Saturday, January 16, 2016

पचासा पूरे करते हुए :::::: Shamshad Elahee Shams


::::::: पचासा पूरे करते हुए ::::::
Shamshad Elahee Shams
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आज अपने जीवन के पचास साल पूरे करते हुए बेसाख्ता अफगानिस्तान के सुदूर उत्तर में बसे वाखी गडरिया समुदाय पर सोचने को मजबूर हो गया जिनकी औसत उम्र सिर्फ ३५ बरस ही है. तीस बरस की उम्र तक उनके चेहरे की झुर्रियों में उम्र मौत का कुरूप जाल बुन देती है, इस पसेमंज़र में अपनी गुजरी और मौजूदा ज़िंदगी, उसके संघर्ष किसी मून वाक् से ही लगते हैं.
मानवीय जीवन में इतनी घोर असमानताओं, नफरतों, तल्खियों, युद्धों, बेघरों,भूख के चौतरफा कोहराम के बीच जन्मदिन जैसा नितांत व्यक्तिगत दिन एक फाह्शियत ही है. लेकिन जीवन की अपनी जरूरतें भी हैं, उसमे रंग भी जरुरी हैं. तो साथियों, मित्रों, परिजनों और बुजुर्गों आपने कल रात से मेरे जीवन में अपने संदेशों के साथ जो रंग भरा, उसके एक-एक शब्द के लिए मैं आभारी हूँ. निश्चय ही शब्दों के माध्यम से मैं अपनी इस भावना को अभिव्यक्त नहीं कर सकता. मेरी कसदन कोशिश थी कि हर मैसेज का व्यक्तिगत जवाब दूँ, और दिए भी. फिर भी कोई रह गया हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अपना स्नेह बनाये रखिये, मैं भी आपका भरोसा बनाये रखने में कामयाब जरुर होऊंगा.

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