Thursday, September 10, 2015

आज मुक्तिबोध की पुण्यतिथिहै.... वे अक्सर कहा करते थे " पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है ? " ये चर्चित कथन कोई जुमला नहीं था और न आज है। यह शाश्वत प्रश्न है और आज तो ये प्रश्न बहुत जरूरी हो गया है । मुक्तिबोध हमेशा आपको लड़ने जूझने की ऊर्जा देते हैं ...... पढ़ते हैं उनकी कविता “एक अन्तः कथा” के अंश


Jeevesh Prabhakar
September 11 at 9:43am
 
आज मुक्तिबोध की पुण्यतिथिहै.... 
वे अक्सर कहा करते थे " पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है ? " ये चर्चित कथन कोई जुमला नहीं था और न आज है। 
यह शाश्वत प्रश्न है और आज तो ये प्रश्न बहुत जरूरी हो गया है । मुक्तिबोध हमेशा आपको लड़ने जूझने की ऊर्जा देते हैं ...... 
पढ़ते हैं उनकी कविता "एक अन्तः कथा" के अंश 

मुड़कर के मेरी ओर सहज मुसका 
वह कहती है - 
'आधुनिक सभ्यता के वन में 
व्यक्तित्व-वृक्ष सुविधावादी। 
कोमल-कोमल टहनियाँ मर गईं अनुभव-मर्मों की 
यह निरुपयोग के फलस्वरूप हो गया। 
उनका विवेकसंगत प्रयोग हो सका नहीं 
कल्याणमयी करुणाएँ फेंकी गईं 
रास्ते पर कचरे-जैसी, 
मैं चीन्ह रही उनको। 
जो गहन अग्नि के अधिष्ठान 
हैं प्राणवान 
मैं बीन रही उनको 
देख तो 
उन्हें सभ्यताभिरुचिवश छोड़ा जाता है 
उनसे मुँह मोड़ा जाता है 
दम नहीं किसी में 
उनको दुर्दम करे 
अनलोपम स्वर्णिम करे। 
घर के बाहर आँगन में मैं सुलगाऊँगी 
दुनियाभर को उनका प्रकाश दिखलाऊँगी।' 

यह कह माँ मुसकाई, 
तब समझा 
हम दो 
क्यों 
भटका करते हैं, बेगानों की तरह, रास्तों पर।

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