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Thursday, August 28, 2025

नागरिकता के प्रमाण दो किताबें पुलिनबाबू और छिन्नमूल

#छिन्नमूल #पुलिनबाबू नागरिकता के प्रमाण के लिए आधार, राशनकार्ड, मतदाता पहचानपत्र मान्य नहीं है। ये किताबें लेकिन विस्थापितों की नागरिकता के दस्तावेज हैं। गांव गांव पहुंचने लगी हमारी किताबें लोग पढ़ने लगे अपने पुरखों का इतिहास, जन इतिहास। विस्थापन और भारत विभाजन की त्रासदी के मध्य विस्थापन का सरहद के आर पार संघर्ष की आप बीती और संघर्ष महागाथा। विभाजन पीड़ित बंगाली विस्थापित समाज घुसपैठ करके भारत में नहीं आए।विभाजन विभीषिका में अखंड भारत के नागरिक अपने ही देश में इतिहास, भूगोल, आजीविका, मातृभाषा, समाज,संस्कृति, अर्थ व्यवस्था, राजनीति, कानून के राज,संविधान, परिवेश,पर्यावरण, नागरिकता, नागरिक अधिकार और मानवाधिकार से बेदखल हो गए। विभाजन से मिली आजादी के बाद देश के भीतर भी विस्थापन और बेदखली, प्रवास और पलायन अनंत है। यह भी पुलिनबाबू के महासंग्राम की पृष्ठभूमि है।जिस आदिवासी भूगोल में बंगाली विस्थापित समाज को प्रत्यारोपित किया गया,वहां के आदिवासी मूलनिवासी, हिमालय के बाशिंदा और द्वीप वासी भी जल जंगल जमीन से बेदखल सलवा जुडूम के शिकार हैं। 1947 से 1964 के बीच आए बंगाली विस्थापितों में सिर्फ दस प्रतिशत का पुनर्वास हुआ। विकास के नाम बेदखली के शिकार लोगों का 1947 से अब तक कहीं कोई पुनर्वास नहीं हुआ। 1964 के बाद भारत आए किसी शरणार्थी का पुनर्वास नहीं हुआ। भारत सरकार और राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों और शासक वर्ग को सतह के नीचे जीवन यापन कर रहे इन मनुष्यों की कोई चिंता कभी नहीं थी। उत्तराखंड में बंगाली विस्थापित,सिख और पंजाबी विस्थापित, पूर्वांचल के लोग आज बस गए थे। इसके साक्ष्य आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड भी नहीं देते। लेकिन इन दोनों किताबों ने तथ्यों समेत इसके साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। इसीलिए गांव गांव पढ़ी जा रही हैं दोनों किताबें। हमारे अथक सदाबहार महायोद्धा Nityanand Mandal गांव गांव घूम रहे हैं। दोनों किताबें प्राप्त करने में वे आपकी मदद करेंगे। आज नित्यानंद खानपुर नंबर एक में गए,जहां अम्बरीष विश्वास ने अमेजन से pulinbabu:visthapan ka yatharth मंगवाकर दो बार पढ़ भी चुके हैं।तीसरी बार पढ़ना शुरू किया है। यह पुस्तक amazon ऑनलाइन स्टोर से प्राप्त की जा सकती है अम्बरीष बाबू ने Rupesh Kumar Singh की बंगाली विस्थापित समाज की आपबीती की किताब छिन्नमूल के दूसरे संस्करण के लिए नित्यानंद को फोन किया तो कड़ी धूप में वे हो आए खानपुर दो नंबर। आधा देश अपनी जल जंगल जमीन आजीविका से बेदखल विस्थापित हैं। किसान और मजदूर विस्थापित हैं।बाकी भी बेदखल हो रहे हैं। हमने आपकी नागरिकता के दस्तावेज और आपका इतिहास इन दो किताबों में प्रस्तुत किए हैं। काम जारी है। आप प्रेरणा अंशु के दफ्तर दिनेशपुर और अनसुनी आवाज़ Ansuni Awaaz के रुद्रपुर दफ्तर से किताब प्राप्त कर सकते हैं। ये किताबें सर्वसमाज की विरासत है। पलाश विश्वास 28.05.2025 https://www.amazon.in/gp/product/B0FBNLGVZ6/ref=cx_skuctr_share_ls_srb?smid=A2VGZSQZ1XN2DP&tag=ShopReferral_35fa1b5c-08eb-430b-ba58-fd79ba0bc05f *मेरी नयी किताब छिन्नमूल अमेजन पर उपलब्ध है।* आप घर बैठे किताब *उपरोक्त लिंक ओपन करके ऑर्डर* कर सकते हैं। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। *छिन्नमूल पढ़ना बेहद जरूरी है।* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 Rupesh Kumar Singh आखिर किताब आ ही गई। 💐💐💐💐 Palash Biswas अमेजन से ऑर्डर करिए। क्षेत्र की आपबीती को समझिए। 🙏🙏🙏 Pulinbabu : Visthapan Ka... https://www.amazon.in/dp/9364073428?ref=ppx_pop_mob_ap_share

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