Sunday, 09 June 2013 17:05 |
सय्यद मुबीन ज़ेहरा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल एक लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं और 'समांतर संसार' में हमने पहले भी यह बात रखी थी कि आज की युवा महिलाओं में आत्महत्या के लक्षण अधिक और बड़े चिंताजनक होते जा रहे हैं। बॉलीवुड के कई निर्देशकों ने अभिनेत्रियों के अकेलेपन और मानसिक पीड़ा पर फिल्में बनाई हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि इस व्यवसाय में आने वाली युवतियों के लिए बॉलीवुड में कितनी जगह है। हमारे सिनेमा जगत में परिवारवाद के कारण कई काबिल अभिनेत्रियां हाशिये पर चली जाती हैं, जबकि जान-पहचान और दूसरी तरकीबों से कुछ लोग सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं? क्या फिल्मी दुनिया को भी अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत नहीं है? इन सवालों का जवाब समाज और इस समाज का मनोरंजन करने वाले बॉलीवुड को अपने अंदर झांक कर तलाशना होगा। जो समाज जिया खान और उन जैसी अभिनेत्रियों की खुदकुशी पर स्तब्ध रह जाता है उसे सोचना होगा कि क्या वह उनके जिंदा रहते उनका अकेलापन दूर करता या नहीं। उनकी चमकती-दमकती जिंदगी के भीतरी अंधेरे को रोशनी की ओर ले जाने वाला कोई साथी या दोस्त क्यों नहीं मिलता? हर समय खिली हुई और हसीन नजर आने की होड़ में शायद ये महिलाएं अपने मानसिक द्वंद्व और मन की उलझनों से बेखबर रहना चाहती हैं और जब ये उलझनें उन्हें इस बेखुदी से जगाती हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसे में दुर्भाग्य से, हमेशा की नींद सोने के अलावा और कोई चारा उन्हें नजर नहीं आता। कुछ सामाजिक विज्ञानियों का मानना है कि आत्महत्या के प्रमुख कारण आत्महत्या करने वाले के व्यक्तित्व से अधिक उस समाज में होते हैं जिसमें वह सांस लेता है। समाज के अधिक हस्तक्षेप या उससेअलग-थलग रहने पर कोई व्यक्ति अपने अंदर एक ऐसी चरम सीमा पार कर जाता है, जहां वह अपने आपको बिल्कुल अकेला महसूस करने लगता है। अक्सर यह भी देखा गया है कि कोई व्यक्तिअपने अहंकार के कारण समाज से किसी भी तरह जुड़ नहीं पाता। ऐसे में वह अकेलेपन और असुरक्षा की भावना में घिर कर अपने जीवन का अंत कर लेता है। यह जरूरी है कि चमक-दमक की दुनिया समाज के बाकी दायरों से भी जुड़ कर रहे। बॉलीवुड और फैशन जगत को खूबसूरती की मूरत बनी इन हसीनाओं को आत्मविश्वास और आत्मसंतुष्टि का भी एक संसार देना होगा। ताकि फिर किसी खूबसूरती का ऐसा बेदर्द अंत न हो सके। इस व्यवसाय में आने वाली युवतियों से भी अनुरोध है कि वे अपने आप को मजबूती से जोड़ कर रखें और किसी भी टूटे हुए रिश्ते को जिंदगी का आखिरी रिश्ता न समझें। याद रखें: 'हौसला हो तो उड़ानों में मजा आता है/ पर बिखर जाएं हवाओं में तो ग़म मत करना।' http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/46550-2013-06-09-11-36-02 |
Sunday, June 16, 2013
सुंदरता का दुख
सुंदरता का दुख
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