Friday, August 20, 2021

प्रसंग- नेताजी को श्रद्धांजलि। पलाश विश्वास

 प्रसंग -नेताजी को श्रद्धांजलि



अफसोस यह है कि हमारा ज्ञान सूचनाओं पर आधारित है। सूचनाएं सही गलत हो,इससे फर्क नहीं पड़ता किसीको। परीक्षा प्रणाली ज्ञान के बदले सूचना की जांच करता है। 


इसलिए नए लोग शार्ट कट से सूचना जुटाकर ज्यादा से ज्यादा अंक जुटाने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा में लगे हैं।


सूचनाओं की जांच का विवेक ज्ञान और गहन अध्ययन

 से बनता है,जिसका कोई शार्ट कट नहीं होता।


शिक्षा का मतलब सीखना,जेनन,समझना,गहन चिंतन मंथन और निष्कर्ष का विवेक होता है। इसके बिना डिग्री और सर्टिफिकेट, शत प्रतिशत अंक से कुछ नहीं बनता।


गूगल डिक्शनरी है और विश्वकोष। कौन फीड करता है।इससे कोई मतलब नहीं। 


कुंजी में रेडीमेड जवाब है। सिलेबस और विषय की जानकारी के बिना,पाठ्य पुस्तकों के दर्शन किये बिना यह ऑन लाइन शिक्षा और सूचना तंत्र का करिश्मा है कि जिस नेताजी को स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक माना जाता है, उनके बारे में अंग्रेजों का फैलाया भरम भी हम बेहिचक अंतिम सत्य मानकर चल रहे हैं। 


सत्य क्या है,उसकी किसी को कोई परवाह नहीं है।


इसी कारण मरने से पहले मृत्यु का शोक इतना वायरल है।


मरने से पहले हम मरे हुए लोग हैं।

No comments:

Post a Comment