वह इस मॉडल को ज्यादा से ज्यादा अपनाने के लिए राज्यों पर भी दबाव बनाने में जुट गई है।

हालांकि पीपीपी मॉडल की तरफ सरकार के बढ़ते झुकाव को देखते हुए शिक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजीकरण को लेकर सवाल उठने लगे हैं। फिर भी सरकार का तर्क है कि जब राष्ट्रीय राजमार्ग, एयरपोर्ट और बिजली के क्षेत्र में पीपीपी मॉडल कामयाब साबित हो रहा है और रेलवे जैसे महकमा इस ओर निहार रहा है तो फिर स्कूली पढ़ाई के क्षेत्र में उसका बेहतर उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता।

सूत्रों के मुताबिक इन्हीं तर्को के सहारे योजना आयोग अब राज्यों पर स्कूली शिक्षा में पीपीपी मॉडल को अधिक से अधिक तरजीह देने के लिए दबाव बनाने की कोशिश में है। बताते हैं कि माध्यमिक शिक्षा में पीपीपी के इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए योजना आयोग बीते महीने राज्य के माध्यमिक शिक्षा सचिवों को समझाने की भरपूर कोशिश कर चुका है।

आयोग का कहना है कि इस कदम को स्कूली शिक्षा में सुधार के क्रम में 'उत्कृष्ट केंद्र' [सेंटर फॉर एक्सिलेंस] के रूप में एक पहल की तरह लिया जाना चाहिए। एक तर्क यह भी है कि पीपीपी मॉडल में स्कूलों के लिए जमीन का इंतजाम निजी क्षेत्र को ही करना होगा, जबकि राज्य सरकार उसे प्रचलित दर पर उसे खरीदने या किराये पर दिलाने में मदद कर सकती है। स्कूल बनाने का खर्च निजी क्षेत्र को उठाना होगा। ऐसे एक स्कूल में मोटे तौर पर अधिकतम ढाई हजार छात्रों का ही दाखिला हो सकता है, जबकि एक हजार चयनित बच्चों का खर्च सरकार उठा सकती है। उन बच्चों में भी 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग और गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों के हो सकते हैं। बाकी बच्चे आयकर के दायरे में न आने वाले परिवारों से हो सकते हैं।

सूत्रों की मानें तो राज्यों ने योजना आयोग के इस प्रस्ताव पर अभी अपनी मुहर नहीं लगाई है। माना जा रहा है कि पीपीपी मॉडल के इन स्कूलों के बनने से ज्यादा फायदा निजी क्षेत्र को ही होगा। जमीन दिलाने से लेकर छात्रों के एक हिस्से का खर्च उठाने तक सरकार शामिल होगी, जबकि आधे से अधिक बच्चे निजी क्षेत्र के प्रबंधन के अधीन होंगे। हालांकि योजना आयोग की नजर में इन स्कूलों को छात्रों के दाखिले व उनसे फीस वसूलने के मामले में निजी क्षेत्र के दूसरे स्कूलों जैसी छूट नहीं होगी।

गौरतलब है कि सिर्फ माध्यमिक स्तर पर ही सरकार के सामने अगले दो साल में लगभग 32 लाख और छात्रों को दाखिला दिलाने की चुनौती है। इसके लिए 11 हजार से अधिक नए स्कूलों की दरकार है। 81 हजार से अधिक अतिरिक्त क्लासरूम भी चाहिए। दो लाख से अधिक नए शिक्षक भी चाहिए। सरकार के पास धन नहीं है। लिहाजा स्कूली शिक्षा के विस्तार में उसकी आस निजी क्षेत्र पर ही टिकी है।

       

               

       

अयोध्या: प्रसारणकर्ताओं के लिए दिशानिर्देशन

       

       

       

       

       

                                         

   

           

Sep 18, 06:48 pm

           

                                                               

                               

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नई दिल्ली। अयोध्या विवादित भूमि पर मालिकाना हक मामले के फैसले की तारीख करीब आने के साथ ही न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन ने इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं। इनमें इलेक्ट्रानिक मीडिया से फैसले के बारे में अटकलबाजी नहीं करने तथा 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के फुटेज नहीं दिखाने को कहा गया है।

दिशानिर्देश में कहा गया है कि अयोध्या मुद्दा एक ऐसा मामला है जिसमें विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। विशेष सतर्कता यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि इस मुद्दे से जुड़ी प्रसारित होने वाली कोई भी खबर सनसनीखेज, भड़काऊ या उत्तेजक नहीं होनी चाहिए।

दिशानिर्देश में कहा गया कि इस बुनियादी दिशानिर्देश का पालन किया जाना चाहिए कि इस प्रकार की सभी खबरें सांप्रदायिक सदभाव बरकरार रखने और हमारे बहुवादी समाज में धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के संरक्षण में सहायक हो। साथ ही खबरें ऐसी होनी चाहिए जिससे लोगों के बीच सही राय बनाने में मदद मिल सके।

इसमें कहा गया कि कोई भी खबर फैसले के बारे में किसी भी तरह का अटकल लगाने के बारे में प्रसारित नहीं की जाएगी।

       

               

       

राहत पैकेज जल्द वापस लिए तो लौट सकती है मंदी

       

       

       

       

       

                                         

   

           

Sep 18, 02:03 pm

           

                                                               

                               

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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि अगर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने राहत पैकेजों को जल्दबाजी में वापस लिया गया तो मंदी के बादल फिर मंडरा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास रिपोर्ट- 2010 में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में राहत पैकजों की जगह लेने के लिए निजी क्षेत्र से पर्याप्त घरेलू मांग होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक संकट के मूल कारकों को निपटाया नहीं गया है और स्थिर एवं समावेशी विकास के साथ-साथ अर्थव्यस्था में सुधारों की निरंतरता को भी खतरा है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन [अंकटाड] के प्रमुख सुपाचयई पानिचपकड़ी ने कहा है कि मौजूद समस्याओं में देशों के बीच भारी ऋण तथा अधिशेष तथा वास्तविक वेतनों में स्थिरता है। इसमें आगाह किया गया है कि अगर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सरकारी प्रोत्साहन कार्यक्रमों को जल्दबाजी में वापस लिया गया और वहां उसकी जगह लेने के लिए निजी क्षेत्र की घरेलू मांग अपर्याप्त हुई तो मंदी लौट सकती है।

       

       

मैंगनीज ओर के 20फीसदी विनिवेश को हरी झंडी

दैनिक भास्कर - ‎Sep 9, 2010‎

सरकार ने नागपुर की कंपनी मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (एमओआईएल) के 20 फीसदी विनिवेश को हरी झंडी दे दी है। इसमें केंद्र सरकार की 10 फीसदी हिस्सेदारी के अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के पांच-पांच फीसदी हिस्से का भी विनिवेश शामिल है। विनिवेश के बाद कंपनी में केंद्र की हिस्सेदारी घटकर 71.57 फीसदी रह जाएगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय ...

एमओआईएल के विनिवेश को मंजूरी

वेबदुनिया हिंदी - ‎Sep 9, 2010‎

केंद्र सरकार ने आज सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मिनीरत्न मैंगनीज ओर (इंडिया) लिमिटेड (एमओआईएल) में 20 प्रतिशत विनिवेश के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि केंद्र सरकार एमओआईएल की कुल चुकता पूँजी की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश करेगी। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सरकारें भी कंपनी में पाँच-पाँच प्रतिशत ...

मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड में विनिवेश को हरी झंडी

हिन्दुस्तान दैनिक - ‎Sep 9, 2010‎

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड में विनिवेश को मंजूरी दे दी जिसमें कंपनी के 20 प्रतिशत शेयरों की बिक्री की जाएगी। नागपुर स्थित इस कंपनी में केन्द्र अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश करेगा जबकि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकारें प्रत्येक की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी की भी बिक्री की जाएगी। कुल मिलाकर कंपनी में 20 प्रतिशत शेयरों का विनिवेश होगा। प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई ...

एमओआईएल में 20 प्रतिशत विनिवेश करेगी सरकार

खास खबर - ‎Sep 9, 2010‎

नई दिल्ली। केंद्र सरकार मिनी रत्न कंपनी मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड (एमओआईएल) में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी और महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की सरकारें इस कंपनी में अपनी पांच-पांच हिस्सेदारी का विनिवेश करेंगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। एमओआईएल में महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी 9.62 प्रतिशत और मध्यप्रदेश सरकार की हिस्सेदारी 8.81 प्रतिशत ...

मैगनीज ओर इंडिया में 10 फीसदी विनिवेश को मंजूरी

एनडीटीवी खबर - ‎Sep 9, 2010‎

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों ने भी कंपनी में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में इस निर्णय को मंजूरी दी गई। कंपनी में केंद्र और दोनों राज्य सरकारों की कुल 20 प्रतिशत इक्विटी का विनिवेश ...

मैंगनीज ओर (Manganese Ore) में विनिवेश को मंजूरी

शेयर मंथन - ‎Sep 9, 2010‎

केंद्र सरकार ने मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (Manganese Ore India Ltd) में विनिवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) की बैठक में आज यह निर्यण लिया गया। सीसीईए की बैठक के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम ने को बताया, केंद्र सरकार मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (एमओआईएल) में 10% हिस्सेदारी बेचेगी। वहीं, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार भी अपना 5%-5% हिस्सा बेचेंगे। समिति ने कंपनी के इस आईपीओ में खुदरा निवेशकों को 5% ...

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ओएनजीसी एफपीओ मार्च तक : शर्मा

दैनिक भास्कर - ‎Sep 14, 2010‎

हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में ही इसका एफपीओ संभव हो पाएगा। कंपनी को उम्मीद है कि सरकार उसे खुदरा निवेशकों और कंपनी के कर्मचारियों को विशेष डिस्काउंट देने की अनुमति दे देगी। - आर. एस. शर्मा, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ओएनजीसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल उत्खनन एवं उत्पादन कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) का फोलोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही अर्थात जनवरी से ...

चौथी तिमाही में होगा आईओसी और ओएनजीसी का विनिवेश

हिन्दुस्तान दैनिक - ‎Sep 11, 2010‎

ओएनजीसी और आईओसी का विनिवेश सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के अंत तक किए जाने की उम्मीद है। इन कंपनियों के विनिवेश से 19000 करोड़ रुपये की राशि जुटने की उम्मीद है। पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि हमारी योजना विनिवेश प्रक्रिया को वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने की है। अंतिम तिमाही तक वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से हम 18000 से 19000 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार अनुवर्ती सार्वजनिक ...

आईओसी, ओएनजीसी का विनिवेश चौथी तिमाही तक

Moltol.in - ‎Sep 12, 2010‎

नई दिल्ली। केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष के अंत तक ओएनजीसी एवं आईओसी का विनिवेश पूरा करने की उम्मीद है। तेल सचिव एस सुंदरेशन ने बताया कि हम चालू वित्त वर्ष का अंत होने से पहले यह विनिवेश करना चाहते हैं। इस विनिवेश से 18-19 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। सरकार आईओसी की दस फीसदी और ओएनजीसी की पांच फीसदी इक्विटी फॉलो-ऑन- ऑफर के माध्यम से विनिवेश करना चाहती है।

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ओएनजीसी और आईओसी के विनिवेश को हरी झंडी

दैनिक भास्कर - ‎Sep 6, 2010‎

देश में विनिवेश की गाड़ी अब और तेज रफ्तार पकडऩे लगी है। पेट्रोलियम मंत्रालय के ताजा फैसले से इसकी पुष्टि होती है। मंत्रालय ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) में सरकारी हिस्सेदारी की आंशिक बिक्री के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है। इस कदम से केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष में तकरीबन 24000 करोड़ रुपये हासिल होने की संभावना है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इन दोनों ...

बड़ी कंपनियों के विनिवेश से पूरा होगा लक्ष्य!

याहू! जागरण - ‎Sep 6, 2010‎

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विनिवेश लक्ष्य पूरा करने के लिए केंद्र सरकार अब बड़ी कंपनियों को बाजार में उतारने पर ज्यादा जोर दे रही है। सेल, सीआईएल जैसी नवरत्न कंपनियों के बाद अब सरकार को दो दिग्गज पेट्रोलियम कंपनियों ओएनजीसी और आईओसी में उम्मीद की किरण दिखायी दे रही है। सरकार अगर इन दोनों कंपनियों में विनिवेश की प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष में पूरी करने में सफल होती है तो उसे विनिवेश से 50 हजार करोड़ रुपये तक की राशि मिल जाएगी। ...

ओएनजीसी का भी एफपीओ

Business standard Hindi - ‎Sep 6, 2010‎

पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। सार्वजनिक क्षेत्र की इन दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से सरकार को करीब 24000 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। सोमवार को इसकी घोषणा करते हुए पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन ने कहा, 'तेल मंत्रालय ने इन कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री को ...

आईओसी, ओएनजीसी में हिस्सेदारी बेचने के प्रयास तेज

जोश 18 - ‎Sep 6, 2010‎

नयी दिल्ली। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) में आंशिक हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। तेल सचिव एस सुंदरेशन ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि तेल मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में इंडियन ऑयल में 10 फीसदी और ओएनजीसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गया है। उन्होंने कहा कि विनिवेश की यह प्रक्रिया उस सरकारी योजना का हिस्सा ...

ONGC और IOC में विनिवेश प्रक्रिया शुरु

Hindi- Economic times - ‎Sep 6, 2010‎

नई दिल्ली : सरकार ने ओएनजीसी और इंडियन ऑयल कॉर्प (आईओसी) में हिस्सेदारी बेचने की अपनी योजना को अमली जामा पहनाने की शुरुआत कर दी है। कुछ समय पहले केन्द्र सरकार ने पेट्रोल की कीमत को नियंत्रण मुक्त कर और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाकर इन कंपनियों के लिए कारोबारी माहौल बेहतर बनाने की कोशिश की थी। पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन ने बताया, 'मंत्रालय ने हिस्सेदारी बेचने के बारे में सैद्धांतिक तौर पर फैसला ले लिया है और अब ...

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एससीआई, एमओआईएल के विनिवेश को मंजूरी अगले माह

Moltol.in - ‎Aug 29, 2010‎

नई दिल्ली। कैबिनेट अगले माह सरकारी कंपनियों शीपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) और मैगनीज ओर इंडिया लि. (एमओआईएल) के विनिवेश को संभवत: मंजूरी दे देगा। सूत्रों के मुताबिक अगले विनिवेश के लक्ष्य ये दोनों कंपनियां हैं। उम्मीद है कि कैबिनेट से अगले दो से तीन सप्ताह में इस पर मुहर लग जाएगी। एमओआईएल में केंद्र सरकार के अलावा महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश सरकार कुल मिलाकर 20 फीसदी इक्विटी पब्लिक ऑफर के जरिए विनिवेश करेगी। ...

SCI, MOIL के विनिवेश को मंजूरी अगले महीने संभव

Hindi- Economic times - ‎Aug 29, 2010‎

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल भारतीय जहाजरानी निगम (एससीआई) तथा मेंगनीज ओर इंडिया लि.(एमओआईएल) में सरकार की हिस्सेदारी के विनिवेश को अगले दो से तीन सप्ताह में मंजूरी दे सकता है। एक सूत्र ने प्रेट्र से कहा, एमओआईएल और एससीआई के विनिवेश प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे। हमें दो से तीन सप्ताह में मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। केंद्र सरकार के अलावा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश मैंगनीज ओर में आरंभिक ...

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17 Sep 2010, 1606 hrs IST,                 /                     इकनॉमिक टाइम्स


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17 Sep 2010, 1615 hrs IST,टाइम्स न्यूज नेटवर्क

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17 Sep 2010, 1617 hrs IST,टाइम्स न्यूज नेटवर्क

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