Monday, July 15, 2013

समतामूलक समाज की स्थापना होने तक जारी रहेगा जाति-सम्मेलनों का सिलसिला –मायावती

समतामूलक समाज की स्थापना होने तक जारी रहेगा जाति-सम्मेलनों का सिलसिला –मायावती 

जाति सम्मेलनों के निषेध सम्बन्धी इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद फेसबुक पर ढेरों लोगों ने दूसरे रूप में जाति सम्मेलनों के जारी रहने की जो आशंका ज़ाहिर किया था ,वह सामने आ गया है.कल जातिमुक्त बुद्धिजीवियों और नेताओं,जिनमे मुलायम सिंह यादव भी हैं,के विपरीत हाई कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जताने के बजाय परोक्ष रूप से असहमति जताते हुए चैम्पियन जातिवादी मायावती जी ने जो कुछ कहा है ,उससे लगता है कि जाति सम्मेलनों का सिलसिला भविष्य में भी अटूट रहेगा.उन्होंने लखनऊ अवस्थित अपने पार्टी मुख्यालय पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा है –'जातीय आधार पर बनी सामाजिक व्यवस्था में दलितों और पिछड़ों का बहुत नुकसान हुआ है.व्यवस्था को बदलने के लिए उन्ही लोगों को आगे आना होगा ,जिनका नुकसान हो रहा है.जातीय सामाजिक व्यवस्था में बदलाव कर समतामूलक समाज व्यवस्था की स्थापना के लिए बसपा ने जातीय सम्मेलनों की शुरुआत की.अगर इससे किसी को तकलीफ है तो आगे से 'सर्वसमाज भाईचारा सम्मलेन' के नाम से बसपा का यह अभियान जारी रहेगा.पूरे देश में सर्व समाज में सौहार्द पैदा करने के लिए बसपा इस तरह की रैलियां करेगी.इन रैलियों का मकसद संविधान की मंशा के अनुरूप अनुसूचित जाति,जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों को आगे लाना होगा.'
उन्होंने इलाहाबाद है कोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों पर और भी बहुत कुछ कहा जो जाति-मुक्त लोगों के लिए काफी पीड़ादायक बातें थी.किन्तु उनके उपरोक्त बयान से निश्चय ही उन लोगों को काफी सदमा लागा होगा जो चोर दरवाजे जाति-चेतना की काट पैदा होता देख ख़ुशी से उछल पड़े थे.बहरहाल इस साहसिक बयान के लिए मुझ जैसे जातिवादियों,जो ये मन-प्राण से विश्वास करते हैं कि जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था बहुजनों के लिए पूरी तरह नुकसानदायक रही, की ओर से 'आयरन लेडी' को भीम सलाम. 
समतामूलक समाज की स्थापना होने तक जारी रहेगा जाति-सम्मेलनों का सिलसिला –मायावती 
जाति सम्मेलनों के निषेध सम्बन्धी इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद फेसबुक पर ढेरों लोगों ने दूसरे रूप में जाति सम्मेलनों के जारी रहने की जो आशंका ज़ाहिर किया था ,वह सामने आ गया है.कल जातिमुक्त बुद्धिजीवियों और नेताओं,जिनमे मुलायम सिंह यादव भी हैं,के विपरीत हाई कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जताने के बजाय परोक्ष रूप से असहमति जताते हुए चैम्पियन जातिवादी मायावती जी ने जो कुछ कहा है ,उससे लगता है कि जाति सम्मेलनों का सिलसिला भविष्य में भी अटूट रहेगा.उन्होंने लखनऊ अवस्थित अपने पार्टी मुख्यालय पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा है –'जातीय आधार पर बनी सामाजिक व्यवस्था में दलितों और पिछड़ों का बहुत नुकसान हुआ है.व्यवस्था को बदलने के लिए उन्ही लोगों को आगे आना होगा ,जिनका नुकसान हो रहा है.जातीय सामाजिक व्यवस्था में बदलाव कर समतामूलक समाज व्यवस्था की स्थापना के लिए बसपा ने जातीय सम्मेलनों की शुरुआत की.अगर इससे किसी को तकलीफ है तो आगे से 'सर्वसमाज भाईचारा सम्मलेन' के नाम से बसपा का यह अभियान जारी रहेगा.पूरे देश में सर्व समाज में सौहार्द पैदा करने के लिए बसपा इस तरह की रैलियां करेगी.इन रैलियों का मकसद संविधान की मंशा के अनुरूप अनुसूचित जाति,जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों को आगे लाना होगा.'
उन्होंने इलाहाबाद है कोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों पर और भी बहुत कुछ कहा जो जाति-मुक्त लोगों के लिए काफी पीड़ादायक बातें थी.किन्तु उनके उपरोक्त बयान से निश्चय ही उन लोगों को काफी सदमा लागा होगा जो चोर दरवाजे जाति-चेतना की काट पैदा होता देख ख़ुशी से उछल पड़े थे.बहरहाल इस साहसिक बयान के लिए मुझ जैसे जातिवादियों,जो ये मन-प्राण से विश्वास करते हैं कि जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था बहुजनों के लिए पूरी तरह नुकसानदायक रही, की ओर से 'आयरन लेडी' को भीम सलाम.

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