Tuesday, November 24, 2015

योनिज तो हम सभी है..!


योनिज तो हम सभी है..!

------------------

योनि के जाये तो हम सभी है,

पवित्रता ,अपवित्रता ..

यह तो हम पुरूषों की

 अप्राकृतिक बकवास है |


 सच तो यही है कि

हम सभी पिता के  लिंग

और माहवारी से निवृत मां की योनि

के सुखद मिलन की

सौगात है |


मां के रक्त ,मांस ,मज्जा में

नवमासी विश्रांति के बाद

उसी योनि के रास्ते आये है हम

वही माहमारी के वक्त सा रक्त

जिससे लथपथ थे हम

जी हां ,

बिल्कुल वैसी ही गंधवाला रक्त

और उससे भीगी बिना कटी गर्भनाल

मां और हमारे बीच

उस समय यही बिखरी हुई थी.


दुनिया में गंध की  पहली अनुभूति

माहवारी के उसी खून की थी

फिर क्यों नफरत करें हम

अपनी मां ,पत्नि या बेटियों से

कि वे माहवारी में है ..

अचानक कैसे अपवित्र हो जाती है

औरतें ?

सबरीमाला और रणकपुर के मंदिरों में

निजामुद्दीन और काजी पिया की बारगाहों में !


क्यों बिठा दी जाती है

घर के एकांत अंधियारे कोनों में

माहवारी के दौरान..

योनि ने जना है हम सबको

योनिज है हम सभी

पवित्रता -अपवित्रता तो

महज शब्द है

औरत को अछूत बनाकर

अछूतों की भांति गुलाम बनाने के लिये..


मेरी मां नहीं बैठी थी कभी

माहवारी में एकांत कमरे में ,

वह उन दिनों में भी

खेत खोदती रही,

भेड़ चराती रही ,

खाना बनाती रही..

वैसे ही जैसे हर दिन बनाती थी.

ठीक उसी तरह मेरी पत्नी ने भी जिया

माहवारी में सामान्य जीवन

ऐसे ही जीती है हमारे गांव की

मेहनतकश हजारों लाखों

माएं ,पत्नियां और बेटियां

माहवारी ,पीरियड  ,रजस्वला होना

उन्हें नहीं बनाता है कभी अबला..


नहीं बैठती वे घर के घुप्प अंधेरे

उदास कोनों में..

नहीं स्वीकारती कभी भी

अछूत होना..

पवित्रता के पाखण्डी पैरोकारों को

यही जवाब है उनका..


सुना है कि माहवारी के उन दिनों में

सबरीमाला सहित सभी धर्म स्थलियां

आती है सलाम करने उनको ...



-भँवर मेघवंशी

( स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता )

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment