Gopal Rathi with Arvind Kumar.
शब्द साधक का 85 वां जन्मदिन
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फेसबुक पर हमारे सबसे बुजुर्ग दोस्त अरविंद कुमार का 17 जनवरी को जन्मदिवस है l
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साहित्य जगत मे वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है l युवा अवस्था मे भारत की आज़ादी मे भाग लेने वाले अरविंद कुमार मुम्बई में 1963 से फ़िल्म पत्रिका माधुरी के सम्पादक थे। धीरे-धीरे वे फ़िल्म पत्रकारिता से ऊब चुके थे और कुछ सार्थक करने को छटपटा रहे थे। अन्य भाषा कर्मियों की तरह उनके मन में भी अभिलाषा थी कि हिन्दी में भी शब्दकोश हो। 27 दिसम्बर, 1973 को सोते-सोते उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य सूझा- समान्तर कोश की रचना। आरम्भिक तैयारी के बाद 19 अप्रैल, 1976 को नासिक में गोदावरी नदी में स्नान करके उन्होंने अपनी पत्नी कुसुम कुमार के साथ समान्तर कोश पर काम करना शुरू कर दिया। मुम्बई में केवल सुबह शाम के श्रम से इसे पूरा न होते देखकर वे माधुरी को त्याग कर मई, 1978 में सपरिवार दिल्ली पहुँचे और दोनों अपना पूरा समय इसी को देने लगे। दिल्ली की 1978 की बाढ़ से ग्रस्त होने पर वे सपरिवार ग़ाज़ियाबाद स्थानान्तरित हो गए। जब आर्थिक स्थिति फिर से मज़बूत करने की आवश्यकता आ पड़ी तो अरविंद कुमार ने 1980 में रीडर्स डाइजेस्ट के हिन्दी संस्करण सर्वोत्तम का प्रथम सम्पादक होना स्वीकार कर लिया और पाँच साल तक उसके साथ रहे।
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फेसबुक पर हमारे सबसे बुजुर्ग दोस्त अरविंद कुमार का 17 जनवरी को जन्मदिवस है l
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साहित्य जगत मे वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है l युवा अवस्था मे भारत की आज़ादी मे भाग लेने वाले अरविंद कुमार मुम्बई में 1963 से फ़िल्म पत्रिका माधुरी के सम्पादक थे। धीरे-धीरे वे फ़िल्म पत्रकारिता से ऊब चुके थे और कुछ सार्थक करने को छटपटा रहे थे। अन्य भाषा कर्मियों की तरह उनके मन में भी अभिलाषा थी कि हिन्दी में भी शब्दकोश हो। 27 दिसम्बर, 1973 को सोते-सोते उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य सूझा- समान्तर कोश की रचना। आरम्भिक तैयारी के बाद 19 अप्रैल, 1976 को नासिक में गोदावरी नदी में स्नान करके उन्होंने अपनी पत्नी कुसुम कुमार के साथ समान्तर कोश पर काम करना शुरू कर दिया। मुम्बई में केवल सुबह शाम के श्रम से इसे पूरा न होते देखकर वे माधुरी को त्याग कर मई, 1978 में सपरिवार दिल्ली पहुँचे और दोनों अपना पूरा समय इसी को देने लगे। दिल्ली की 1978 की बाढ़ से ग्रस्त होने पर वे सपरिवार ग़ाज़ियाबाद स्थानान्तरित हो गए। जब आर्थिक स्थिति फिर से मज़बूत करने की आवश्यकता आ पड़ी तो अरविंद कुमार ने 1980 में रीडर्स डाइजेस्ट के हिन्दी संस्करण सर्वोत्तम का प्रथम सम्पादक होना स्वीकार कर लिया और पाँच साल तक उसके साथ रहे।
अपने काम के बारे मे अरविंद जी कहते है
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"मेरे जीवन मेँ कोई सतत थीम है, तो वह है शब्दोँ से लगाव, हिंदी से प्रेम, हिंदी के लिए कुछ अनोखा करने की तमन्ना, हिंदी को संसार की समृद्धतम भाषाओँ मेँ देखने की अभिलाषा.
रोजेट के इंग्लिश थिसारस जैसी कोई हिंदी किताब बनाने के लिए माधुरी पत्रिका से त्यागपत्र दे कर मैँ 1978 मेँ मुंबई से दिल्ली चला आया था. कई साल बीत जाने पर भी वह किताब बन ही रही थी. तेरह चौदह साल बाद सन 1991 मेँ दिल्ली के हिंदी जगत मेँ यह विस्मय का विषय बना हुआ था. थिसारस क्या होता है – यह जिज्ञासा तो थी ही, यह अचरज भी कम नहीँ था कि इतने साल बीत गए और किताब बन ही रही है! ऐसी क्या किताब है! ऐसे मेँ मेरे घनिष्ठ मित्र राजेंद्र यादव ने आग्रह किया कि मैँ उन की पत्रिका हंस मेँ लेखमाला के ज़रिए उस के बारे मेँ बताऊँ. उन्होँ ने लेखमाला को शीर्षक दिया – शब्दवेध. अब वह इस किताब का नाम है.
मेरे जीवन मेँ जो कुछ भी उल्लेखनीय है, वह मेरा काम ही है. मेरा निजी जीवन सीधा सादा, सपाट और नीरस है. कोई प्रवाद मेरे बारे मेँ कभी नहीँ हुआ."
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"मेरे जीवन मेँ कोई सतत थीम है, तो वह है शब्दोँ से लगाव, हिंदी से प्रेम, हिंदी के लिए कुछ अनोखा करने की तमन्ना, हिंदी को संसार की समृद्धतम भाषाओँ मेँ देखने की अभिलाषा.
रोजेट के इंग्लिश थिसारस जैसी कोई हिंदी किताब बनाने के लिए माधुरी पत्रिका से त्यागपत्र दे कर मैँ 1978 मेँ मुंबई से दिल्ली चला आया था. कई साल बीत जाने पर भी वह किताब बन ही रही थी. तेरह चौदह साल बाद सन 1991 मेँ दिल्ली के हिंदी जगत मेँ यह विस्मय का विषय बना हुआ था. थिसारस क्या होता है – यह जिज्ञासा तो थी ही, यह अचरज भी कम नहीँ था कि इतने साल बीत गए और किताब बन ही रही है! ऐसी क्या किताब है! ऐसे मेँ मेरे घनिष्ठ मित्र राजेंद्र यादव ने आग्रह किया कि मैँ उन की पत्रिका हंस मेँ लेखमाला के ज़रिए उस के बारे मेँ बताऊँ. उन्होँ ने लेखमाला को शीर्षक दिया – शब्दवेध. अब वह इस किताब का नाम है.
मेरे जीवन मेँ जो कुछ भी उल्लेखनीय है, वह मेरा काम ही है. मेरा निजी जीवन सीधा सादा, सपाट और नीरस है. कोई प्रवाद मेरे बारे मेँ कभी नहीँ हुआ."
अरविंद जी का योगदान हिन्दी भाषी कभी नहीं भुला पाएंगे l दीर्घायु हो - यही कामना है l
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